शारीरिक शिक्षा Chapter 12 खेलों में प्रशिक्षण
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    NCERT Solution For Class 12 ������������������ शारीरिक शिक्षा

    खेलों में प्रशिक्षण Here is the CBSE ������������������ Chapter 12 for Class 12 students. Summary and detailed explanation of the lesson, including the definitions of difficult words. All of the exercises and questions and answers from the lesson's back end have been completed. NCERT Solutions for Class 12 ������������������ खेलों में प्रशिक्षण Chapter 12 NCERT Solutions for Class 12 ������������������ खेलों में प्रशिक्षण Chapter 12 The following is a summary in Hindi and English for the academic year 2021-2022. You can save these solutions to your computer or use the Class 12 ������������������.

    Question 1
    CBSEHHIPEH12037115

    गति (Speed) से क्या अभिप्राय है?

    Solution

    यह एक व्यक्ति की वह क्षमता है जिसमें वह कम-से-कम समय में दी गई दूरी को तय करता है।

    Question 2
    CBSEHHIPEH12037116

    शक्ति (Strength) क्या है?

    Solution

    यह एक व्यक्ति की मांसपेशियों के द्वारा प्रतिरोध का सामना करने की क्षमता है।

    Question 3
    CBSEHHIPEH12037117

    दमखम/सहन-क्षमता (Endurance) से आप क्या समझते है?

    Solution

    व्यक्ति की थकान से प्रतिरोध (मुकाबला) करने की क्षमता को दमखम/सहन क्षमता कहते हैं।

    Question 4
    CBSEHHIPEH12037118

    लचका/लोच (Flexibility) क्या है?

    Solution

    शरीर के जोड़ो की गतियों के विस्तार को लोच/लोचक कहते हैं।

    Question 5
    CBSEHHIPEH12037119

    तालमेल संबधी योग्यताओं (Co-ordinate Abilities) से क्या अभिप्राय है?

    Solution

    यह व्यक्ति की वह योग्यता है जिसमें वह हलचलों को क्रमबद्ध तरीके से करने में सक्षम होता है।

    Question 6
    CBSEHHIPEH12037120

    शक्ति सहन-क्षमता/शक्ति दमखम (Strength Endurance) से आपका क्या तात्पर्य है?

    Solution

    यह व्यक्ति की वह योग्यता है जिसमें वह लंबे समय तक बल लगाने में सक्षम होता है। जैसे लंबी दूरी की दौड़े, तैराकी इत्यादि।

    Question 7
    CBSEHHIPEH12037121

    गति सहन-क्षमता/ गति दमखम (Speed-Endurance) से क्या अभिप्राय है?

    Solution

    यह व्यक्ति की वह क्षमता है जिसमें वह थकान की स्थिति में भी किसी कार्य को तीव्र गति से 45 सैकंड तक करने में सक्षम होता है। जैसे - 400 मी० दौड़।

    Question 8
    CBSEHHIPEH12037122

    त्वरण योग्यता (Acceleration) से आप क्या समझते है?

    Solution

    यह व्यक्ति की वह योग्यता है जिसमें वह स्थिर अवस्था या धीमी गति से तीव्र गति को प्राप्त करता है उसे त्वरण कहते हैं।

    Question 9
    CBSEHHIPEH12037123

    विस्फोटक शक्ति (Explosive Strength) से आप क्या समझते है?

    Solution

    व्यक्ति की वह योग्यता जिसमें वह किसी प्रतिरोध के विरूद्ध तीव्र गति से कार्य करने में सक्षम होता है। वह उसकी विस्फोटक शक्ति कहलाती है।

    Question 10
    CBSEHHIPEH12037124

    प्रतिक्रिया योग्यता (Reaction Ability) से आप क्या समझते हैं?

    Solution

    यह व्यक्ति की वह योग्यता है जिसमें वह किसी संकेत की प्रतिक्रिया शीघ्रता व प्रभावी ढंग से कर पाता है।

    Question 11
    CBSEHHIPEH12037125

    क्रिया की गति (Movement Speed) क्या है?

