Sponsor Area
अनेक देवी-देवताओं की भक्ति करने की अपेक्षा अपने इष्ट देव के प्रति आस्था रखना अधिक अच्छा होता है। जिस प्रकार जड़ को सींचने से पेड़ के फूल-पत्तों तक का पोषण हो जाता है। उसी प्रकार इष्ट के प्रति ध्यान कर लें तो सांसारिक सुख स्वयं मिल जाते हैं।
Sponsor Area
उदाहरण के आधार पर पाठ में आए निन्नलिखित शब्दों के प्रचलित रूप लिखिए-
उदाहरण : कोय - कोई, जे - जो
ज्यों ................. कछु ............
नहिं ................. कोय ............
धनि ................. आखर ............
जिय ................. थोरे ............
होय ................. माखन ............
तरवारि ................. सींचिबो ............
मूलहिं ................. पिअत ............
पिआसो ................. बिगरी ............
आवे ................. सहाय ............
ऊबरेे ................. बिनु ............
बिंथा ................. अठिलैहैं ............
परिजाय .................
ज्यों - जैसे, कछु - कुछ
नहिं - नहीं, कोय - कोई
धनि - धन्य, आखर – अक्षर
जिय - जीव, थोरे - थोड़े
होय - होता, माखन – मक्खन
तरवारि - तलवार, सींचिबो – सींचना
मूलहि – मूल, पिअत - पीते ही
पिआसो – प्यासा, बिगरी – बिगड़ी
आवे – आए, सहाय – सहायक
ऊबरै – उबरे, बिनु - बिन
बिथा – व्यथा, अठिलैहैं - इठलाएँगे।
परिजाय - पड़ जाए
कला पक्ष (शिल्प सौन्दर्य)-
1. प्रेम की निरंतरता और अखंडता के महत्त्व को बहुत सुंदर युक्ति से समझाया गया है।
2. ब्रज भाषा का प्रयोग दोहों में दृष्टव्य है।
3. दोहे में नीतिपरक सीख दी गई है।
4. दोहे में भावात्मक व उदाहरणात्मक शैली का प्रयोग हुआ है।
5. दोहा छंद का प्रयोग हुआ है।
6. भाषा सरल, सरस व प्रभावशाली है।
7. भाषा में लयात्मकता व गीतात्मकता है।
8. (i) उदाहरण अलंकार का प्रयोग हुआ है।
(ii) श्लेष व रूपक अलंकार का प्रयोग हुआ है।
गाँठ परि जाय-श्लेष अलंकार
धागा प्रेम का-रूपक अलंकार
A.
अखडं एवं निश्चल नहीं रहताC.
व्यवहार में कठोरता रह जाती है।1. मन की पीड़ा को किसी को न बताने का निर्देश दिया गया है।
2. ब्रज भाषा का प्रयोग दोहों में दृष्टव्य है।
3. दोहों में नीति परक तथ्यों का स्पष्टीकरण है?
4. दोहों में भावात्मक व उदाहरणात्मक शैली का प्रयोग हुआ है।
5. दोहा छंद का प्रयोग हुआ है।
6. भाषा सरल, सरस व प्रभावशाली है।
7. भाषा में लयात्मकता व गीतात्मकता है।
8. उदाहरण अलंकार का प्रयोग हुआ है।
एक कार्य को सिद्ध करने पर सभी कार्य सफल हो जाते हैं। अर्थात एक परमात्मा को पा लेने से अन्य सब सांसारिक उपलब्धियाँ स्वंयमेव प्राप्त हो जाती है। यदि परमात्मा की भक्ति न की और अन्य सांसारिक वस्तुओं को पा लिया तो वे सब उपलब्धियाँ परमात्मा के अभाव में कुछ काम नहीं आती। रहीम जी कहते हैं यदि वृक्ष को मूल से सींचा जाए तो वृक्ष पर फल-फूल आते हैं। इससे फलों को खाने वाले और फूलों का रस लेने वाले भँवरे आदि तृप्त हो जाते हैं।
शिल्प सौन्दर्य-
1. एक मात्र प्रभु की कृपा होने पर सबकी कृपा प्राप्त हो जाती है।
2. ब्रज भाषा का प्रयोग दोहों में दृष्टव्य है।
3. दोहों में नीति परक तथ्यों का स्पष्टीकरण किया गया है?
