भारत और समकालीन विश्व 1 Chapter 2 यूरोप में समाजवाद एवं रूसी क्रांति
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    NCERT Solution For Class 9 सामाजिक विज्ञान भारत और समकालीन विश्व 1

    यूरोप में समाजवाद एवं रूसी क्रांति Here is the CBSE सामाजिक विज्ञान Chapter 2 for Class 9 students. Summary and detailed explanation of the lesson, including the definitions of difficult words. All of the exercises and questions and answers from the lesson's back end have been completed. NCERT Solutions for Class 9 सामाजिक विज्ञान यूरोप में समाजवाद एवं रूसी क्रांति Chapter 2 NCERT Solutions for Class 9 सामाजिक विज्ञान यूरोप में समाजवाद एवं रूसी क्रांति Chapter 2 The following is a summary in Hindi and English for the academic year 2021-2022. You can save these solutions to your computer or use the Class 9 सामाजिक विज्ञान.

    Question 1
    CBSEHHISSH9009505

    रूस के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक हालात 1950 से पहले कैसे थे?

    Solution

    रूस के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक हालात 1950 से पहले निम्नलिखित प्रकार के थे:
    (i) सामाजिक स्थिति: बीसवीं शताब्दी की शुरुआत में, रूस के अधिकांश लोग कृषक थे। रूस की लगभग 85% आबादी कृषक थी। उद्योग अस्तित्व में था, लेकिन ज़्यादातर कारखाने उद्योगपतियों की निजी सम्पति थे। श्रमिकों को सामाजिक आधार पर विभाजित किया गया था। वे मुख्य रूप से कारखानों में रोजगार के लिए शहरों में चले जाते थे। कुल मजदूरों में स्त्रियों की संख्या एक तिहाई के करीब थी। परंतु उन्हें पुरुषों से कम वेतन मिलता था। देहात की ज्यादातर जमीन पर किसान खेती करते थे। लेकिन विशाल संपत्ति पर सम्पत्तियों पर राजशाही और आर्थोडॉक्स का कब्जा था। मजदूरों की तरह किसान भी बंटे हुए थे।
    (ii) आर्थिक स्थिति: रूस में कोई मध्यवर्ग से नहीं था और रूस में औद्योगिकीकरण बहुत देर से शुरू हुआ। पर वह काफी तेज़ी से विकसित हुआ। विदेशी पूंजीपतियों ने विभिन्न उद्योगों में अधिक निवेश कर बड़ा लाभ कमाया। श्रमिकों की परिस्थितियों में सुधार की तुलना में विदेशी निवेशकों की लाभ कमाने में अधिक रूचि थी।
    रूस में श्रमिकों की स्थिति बहुत दयनीय थी। वे ऐसे जीवन का नेतृत्व करने के लिए मजबूर थे। यही कारण है कि मजदूर समाजवाद के विचारों से प्रभावित थे।
    रुसी मजदूरों के लिए 1904 का साल बहुत बुरा रहा ज़रूरी चीजों की कीमतें इतनी बढ़ गई कि वास्तविक वेतन में 20 प्रतिशत तक कि गिरावट आ गई श्रमिकों के पास कोई राजनीतिक अधिकार नहीं था।
    (iii) राजनीतिक परिस्थितयाँ: 1914 से पहले रूस में सभी राजनितिक पार्टी गैरक़ानूनी थी। मार्क्स के विचारों को मानने वाले समाजवादियों ने 1898 में सोशल डेमोक्रेटिक वर्कर्स पार्टी का गठन किया था।1903 में, इस पार्टी को दो समूहों में विभाजित किया गया। 1904 में, रूस और जापान के बीच एक विशाल युद्ध हुआ। 1905 में रूस में एक क्रांति फैल गई थी। सोवियत मजदूरों ने इस क्रांति में सक्रिय भूमिका निभाई। सेना और नौसेना के कुछ वर्ग भी क्रांति में शामिल हुए।

     

    Question 2
    CBSEHHISSH9009506

    1917 के पहले रूस की कामकाजी आबादी यूरोप के बाकी देशों के मुकाबले किन-किन स्तरों पर भिन्न थी?

