Question
निम्नलिखित दोहों को पढ़कर उसका आशय स्पष्ट कीजिये।
रहिमन निज मन की बिथा, मन ही राखो गोया।
सुनि अठिलैहैं लोग सब, बॉंटि न लैहैं कोय।।
Solution
रहीम जी लोगों को अपने मन की पीड़ा दूसरों को न बताने का उपदेश देते हुए कहते हैं कि अपने मन के दुख को मन में ही रखना चाहिए। किसी के सामने प्रकट नहीं करना चाहिए। क्योंकि लोग सुनकर मजाक उड़ाते हैं। दूसरों के दुखों को कोई बाँटना नहीं चाहता। अर्थात् दूसरों के दुख सुनना लोगों की आदत नहीं है। वे उसका मजाक ही उड़ाते है। उसके दुख में सहयोग नहीं देना चाहते।