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दोहे - रहीम

Question
CBSEENHN9000759

निम्नलिखित दोहों को पढ़कर पूछे गए प्रशनों के उत्तर दीजिये
धनि रहीम जल पंक को लघु जिय पिंअत अघाय।
उदधि बड़ाई कौन है, जगत पिआसो जाय।।

समुंद्र की प्रशंसा क्यों नहीं की जा सकती?

  • विशाल आकार के कारण
  • परोपकारी न होने के कारण
  • छोटे जीवों की प्यास न बुझा पाने के कारण
  • नमकीन पानी हेतु

Solution

C.

छोटे जीवों की प्यास न बुझा पाने के कारण

Some More Questions From दोहे - रहीम Chapter

निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए-
सुनि अठिलैहैं लोग सब, बाँटि न लैहैं कोय।

निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए-
रहिमन मूलहिं सींचिबो, फूलै फलै अघाय।

निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए-
दीरघ दोहा अरथ के, आखर थोरे आहिं।

निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए-
नाद रीझि तन देत मृग, नर धन हेत समेत।

निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए-
जहाँ काम आवे सुई, कहा करे तरवारि।

निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए-
पानी गए न ऊबरे, मोती, मानुष, चूना

निम्नलिखित भाव को पाठ में किन पंक्तियों द्वारा अभिव्यक्त किया गया है-
जिस पर विपदा पड़ती है वही इस देश में आता है।

निम्नलिखित भाव को पाठ में किन पंक्तियों द्वारा अभिव्यक्त किया गया है-
कोई लाख कोशिश करे पर बिगड़ी बात फिर बन नहीं सकती।

निम्नलिखित भाव को पाठ में किन पंक्तियों द्वारा अभिव्यक्त किया गया है-
पानी के बिना सब सूना है अत: पानी अवश्य रखना चाहिए।

 उदाहरण के आधार पर पाठ में आए निन्नलिखित शब्दों के प्रचलित रूप लिखिए-
उदाहरण : कोय - कोई, जे - जो
ज्यों ................. कछु ............
नहिं ................. कोय ............
धनि ................. आखर ............
जिय ................. थोरे ............
होय ................. माखन ............
तरवारि ................. सींचिबो ............
मूलहिं ................. पिअत ............
पिआसो ................. बिगरी ............
आवे ................. सहाय ............
ऊबरेे ................. बिनु ............
बिंथा ................. अठिलैहैं ............
परिजाय .................