    Solution
    1917 के पहले रूस की कामकाजी आबादी यूरोप के बाकी देशों के मुकाबले निम्नलिखित स्तरों पर भिन्न थी -
    (i) बीसवीं शताब्दी की शुरुआत में रूस की आबादी का एक बहुत हिस्सा खेती-बाड़ी से जुड़ा हुआ था।रूसी साम्राज्य का लगभग 85% जनता आजीविका के लिए खेती पर निर्भर थी। यूरोप के किसी भी देश में खेती पर आश्रित जनता का प्रतिशत इतना नहीं था। उदाहरण के तौर पर फ्रांस का 40 -50 प्रतिशत से ज्यादा नहीं था।
    (ii) औद्योगिक क्रांति के परिणामस्वरुप यूरोपीय देश औद्योगिक हो चुक थे। जैसे जैसे ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी। परन्तु उद्योग बहुत कम थे।
    (iii) जारशाही रूस में किसान सामंतों और नवाबों का बिल्कुल सम्मान नहीं करते थे। बहुधा वे जमीदारों की हत्या भी कर देते थे। इसके विपरीत फ्रांस में फ्रांसीसी क्रांति के दौरान ब्रिटनी (फ्रांस का एक क्षेत्र) के किसानों ने नवाबों को बचाने के लिए लड़ाइयाँ लड़ी।
    (iv) रूसी किसान यूरोप के बाकी किसानों के मुकाबले एक और लिहाज से अलग थे। यहाँ के किसान समय-समय पर सारी जमीन अपने कम्यून को सौंप दे देते थे और फिर कम्यून ही प्रत्येक परिवार की ज़रूरत के अनुसार किसानो को जमीन देता था।
    (v) कुछ रूसी समाजवादियों का यह भी मानना था कि दूसरे देशों की तुलना में रूस बहुत तेजी से समाजवादी बना। इसका एकमात्र कारण रूसी किसानों द्वारा जमीन सौंपने ओर बाँटने की प्रक्रिया से संभव हुआ।
    (vi) रूसी जारशाही में मजदूर सामाजिक स्तर पर बँटे हुए थे। कुछ मजदूर का अपने गाँवो के साथ गहरे संबंध बनाए हुए थे। बहुत सारे मजदूर स्थाई रूप से शहरों में बस चुके थे। योग्यता और दक्षता के स्तर पर उनमे काफी भेद था।
    (vii) 1914 में फैक्ट्री मजदूरों में औरतों की संख्या 31% थी परन्तु उन्हें पुरुषों के मुकाबले कम वेतन मिलता था।
    Question 3
    CBSEHHISSH9009507

    1917 में ज़ार का शासन क्यों खत्म हो गया?

    Solution

    1917 में ज़ार का शासन निम्नलिखित खत्म हुआ-
    (i) सन् 1917 की सर्दियों में राजधानी पेत्रोग्राद राजधानी की हालत बहुत खराब थी l मजदूरों के इलाकों में खाद्य पदार्थों की बहुत ज्यादा कमी पैदा हो गई थी।
    (ii) 22 फरवरी को शहर की एक फैक्ट्री में तालाबंदी का ऐलान कर दिया गया। इसी के चलते अगले दिन इस फैक्ट्री के मजदूरों ने भी हड़ताल की घोषणा कर दी।
    (iii) 25 फरवरी को सरकार ने ड्यूमा (संसद) को बर्खास्त कर दिया। सरकार ने इस फैसले के विरोध में राजनीतिज्ञ बयान देने लगे। 26 फरवरी को प्रदर्शनकारी भारी संख्या में बाएँ तट के इलाके में एकत्रित हुए।
    (iv) सरकार ने स्थिति पर काबू पाने के लिए घुड़सवार सैनिकों को तैनात कर दिया लेकिन घुड़सवार सैनिकों को उन प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने से साफ इंकार कर दिया मजदूर तथा सिपाही सोवियत या 'परिषद' का गठन करने के लिए एकत्रित हुए और यहाँ से पेत्रोग्राद सोवियत का जन्म हुआ।
    (v) अगले दिन एक प्रतिनिधिमंडल जार से मिलने गया। सैनिक कमांडरों ने उन्हें सलाह दी कि वह राजगद्दी को छोड़ दे। उन्होंने उनकी बात मान ली और 2 मार्च 1917 को गद्दी छोड़ दी। देश चलाने के लिए एक अंतरिम सरकार का गठन किया गया

    Question 4
    CBSEHHISSH9009508

    दो सूचियाँ बनाइए: एक सूची में फरवरी क्रांति की मुख्य घटनाओं और प्रभावों को लिखिए और दूसरी सूची में अक्टूबर क्रांति की प्रमुख घटनाओं और प्रभावों को दर्ज कीजिए।

