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दोहे - रहीम

Question
CBSEENHN9000753

निम्नलिखित दोहों को पढ़कर पूछे गए प्रशनों के जवाब दीजिये 
दीरघ दोहा अरथ के, आखर थोरे आहिं।
ज्यों रहीम नट कुंडली, सिमिटि कूदि चढ़ि जाहिं।।

‘सिमिटि कूद चढ़ि जाहि’ से कवि क्या कहना चाहता है-



  • सिमटकर कूदकर चढ़ जाना
  • सिकोड़कर चढ़ना
  • ऊँची कूद के समान
  • थोड़े में बहुत कह देना

Solution

D.

थोड़े में बहुत कह देना

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रहिमन मूलहिं सींचिबो, फूलै फलै अघाय।

निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए-
दीरघ दोहा अरथ के, आखर थोरे आहिं।

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नाद रीझि तन देत मृग, नर धन हेत समेत।