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रूस के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक हालात 1950 से पहले कैसे थे?
रूस के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक हालात 1950 से पहले निम्नलिखित प्रकार के थे:
(i) सामाजिक स्थिति: बीसवीं शताब्दी की शुरुआत में, रूस के अधिकांश लोग कृषक थे। रूस की लगभग 85% आबादी कृषक थी। उद्योग अस्तित्व में था, लेकिन ज़्यादातर कारखाने उद्योगपतियों की निजी सम्पति थे। श्रमिकों को सामाजिक आधार पर विभाजित किया गया था। वे मुख्य रूप से कारखानों में रोजगार के लिए शहरों में चले जाते थे। कुल मजदूरों में स्त्रियों की संख्या एक तिहाई के करीब थी। परंतु उन्हें पुरुषों से कम वेतन मिलता था। देहात की ज्यादातर जमीन पर किसान खेती करते थे। लेकिन विशाल संपत्ति पर सम्पत्तियों पर राजशाही और आर्थोडॉक्स का कब्जा था। मजदूरों की तरह किसान भी बंटे हुए थे।
(ii) आर्थिक स्थिति: रूस में कोई मध्यवर्ग से नहीं था और रूस में औद्योगिकीकरण बहुत देर से शुरू हुआ। पर वह काफी तेज़ी से विकसित हुआ। विदेशी पूंजीपतियों ने विभिन्न उद्योगों में अधिक निवेश कर बड़ा लाभ कमाया। श्रमिकों की परिस्थितियों में सुधार की तुलना में विदेशी निवेशकों की लाभ कमाने में अधिक रूचि थी।
रूस में श्रमिकों की स्थिति बहुत दयनीय थी। वे ऐसे जीवन का नेतृत्व करने के लिए मजबूर थे। यही कारण है कि मजदूर समाजवाद के विचारों से प्रभावित थे।
रुसी मजदूरों के लिए 1904 का साल बहुत बुरा रहा ज़रूरी चीजों की कीमतें इतनी बढ़ गई कि वास्तविक वेतन में 20 प्रतिशत तक कि गिरावट आ गई श्रमिकों के पास कोई राजनीतिक अधिकार नहीं था।
(iii) राजनीतिक परिस्थितयाँ: 1914 से पहले रूस में सभी राजनितिक पार्टी गैरक़ानूनी थी। मार्क्स के विचारों को मानने वाले समाजवादियों ने 1898 में सोशल डेमोक्रेटिक वर्कर्स पार्टी का गठन किया था।1903 में, इस पार्टी को दो समूहों में विभाजित किया गया। 1904 में, रूस और जापान के बीच एक विशाल युद्ध हुआ। 1905 में रूस में एक क्रांति फैल गई थी। सोवियत मजदूरों ने इस क्रांति में सक्रिय भूमिका निभाई। सेना और नौसेना के कुछ वर्ग भी क्रांति में शामिल हुए।
1917 के पहले रूस की कामकाजी आबादी यूरोप के बाकी देशों के मुकाबले किन-किन स्तरों पर भिन्न थी?
1917 में ज़ार का शासन क्यों खत्म हो गया?