    Solution

    (1) फरवरी क्रांति (1917) की तिथियाँ और घटनाएँ:
    i) 22 फरवरी- दाहिने किनारे की एक फैक्ट्री में तालाबंदी। अगले ही दिन 50 फैक्ट्रियों के श्रमिकों की हड़ताल।
    ii) 24 और 25 फरवरी - सरकार द्वारा ड्यूमा का स्थगन। राजनीतिकों द्वारा इस कदम की आलोचना।
    iii) 26 फरवरी- श्रमिक बड़ी संख्या में सड़कों पर उतरे।
    iv) 27 फरवरी- श्रमिको द्वारा पुलिस मुख्यालय पर हमला।
    v) 2 मार्च-ज़ार का पदत्याग। ज़ार के शासन का अंत। 
    अक्तूबर क्रांति (1917) की तिथियाँ व घटनाएँ:
    i) 16 अक्तूबर-लेनिन ने पेत्रोग्राद सोवियत और बोल्शेविक पार्टी को सत्ता हथियाने के लिए राज़ी लिया।इस काम के लिए एक सैन्य क्रांतिकारी समिति का गठन किया गया।
    ii) 24 अक्तूबर- विद्रोह की शुरुआत हुई। दो बोल्शेविकों समचारपत्रों की इमारतों का पर नियंत्रण किया गया। इसके साथ ही टेलीफोन और टेलीग्राम विभागों पर भी नियंत्रण किया गया। विंटर पैलेस की सुरक्षा का इंतजाम किया गया। इन सरकारी गतिविधियों के जवाब में सैन्य क्रांतिकारी समिति के सदस्यों ने अनेक सैन्य ठिकानों पर पर कब्ज़ाl किया। रात होते-होते पूरा शहर समिति के कब्जे में आ गया और मंत्रियों ने अपने पद से त्याग दे दिया।
    iii) दिसंबर तक मास्को-पेत्रोग्राद क्षेत्र पर बोल्शेविकों का पूरी तरह से कब्ज़ा हो गया।
    फरवरी में होने वाली क्रांति में स्री व पुरुष दोनों ही श्रमिक शामिल हुए। वासीलेवा नाम की एक महिला ने अकेले ही सफल हड़ताल की। बोल्शेविक मुख्य रूप से अक्तूबर में होने वाली क्रांति में शामिल थे। लेनिन और लियोन त्रात्सकी क्रांतिकारियों में प्रमुख नेता के रूप में शमिल थे। फरवरी क्रांति के परिणामस्वरूप राजवंश का अंत हुआ, जबकि अक्तूबर क्रांति के बाद सत्ता पर नियंत्रण बोल्शेविकों ने कर लिया और रूस में साम्यवादी दौर की शरुआत हुई।

    Question 5
    CBSEHHISSH9009509

     बोल्शेविकों ने अक्टूबर क्रांति के फौरन बाद कौन-कौन से प्रमुख परिवर्तन किए?

    Solution
    (i) बोल्शेविकों निजी संपत्ति की व्यवस्था के खिलाफ थे। इस कारण निजी संपत्ति को ख़त्म किया गया। राज्य ने उत्पादन के सभी साधनो को नियंत्रण में ले लिया।
    (ii) उद्योगों और बैंकों का राष्ट्रीयकरण कर उसे सरकार के नियंत्रण में ले लिया गया।
    (iii) ज़मीन को समाजिक संपत्ति घोषित किया गया। किसानों को सामंतो की ज़मीनों पर कब्जा करने की खुली छूट दे दी गई।
    (iv) ट्रेड युनियनों को पार्टियों ने नियंत्रण में किया। चेका नामक पुलिस उनको दण्डित करती थी जो बोल्शेविकों की आलोचना करते थे।
    (v) बोल्शेविकों ने शहरों में  मकान मालिक के लिए पर्याप्त हिस्सा कर मकानों के छोटे-छोटे भाग कर दिए है। ताकि जरूरतमंद लोगों को रहने की जगह मिल सके।
    (vi) उन्होंने अभिजात्य वर्ग द्वारा पुरानी पदवियों के उपयोग पर रोक लगा दी। इसके साथ ही सेवा और सरकारी अफसरों की वर्दिया बदली गई।
     
    Question 6
    CBSEHHISSH9009510

    निम्नलिखित के बारे में संक्षेप में लिखिये:
    कुलक
    ड्यूमा
    1900 से 1930 के बीच महिला कामगार
    उदारवादी
    स्तालिन का सामूहिकीकरण कार्यक्रम