4. दोहों में भावात्मक, उदाहरणात्मक शैली का प्रयोग हुआ है।
5. दोहा छंद का प्रयोग हुआ है।
6. भाषा सरल, सरस व प्रभावशाली है।
7. भाषा में लयात्मकता व गीतात्मकता है।
8. (i) उदाहरण अलंकार का प्रयोग हुआ है।
(ii) साधे सब सधे, सब साधो में अनुप्रास अलंकार है।
Sponsor Area
A.
सभी को प्रसन्न नहीं किया जा सकता।रहीम जी कहते हैं कि यह चित्रकूट अत्यन्त मनोरमय व धार्मिक प्रदेश है। जिस पर मुसीबत आती है वही शांति पाने के लिए इस प्रदेश की ओर खिंचा चला आता है। अयोध्या के राजा राम पर मुसीबत पड़ी, उन्हें राजपाट छोड़कर वनों में जाना पड़ा तो वे चित्रकूट में चले आए। उनका मन यहाँ रम गया है।
1. विपत्ति में वन भी राजभवन दिखाई देता है। विपत्ति में राजा राम भी चित्रकूट में जा कर रहे।
2. ब्रज भाषा का प्रयोग दोहों में दृष्टव्य है।
3. दोहों में नीति परक तथ्यों का स्पष्टीकरण किया गया है।
4. दोहों में भावात्मक उदाहरणात्मक शैली का प्रयोग हुआ है।
5. दोहा छंद का प्रयोग हुआ है।
6. भाषा सरल, सरस व प्रभावशाली है।
7. भाषा में लयात्मकता व गीतात्मकता है।
8. (i) उदाहरण अलंकार का प्रयोग हुआ है।
(ii) रमि रहे, रहिमन में अनुप्रास अलंकार का प्रयोग हुआ है।
A.
राजपाट छोड़ कर वनों में भटकना पड़ाC.
शांति दायक दुख निवारक प्रभाव हेतुशिल्प सौन्दर्य:
1. दोहे के थोड़े शब्द का भी हृदय पर गहरा प्रभाव होता है, भले ही वे कम हो।
2. ब्रज भाषा का प्रयोग दोहों में दृष्टव्य है।
3. दोहों में नीति परक तथ्यों का स्पष्टीकरण किया गया है।
4. दोहों में भावात्मक व उदाहरणात्मक शैली का प्रयोग हुआ है।
5. दोहा छंद का प्रयोग हुआ है।
6. भाषा सरल, सरस व प्रभावशाली है।
7. भाषा में लयात्मकता व गीतात्मकता है।
8. (i) उदाहरण अलंकार का प्रयोग हुआ है।
(ii) ‘दीरघ दोहा’ में अनुप्रास अलंकार है।
(iii) ज्यों रहीम नट कुंडली, सिमिटि कूदि चढ़िजाय में उत्प्रेक्षा अलंकार है।
शिल्प सौन्दर्य-
1. स्वयं को महान, उच्च और बड़ा दिखाने की बजाय हमें लोगों के काम आना चाहिए।
2. ब्रज भाषा का प्रयोग दोहों में दृष्टव्य है।
3. दोहा में नीति परक तथ्यों का स्पष्टीकरण किया गया है।
4. दोहा में भावात्मक व उदाहरणात्मक शैली का प्रयोग हुआ है।
5. दोहा छंद का प्रयोग हुआ है।
6. भाषा सरल, सरस व प्रभावशाली है।
7. भाषा में लयात्मकता व गीतात्मकता है।
8. उदाहरण अलंकार का प्रयोग हुआ है।
C.
छोटे जीवों की प्यास न बुझा पाने के कारणD.
गरीबों व असहायों की सहायता करनाB.
जीवन की सार्थकता परोपकार में हैशिल्प सौन्दर्य-
1. दूसरों की अच्छाई से प्रभावित होकर उसे खाली हाथ लौंटाना पशुता-पूर्ण कर्म है।
2. ब्रज भाषा का प्रयोग दोहों में दृष्टव्य है।
3. दोहों में नीति परक तथ्यों का स्पष्टीकरण किया गया है।
4. दोहों में भावात्मक, उदाहरणात्मक शैली का प्रयोग हुआ है।
5. दोहा छंद का प्रयोग हुआ है।
6. भाषा सरल, सरस व प्रभावशाली है।
7. भाषा में लयात्मकता व गीतात्मकता है।
8. (i) उदाहरण अलंकार का प्रयोग हुआ है।
(ii) अनुप्रास अलंकार का प्रयोग हुआ है।
C.
