स्पर्श भाग १ Chapter 10 दोहे - रहीम
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    NCERT Solution For Class 9 About 2.html स्पर्श भाग १

    दोहे - रहीम Here is the CBSE About 2.html Chapter 10 for Class 9 students. Summary and detailed explanation of the lesson, including the definitions of difficult words. All of the exercises and questions and answers from the lesson's back end have been completed. NCERT Solutions for Class 9 About 2.html दोहे - रहीम Chapter 10 NCERT Solutions for Class 9 About 2.html दोहे - रहीम Chapter 10 The following is a summary in Hindi and English for the academic year 2021-2022. You can save these solutions to your computer or use the Class 9 About 2.html.

    Question 1
    CBSEENHN9000700

    निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए-
    प्रेम का धागा टूटने पर पहले की भाँति ‘क्यों नहीं हो पाता?

    Solution
    प्रेम आपसी लगाव और विश्वास के कारण होता है। यदि एक बार यह लगाव या विश्वास टूट जाए तो फिर उसमें पहले जैसा भाव नहीं रहता। मन में दरार आ जाती है। जिस प्रकार सामान्य धागा टूटने पर उसे जब जोड़ते हैं तो उसमें गाँठ पड़ जाती है। इसी प्रकार प्रेम का धागा भी टूटने पर पहले के समान नहीं हो पाता।
    Question 2
    CBSEENHN9000701

    निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए-
    हमें अपना दुःख दूसरों पर क्यों नहीं प्रकट करना चाहिए? अपने मन की व्यथा दूसरों से कहने पर उनका व्यवहार कैसा हो जाता है?

    Solution
    हमें अपना दु ख दूसरों पर प्रकट नहीं करना चाहिए, क्योंकि संसार उसका मजाक उड़ाता है। हमें अपना दुःख अपने मन में ही रखना चाहिए। अपने मन की व्यथा दूसरों से कहने पर उनका व्यवहार परिहास पूर्ण हो जाता है।
    Question 3
    CBSEENHN9000702

    निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए-
    रहीम ने सागर की अपेक्षा पंक जल को धन्य क्यों कहा है?

    Solution
    रहीम ने सागर की अपेक्षा पंक जल को धन्य इसलिए कहा है क्योंकि सागर का जल खारा होता है, वह किसी की प्यास नहीं बुझा सकता जबकि पक जल धन्य है जिसे पीकर छोटे-छोटे जीवों की प्यास तृप्त हो जाती है। इसलिए कवि ने ऐसा कहा है।
    Question 4
    CBSEENHN9000703

    निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए-
    एक को साधने से सब कैसे सध जाता है?

    Solution
    एक पर अटूट विश्वास करके उसकी सेवा करने से सब कार्य सफल हो जाते हैं तथा इधर-उधर भटकना नहीं पड़ता। एक को साधने से सब कार्य उसी प्रकार सिद्ध हो जाते हैं जिस प्रकार जड़ को सींचने से फल, फूल आदि मिलते हैं। उसी प्रकार परमात्मा को साधने से अन्य सब कार्य कुशलता पूर्वक संपन्न हो जाते हैं।
    Question 5
    CBSEENHN9000704

    निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए-
    जलहीन कमल की रक्षा सूर्य भी क्यों नहीं कर पाता?

    Solution
    जलहीन कमल की रक्षा सूर्य भी इसलिए नहीं कर पाता क्योंकि जल से ही कमल की प्यास बुझती है. वह खिलता है और जीवन पाता है। कमल की सम्पत्ति जल है। अपनी सम्पत्ति नष्ट होने पर दूसरा व्यक्ति साथ नहीं दे सकता।
    Question 6
    CBSEENHN9000705

    निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए-
    अवध नरेश को चित्रकूट क्यों जाना पड़ा?

    Solution
    अवध नरेश श्री रामचंन्द्र अपने माता-पिता की आज्ञा का पालन करने के लिए जब चौदह वर्ष बनवास कर रहे थे तब वे चित्रकूट जैसे रमणीय वन में रुके थे। कवि विपदा पड़ने पर ईश्वर की शरण में जाने की बात कह रहे हैं। क्योंकि मुसीबत में वन भी राजभवन दिखाई देता है।
    Question 7
    CBSEENHN9000706

    निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए-
     ‘नट’ किस कला में सिद्ध होने के कारण ऊपर चढ़ जाता है?