    Solution

    1) कुलक
    रूस में बड़े किसानों को कुलक कहा जाता था। 1928 में साम्यवादी पार्टी के सदस्यों ने ग्रामीण क्षेत्रों का दौरा किया तथा कुलकों के खेतों में अनाज उत्पादन तथा संग्रहण का निरक्षण किया।
    2) ड्यूमा
    ड्यूमा रूस में निर्वाचित परामर्शी संसद को ड्यूमा कहा जाता था। इसे ज़ार ने 1905 की क्रांति के बाद ज़ार ने गठित किया परन्तु ज़ार द्वारा प्रथम ड्यूमा 75 दिनों में ही स्थगित कर दिया गया।
    3) 1900 से 1930 के बीच महिला कामगार
    फैक्ट्रियों में केवल 31% महिलाएँ ही काम करती थी। परंतु उन्हें पुरुष श्रमिकों से कम मज़दूरी मिलती थी। अधिकतर फैक्ट्रियों में उन्हें पुरुषों की मजदूरी का केवल आधा या तीन-चौथाई ही दिया जाता था। इसी कारण उन्होंने विद्रोह में पुरुषों का साथ दिया। 22 फरवरी,1917 को फैक्ट्रियों में महिला कामगारों ने हड़ताल की। इसलिए इस दिन को 'अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस' के नाम से जाना जाता है। महिलाएँ पुरुषों को रूसी क्रांति के दौरान प्रेरित करती थी। मार्फा वासीलेवा नाम की एक महिला श्रमिक ने अकेले ही हड़ताल की घोषणा की। जब मालिकों ने उसके पास डबलरोटी का टुकड़ा भेजा, तो उसने वह ले लिया परंतु काम पर वापस जाने से साफ इंकार कर दिया। उसने कहा, 'ऐसा नहीं हो सकता कि केवल मेरा पेट भरा रहे और बाकी सब भूखें मरे।'
    4) उदारवादी-
    (i) वे रूस में उदारवादी सामाजिक परिवर्तन के पक्षधर थे।
    (ii) वे चाहते थे की राज्य में सभी धर्म सम्मान हो, वे धर्मनिरपेक्षता की स्थापना करना चाहते थे।
    (iii) वे राजवंश की अनियंत्रित शक्तियों के विरोध थे।
    (iv) वे व्यक्ति के अधिकारों की रक्षा चाहते थे।
    (v) वे चाहते थे कि राष्ट्र को एक निर्वाचित सदन द्वारा गठित और एक स्वतंत्र न्यायपालिका द्वारा लागू विधान के अनुसार चलाया जाए।
    (vi) वे लोकतंत्र में विश्वास नहीं रखते थे। वे सार्वजानिक मताधिकारों के विरुद्ध थे। इसके विपरीत, वे चाहते थे की केवल समृद्ध पुरुष ही वोट दे।
    vii) महिलाओं को वे मताधिकार देने के विरुद्ध थे।
    5) स्तालिन का सामूहिकीकरण कार्यक्रम-
    (i) अनाज की कमी को देखते हुए रूस में स्टालिन ने छोटे-छोटे खेतों के सामूहीकरण की प्रक्रिया शुरू की क्योंकि उनका यह मानता था कि छोटे-छोटे-छोटे टुकड़े आधुनिकीकरण में बाधा डालते हैं।
    (ii) इसलिए राज्य के नियंत्रण में छोटे-छोटे किसानों से उनकी जमीन छीन कर एक विशाल जमीन का टुकड़ा बनाया जाना था।
    (iii) राज्य सभी किसानों को मजबूर करती थी कि सामूहिक खेती करें।
    सामूहिक खेती करने के लिए बड़ी भूमि अर्जित करना ही स्टालिन की सामूहिकीकरण प्रक्रिया कहलाया।

    Question 7
    CBSEHHISSH9009678

    यूरोप में उदारवादियों एव चरमवादियों के विचारों में क्या अंतर था ?

    Solution

    उदारवादी सार्वभौम व्यस्क मताधिकार में विश्वास नहीं करते थे। इसके विपरीत परमवादी चाहते थे कि सरकार का निर्माण देश की बहुसंख्यक जनता की इच्छा पर आधारित हो ।

    उदारवादियों का मानना था कि मताधिकार केवल सम्पत्तिशील पुरुषों को ही हो । वे महिलाओं के मताधिकार के विरुद्ध थे। दूसरी तरफ चरमवादी महिलाओं के मताधिकार के समर्थक थे। वे सार्वभौम मताधिकार के समर्थक तथा भूमिपतियों के विशेषाधिकारों तथा धनी फैक्ट्री मालिकों के द्वारा धन संचयन के विरुद्ध थे।

    Question 8
    CBSEHHISSH9009679

    हम ऐसा क्यों कहते हैं कि इस समय के उदारवादी लोकतंत्रवादी नहीं थे?

