Question
निम्नलिखित दोहों को पढ़कर उसका शिल्प सौन्दर्य लिखिए।
रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो चटकाय।
टूटे से फिर ना मिले, मिले गाँठ परि जाय।।
Solution
कला पक्ष (शिल्प सौन्दर्य)-
1. प्रेम की निरंतरता और अखंडता के महत्त्व को बहुत सुंदर युक्ति से समझाया गया है।
2. ब्रज भाषा का प्रयोग दोहों में दृष्टव्य है।
3. दोहे में नीतिपरक सीख दी गई है।
4. दोहे में भावात्मक व उदाहरणात्मक शैली का प्रयोग हुआ है।
5. दोहा छंद का प्रयोग हुआ है।
6. भाषा सरल, सरस व प्रभावशाली है।
7. भाषा में लयात्मकता व गीतात्मकता है।
8. (i) उदाहरण अलंकार का प्रयोग हुआ है।
(ii) श्लेष व रूपक अलंकार का प्रयोग हुआ है।
गाँठ परि जाय-श्लेष अलंकार
धागा प्रेम का-रूपक अलंकार