    Solution
    नट कुंडली को समेटकर झट से ऊपर चढ़े जाने की कला में सिद्ध होता है।
    Question 8
    CBSEENHN9000707

    निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए-
    ‘मोती, मानुष, चून’ के सदंर्भ में पानी के महत्व को स्पष्ट कीजिए।

    Solution
    जिस प्रकार मोती का पानी उतर जाता है। अर्थात् उसकी चमक समाप्त हो जाती है तो उसका कोई महत्त्व नहीं रह जाता। मनुष्य का पानी उतरने से आशय मनुष्य का मान-सम्मान समाप्त हो जाता है। ‘चून’ पानी से ही गूँधा जाता है। सूखा आटा पानी के बिना किसी का पेट भरने में सहायक नहीं। इस प्रकार मोती, मनुष्य और चून के लिए पानी का अपना विशेष महत्त्व है।
    Question 9
    CBSEENHN9000708

    निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए-
    टूटे से फिर ना मिले, मिले गाँठ परि जाय।

    Solution
    प्रेम संबंध एक बार टूटने से दुबारा नहीं बनते। यदि दुबारा बनते भी हैं तो उनमें पहले के समान धनिष्ठता नहीं रहती मन में अविश्वास बना रहता है।
    Question 10
    CBSEENHN9000709

    निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए-
    सुनि अठिलैहैं लोग सब, बाँटि न लैहैं कोय।

    Solution
    मनुष्य को अपना दुख सबके सामने प्रकट नहीं करना चाहिए बल्कि उन्हें अपने हृदय में छिपाकर रखना चाहिए। लोग उसे जानकर केवल मजाक उड़ाते हैं। कोई भी उन दु:खों को बाँटता नहीं है।
    Question 11
    CBSEENHN9000710

    निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए-
    रहिमन मूलहिं सींचिबो, फूलै फलै अघाय।

    Solution

    अनेक देवी-देवताओं की भक्ति करने की अपेक्षा अपने इष्ट देव के प्रति आस्था रखना अधिक अच्छा होता है। जिस प्रकार जड़ को सींचने से पेड़ के फूल-पत्तों तक का पोषण हो जाता है। उसी प्रकार इष्ट के प्रति ध्यान कर लें तो सांसारिक सुख स्वयं मिल जाते हैं।

     
    Question 12
    CBSEENHN9000711

    निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए-
    दीरघ दोहा अरथ के, आखर थोरे आहिं।

    Solution
    दोहा छंद तो ऐसा होता है जो आकार में छोटा है परन्तु अर्थ बहुत गहरा लिए हुए होता है। उनका गूढ़ अर्थ ही उनकी गागर में सागर भरने की प्रवृत्ति को स्पष्ट कर देता है। ठीक वैसे ही जैसे नट कुंडली को समेटकर कूदकर रस्सी पर चढ़ जाता है।
    Question 13
    CBSEENHN9000712

    निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए-
    नाद रीझि तन देत मृग, नर धन हेत समेत।

    Solution
    हिरण संगीत पर मुग्ध होकर शिकारियों को अपना जीवन तक दे देते हैं अर्थात अपना अस्तित्व समर्पित कर देता है तथा मनुष्य दूसरों पर प्रसन्न होकर धन देता है और हित भी करता है किन्तु जो दूसरों पर प्रसन्न होकर भी उसे कुछ नहीं देता, वह पशु तुल्य है।
    Question 14
    CBSEENHN9000713

    निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए-
    जहाँ काम आवे सुई, कहा करे तरवारि।

    Solution
    प्रत्येक मनुष्य का अपना महत्त्व होता है। समय आने पर सभी उपयोगी सिद्ध होते हैं। कवि ने तलवार और सुई के उदाहरण द्वारा यह तथ्य सिद्ध किया है। जहाँ छोटी वस्तु का उपयोग होता है वहाँ बड़ी वस्तु किसी काम की नहीं और जहाँ बड़ी वस्तु प्रयुक्त होती है। वहाँ छोटी वस्तु बेकार है सुई जो काम करती है वह काम तलवार नहीं कर सकती। और जिस काम के लिए तलवार है। वह काम सुई नहीं कर सकती। हर चीज की अपनी ही उपयोगिता है।
    Question 15
    CBSEENHN9000714

    निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए-
    पानी गए न ऊबरे, मोती, मानुष, चूना

    Solution
    मोती में यदि चमक न रहे, वह व्यर्थ है। मनुष्य यदि आत्म सम्मान न बनाए रखे तो बेकार है। सूखा आटा पानी के बिना किसी का पेट भरने में सहायक नहीं होता। पानी के बिना मोती, मनुष्य और चून नहीं उबर सकते। मोती की चमक, मनुष्य का आत्म सम्मान व आटे की गूँधना सभी पानी के माध्यम से ही संभव है।

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    Question 19
    CBSEENHN9000718

     उदाहरण के आधार पर पाठ में आए निन्नलिखित शब्दों के प्रचलित रूप लिखिए-
    उदाहरण : कोय - कोई, जे - जो
    ज्यों ................. कछु ............
    नहिं ................. कोय ............
    धनि ................. आखर ............
    जिय ................. थोरे ............
    होय ................. माखन ............
    तरवारि ................. सींचिबो ............
    मूलहिं ................. पिअत ............
    पिआसो ................. बिगरी ............
    आवे ................. सहाय ............
    ऊबरेे ................. बिनु ............
    बिंथा ................. अठिलैहैं ............
    परिजाय .................

    Solution

    ज्यों - जैसे,        कछु - कुछ
    नहिं - नहीं,       कोय - कोई
    धनि - धन्य,       आखर – अक्षर
    जिय - जीव,       थोरे - थोड़े
    होय - होता,       माखन – मक्खन
    तरवारि - तलवार,  सींचिबो – सींचना
    मूलहि – मूल,      पिअत - पीते ही
    पिआसो – प्यासा,  बिगरी – बिगड़ी
    आवे – आए,       सहाय – सहायक
    ऊबरै – उबरे,     बिनु - बिन
    बिथा – व्यथा,     अठिलैहैं - इठलाएँगे।
    परिजाय - पड़ जाए

    Question 20
    CBSEENHN9000719

    सागर की अपेक्षा पंक-जल को श्रेष्ठ क्यों बताया गया है। इसके माध्यम से कवि ने क्या सीख दी है?

    Solution
    सागर की अपेक्षा पंक-जल को श्रेष्ठ इसलिए बताया गया है क्योंकि कीचड़ का पानी छोटे जीव-जन्तुओं का प्यास बुझाने की सामर्थ्य रखना है किन्तु सागर का जल खारा होने के कारण व्यर्थ है क्योंकि उसका किसी कार्य में उपयोग नहीं हो सकता। कहने का अभिप्राय है कि वह छोटा व्यक्ति भी धन्य है जो परोपकार करता है, किन्तु उस बड़े अर्थात् धनी व्यक्ति का जीवन व्यर्थ है जो समाज की भलाई के लिए कार्य नहीं करता।
    Question 21
    CBSEENHN9000720

    कवि ने किस दृष्टांत द्वारा सिद्ध किया है कि बिगड़ी बात नहीं बन सकती?

    Solution
    कवि कहते हैं कि जिस तरह फटे हुए दूध को मथकर मक्खन नहीं निकाला जा सकता, उसी तरह बिगड़ी हुई बात को लाख प्रयत्न करने पर भी सुधारा नहीं जा सकता। अत: व्यक्ति को सोच समझकर ही बोलना चाहिए।
    Question 22
    CBSEENHN9000721

    निम्नलिखित दोहों को पढ़कर उसका आशय स्पष्ट कीजिये।
    रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो चटकाय।
    टूटे से फिर ना मिले, मिले गाँठ परि जाय।।

    Solution
    प्रेम का धागा संबंधों को जोड़ता है इस तथ्य को स्पष्ट करते हुए रहीम जी कहते हैं कि प्रेम रूपी धागे को झटके से नहीं तोड़ना चाहिए। अगर इसमें एक बार गाँठ पड़ जाती है तो यह फिर नहीं जुड़ता और अगर जुड़ता भी है तो इसमें गाँठ पड़ जाती है अर्थात् प्रेम सम्बन्ध कठिनाई से बनते हैं। जब एक बार बन जाते है तो उन्हें यत्नपूर्वक संभाल लेना चाहिए। प्रेम संबंधों के टूट जाने पर उनमें पहले जैसा स्नेह नहीं रहता। उसमें खिंचाव बना रहता है।
    Question 23
    CBSEENHN9000722