    Solution

    यह व्यक्ति की वह योग्यता है जिसमें वह कम से कम समय में एक क्रिया को पूर्ण करता है जैसे: मुक्केबाजी, कुश्ती, जिम्नास्टिक आदि।

    Question 12
    CBSEHHIPEH12037126

    स्पोर्टस में प्रशिक्षण (Training) का क्या अर्थ है?
    अथवा
    खेल प्रशिक्षण की धारणा संक्षेप में समझाइए।

    Solution

    किसी खेल अथवा प्रतियोगिता में अच्छे परिणाम प्राप्त करने के उद्देश्य से की गई तैयारी को खेल प्रशिक्षण कहा जाता है।

    Question 13
    CBSEHHIPEH12037127

    पेस दौड़ों क्या है?

    Solution

    पेस दौड़ों का अर्थ है कि एक दौड़ की पूरी दूरी को एक निश्चित गति से दौड़ना। पेस दौड़ों में एक धावक दौड़ को अपनी एक ही गति से दौड़ता है। उदाहरण 800 मी.।

    Question 14
    CBSEHHIPEH12037128

    अनुकूलन (Adaptation) योग्यता किसे कहते है?

    Solution

    अनुकूलन योग्यता: किसी खिलाड़ी द्वारा खेलो के दौरान होने वाले पूर्व-निर्धारित परिवर्तनों के कारण अपनी गतियों के प्रभावशाली समायोजन की योग्यता को अनुकूलन कहते हैं।

    Question 15
    CBSEHHIPEH12037129

    अधिकतम शक्ति (Maximum Strength) से आप क्या समझते है?

    Solution

    यह वह योग्यता है जिसमें किसी मांसपेशियों के समूह के द्वारा किसी प्रतिरोध के विरूद्ध अधिकतम बल लगाया जाता है। वह उसकी अधिकतम शक्ति कहलाती है- जैसे-भार उठाना (Weight Lifting), रोमन रिंग आदि।

    Question 16
    CBSEHHIPEH12037130

    कंधे के क्षेत्र के लिए किन्ही दो आइसोमीट्रिक व्यायामों का सुझाव दीजिए।

    Solution
    1. तीर का छोड़ना
    2. जिम्नैस्टिक
    3. कुश्ती
    4. जूड़ों
    5. क्षितिज डंडे से लटकना
    Question 17
    CBSEHHIPEH12037131

    फार्टलेक प्रशिक्षण विधि क्या होती है?

    Solution

    फार्टलेक विधि: यह सहन क्षमता को बढ़ाने की विधि है। इस विधि को 1930 में स्वीडिश कोच 'गोस्ता होल्मर' द्वारा विकसित किया गया था। इसलिए इसे 'स्वीडिश प्ले (Swedish Play)' या 'स्पीड प्ले (Speed Play)' भी कहा जाता है। इस विधि में धावक अपने अनुसार अपनी गति को आसपास के वातावरण के अनुकूल परिवर्तित कर सकता है। इस विधि के द्वारा शक्ति और सहन क्षमता का विकास होता है। खिलाड़ी अपनी गति अपने अनुसार परिवर्तित करता है। अत: यह विधि स्वत: अनुशासति कहलाती है। इसमें हृदय गति प्रति मिनट पहुँच जाती है। फार्टलेक प्रशिक्षण में दौड़ कम ज़्यादा होती रहती है।

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    Question 18
    CBSEHHIPEH12037132

    लचक से आप क्या समझते है? लचक के विभिन्न प्रकारों की व्याख्या कीजिए।
    अथवा
    अक्रिय व सक्रिय लचक में अंतर स्पष्ट कीजिए?