दूसरों के गुणा की प्रशंसा न करने वालाA.
दूसरों के गुणों की सराहना करनी चाहिएनिम्नलिखित दोहों को पड़कर उनका आशय स्पष्ट कीजिये:
बिगरी बात बनै नहीं, लाख करौ किन कोय।
रहिमन फाटे दूध को, मथे न माखन होय।।
1. आपसी संबंधों में यदि एक बार बिखराव आ जाए तो वह फिर वे दुबारा कभी स्थापित नहीं हो पाते। चाहे कितने भी प्रयत्न किए जाए, संबंध टूट कर ही रहते हैं।
2. ब्रज भाषा का प्रयोग दोहों में दृष्टव्य है।
3. दोहों में नीति परक तथ्यों का स्पष्टीकरण किया गया है।
4. दोहों में भावात्मक व उदाहरणात्मक शैली का प्रयोग हुआ है।
5. दोहा छंद का प्रयोग हुआ है।
6. भाषा सरल, सरस व प्रभावशाली है।
7. भाषा में लयात्मकता व गीतात्मकता है।
8. (i) उदाहरण अलंकार का प्रयोग हुआ है।
(ii) ‘बिगरी बात बनै’ व ‘करौ किन कोय’ में अनुप्रास अलंकार है।
शिल्प सौन्दर्य:
1. कवि के अनुसार छोटे लोग जो काम कर सकते है वह बड़े नहीं कर सकते। इसलिए कभी छोटों की उपेक्षा नहीं करनी चाहिए।
2. ब्रज भाषा का प्रयोग दोहों में दृष्टव्य है।
3. दोहों में नीति परक तथ्यों का स्पष्टीकरण किया गया है?
4. दोहे में भावात्मक व उदाहरणात्मक शैली का प्रयोग हुआ है।
5. दोहा छंद का प्रयोग हुआ है।
6. भाषा सरल, सरस व प्रभावशाली है।
7. भाषा में लयात्मकता व गीतात्मकता है।
8. (i) उदाहरण अलंकार का प्रयोग हुआ है।
(ii) ‘कहा करै तरवारि’ में अनुप्रास अलंकार है।
Sponsor Area
C.
बड़ो का साथ पाकर छोटे लोगों का साथ न छोड़नाशिल्प सौन्दर्य-
1. इसमें निज सम्पति की महिमा बताई गई है।
2. ब्रज भाषा का प्रयोग दोहों में दृष्टव्य है।
3. दोहों में नीति परक तथ्यों का स्पष्टीकरण किया गया है।
4. दोहों में भावात्मक उदाहरणात्मक शैली का प्रयोग हुआ है।
5. दोहा छंद का प्रयोग हुआ है।
6. भाषा सरल, सरस व प्रभावशाली है।
7. भाषा में लयात्मकता व गीतात्मकता है।
8. (i) उदाहरण अलंकार का प्रयोग किया गया है।
(ii) अनुप्रास अलंकार का भी प्रयोग हुआ है।
(iii) ‘बिनु पानी ज्यों जलज को, नहि रखि सके बचाय’ इस पंक्ति में उत्पेक्षा अलंकार है।
शिल्प सौन्दर्य-
1. समाज में मनुष्य का सम्मान है तो सब कुछ सम्भव है अन्यथा जीवन दूभर हो जाता है।
2. ब्रज भाषा का प्रयोग दोहों में दृष्टव्य है।
3. दोहों में नीति परक तथ्यों का स्पष्टीकरण किया गया है।
4. दोहें में भावात्मक उदाहरणात्मक शैली का प्रयोग हुआ है।
5. दोहा छंद का प्रयोग हुआ है।
6. भाषा सरल, सरस व प्रभावशाली है।
7. भाषा में लयात्मकता व गीतात्मकता है।
8. (i) उदाहरण अलंकार का प्रयोग हुआ है।
(ii) ‘‘पानी गए न ऊबरे, मोती, मानुष, चून” इस पंक्ति में श्लेष अलंकार है।
(iii) पानी के तीन अर्थ है-जल, चमक, इज्जत।
Sponsor Area
Sponsor Area