    निम्नलिखित दोहों को पढ़कर उसका शिल्प सौन्दर्य लिखिए
    रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो चटकाय।
    टूटे से फिर ना मिले, मिले गाँठ परि जाय।।

    Solution

    कला पक्ष (शिल्प सौन्दर्य)-
    1. प्रेम की निरंतरता और अखंडता के महत्त्व को बहुत सुंदर युक्ति से समझाया गया है।
    2. ब्रज भाषा का प्रयोग दोहों में दृष्टव्य है।
    3. दोहे में नीतिपरक सीख दी गई है।
    4. दोहे में भावात्मक व उदाहरणात्मक शैली का प्रयोग हुआ है।
    5. दोहा छंद का प्रयोग हुआ है।
    6. भाषा सरल, सरस व प्रभावशाली है।
    7. भाषा में लयात्मकता व गीतात्मकता है।
    8. (i) उदाहरण अलंकार का प्रयोग हुआ है।
    (ii) श्लेष व रूपक अलंकार का प्रयोग हुआ है।
    गाँठ परि जाय-श्लेष अलंकार
    धागा प्रेम का-रूपक अलंकार

    Question 29
    CBSEENHN9000728

    निम्नलिखित दोहों को पढ़कर उसका आशय स्पष्ट कीजिये
    रहिमन निज मन की बिथा, मन ही राखो गोया
    सुनि अठिलैहैं लोग सब, बॉंटि न लैहैं कोय।

    Solution
    रहीम जी लोगों को अपने मन की पीड़ा दूसरों को न बताने का उपदेश देते हुए कहते हैं कि अपने मन के दुख को मन में ही रखना चाहिए। किसी के सामने प्रकट नहीं करना चाहिए। क्योंकि लोग सुनकर मजाक उड़ाते हैं। दूसरों के दुखों को कोई बाँटना नहीं चाहता। अर्थात् दूसरों के दुख सुनना लोगों की आदत नहीं है। वे उसका मजाक ही उड़ाते है। उसके दुख में सहयोग नहीं देना चाहते।
    Question 30
    CBSEENHN9000729

    निम्नलिखित दोहों को पढ़कर उसका शिल्प सौन्दर्य लिखिए 
    रहिमन निज मन की बिथा, मन ही राखो गोय
    सुनि अठिलैहैं लोग सब, बॉंटि न लैहैं कोय।

    Solution

    1. मन की पीड़ा को किसी को न बताने का निर्देश दिया गया है।
    2. ब्रज भाषा का प्रयोग दोहों में दृष्टव्य है।
    3. दोहों में नीति परक तथ्यों का स्पष्टीकरण है?
    4. दोहों में भावात्मक व उदाहरणात्मक शैली का प्रयोग हुआ है।
    5. दोहा छंद का प्रयोग हुआ है।
    6. भाषा सरल, सरस व प्रभावशाली है।
    7. भाषा में लयात्मकता व गीतात्मकता है।
    8. उदाहरण अलंकार का प्रयोग हुआ है।

     
    Question 36
    CBSEENHN9000735

    निम्नलिखित दोहों को पढ़कर उसका आशय स्पष्ट कीजिये
    एकै साधे सब सधै, सब साधे सब जाय।
    रहिमन मूलहिं सींचिबो, फूलै फलै अघाय ।






    Solution

    एक कार्य को सिद्ध करने पर सभी कार्य सफल हो जाते हैं। अर्थात एक परमात्मा को पा लेने से अन्य सब सांसारिक उपलब्धियाँ स्वंयमेव प्राप्त हो जाती है। यदि परमात्मा की भक्ति न की और अन्य सांसारिक वस्तुओं को पा लिया तो वे सब उपलब्धियाँ परमात्मा के अभाव में कुछ काम नहीं आती। रहीम जी कहते हैं यदि वृक्ष को मूल से सींचा जाए तो वृक्ष पर फल-फूल आते हैं। इससे फलों को खाने वाले और फूलों का रस लेने वाले भँवरे आदि तृप्त हो जाते हैं।