    Solution

    लचक: शरीर के जोड़ों की गतियों के विस्तार को लोच/लचक कहते है।

    1. सक्रिय लचक (Active Flexibility): बिना किसी बाहरी सहायता के शरीर के जोड़ों का अधिक दूर तक गति करने को सक्रिय लचक कहा जाता है। जैसे- खींचाव वाला व्यायाम बिना किसी व्यक्ति की सहायता से करना।
    2. स्थिर लचक (Static Flexibility): जब कोई खिलाड़ी लेटने, बैठने या खड़े होने की क्रियाएँ करता है तब वह यह क्रियाएँ स्थिर लचक की सहायता से करता है।
    3. गतिशील लचक (Dynamic Flexibility): इस प्रकार की लचक की आवश्यकता चलते या दौड़ते समय होती है। गतिशील लचक को खींचाव वाले व्यायामों द्वारा बढ़ाया भी जा सकता है।
    4. अक्रिय लचक (Passive Flexibility): अक्रिय लचक शरीर की वह योग्यता है जिसके द्वारा बाहरी सहायता से अधिक दूरी तक गतिया की जा सकती है जैसे:किसी सहयोगी द्वारा खींचाव वाले व्यायाम करना।

    Question 19
    CBSEHHIPEH12037133

    संदीप एक फुटबाल/हैंडबॉल की टीम तैयार कर रहा है जिसके लिए उसने एक प्रशिक्षण कार्यक्रम बनाया। प्रशिक्षण देते समय उसने यह महसूस किया कि कुछ खिलाड़ी अच्छे शूटर है परन्तु खेल के मैदान में ज्यादा देर तक टिक नहीं पाते अर्थात् जल्दी थक जाते हैं। अब संदीप इन खिलाड़ियों के प्रदर्शन को बढ़ाने का प्रयास करता है।

    1. खिलाड़ियों में शारीरिक पुष्टि के किस तत्व की कमी थी? तथा संदीप द्वारा किन मूल्यों को दर्शाया गया है।
    2. खिलाड़ियों में थकावट को सहन करने की क्षमता को बढ़ाने के लिए आप किस तरह की ट्रेनिंग की सलाह देगें?
    3. हैंडबाल/फुटबाल में अच्छे प्रदर्शन के लिए किन शारीरिक पुष्टि के तत्वों का होना आवश्यक है?

    Solution
    1. खिलाड़ियों में सहन- क्षमता की कमी थी। संदीप ने एक अच्छे कोच, जागरूकता, सजगता तथा परिश्रम जैसे मूल्यों को दर्शाया है।
    2. खिलाड़ियों को निरंतर व अंतराल प्रशिक्षण देना चाहिए।
    3. सहन- क्षमता, गति, शक्ति व तालमेल संबंधी योग्यता का होना जरूरी है।
    Question 20
    CBSEHHIPEH12037134

    सहन-क्षमता (Endurance) के प्रकारों का उल्लेख कीजिए?
    अथवा
    खेलों में उच्च प्रदर्शन करने के लिए सहन क्षमता एक आवश्यक घटक है उल्लेख करें?

