Sponsor Area

दोहे - रहीम

Question
CBSEENHN9000755

निम्नलिखित दोहों को पढ़कर पूछे गए प्रशनों के जवाब दीजिये 
दीरघ दोहा अरथ के, आखर थोरे आहिं।
ज्यों रहीम नट कुंडली, सिमिटि कूदि चढ़ि जाहिं।।

‘आखर थोरे’ से क्या अभिप्राय है?
  • थोड़े अक्षरों वाला
  • गिने-चुने शब्दों से युक्त
  • अक्षरों से युक्त
  • थोड़े अक्षर

Solution

B.

गिने-चुने शब्दों से युक्त

Some More Questions From दोहे - रहीम Chapter

निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए-
अवध नरेश को चित्रकूट क्यों जाना पड़ा?

निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए-
 ‘नट’ किस कला में सिद्ध होने के कारण ऊपर चढ़ जाता है?

निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए-
‘मोती, मानुष, चून’ के सदंर्भ में पानी के महत्व को स्पष्ट कीजिए।

निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए-
टूटे से फिर ना मिले, मिले गाँठ परि जाय।

निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए-
सुनि अठिलैहैं लोग सब, बाँटि न लैहैं कोय।

निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए-
रहिमन मूलहिं सींचिबो, फूलै फलै अघाय।

निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए-
दीरघ दोहा अरथ के, आखर थोरे आहिं।

निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए-
नाद रीझि तन देत मृग, नर धन हेत समेत।

निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए-
जहाँ काम आवे सुई, कहा करे तरवारि।

निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए-
पानी गए न ऊबरे, मोती, मानुष, चूना