    Question 37
    CBSEENHN9000736

    निम्नलिखित दोहों को पढ़कर उसका शिल्प सौन्दर्य लिखिए
    एकै साधे सब सधै, सब साधे सब जाय।
    रहिमन मूलहिं सींचिबो, फूलै फलै अघाय।







    Solution

    शिल्प सौन्दर्य-
    1. एक मात्र प्रभु की कृपा होने पर सबकी कृपा प्राप्त हो जाती है।
    2. ब्रज भाषा का प्रयोग दोहों में दृष्टव्य है।
    3. दोहों में नीति परक तथ्यों का स्पष्टीकरण किया गया है?
    4. दोहों में भावात्मक, उदाहरणात्मक शैली का प्रयोग हुआ है।
    5. दोहा छंद का प्रयोग हुआ है।
    6. भाषा सरल, सरस व प्रभावशाली है।
    7. भाषा में लयात्मकता व गीतात्मकता है।
    8. (i) उदाहरण अलंकार का प्रयोग हुआ है।
    (ii) साधे सब सधे, सब साधो में अनुप्रास अलंकार है।

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    Question 43
    CBSEENHN9000742

    निम्नलिखित दोहों को पढ़कर उनका आशय स्पष्ट कीजिये
    चित्रकूट में रमि रहे, रहिमन अवध-नरेस।
    जा पर बिपदा पड़त है, सो आवत यह देस।।

    Solution

    रहीम जी कहते हैं कि यह चित्रकूट अत्यन्त मनोरमय व धार्मिक प्रदेश है। जिस पर मुसीबत आती है वही शांति पाने के लिए इस प्रदेश की ओर खिंचा चला आता है। अयोध्या के राजा राम पर मुसीबत पड़ी, उन्हें राजपाट छोड़कर वनों में जाना पड़ा तो वे चित्रकूट में चले आए। उनका मन यहाँ रम गया है।

    Question 44
    CBSEENHN9000743

    निम्नलिखित दोहों को पढ़कर उनका शिल्प सौन्दर्य लिखिए 
    चित्रकूट में रमि रहे, रहिमन अवध-नरेस।
    जा पर बिपदा पड़त है, सो आवत यह देस।।

    Solution

    1. विपत्ति में वन भी राजभवन दिखाई देता है। विपत्ति में राजा राम भी चित्रकूट में जा कर रहे।
    2. ब्रज भाषा का प्रयोग दोहों में दृष्टव्य है।
    3. दोहों में नीति परक तथ्यों का स्पष्टीकरण किया गया है।
    4. दोहों में भावात्मक उदाहरणात्मक शैली का प्रयोग हुआ है।
    5. दोहा छंद का प्रयोग हुआ है।
    6. भाषा सरल, सरस व प्रभावशाली है।
    7. भाषा में लयात्मकता व गीतात्मकता है।
    8. (i) उदाहरण अलंकार का प्रयोग हुआ है।
    (ii) रमि रहे, रहिमन में अनुप्रास अलंकार का प्रयोग हुआ है।

    Question 50
    CBSEENHN9000749

    निम्नलिखित दोहों को पढ़कर उनका आशय स्पष्ट कीजिये
    दीरघ दोहा अरथ के, आखर थोरे आहिं।
    ज्यों रहीम नट कुडंली, सिमिटि कूदि चढ़ि जाहिं।।

    Solution
    रहीम जी करते हैं- दोहा छंद ऐसा हैं जिसमें अक्षर तो थोड़े होते है किन्तु उनमें बहुत गहरा और दीर्घ अर्थ छिपा रहता है जिस प्रकार कोई कुशल बाजीगर अपने शरीर को सिकोड़कर तंग मुँह वाली कुंडली के बीच में से कुशलतापूर्वक निकल जाता है उसी प्रकार कुशल दोहाकार दोहे के सीमित से शब्दों में बहुत बड़ी और गहरी बात कह जाता है।
    Question 51
    CBSEENHN9000750

    निम्नलिखित दोहों को पढ़कर उनका शिल्प सौन्दर्य लिखिए
    दीरघ दोहा अरथ के, आखर थोरे आहिं।
    ज्यों रहीम नट कुंडली, सिमिटि कूदि चढ़ि जाहिं।।

