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दोहे - रहीम

Question
CBSEENHN9000711

निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए-
दीरघ दोहा अरथ के, आखर थोरे आहिं।

Solution
दोहा छंद तो ऐसा होता है जो आकार में छोटा है परन्तु अर्थ बहुत गहरा लिए हुए होता है। उनका गूढ़ अर्थ ही उनकी गागर में सागर भरने की प्रवृत्ति को स्पष्ट कर देता है। ठीक वैसे ही जैसे नट कुंडली को समेटकर कूदकर रस्सी पर चढ़ जाता है।

Some More Questions From दोहे - रहीम Chapter

निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए-
हमें अपना दुःख दूसरों पर क्यों नहीं प्रकट करना चाहिए? अपने मन की व्यथा दूसरों से कहने पर उनका व्यवहार कैसा हो जाता है?

निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए-
रहीम ने सागर की अपेक्षा पंक जल को धन्य क्यों कहा है?

निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए-
एक को साधने से सब कैसे सध जाता है?

निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए-
जलहीन कमल की रक्षा सूर्य भी क्यों नहीं कर पाता?

निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए-
अवध नरेश को चित्रकूट क्यों जाना पड़ा?

निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए-
 ‘नट’ किस कला में सिद्ध होने के कारण ऊपर चढ़ जाता है?

निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए-
‘मोती, मानुष, चून’ के सदंर्भ में पानी के महत्व को स्पष्ट कीजिए।

निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए-
टूटे से फिर ना मिले, मिले गाँठ परि जाय।

निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए-
सुनि अठिलैहैं लोग सब, बाँटि न लैहैं कोय।

निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए-
रहिमन मूलहिं सींचिबो, फूलै फलै अघाय।