1917 में ज़ार का शासन निम्नलिखित खत्म हुआ-
(i) सन् 1917 की सर्दियों में राजधानी पेत्रोग्राद राजधानी की हालत बहुत खराब थी l मजदूरों के इलाकों में खाद्य पदार्थों की बहुत ज्यादा कमी पैदा हो गई थी।
(ii) 22 फरवरी को शहर की एक फैक्ट्री में तालाबंदी का ऐलान कर दिया गया। इसी के चलते अगले दिन इस फैक्ट्री के मजदूरों ने भी हड़ताल की घोषणा कर दी।
(iii) 25 फरवरी को सरकार ने ड्यूमा (संसद) को बर्खास्त कर दिया। सरकार ने इस फैसले के विरोध में राजनीतिज्ञ बयान देने लगे। 26 फरवरी को प्रदर्शनकारी भारी संख्या में बाएँ तट के इलाके में एकत्रित हुए।
(iv) सरकार ने स्थिति पर काबू पाने के लिए घुड़सवार सैनिकों को तैनात कर दिया लेकिन घुड़सवार सैनिकों को उन प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने से साफ इंकार कर दिया मजदूर तथा सिपाही सोवियत या 'परिषद' का गठन करने के लिए एकत्रित हुए और यहाँ से पेत्रोग्राद सोवियत का जन्म हुआ।
(v) अगले दिन एक प्रतिनिधिमंडल जार से मिलने गया। सैनिक कमांडरों ने उन्हें सलाह दी कि वह राजगद्दी को छोड़ दे। उन्होंने उनकी बात मान ली और 2 मार्च 1917 को गद्दी छोड़ दी। देश चलाने के लिए एक अंतरिम सरकार का गठन किया गया
दो सूचियाँ बनाइए: एक सूची में फरवरी क्रांति की मुख्य घटनाओं और प्रभावों को लिखिए और दूसरी सूची में अक्टूबर क्रांति की प्रमुख घटनाओं और प्रभावों को दर्ज कीजिए।
(1) फरवरी क्रांति (1917) की तिथियाँ और घटनाएँ:
i) 22 फरवरी- दाहिने किनारे की एक फैक्ट्री में तालाबंदी। अगले ही दिन 50 फैक्ट्रियों के श्रमिकों की हड़ताल।
ii) 24 और 25 फरवरी - सरकार द्वारा ड्यूमा का स्थगन। राजनीतिकों द्वारा इस कदम की आलोचना।
iii) 26 फरवरी- श्रमिक बड़ी संख्या में सड़कों पर उतरे।
iv) 27 फरवरी- श्रमिको द्वारा पुलिस मुख्यालय पर हमला।
v) 2 मार्च-ज़ार का पदत्याग। ज़ार के शासन का अंत।
अक्तूबर क्रांति (1917) की तिथियाँ व घटनाएँ:
i) 16 अक्तूबर-लेनिन ने पेत्रोग्राद सोवियत और बोल्शेविक पार्टी को सत्ता हथियाने के लिए राज़ी लिया।इस काम के लिए एक सैन्य क्रांतिकारी समिति का गठन किया गया।
ii) 24 अक्तूबर- विद्रोह की शुरुआत हुई। दो बोल्शेविकों समचारपत्रों की इमारतों का पर नियंत्रण किया गया। इसके साथ ही टेलीफोन और टेलीग्राम विभागों पर भी नियंत्रण किया गया। विंटर पैलेस की सुरक्षा का इंतजाम किया गया। इन सरकारी गतिविधियों के जवाब में सैन्य क्रांतिकारी समिति के सदस्यों ने अनेक सैन्य ठिकानों पर पर कब्ज़ाl किया। रात होते-होते पूरा शहर समिति के कब्जे में आ गया और मंत्रियों ने अपने पद से त्याग दे दिया।
iii) दिसंबर तक मास्को-पेत्रोग्राद क्षेत्र पर बोल्शेविकों का पूरी तरह से कब्ज़ा हो गया।
फरवरी में होने वाली क्रांति में स्री व पुरुष दोनों ही श्रमिक शामिल हुए। वासीलेवा नाम की एक महिला ने अकेले ही सफल हड़ताल की। बोल्शेविक मुख्य रूप से अक्तूबर में होने वाली क्रांति में शामिल थे। लेनिन और लियोन त्रात्सकी क्रांतिकारियों में प्रमुख नेता के रूप में शमिल थे। फरवरी क्रांति के परिणामस्वरूप राजवंश का अंत हुआ, जबकि अक्तूबर क्रांति के बाद सत्ता पर नियंत्रण बोल्शेविकों ने कर लिया और रूस में साम्यवादी दौर की शरुआत हुई।
बोल्शेविकों ने अक्टूबर क्रांति के फौरन बाद कौन-कौन से प्रमुख परिवर्तन किए?