    Solution

    ऐसा इसलिए कि इस समय के उदारवादी प्रतिनिधिक व निर्वाचित लोकतान्त्रिक सरकारों, के पक्षधर तो थे किन्तु सार्वभौम व्यस्क मताधिकार के पक्षधर नहीं थे। उनका मानना था कि महिलाओं को मताधिकार नहीं होना चाहिए तथा पुरूषों में भी केवल उन्हें ही मताधिकार हो जिनके पास सम्पत्ति हो।

    Question 9
    CBSEHHISSH9009680

    उदारवादियों एवं चरमवादियों के अनुसार समाज का विकास कैसे होना चाहिए?

    Solution

    उदारवादी एवं चरमवादी प्राय: सम्पत्तिशाली एवं नियोजक थे।

    उन्होंने औद्यौगिक गतिविधियों एव व्यापार द्वारा सम्पत्ति बनायी थी । वे सख्ती से ऐसा विश्वास करते थे कि ऐसे प्रयासों को बढ़ावा दिया जाए जिससे अधिकाधिक लाभ की प्राप्ति हो ।
    उनका मानना था कि समाज तभी विकसित हो सकता है यदि गरीबों को काम मिले , व्यक्ति की स्वतन्त्रता को आश्वस्त किया जाए तथा जिनके पास पूंजी है वे बिना किसी बाधा के उसका संचालन कर सके।

    Question 10
    CBSEHHISSH9009681

    क्यों समाजवादी निजी सम्पत्ति के खिलाफ थे और इसे सभी सामाजिक बुराइयों की जड़ देखते थे?

    Solution
    1. समाजवाद का प्रचार करने वाले लोग कहते थे कि जो लोग निजी सम्पत्ति रखते हैं, अनेक लोगों को रोजगार प्रदान करते हैं, वे केवल व्यक्तिगत फायदे को देखते हैं।
    2. वे लोगों के कल्याण की चिंता नहीं करते।
    3. उन्होने महसूस किया कि यदि समाज सम्पत्ति नियंत्रित करेगा, तो सामूहिक -सामाजिक हितों पर विशेष ध्यान दिया जा सकेगा।
    Question 11
    CBSEHHISSH9009682

    'खूनी रविवार' के रूप में ज्ञात घटना का वर्णन करें ।

    Solution
    1. 110,000 से अधिक श्रमिक, 1905 मे सेंट पीटर्सबर्ग में काम के घंटे को कम करते हुए आठ घंटे करने, मज़दूरी में वृद्धि और कार्य की परिस्थितियों में सुधार करने की मांग को लेकर हड़ताल पर गए।
    2. जब यह जुलूस विंटर पैलेस पहुँचा, तब इस पर पुलिस और कोसैक्स ने हमला किया।
    3. 100 से अधिक मज़दूर मारे गए और करीब 300 घायल हुए। 'खूनी रविवार' के रूप में ज्ञात इस घटना ने घटनाओं की श्रृंखला शुरू कर दी जिसे 1905 की क्रांति के रूप में जाना गया।
    Question 12
    CBSEHHISSH9009683

    रूस के उद्योगों पर युद्ध ने क्या प्रभाव डाला ?

    Solution

    रूस के उद्योग संख्या में बहुत कम थे और बाल्टिक सागर पर जर्मनी के नियंत्रण से औद्योगिक सामानों की आपूर्ति बंद हो चुकी थी। यूरोप के बाकी देशों के मुकाबले रूस के औद्योगिक उपकरण ज़्यादा तेजी से बेकार होने लगे। 1916 तक रेलवें लाइनें टूटने लगी।अच्छी सेहत वाले मर्दो को युद्ध में झोंक दिया गया। देशभर में मज़दूरों की कमी पड़ने लगी और जरुरी समान बनानेवाली छोटी-छोटी वर्कशॉप्स ठप्प होने लगीं।

    Question 13
    CBSEHHISSH9009684

    सामूहिक फार्म का निर्णय क्यों लिया गया ?

    Solution
    1. यह सोचा गया कि देहात के धनी किसानों और व्यापारियों द्वारा कीमत की उम्मीद में स्टॉक रखा गया है।
    2. इसने अभाव पैदा कर दिया है।
    3. वह ऐसा भी सोचता था कि छोटे आकार के फार्म को आधुनिक नहीं बनाया जा सकता ।
    4. वह ऐसा सोचता था कि उस समय की मांग आधुनिक फार्म को विकसित करने की तथा उन्हें मशीनों के साथ, उद्योगों के साथ चलाने की है।
    Question 14
    CBSEHHISSH9009685

    1950 से ऐसा माना जाता था कि देश के भीतर सोवियत संघ के सरकार की शैली रूसी क्रांति के विचारों (आदेशों) से पृथक है। ऐसा क्यो कहा जाता था ?