    Solution
    1. आधारभूत सहन क्षमता (Basic Endurance): व्यक्ति की वह योग्यता है जिसमें बहुत सारी शारीरिक मांसपेशियों के द्वारा धीमी गति से लम्बे समय तक हलचल कर सकता है जैसे कि दौड़ना, चलना, तैरना इत्यादि।
    2. सामान्य सहन क्षमता (General Endurance): वह योग्यता है जिसमें व्यक्ति थकान की स्थिति में भी हलचल को करता रहे। जैसे, ऐरोबिक तथा ऐनोरोबिक गतिविधियाँ इत्यादि।
    3. विशिष्ट सहन क्षमता (Specific Endurance): वह योग्यता, जिसे विशिष्ट खेलों में अलग-अलग रूप में उपयोग किया जाता है। उदाहरण- मुक्केबाजी और कुश्ती में अलग-अलग प्रकार के विशिष्ट दमखम की आवश्यकता होती है।
      1. गति सहन क्षमता (Speed Endurance ); वह योग्यता है जिसमें व्यक्ति थकान के बावजूद किसी भी गति को 45 सेकंड तक तेजी से कर सकता है जैसे 100 mt sprint.
      2. लघु अवधि सहन क्षमता (Short Term Endurance): इस योग्यता में 45 सेकंड -2 मिनट तक चलने वाली गतिविधियाँ शामिल है जैसे, 800 मी. दौड़।
      3. मध्यम अवधि सहन क्षमता (Middle Term Endurance): इस योग्यता में 2 मिनट से 11 मिनट तक चलने वाली गतिविधियाँ शामिल है। जैसे-100  मी. दौड़।
      4. दीर्घ अवधि सहन क्षमता (Long Term Endurance) : इस योग्यता में 11 मिनट से अधिक चलने वाली गतिविधियाँ शामिल है जैसे 5000 मी. क्रॉस कंट्री तथा मैराथन दौड़ आदि।
    Question 21
    CBSEHHIPEH12037135

    त्वरण दौड़ों (ऐक्सलेरेशन रन) एवं पेस रेसे के विषय में लिखिए।
    अथवा
    गति को विकसित करने की दो विधियों का वर्णन कीजिए।

    Solution

    गति को विकसित करने की विधियाँ:

    1. निर्धारित दौड़ (Pace Runs): निर्धारित दौड़ों का अर्थ है किसी दूरी को एक ही चाल से दौड़ना। सामान्यत: निर्धारित दौड़ों में 800 मीटर तथा उससे अधिक की दौड़े शामिल होती है। एक धावक 300 - 320 मी. पूरी गति से दौड़ सकता है लेकिन लम्बी दौड़ों में अपनी गति को कम करके वह ऊर्जा को बचाता है।
      उदाहरण: यदि एक 800 मी. की दौड़ लगाने वाला एथलिट है और उसका समय (Time) 1 मिनट 42 सैकंड है तो उसे पहली 400 मी. दौड़ लगभग 50 सेकंड में तथा दूसरी 400 मी.दौड़ लगभग 52 सेकंड में लगानी चाहिए इस तरह के अभ्यास को पेस दौड़ (Pace Run) का अभ्यास कहते है।  
    2. त्वरण दौड़ (Acceleration Runs): त्वरण दौड़ के द्वारा गति को विकसित किया जाता है जिससे की अप्रत्यक्ष रूप से विस्फोटक शक्ति तकनीक, लचक और क्रियाशील गति को विकसित किया जाता है। यह धावक की वह योग्यता है जिसमें वह स्थिर अवस्था से तीव्र अवस्था को प्राप्त करता है। सीधे तौर पर त्वरण गति को विकसित करने के लिए एक धावक को 25 से 30 मी. 6 से 12 बार तीव्र गति से दौड़ना चाहिए। 1 धावक को 5 से 6 सेकंड के अन्दर अधिकतम गति प्राप्त कर लेनी चाहिए। दो दौड़ों के बीच में पर्याप्त अंतराल होना चाहिए।

    Question 22
    CBSEHHIPEH12037136

    परिधि प्रशिक्षण की विशेषताएँ?

    Solution

    परिधि प्रशिक्षण की मुख्य विशेषताएँ (Main Characteristics of Circuit Training):

    1. इस विधि में व्यायाम सीखना तथा उसको लागू करना आसान होता है।
    2. इसमें व्यायाम मध्यम अवरोध तथा मध्यम भार के साथ किए जाते है।
    3. इसमें संख्या की अधिक पुनरावृत्ति होती है।
    4. इसका लक्ष्य सहनशीलता व शक्ति को बढ़ावा देना है।
    5. इसमें शरीर के सभी अंगो के व्यायाम शमिल होते है।
    6. इसमें खिलाड़ियों को तैयारी के समय मूल सहनशीलता व शक्ति बढ़ाने का अवसर प्राप्त होता है।
    7. इसमें व्यायाम का दबाव धीरे- धीरे बढ़ाया जाता है।