निम्नलिखित के बारे में संक्षेप में लिखिये:
कुलक
ड्यूमा
1900 से 1930 के बीच महिला कामगार
उदारवादी
स्तालिन का सामूहिकीकरण कार्यक्रम
1) कुलक
रूस में बड़े किसानों को कुलक कहा जाता था। 1928 में साम्यवादी पार्टी के सदस्यों ने ग्रामीण क्षेत्रों का दौरा किया तथा कुलकों के खेतों में अनाज उत्पादन तथा संग्रहण का निरक्षण किया।
2) ड्यूमा
ड्यूमा रूस में निर्वाचित परामर्शी संसद को ड्यूमा कहा जाता था। इसे ज़ार ने 1905 की क्रांति के बाद ज़ार ने गठित किया परन्तु ज़ार द्वारा प्रथम ड्यूमा 75 दिनों में ही स्थगित कर दिया गया।
3) 1900 से 1930 के बीच महिला कामगार
फैक्ट्रियों में केवल 31% महिलाएँ ही काम करती थी। परंतु उन्हें पुरुष श्रमिकों से कम मज़दूरी मिलती थी। अधिकतर फैक्ट्रियों में उन्हें पुरुषों की मजदूरी का केवल आधा या तीन-चौथाई ही दिया जाता था। इसी कारण उन्होंने विद्रोह में पुरुषों का साथ दिया। 22 फरवरी,1917 को फैक्ट्रियों में महिला कामगारों ने हड़ताल की। इसलिए इस दिन को 'अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस' के नाम से जाना जाता है। महिलाएँ पुरुषों को रूसी क्रांति के दौरान प्रेरित करती थी। मार्फा वासीलेवा नाम की एक महिला श्रमिक ने अकेले ही हड़ताल की घोषणा की। जब मालिकों ने उसके पास डबलरोटी का टुकड़ा भेजा, तो उसने वह ले लिया परंतु काम पर वापस जाने से साफ इंकार कर दिया। उसने कहा, 'ऐसा नहीं हो सकता कि केवल मेरा पेट भरा रहे और बाकी सब भूखें मरे।'
4) उदारवादी-
(i) वे रूस में उदारवादी सामाजिक परिवर्तन के पक्षधर थे।
(ii) वे चाहते थे की राज्य में सभी धर्म सम्मान हो, वे धर्मनिरपेक्षता की स्थापना करना चाहते थे।
(iii) वे राजवंश की अनियंत्रित शक्तियों के विरोध थे।
(iv) वे व्यक्ति के अधिकारों की रक्षा चाहते थे।
(v) वे चाहते थे कि राष्ट्र को एक निर्वाचित सदन द्वारा गठित और एक स्वतंत्र न्यायपालिका द्वारा लागू विधान के अनुसार चलाया जाए।
(vi) वे लोकतंत्र में विश्वास नहीं रखते थे। वे सार्वजानिक मताधिकारों के विरुद्ध थे। इसके विपरीत, वे चाहते थे की केवल समृद्ध पुरुष ही वोट दे।
vii) महिलाओं को वे मताधिकार देने के विरुद्ध थे।
5) स्तालिन का सामूहिकीकरण कार्यक्रम-
(i) अनाज की कमी को देखते हुए रूस में स्टालिन ने छोटे-छोटे खेतों के सामूहीकरण की प्रक्रिया शुरू की क्योंकि उनका यह मानता था कि छोटे-छोटे-छोटे टुकड़े आधुनिकीकरण में बाधा डालते हैं।
(ii) इसलिए राज्य के नियंत्रण में छोटे-छोटे किसानों से उनकी जमीन छीन कर एक विशाल जमीन का टुकड़ा बनाया जाना था।
(iii) राज्य सभी किसानों को मजबूर करती थी कि सामूहिक खेती करें।
सामूहिक खेती करने के लिए बड़ी भूमि अर्जित करना ही स्टालिन की सामूहिकीकरण प्रक्रिया कहलाया।
यूरोप में उदारवादियों एव चरमवादियों के विचारों में क्या अंतर था ?
उदारवादी सार्वभौम व्यस्क मताधिकार में विश्वास नहीं करते थे। इसके विपरीत परमवादी चाहते थे कि सरकार का निर्माण देश की बहुसंख्यक जनता की इच्छा पर आधारित हो ।
उदारवादियों का मानना था कि मताधिकार केवल सम्पत्तिशील पुरुषों को ही हो । वे महिलाओं के मताधिकार के विरुद्ध थे। दूसरी तरफ चरमवादी महिलाओं के मताधिकार के समर्थक थे। वे सार्वभौम मताधिकार के समर्थक तथा भूमिपतियों के विशेषाधिकारों तथा धनी फैक्ट्री मालिकों के द्वारा धन संचयन के विरुद्ध थे।
हम ऐसा क्यों कहते हैं कि इस समय के उदारवादी लोकतंत्रवादी नहीं थे?