    Solution

    शिल्प सौन्दर्य:
    1. दोहे के थोड़े शब्द का भी हृदय पर गहरा प्रभाव होता है, भले ही वे कम हो।
    2. ब्रज भाषा का प्रयोग दोहों में दृष्टव्य है।
    3. दोहों में नीति परक तथ्यों का स्पष्टीकरण किया गया है।
    4. दोहों में भावात्मक व उदाहरणात्मक शैली का प्रयोग हुआ है।
    5. दोहा छंद का प्रयोग हुआ है।
    6. भाषा सरल, सरस व प्रभावशाली है।
    7. भाषा में लयात्मकता व गीतात्मकता है।
    8. (i) उदाहरण अलंकार का प्रयोग हुआ है।
    (ii) ‘दीरघ दोहा’ में अनुप्रास अलंकार है।
    (iii) ज्यों रहीम नट कुंडली, सिमिटि कूदि चढ़िजाय में उत्प्रेक्षा अलंकार है।

    Question 57
    CBSEENHN9000756

    निम्नलिखित दोहों को पढ़कर उसका आशय स्पष्ट कीजिये।
    धनि रहीम जल पंक को लघु जिय पिंअत अघाय।
    उदधि बड़ाई कौन है, जगत पिआसो जाय।।


    Solution
    रहीम जी कहते हैं। कि सरोवर या किचड़ वाला वह जल धन्य है जिसको पीकर लघु जीव भी अपनी प्यास बुझाते हैं। सागर कोई प्रशंसा नहीं करता क्योंकि संसार वहाँ जाकर भी प्यासा लौट आता है। बड़प्पन उसी का माना जाता है जिससे दूसरे का लाभ हो। मनुष्य के जीवन की सार्थकता दूसरों की भलाई के कारण ही है। यदि अधिक धनवान होने पर भी वह किसी का भला नहीं कर सकते तो उसका धनवान होना व्यर्थ है।
    Question 58
    CBSEENHN9000757

    निम्नलिखित दोहों को पढ़कर उसका शिल्प सौन्दर्य  लिखिए
    धनि रहीम जल पंक को लघु जिय पिंअत अघाय।
    उदधि बड़ाई कौन है, जगत पिआसो जाय।।


    Solution

    शिल्प सौन्दर्य-
    1. स्वयं को महान, उच्च और बड़ा दिखाने की बजाय हमें लोगों के काम आना चाहिए।
    2. ब्रज भाषा का प्रयोग दोहों में दृष्टव्य है।
    3. दोहा में नीति परक तथ्यों का स्पष्टीकरण किया गया है।
    4. दोहा में भावात्मक व उदाहरणात्मक शैली का प्रयोग हुआ है।
    5. दोहा छंद का प्रयोग हुआ है।
    6. भाषा सरल, सरस व प्रभावशाली है।
    7. भाषा में लयात्मकता व गीतात्मकता है।
    8. उदाहरण अलंकार का प्रयोग हुआ है।

    Question 64
    CBSEENHN9000763

    निम्नलिखित दोहों को पढ़कर उनका आशय स्पष्ट कीजिये 
    नाद रीझि तन देत मृग, नर धन हेत समेत।
    ते रहीम पशु से अधिक, रीझेहु कछू न देत।।

    Solution
    संगीत की मधुर ध्वनि से प्रभावित होकर हिरण अपने प्राण तक न्योछावर कर देता है। इसी प्रकार किसी की कला पर मोहित होकर मनुष्य उस पर प्रेम-सहित धन अर्पित कर देता है। परन्तु वे मनुष्य तो पशु से भी अधिक जड़ है जो किसी पर रीझकर भी उसे कुछ नहीं देते।
    Question 65
    CBSEENHN9000764

    निम्नलिखित दोहों को पढ़कर उनका शिल्प सौन्दर्य  लिखिए।
    नाद रीझि तन देत मृग, नर धन हेत समेत।
    ते रहीम पशु से अधिक, रीझेहु कछू न देत।।

    Solution

    शिल्प सौन्दर्य-
    1. दूसरों की अच्छाई से प्रभावित होकर उसे खाली हाथ लौंटाना पशुता-पूर्ण कर्म है।
    2. ब्रज भाषा का प्रयोग दोहों में दृष्टव्य है।
    3. दोहों में नीति परक तथ्यों का स्पष्टीकरण किया गया है।
    4. दोहों में भावात्मक, उदाहरणात्मक शैली का प्रयोग हुआ है।
    5. दोहा छंद का प्रयोग हुआ है।
    6. भाषा सरल, सरस व प्रभावशाली है।
    7. भाषा में लयात्मकता व गीतात्मकता है।
    8. (i) उदाहरण अलंकार का प्रयोग हुआ है।
    (ii) अनुप्रास अलंकार का प्रयोग हुआ है।