     

    Question 23
    CBSEHHIPEH12037137

    सर्किट ट्रनिंग किसे कहते है? बच्चों के लिए सामान्य फिटनेस बनाए रखने के लिए दस स्टेशनों का प्रशिक्षण सत्र तैयार कीजिए।

    Solution

    सर्किट एक ऐसी प्रशिक्षण विधि है जिसमें विभिन्न व्यायामों को यन्त्रों और बिना यन्त्रों के निश्चित मात्रा में किया जाता है, इसका लक्ष्य शक्ति तथा माँसपेशीय क्षमता बढ़ाना है।

    Question 24
    CBSEHHIPEH12037138

    परिधि प्रशिक्षण में भार को कैसे बढ़ाना चाहिए?

    Solution

    परिधि प्रशिक्षण में भार को बढ़ाने के लिए निम्नलिखित बातें ध्यान में रखनी चाहिएँ:

    1. प्रत्येक व्यायाम को दोहराने की संख्या बढ़ाई जा सकती है।
    2. तीव्रता को भी बढ़ाया जा सकता है।
    3. अतिरिक्त भार को भी बढ़ाया जा सकता है।
    4. व्यायाम के मध्य अन्तराल को भी कम किया जा सकता है।
    5. चक्करों की संख्या बढ़ाई जा सकती हैं।

    Question 25
    CBSEHHIPEH12037139

    लोच/लचक को विकसित करने की विधियों का वर्णन कीजिए?
    अथवा
    बैलिस्टिक विधि व पोस्ट आइसोमैट्रिक विधि में अन्तर स्पष्ट कीजिए?

    Solution

    खेल-कूद में लोच/लचक को बनाए रखने के लिए खिंचाव वाले व्यायाम करने चाहिए। निम्न विधियों के द्वारा लोच को विकसित किया जा सकता है:

    1. खिंचाव और रोकने की विधि: हम अपने जोड़ों को अधिकतम सीमा तक खींचते है तथा पहले की स्थिति में आने से पूर्व कुछ सेंकेड वहीं पर रूकते है। जोड़ो के खिचांव को रोकने की स्थिति 3 से 8 सेकेंड की होनी चाहिए । इस विधि का प्रयोग निष्क्रिय लचक (Passive Flexibiltiy) में सुधार के लिए भी किया जाता है।
    2. बैलिस्टिक विधि: इस विधि में खिंचाव वाले व्यायाम घुमाकर (Swing) किए जाते है इसलिए इन्हें बैलिस्टिक विधि कहा जाता है। इन व्यायामों को करने से पहले शरीर को गर्माना आवश्यक होता है। इन व्यायामों में स्नायुओं में अत्याधिक खिचांव होने के कारण चोट लगने की सम्भावना रहती है। इन व्यायामों को लय में किया जाता है।
    3. पोस्ट आइसोमैट्रिक विधि: यह विधि प्रोपीओसेप्टिव नाड़ी -पेशीय सरलीकरण के सिंद्धात पर आधारित है अर्थात् यदि किसी स्नायु का अधिकतम सकुंचन कुछ सेकंड के लिए किया जाता है तथा वह उसी स्थिति में 6 से 7 सेकंड तक उस खिचांव का प्रतिरोध सहता है। उसे पोस्ट आइसोमैट्रिक विधि कहते है किसी स्नायु समूह को 8 से 10 सेकंड की अवधि तक खिंचाव देना चाहिए तथा इसे 4 से 8 बार दोहराना चाहिए।

    Question 26
    CBSEHHIPEH12037140

    शक्ति को विकसित करनेकी विधियों का विस्तृत उल्लेख कीजिए।
    अथवा
    आइसोमेट्रिक, आइसोटोनिक व आइसोकाइनेटिक व्यायामों में अंतर स्पष्ट कीजिए।