    Solution
    1. 1950 के दशक में ऐसा माना जाता था कि देश के भीतर सोवियत शासन शैली रूसी क्रांति के आदेशों से मेल नहीं खाती है।
    2. पिछड़ा हुआ देश रुस अब एक महान शक्ति बन चुका था।
    3. इसके उद्योग और कृषि ने प्रगति की और गरीब कम हाने लगे।
    4. लेकिन नागरिक की आवश्यक स्वतंत्राएँ नकार दी गई और विकासात्मक परियोजनाओं को दमनकारी नीतियों से लागू किया गया।
    Question 15
    CBSEHHISSH9009686

    मार्क्सवादी सिद्धांत के मूल सिद्धांत क्या थे ?

    Solution
    1. मार्क्स विश्वास करता था कि मज़दूरों की स्थिति तब तक नही सुधरेगी जब तक निजी पूंजीपतियों द्वारा मुनाफे जमा किये जाते रहेंगे।
    2. मज़दूरों को पूंजीवाद और निजी सम्पत्ति के नियमों को उखाड़ फेंकना होगा ।
    3. मज़दूरों को एक क्रांतिकारी समाजवादी समाज का निर्माण करना होगा जिसमें सभी सम्पतियाँ समाज द्वारा नियंत्रित की जाएगी, यह एक साम्यवादी समाज होगा और साम्यवादी समाज ही भविष्य का प्राकृतिक समाज होगा।
    Question 16
    CBSEHHISSH9009687

    संक्षेप में पंचवर्षीय योजनाओं की विवेचना करे?

    Solution

    एक केन्द्रीकृत योजना की प्रक्रिया को लागू किया गया, अधिकारियों ने मूल्यांकन किया कि किस प्रकार अर्थव्यवस्था काम करेगी और पाँच वर्षो के लिए लक्ष्य निर्धारित किये जिसकेआधार पर उन्होंने पंचवर्षीय योजनाओं को बनाया । पहली दो योजनाओं (1927-32 और 1933-38) के दौरान औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने सभी मूल्य तय किए, केन्द्रीकृत योजनाओं से आर्थिक विकास हुआ।

    Question 17
    CBSEHHISSH9009688

    व्याख्या करें कि समाज किस प्रकार समाजवादियों के अनुसार बिना संपत्ति के चल सकता है। समाजवादी समाज का आधार क्या होगा ?

    Solution

    केवल व्यक्तिगत प्रयासों से बड़े पैमाने पर सहकारी समितियां नही बन सकेंगी ।

    1. समाजवादी चाहते थे कि सरकार सहकारी - समितियों को अवश्य प्रोत्साहित करे तथा पूंजीवादी उद्यमों (कल-कारखाने) को बदले।
    2. वे कहते थे कि सहकारी समितियां लोगो का संघ बने जो मिल जुलकर वस्तुओं का उत्पादन करे और सदस्यों द्वारा किए गए काम के अनुसार उनमें मुनाफे को बाँट दे।
    3. तर्क के इस निकाय के साथ अधिक विचार जोड़े गए।
    4. ये विचार कार्ल मार्क्स और फ्रेडरिक एंगेल्स द्वारा जोड़े गये। मार्क्स ने तर्क किया कि औधोगिक समाज पूँजीवादी है। पूंजीपति कल-कारखानों में निदेश किए गए पूंजी पर अधिकार रखते हैं।
    5. मुनाफा जो पूंजीपतियों को इन कारखानों के माध्यम से मिला है, मजदूरों द्वारा उत्पादित हैं । मज़दूरों ने मुनाफे में योगदान दिया है, पर उनको कुछ मी प्राप्त नहीं होता है।

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    Question 18
    CBSEHHISSH9009689

    स्तालिन के सामूहिकीकरण कार्यक्रम की विवेचना करें।

    Solution
    1. स्तालिन महसूस करता था कि सामूहिकीकरण निश्चित तौर पर अनाज की कमी की समस्या का समाधान करेगा।
    2. 1929 से पार्टी ने किसानों को सामूहिक फार्म(कोलखोज) में खेती करने के लिए बाध्य किया।
    3. ज़्यादातर ज़मीन और साज़ो -सामान सामूहिक खेतो के स्वामित्व मे सौंप दिए गए।
    4. सभी किसान सामूहिक खेतों पर काम करते थे और कोलखोज के मुनाफे को सभी किसानों के बीच बाँट दिया जाता था।
    5. इस फ़ैसले से गुस्साए किसानों ने सरकार का विरोध किया और वे अपने जानवरों को खत्म करने लगे। 1929 से 1931 के बीच मवेशियों की संख्या मे एक-तिहाई कमी आ गई।
    Question 19
    CBSEHHISSH9009690

    1905 के किसान विद्रोह मे ज़ार की क्या भूमिका थी ?