    Question 71
    CBSEENHN9000770

    निम्नलिखित दोहों को पड़कर उनका आशय स्पष्ट कीजिये:
    बिगरी बात बनै नहीं, लाख करौ किन कोय।
    रहिमन फाटे दूध को, मथे न माखन होय।।

    Solution
    कोई कितने भी प्रयत्न कर ले, परन्तु बिगड़ी बात कभी नहीं बनती। रहीम जी कहते हैं कि फटे हुए दूध को कितना भी मथा जाए, परन्तु उसमें से मक्खन नहीं निकाला जा सकता। इसलिए यह प्रयास करना चाहिए कि बात बिगड़ने न पाए। उसे तुरन्त सँवारने का प्रयास करना चाहिए, वरना दुष्परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहना चाहिए।
    Question 72
    CBSEENHN9000771

    निम्नलिखित दोहों को पड़कर उनका शिल्प सौन्दर्य लिखिए।
    बिगरी बात बनै नहीं, लाख करौ किन कोय।
    रहिमन फाटे दूध को, मथे न माखन होय।।

    Solution

    1. आपसी संबंधों में यदि एक बार बिखराव आ जाए तो वह फिर वे दुबारा कभी स्थापित नहीं हो पाते। चाहे कितने भी प्रयत्न किए जाए, संबंध टूट कर ही रहते हैं।
    2. ब्रज भाषा का प्रयोग दोहों में दृष्टव्य है।
    3. दोहों में नीति परक तथ्यों का स्पष्टीकरण किया गया है।
    4. दोहों में भावात्मक व उदाहरणात्मक शैली का प्रयोग हुआ है।
    5. दोहा छंद का प्रयोग हुआ है।
    6. भाषा सरल, सरस व प्रभावशाली है।
    7. भाषा में लयात्मकता व गीतात्मकता है।
    8. (i) उदाहरण अलंकार का प्रयोग हुआ है।
        (ii) ‘बिगरी बात बनै’ व ‘करौ किन कोय’ में अनुप्रास अलंकार है।

    Question 78
    CBSEENHN9000777

    निम्नलिखित दोहों को पड़कर उनका आशय स्पष्ट कीजिये:
    रहिमन देखि बड़ेन को, लघु न दीजिये डारि।
    जहाँ काम आवे सुई. कहा करे तरवारि ।।

    Solution
    रहीम जी कहते हैं कि बड़े लोगों को देखकर अर्थात् उनके साथ सम्बन्ध स्थापित करने पर छोटे लोगों का साथ नहीं छोड़ना चाहिए क्योंकि जहाँ सुई काम आती है वहाँ तलवार भी कुछ नहीं कर सकती। अर्थात् प्रत्येक मनुष्य का अपना महत्त्व होता है। समय आने पर सभी उपयोगी सिद्‌ध होते हैं। कवि ने तलवार और सुई के उदाहरण द्वारा यह तथ्य सिद्ध किया है।
    Question 79
    CBSEENHN9000778

    निम्नलिखित दोहों को पड़कर उनका शिल्प सौन्दर्य लिखिए। 
    रहिमन देखि बड़ेन को, लघु न दीजिये डारि।
    जहाँ काम आवे सुई. कहा करे तरवारि ।।

    Solution

    शिल्प सौन्दर्य:
    1. कवि के अनुसार छोटे लोग जो काम कर सकते है वह बड़े नहीं कर सकते। इसलिए कभी छोटों की उपेक्षा नहीं करनी चाहिए।
    2. ब्रज भाषा का प्रयोग दोहों में दृष्टव्य है।
    3. दोहों में नीति परक तथ्यों का स्पष्टीकरण किया गया है?
    4. दोहे में भावात्मक व उदाहरणात्मक शैली का प्रयोग हुआ है।
    5. दोहा छंद का प्रयोग हुआ है।
    6. भाषा सरल, सरस व प्रभावशाली है।
    7. भाषा में लयात्मकता व गीतात्मकता है।
    8. (i) उदाहरण अलंकार का प्रयोग हुआ है।
       (ii) ‘कहा करै तरवारि’ में अनुप्रास अलंकार है।