    Solution

    शक्ति को विकसित करने की विधियाँ निम्न है:

    आइसोमेट्रिक व्यायाम: आइसोमेट्रिक शब्द दो शब्दो से मिलकर बना है 'आइसो-समान' 'मेट्रिक-लम्बाई' अर्थात् जब हम इन व्यायामों को करते है तो मांसपेशियों में किसी भी प्रकार का परिवर्तन नहीं होता। इन व्यायामों में किसी भी प्रकार का कार्य होता हुआ दिखाई नहीं पड़ता। जैसे पक्की दीवार को धकेलने की कोशिश करना इन व्यायामों को कहीं पर भी किया जा सकता है एवं इनमें कम उपकरण व समय की आवश्यकता होती है। चोट के दौरान शक्ति को बनाए रखनें में यह व्यायाम सहायक होते है।
    उदाहरण; तीरदांजी, भार-उठाना, जिमानस्टिक आदि।
    किया गया कार्य = बल x तय की गई दूरी
    लेकिन तय की गई दूरी के शून्य होने के कारण, किया गया कार्य भी शून्य माना जाता है।

    आइसोटॉनिक व्यायाम: 'आइसो-समान (Same)' और 'टॉनिक-तनाव' इन प्रकारों के व्यायामों में गतिविधियाँ स्पष्ट रूप से होती हुई दिखाई देती है। मांसपेशियों की लम्बाई बढ़ती है और घटती हुई दिखाई देती है जिसे असेन्ट्रकि (Ecentric) संकुचन और कन्सेन्ट्रिक (Concentric) संकुचन कहते है जैसे किसी बॉल को फेंकना, दौड़ना भागना, इत्यादि। इस प्रकार के संकुचन ज़्यादातर खेल-कूद में देखे जाते हैं। इस प्रकार के व्यायाम को उपकरण के साथ तथा बिना उपकरण के किया जा सकता है। इन व्यायामों से लचक तथा मांसपेशियों की लम्बाई में वृद्धि होती है तथा खेलों में अनुकूलन के लिए सहायक होते हैं।

    आइसोकाइनेटिक व्यायाम: 'आइसो-समान' और 'काइनेटिक-गति' इन व्यायामों को सन् 1968 में जे. जे. पेरिन ने बनाया था। इन व्यायामों को विशिष्ट निर्मित मशीनों के द्वारा किया जाता है। इन व्यायामों के द्वारा मांसपेशियों की शक्ति विकसित होती है। ज्यादातरन खेल-कूद में इन व्यायामों का उपयोग नहीं किया जाता है परंतु जल क्रीडा (खेल) स्केटिंग रस्सी पर चढ़ना, नॉव चलाना आदि में यह व्यायाम दिखाई पड़ते है।

    Question 27
    CBSEHHIPEH12037141

    खेलो में तालमेल संबंधी योग्यताओं से आप क्या समझते हैं? किन्ही दो योग्यताओं का वर्णन कीजिए?

    Solution

    तालमेल संबंधी योग्यताएँ इन योग्यताओं को कहते है जिसमें की व्यक्ति अपनी गतिविधियों को व्यापक व संतुलित रूप से नियंत्रित कर सकता है। खिलाड़ी इन योग्यताओं के द्वारा गतिविधियों के समूह को प्रभावशाली व अच्छे ढंग से करने में सक्षम होता है। तालमेल संबंधी योग्यताएँ प्राथमिक रूप से केन्द्रिय स्नायु संस्थान (CNS) पर निर्भर करती है।

    तालमेल संबंधी योग्यता निम्न प्रकार से है:

    1. अवलोकन योग्यता (Differential Ability)
    2. स्थिति निर्धारण योग्यता (Orientation Ability)
    3. युग्मक योग्यता (Coupling Ability)
    4. प्रतिक्रिया योग्यता (Reaction Ability)
    5. संतुलन योग्यता (Balance Ability)
    6. लय योग्यता (Rhythm Ability)
    7. ढ़लने की योग्यता (Adaptation Ability)
    1. स्थिति निर्धारण योग्यता (Orientation Ability): स्थिति निर्धारण योग्यता (Orientation Ability): यह योग्यता मनुष्य में समय तथा स्थान की स्थिति के अनुसार स्वयं को अनुकूल बनाने की योग्यता है। इस योग्यता का महत्त्व प्रत्येक खेल में अलग है। उदाहरण- खेल का मैदान।
    2. तालमेल योग्यता (Coupling Ability): तालमेल की योग्यता खिलाड़ी के शारीरिक अंगो की क्रियाओं (Movement) करने की योग्यता है (हाथों और आखों का तालमेल, पांवो और आँखों का तालमेल इत्यादि) उदाहरण: वालीबॉल में स्मैशर उठी बॉल व ब्लॉकर्स के हिसाब से हाथ, धड़. पैरों की क्रियाओं को तालमेल बिठाकर बॉल को स्मैश करता है।

    तालमेल संबंधी योग्यताओं में सुधार करने की विधियाँ निम्न प्रकार है:

    1. शारीरिक क्रियाओं का अभ्यास।
    2. सम्पूर्ण चेतना से तथा सही गतिविधि करना।
    3. गामक संवेदना में सुधार हेतु अन्य साधनों का उपयोग करना।
    4. व्यायामों की प्रबलता में परिवर्तन करना।
    5. व्यायामों को सरलता से कठिनता की ओर ले जाना।

    Question 28
    CBSEHHIPEH12037142

    निरन्तर विधि तथा इन्टरवल (अन्तराल) विधि में अन्तर स्पष्ट कीजिए और इनके लाभ भी बताइए।

    Solution

    निरन्तर प्रशिक्षण विधि (Continuous Training Method) इस तरह के व्यायामो को लम्बे समय तक बिना रूके किया जाता है। इसलिए इनमें कार्य करने की प्रबलता (Intensity) कम होती है। खिलाड़ी की हृदय गति व्यायामों के दौरान 140-160 प्रति मिनट होनी चाहिए। तेज निरन्तर विधि में खिलाड़ी की हृदय गति (175-180 प्रति मिनट) पहुँच जाती है। व्यायाम करने की अवधि 30 मिनट से अधिक होता है। इसमें, दौड़ना, पैदल चलना, साइकिल चलाना और क्रॉस-कंट्री दौड़ शामिल है।

    लाभ:

    1. निरन्तर कार्य करने की वजह से थकावट होने के बावजूद कार्य करने की इच्छा तथा शक्ति में बढोतरी होती है।
    2. इस विधि केअनुसार प्रशिक्षण लेने से मांसपेशियों में लाल रक्त कण (R.B.C.) की मात्रा में वृद्धि होती हैं।
    3. इसमें हृदय तथा फेफड़ो की कार्यकुशलता सकारात्मक रूप से बढ़ जाती है।
    4. इस व्यायाम से मांसपेशियों तथा लिवर में ग्लाइकोजेन (Glycogen) की मात्रा बढ़ जाती हैं।
    5. इसमें खिलाड़ियों में आत्म-अनुशासन (Self-discipline) व आत्म-विश्वास बढ़ने लगता है तथा साथ ही उसकी इच्छा शक्ति भी सुदृढ़ हो जाती है।

    इन्टरवल/अन्तराल प्रशिक्षण विधि (Interval Training Method): यह विधि धावकों की सहन क्षमता विकसित करने के लिए बहुत प्रभावशाली है। बार-बार दौड़ के बीच धावकों को अन्तराल दिया जाता है। जिसमें की वह पूरी तरह पुर्नलाभ प्राप्त नहीं करते। इसमें हृदय गति 180 तक पहुँच जाती है तथा जब यह 120 तक वापस आ जाए तो वह दोबारा उस कार्य को करता है।
    धावको की हृदय गति को जाँचने के बाद ही प्रशिक्षण भार दिया जाना चाहिए। इसमें मध्यम दूरी की दौड़, फुटबॉल तथा हॉकी इत्यादि शामिल है।

