-->

दोहे - रहीम

Question
CBSEENHN9000722

निम्नलिखित दोहों को पढ़कर उसका शिल्प सौन्दर्य लिखिए
रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो चटकाय।
टूटे से फिर ना मिले, मिले गाँठ परि जाय।।

Solution

कला पक्ष (शिल्प सौन्दर्य)-
1. प्रेम की निरंतरता और अखंडता के महत्त्व को बहुत सुंदर युक्ति से समझाया गया है।
2. ब्रज भाषा का प्रयोग दोहों में दृष्टव्य है।
3. दोहे में नीतिपरक सीख दी गई है।
4. दोहे में भावात्मक व उदाहरणात्मक शैली का प्रयोग हुआ है।
5. दोहा छंद का प्रयोग हुआ है।
6. भाषा सरल, सरस व प्रभावशाली है।
7. भाषा में लयात्मकता व गीतात्मकता है।
8. (i) उदाहरण अलंकार का प्रयोग हुआ है।
(ii) श्लेष व रूपक अलंकार का प्रयोग हुआ है।
गाँठ परि जाय-श्लेष अलंकार
धागा प्रेम का-रूपक अलंकार

Some More Questions From दोहे - रहीम Chapter

निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए-
रहीम ने सागर की अपेक्षा पंक जल को धन्य क्यों कहा है?

निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए-
एक को साधने से सब कैसे सध जाता है?

निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए-
जलहीन कमल की रक्षा सूर्य भी क्यों नहीं कर पाता?

निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए-
अवध नरेश को चित्रकूट क्यों जाना पड़ा?

निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए-
 ‘नट’ किस कला में सिद्ध होने के कारण ऊपर चढ़ जाता है?

निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए-
‘मोती, मानुष, चून’ के सदंर्भ में पानी के महत्व को स्पष्ट कीजिए।

निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए-
टूटे से फिर ना मिले, मिले गाँठ परि जाय।

निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए-
सुनि अठिलैहैं लोग सब, बाँटि न लैहैं कोय।

निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए-
रहिमन मूलहिं सींचिबो, फूलै फलै अघाय।

निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए-
दीरघ दोहा अरथ के, आखर थोरे आहिं।