    Solution
    1. 1905 की क्रांति के दौरान ज़ार ने एक चुनी हुई सम्पर्क करने वाली संसद या ड् यूमा के निर्माण की अनुमति दी। ज़ार ने इसे 75 दिनों के भीतर बर्खास्त कर दिया और पुन: चुनाव करवाया।
    2. 2 दूसरी ड् यूमा तीन माह के अन्दर। वह अपने अधिकार पर किसी परह का प्रश्न नहीं चाहता था और न अपने अधिकारों में कमी चाहता था । उसने मतदान के नियमों को बदला और तीसरे ड् यूमा को अनुदार राजनीतिज्ञों से भर दिया।
    Question 20
    CBSEHHISSH9009691

    मार्क्सवादी सिद्धांत के मूल सिद्धांत क्या थे?

    Solution
    1. मार्क्स विश्वास करता था कि मज़दूरों की स्थिति तब तक नही सुधरेंगी जब तक निजी पूंजीपतियों द्वारा मुनाफे जमा किये जाते रहेंगे।
    2. मज़दूरों को पूंजीवाद और निजी सम्पत्ति के नियमों को उखाड़ फेंकना होगा।
    3. मज़दूरों को एक क्रांतिकारी समाजवादी समाज का निर्माण करना होगा जिसमें सभी सम्पत्तियों समाज द्वारा नियंत्रित की जाएगी, यह एक साम्यवादी समाज होगा और साम्यवादी समाज ही भविष्य का प्राकृतिक समाज होगा।
    Question 21
    CBSEHHISSH9009692

    क्रांति मे ब्लादिमीर लेनिन की भूमिका तथा आर्थिक नीति में उसके योगदान पर विचार करें।

    Solution
    1. 1917 के रुसी क्रांति में ब्लादिमीर लेनिन ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई ।
    2. ज़र के पतन के बाद लेनिन ने क्रांतिकारियों का नेतृत्व किया, लेनिन के नेतृत्व में बोल्शेविक पार्टी ने युद्ध समाप्त करने के लिए स्पष्ट नीतियों को सामने रखा ।
    3. किसानों को जमीन सौंप दी गई तथा 'सोवियतों को सत्ता अपने हाथ में ले लेनी चाहिए' का नारा दिया गया ।
    4. वह इस विचार का था कि गैर रुसी जातियों को बिना बराबर के अधिकार दिए वास्तविक जनतंत्र की स्थापना नहीं हो सकेगी।
    5. ये रुसी क्रांति के वास्तविक लक्ष्य थे और उसने उन सभी लक्ष्यों को प्राप्त किया इसलिए रूसी क्रांति के साथ लेनिन का नाम अकाट् य रुप से जुड़ गया है।
    Question 22
    CBSEHHISSH9009693

    रूसी क्रांति के तात्कालिक परिणाम क्या थे?

    Solution
    1. नवम्बर, 1917 में अधिकांश कल-कारखाने और बैंक राष्ट्रीयकृत कर दिये गये।
    2. इसका अर्थ था कि सरकार ने इनका स्वामित्व और प्रबंधन ले लिया है। ज़मीन को सामाजिक सम्पत्ति घोषित कर दिया गया।
    3. किसानों को अनुमति दी गई कि वे ज़मींदारों के जमीन पर कब्जा कर ले। शहरों मे बेल्शेविकों ने परिवार की आवश्यक्तानुसार बड़े मकानों के विभाजन पर जोड़ दिया।
    4. उन्होनें कुलीनता के पुराने उपाधियों के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया।
    Question 23
    CBSEHHISSH9009694

    किस प्रकार विश्व युद्ध में रुस का शामिल होना ज़ार के पतन का कारण बना ?

    Solution
    1. इस युद्ध को शुरू-शुरू में रूसियों का काफी समर्थन मिला। जनता ने ज़ार निकोलस का साथ दिया।
    2. लेकिन जैसे-जैसे युद्ध लंबा खींचता गया समर्थन कम और ज़ार की लोकप्रियता कम होती चली गई। जर्मन विरोधी भावनाएँ बलवती होने लगी।
    3. ज़ारिना अलेक्सांद्रा के जर्मन मूल का होने और उसके घटिया सलहाकारों, खास तौर से रासपुतिन नामक एक संन्यासी ने राजशाही को और अलोकप्रिय बना दिया।
    4. पराजय हिला देने तथा हतोत्साहित कर देने वाली थी। 1914 और 1916 के बीच रूसी सेना जर्मनी और ऑस्ट्रिया में बुरी तरह पराजित हुई । 1917 तक 70 लाख लोग मारे जा चुके थे।
    5. फ़सलों और इमारतों के विनाश से रूस में करीब 30 लाख से ज़्यादा लोग शरणार्थी हो गए। इन हालात ने सरकार और ज़ार, दोनों को अलोकप्रिय बना दिया।
    Question 24
    CBSEHHISSH9009695