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    Question 85
    CBSEENHN9000784

    निम्नलिखित दोहों को पढ़कर उनका आशय स्पष्ट कीजिये:
    रहिमन निज संपति बिना, कोउ न बिपति सहाय।
    बिनु पानी ज्यों जलज को, नहिं रवि सके बचाया ।। 


    Solution
    रहीम जी कहते हैं कि अपनी सम्पत्ति के अलावा मुसीबत में कोई सहायक सिद्ध नहीं होता। अर्थात् संकट के समय अपना ही धन काम आता है। जैसे पानी के बिना कमल को सूर्य भी नहीं बचा सकता। यद्यपि सूर्य कमल, का पोषण करता है पर यदि पानी नहीं होता तो कमल सूख जाता है। उसी प्रकार मनुष्य को बाहरी सहायता कितनी ही क्यों न मिले, किन्तु उसकी वास्तविक रक्षक निजी संपत्ति होती है।
    Question 86
    CBSEENHN9000785

    निम्नलिखित दोहों को पढ़कर उनका शिल्प सौन्दर्य लिखिए।
    रहिमन निज संपति बिना, कोउ न बिपति सहाय।
    बिनु पानी ज्यों जलज को, नहिं रवि सके बचाया ।। 


    Solution

    शिल्प सौन्दर्य-
    1. इसमें निज सम्पति की महिमा बताई गई है।
    2. ब्रज भाषा का प्रयोग दोहों में दृष्टव्य है।
    3. दोहों में नीति परक तथ्यों का स्पष्टीकरण किया गया है।
    4. दोहों में भावात्मक उदाहरणात्मक शैली का प्रयोग हुआ है।
    5. दोहा छंद का प्रयोग हुआ है।
    6. भाषा सरल, सरस व प्रभावशाली है।
    7. भाषा में लयात्मकता व गीतात्मकता है।
    8. (i) उदाहरण अलंकार का प्रयोग किया गया है।
       (ii) अनुप्रास अलंकार का भी प्रयोग हुआ है।
       (iii) ‘बिनु पानी ज्यों जलज को, नहि रखि सके बचाय’ इस पंक्ति में उत्पेक्षा अलंकार है।

     
    Question 92
    CBSEENHN9000791

    निम्नलिखित दोहों को पढ़कर उनका आशय स्पष्ट कीजिये:
    रहिमन पानी राखिए, बिनु पानी सब सून 
    पानी गए न उबरै, मोती, मानुष, चुन 

    Solution
    रहीम जी कहते हैं कि पानी का बहुत महत्त्व है। इसे बनाए रखना चाहिए। यदि पानी समाप्त हो जाए तो मोती का कोई महत्त्व नहीं रह जाता, न मनुष्य का और न आटे का। पानी अर्थात् चमक के बिना मोती बेकार है पानी अर्थात् सम्मान के बिना मनुष्य का जीवन व्यर्थ है और जल के बिना रोटी नहीं बन सकती, इसलिए आटा बेकार है।
    Question 93
    CBSEENHN9000792

    निम्नलिखित दोहों को पढ़कर उनका शिल्प सौन्दर्य लिखिए ।
    रहिमन पानी राखिए, बिनु पानी सब सून 
    पानी गए न उबरै, मोती, मानुष, चुन 

    Solution

    शिल्प सौन्दर्य-
    1. समाज में मनुष्य का सम्मान है तो सब कुछ सम्भव है अन्यथा जीवन दूभर हो जाता है।
    2. ब्रज भाषा का प्रयोग दोहों में दृष्टव्य है।
    3. दोहों में नीति परक तथ्यों का स्पष्टीकरण किया गया है।
    4. दोहें में भावात्मक उदाहरणात्मक शैली का प्रयोग हुआ है।
    5. दोहा छंद का प्रयोग हुआ है।
    6. भाषा सरल, सरस व प्रभावशाली है।
    7. भाषा में लयात्मकता व गीतात्मकता है।
    8. (i) उदाहरण अलंकार का प्रयोग हुआ है।
       (ii) ‘‘पानी गए न ऊबरे, मोती, मानुष, चून” इस पंक्ति में श्लेष अलंकार है।
       (iii) पानी के तीन अर्थ है-जल, चमक, इज्जत।

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