Question
निम्नलिखित दोहों को पढ़कर उनका आशय स्पष्ट कीजिये।
दीरघ दोहा अरथ के, आखर थोरे आहिं।
ज्यों रहीम नट कुडंली, सिमिटि कूदि चढ़ि जाहिं।।
Solution
रहीम जी करते हैं- दोहा छंद ऐसा हैं जिसमें अक्षर तो थोड़े होते है किन्तु उनमें बहुत गहरा और दीर्घ अर्थ छिपा रहता है जिस प्रकार कोई कुशल बाजीगर अपने शरीर को सिकोड़कर तंग मुँह वाली कुंडली के बीच में से कुशलतापूर्वक निकल जाता है उसी प्रकार कुशल दोहाकार दोहे के सीमित से शब्दों में बहुत बड़ी और गहरी बात कह जाता है।