    कौन सी परिस्थितियाँ रुसी गृह-युद्ध (1918 - 1920) की ओर ले गई? कोई चार बिन्दु लिखिए।

    Solution
    1. जब बोल्शेविको ने जमीन के पुनर्वितरणो का आदेश दिया तो रुसी सेना टूटने लगी। ज़्यादातर सिपाही किसान थे।वे भूमि पुनर्वितरण के लिए घर लौटना चाहते थे इसलिए सेना छोड़कर जाने लगे।
    2. गैर बोल्शेविक समाजवादियों, उदारवादियों और राजशाही के समर्थकों ने बोल्शेविक विद्रोह की निंदा की। उनके नेता बोल्शेविकों से लड़ने के लिए टुकड़ियाँ संगठित करने लगे।
    3. 1918 और 1919 में रूसी साम्राज्य के ज़्यादातर हिस्सों पर सामाजिक क्रांतिकारियों (ग्रीन्स) और ज़ार-समर्थक (व्हाइट् स) का ही नियंत्रण रहा । उन्हे फ्रांसीसी, अमेरिकी, ब्रिटिश और जापानी टुकड़ियों का भी समर्थन मिल रहा था । इन टुकड़ियों और बोल्शेविकों के बीच चले गृह युद्ध के दौरान लूटमार, डकैती और भुखमरी जैसी समस्याएँ बड़े पैमाने पर फैल गई।
    4. 'व्हाइटस' में जो निजी संपत्ति के समर्थक थे उन्होनें ज़मीन पर कब्ज़ा करने वाले किसानों के खिलाफ काफी सख्त रवैया अपनाया।
    Question 25
    CBSEHHISSH9009696

    रूसी क्रांति के विश्व पर पड़ें प्रभाव पर विचार करें।

    Solution
    1. बोल्शेविकों ने जिस तरह सत्ता पर कब्जा किया था और जिस तरह उन्होनें शासन चलाया उसके बारे में यूरोप की समाजवादी पार्टियाँ बहुत सहमत नहीं थी।
    2. लेकिन मेहनतकशों के राज्य की स्थापना की संभावना ने दुनिया भर के लोगों मे एक नई उम्मीद जगा दी थी। बहुत सारे देशों में कम्युनिस्ट पार्टियों का गठन किया गया।
    3. बोत्योविको ने उपनिवेशों की जनता को भी उनके रास्ते का अनुसरण करने के लिए प्रोत्साहित किया।अनेक गैर-रूसियों को सोवियत संघ की कम्युनिस्ट युनिवर्सिटी ऑफ द वर्कर्स ऑफ दि ईस्ट में शिक्षा दी गई। जब दूसरा विश्वयुद्ध शुरा हुआ तबतक सोवियत संघ की वजह से समाजवाद को एक वैश्विक पहचान और हैसियत मिल चुकी थी।
    Question 26
    CBSEHHISSH9009697

    1905 के पूर्व रूस की समाजिक, आर्थिक तथा राजनीतिक दशा क्या थी ?

     

    Solution
    1. समाजिक दशा: रूस में विभिन्न सामाजिक हैसियत वर्ग धर्म और कई राष्ट्रों के लोग रहते थे। रूसी भाषा के बोले जाने से इन लोगों की सस्कृतियाँ महत्वहीन हो रही थी । रूसी आबादी के कई समूह किसान, कामगार, भूस्वामी , पूंजीपति, उद्योगपति तथा व्यापारी थे।
    2. आर्थिक दशा: 85 प्रतिशत रुसी कृषक थे। विशाल आबादी को कृषि रोज़गार देती थी। ख़ेती करने वाले, बाज़ार और अपनी आवश्यक्तायों के लिए भोजन उत्पादन करते थे।
    3. राजनीतिक दशा: ज़ार की सेवा कर न लगाने की स्थानीय लोकप्रियता से कुलीन अपनी शक्ति तथा हैसियत पाते थे और उनके लिए लड़ते थे। रूस में किसान कुलीनों की भूमि चाहते थे, वे लगान देने से इन्कार करते थे और यहाँ तक कि ज़मींदारों की हत्या कर देते थे।

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