    लाभ (Advantages):

    1. इस विधि के अनुरूप व्यायाम करने से खिलाड़ी कम समय में अधिक कार्य करने के योग्य बन जाता है।
    2. यह विधि श्वसन तंत्र (Respiratory System) तथा रक्त संचार के लिए लाभदायक है।
    3. प्रशिक्षक खिलाड़ी की प्रगति को आसानी से देख सकता है। इस विधि से खिलाड़ी थोड़े समय में अपनी सहन-क्षमता को बढ़ा सकता है।
    4. खिलाड़ी को अपने प्रशिक्षण के प्रभाव की सही जानकारी मिल जाती है।
    5. यदि खिलाड़ी व्यायाम में कोई गलती करता है तो पुन: शक्ति प्राप्ति समय में प्रशिक्षक खिलाड़ी को उचित सुझाव दे सकता है जिससे खिलाड़ी की हिम्मत को बढ़ाया जा सकता है।

    Question 29
    CBSEHHIPEH12037143

    (समुद्र से अत्यधिक ऊंचाई पर ट्रेनिंग) हाई एटीटयूड ट्रेनिंग क्या है? एक एथलीट पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है? विवरण दीजिए।

    Solution

    समुद्र तल से अत्यधिक ऊँचाई पर शरीर को ऑक्सीजन की उपलब्धता समुद्र तल की अपेक्षा कम हो जाती है। एक एथलीट हाई एल्टीट्यूड ट्रेनिंग के द्वारा यह निर्धारित करता है वह अपने शरीर में अतिरिक्त लाल रक्त कणिकाओं (RBC) का निर्माण कर सके जिससे उस के शरीर में ऑक्सीजन का परिवहन हो और वह ऑक्सीजन की कमी से निपटने का प्रयास कर सके।

    एथलीट पर प्रभाव:

    1. समुद्र तल से अधिक ऊँचाई (High Altitude) पर एथलीट्स सनबर्न्स, स्मोब्लांइडनेस का अनुभव कर सकते है वास्तव में, समुद्र तल से अत्यधिक ऊँचाई पर अनावरण का खुला सामना करने में कार्य संबधी विकार जैसे-माउंटेन या ऐल्टिटूड सिकनेस, गंभीर सिरदर्द के लक्षण, जी मिचलना और उल्टी, खाँसी तथा हाथ व पैरों में सूजन हो सकते है। निर्जलीकरण (Dehydration) भी एक गंभीर समस्या के रूप में समुद्र तल से अत्यधिक ऊँचाई पर हो सकती है।
    2. दूसरी तरफ एथलीट ऊँचाई के लिए अनुकूलित हो जाता है तो ऑक्सीजन परिवहन में सुधार होगा। लाल रक्त कणिकाओं के द्वारा ऑक्सीजन परिवहन का बढ़ा हुआ स्तर बताता है कि मानव शरीर उपलब्ध ऑक्सीजन की मात्रा को अनुकूलित करता हैं। RBC की बढ़ी हुई संख्या Vo2 Max में सुधार करती हैं। लेकिन हाई ऐल्टिटूड पर Vo2 Max का स्तर काफी कम होता हैं। 

    हाईऐल्टिटूड पर एथलीट के लिए युक्तियाँ:

    1. पहले दिन से ही अधिक गंभीर नहीं होना चाहिए।
    2. पूरी कसरत करने से पहले शरीर को समायोजित करना चाहिए।
    3. ऊँचाई बहुत डिहाइड्रैटिंग (Dehydrating) है इसलिए पानी और जूस अधिक मात्रा में पीना चाहिए।
    4. मदिरा (Alchohol) नहीं लेना चाहिए।
    5. अच्छी नींद के लिए नींद की गोलीयों का सहारा नहीं लेना चाहिए।

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