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दोहे - रहीम

Question
CBSEENHN9000728

निम्नलिखित दोहों को पढ़कर उसका आशय स्पष्ट कीजिये
रहिमन निज मन की बिथा, मन ही राखो गोया
सुनि अठिलैहैं लोग सब, बॉंटि न लैहैं कोय।

Solution
रहीम जी लोगों को अपने मन की पीड़ा दूसरों को न बताने का उपदेश देते हुए कहते हैं कि अपने मन के दुख को मन में ही रखना चाहिए। किसी के सामने प्रकट नहीं करना चाहिए। क्योंकि लोग सुनकर मजाक उड़ाते हैं। दूसरों के दुखों को कोई बाँटना नहीं चाहता। अर्थात् दूसरों के दुख सुनना लोगों की आदत नहीं है। वे उसका मजाक ही उड़ाते है। उसके दुख में सहयोग नहीं देना चाहते।

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निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए-
टूटे से फिर ना मिले, मिले गाँठ परि जाय।

निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए-
सुनि अठिलैहैं लोग सब, बाँटि न लैहैं कोय।

निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए-
रहिमन मूलहिं सींचिबो, फूलै फलै अघाय।

निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए-
दीरघ दोहा अरथ के, आखर थोरे आहिं।

निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए-
नाद रीझि तन देत मृग, नर धन हेत समेत।

निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए-
जहाँ काम आवे सुई, कहा करे तरवारि।

निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए-
पानी गए न ऊबरे, मोती, मानुष, चूना

निम्नलिखित भाव को पाठ में किन पंक्तियों द्वारा अभिव्यक्त किया गया है-
जिस पर विपदा पड़ती है वही इस देश में आता है।

निम्नलिखित भाव को पाठ में किन पंक्तियों द्वारा अभिव्यक्त किया गया है-
कोई लाख कोशिश करे पर बिगड़ी बात फिर बन नहीं सकती।

निम्नलिखित भाव को पाठ में किन पंक्तियों द्वारा अभिव्यक्त किया गया है-
पानी के बिना सब सूना है अत: पानी अवश्य रखना चाहिए।