ऐसा इसलिए कि इस समय के उदारवादी प्रतिनिधिक व निर्वाचित लोकतान्त्रिक सरकारों, के पक्षधर तो थे किन्तु सार्वभौम व्यस्क मताधिकार के पक्षधर नहीं थे। उनका मानना था कि महिलाओं को मताधिकार नहीं होना चाहिए तथा पुरूषों में भी केवल उन्हें ही मताधिकार हो जिनके पास सम्पत्ति हो।
उदारवादियों एवं चरमवादियों के अनुसार समाज का विकास कैसे होना चाहिए?
उदारवादी एवं चरमवादी प्राय: सम्पत्तिशाली एवं नियोजक थे।
उन्होंने औद्यौगिक गतिविधियों एव व्यापार द्वारा सम्पत्ति बनायी थी । वे सख्ती से ऐसा विश्वास करते थे कि ऐसे प्रयासों को बढ़ावा दिया जाए जिससे अधिकाधिक लाभ की प्राप्ति हो ।
उनका मानना था कि समाज तभी विकसित हो सकता है यदि गरीबों को काम मिले , व्यक्ति की स्वतन्त्रता को आश्वस्त किया जाए तथा जिनके पास पूंजी है वे बिना किसी बाधा के उसका संचालन कर सके।
क्यों समाजवादी निजी सम्पत्ति के खिलाफ थे और इसे सभी सामाजिक बुराइयों की जड़ देखते थे?
'खूनी रविवार' के रूप में ज्ञात घटना का वर्णन करें ।
रूस के उद्योगों पर युद्ध ने क्या प्रभाव डाला ?
रूस के उद्योग संख्या में बहुत कम थे और बाल्टिक सागर पर जर्मनी के नियंत्रण से औद्योगिक सामानों की आपूर्ति बंद हो चुकी थी। यूरोप के बाकी देशों के मुकाबले रूस के औद्योगिक उपकरण ज़्यादा तेजी से बेकार होने लगे। 1916 तक रेलवें लाइनें टूटने लगी।अच्छी सेहत वाले मर्दो को युद्ध में झोंक दिया गया। देशभर में मज़दूरों की कमी पड़ने लगी और जरुरी समान बनानेवाली छोटी-छोटी वर्कशॉप्स ठप्प होने लगीं।
सामूहिक फार्म का निर्णय क्यों लिया गया ?
1950 से ऐसा माना जाता था कि देश के भीतर सोवियत संघ के सरकार की शैली रूसी क्रांति के विचारों (आदेशों) से पृथक है। ऐसा क्यो कहा जाता था ?
मार्क्सवादी सिद्धांत के मूल सिद्धांत क्या थे ?
संक्षेप में पंचवर्षीय योजनाओं की विवेचना करे?
एक केन्द्रीकृत योजना की प्रक्रिया को लागू किया गया, अधिकारियों ने मूल्यांकन किया कि किस प्रकार अर्थव्यवस्था काम करेगी और पाँच वर्षो के लिए लक्ष्य निर्धारित किये जिसकेआधार पर उन्होंने पंचवर्षीय योजनाओं को बनाया । पहली दो योजनाओं (1927-32 और 1933-38) के दौरान औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने सभी मूल्य तय किए, केन्द्रीकृत योजनाओं से आर्थिक विकास हुआ।
व्याख्या करें कि समाज किस प्रकार समाजवादियों के अनुसार बिना संपत्ति के चल सकता है। समाजवादी समाज का आधार क्या होगा ?
केवल व्यक्तिगत प्रयासों से बड़े पैमाने पर सहकारी समितियां नही बन सकेंगी ।
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स्तालिन के सामूहिकीकरण कार्यक्रम की विवेचना करें।
1905 के किसान विद्रोह मे ज़ार की क्या भूमिका थी ?
मार्क्सवादी सिद्धांत के मूल सिद्धांत क्या थे?
क्रांति मे ब्लादिमीर लेनिन की भूमिका तथा आर्थिक नीति में उसके योगदान पर विचार करें।
रूसी क्रांति के तात्कालिक परिणाम क्या थे?
किस प्रकार विश्व युद्ध में रुस का शामिल होना ज़ार के पतन का कारण बना ?
कौन सी परिस्थितियाँ रुसी गृह-युद्ध (1918 - 1920) की ओर ले गई? कोई चार बिन्दु लिखिए।
रूसी क्रांति के विश्व पर पड़ें प्रभाव पर विचार करें।
1905 के पूर्व रूस की समाजिक, आर्थिक तथा राजनीतिक दशा क्या थी ?
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