शारीरिक शिक्षा Chapter 3 योग और जीवन शैली
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    NCERT Solution For Class 12 ������������������ शारीरिक शिक्षा

    योग और जीवन शैली Here is the CBSE ������������������ Chapter 3 for Class 12 students. Summary and detailed explanation of the lesson, including the definitions of difficult words. All of the exercises and questions and answers from the lesson's back end have been completed. NCERT Solutions for Class 12 ������������������ योग और जीवन शैली Chapter 3 NCERT Solutions for Class 12 ������������������ योग और जीवन शैली Chapter 3 The following is a summary in Hindi and English for the academic year 2021-2022. You can save these solutions to your computer or use the Class 12 ������������������.

    Question 1
    CBSEHHIPEH12036883

    योगासन से क्या लाभ है?

    Solution

    योगासनों का सबसे बड़ा लाभ यह है कि वे सहज साध्य हैं और सबकी पहुँच के भीतर है। योगासन एक व्यायाम विधि है जिसमें न तो कुछ अधिक खर्च ही होता है और न ही अधिक साज-समान की आवश्यकता पड़ती है।

    Question 2
    CBSEHHIPEH12036884

    वजन कम करने में सहायक दो आसन का नाम लिखो।

    Solution

    हस्तोत्तानासन, त्रिकोणासन।

    Question 4
    CBSEHHIPEH12036886

    शरीर के उन अंगों के नाम लिखों जिनमें अधिक लोचशीलता की आवश्यकता होती है।

    Solution

    ये अंग है:

    1. मेरूदंड
    2. कुहनियाँ और कलाइयाँ
    3. घुटने
    4. टखेन

    Question 5
    CBSEHHIPEH12036887

    मोटापा क्या है?

    Solution

    मोटापा शरीर की वह दशा होती है जिसमें शरीर में वसा - (Fat) की मात्रा बहुत अधिक स्तर तक बढ़ जाती है।

    Question 6
    CBSEHHIPEH12036888

    अस्थमा से बचाव तथा उसके नियंत्रण के लिए किए जाने वाले योगासन कौन-कौन से है?

    Solution

    अस्थमा से बचाव तथा नियन्त्रण के लिए सुखासन, चक्रासन, गोमुखासन, पर्वतासन, भुजगासन, पश्चिमोत्तासन लाभकारी है।

    Question 7
    CBSEHHIPEH12036889

    मधुमेह क्या है?

    Solution

    मधुमेह अर्थात् डायबिटीज मेलिट्स पोषक तत्वों का विकार है जिसके लक्षण हैं रक्त में ग्लूकोज का असामान्य रूप से बढ़ना और मूत्र द्वारा अतिरिक्त ग्लूकोज का उर्त्सजन।

    Question 8
    CBSEHHIPEH12036890

    पीठ दर्द के कारण बताए?

    Solution

    यह दर्द निष्क्रिय जीवन व्यतीत करने से पनपता है जैसे कि घंटों कम्प्यूटर के सामने बैठे, रहना, स्वास्थ्य संबंधी गलत आदतें, शारीरिक क्रियाओं या व्यायाम का अभाव।

    Question 10
    CBSEHHIPEH12036892

    उच्च रक्त चाप के क्या कारण है?

    Solution

    उच्च रक्त चाप का मुख्य कारण तनाव व गलत जीवन शैली है। इसके अतिरिक्त धूम्रपान, चाय, कॉफी का अधिक सेवन भोजन में अधिक तेल तथा मसालों का सेवन तथा कोलायुक्त पेय पदार्थ का सेवन उच्च रक्त चाप के कारण माने जाते है।

    Question 11
    CBSEHHIPEH12036893

    योग शब्द का अर्थ बताइये।

    Solution

    योग शब्द संस्कृत भाषा के 'युज' शब्द से लिया गया है जिसका अर्थ है जोड़ना या मिलाना।

    Question 12
    CBSEHHIPEH12036894

    योगासन के शरीर पर क्रियात्मक लाभ बताइयें।

    Solution

    योगासन करने से हमारे शरीर पर क्रियात्मक लाभ होते है। योग शरीर के आंतरिक और बाहरी अंगों को स्वस्थ रखता है:

    1. योगासन से शरीर लचीला बनता है। इससे शरीर में स्फूर्ति आती है काम करने की शक्ति बढ़ती है।
    2. योगासन करने से कोशिकाओं को रक्त शीघ्रतापूर्वक शुद्ध किया जा सकता है।
    3. योगासन से फेफड़ें के सिकुड़ने और फैलने की शक्ति बढ़ती है।
    4. योगासन के द्वारा मेरूदंड को लचीला रखा जा सकता है।
    5. योगासन से ह्रदय सशक्त होता है उसकी कार्यक्षमता में वृद्धि होती है।

    Question 13
    CBSEHHIPEH12036895

    वक्रासन और शलभासन पीठ दर्द से बचाव करते है। आसन की विधि बताइये।

    Solution

    वक्रासन बैठ कर किये जाने वाला आसन है। इस आसन में रीड़ की हड्डी मुड़ी हुई होती है। इसलिए इसका नाम वक्रासन रखा गया है। यह आसन रीढ़ की हड्डी की सक्रियता को बढ़ाता है।

    पूर्व स्थिति: दोनों पैर सामने की ओर रखकर सीधे बैठ जाए।
    विधि: दोनों पैरों को फैलाकर ज़मीन पर बैठे दोनों पैरों की के बीच दूरी कम से कम हो:

    1. बाएँ पांव को घुटने से मोड़ें और इसको उठा कर दाएं घुटने के बगल में रखें।
    2. रीढ़ सीधी रखें सांस छोड़ते हुए कमर को बाई और मोड़े।
    3. अब हाथ की कोहनी से बांए पैर के घुटने को दबाव के साथ अपनी ओर खींचे।
    4. पैर को इस तरह से अपनी ओर खींचते है कि पेट में दबाव आए।
    5. सांस छोड़ते हुए प्रारम्भिक अवस्था में आए।
    6. यही क्रिया दूसरी ओर से दोहराएं यह एक चक्र हुआ इस तरह 3 से 5 बार करें।

    लाभ:
    यह रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाते हुए इसको स्वस्थ रखता है। पीठ के ऐंठन को कम करता है। रीढ़ की चोट से बचाता है तथा पीठ दर्द से छुटकारा दिलाता है।

    शलभासन: शलभ का अर्थ टिड्डी होता है। आसान की अंतिम मुद्रा में शरीरि टिड्डी (LOCUST) जैसे लगता है। इसलिए इन्हें इन नाम से जाना जाता है।

    विधि:

    1. पेट के बल लेट जाएं।
    2. अपने हथेलियों को जांधों के नीचे रखें। एड़ियों को आपस में जोड़ कर रखे।
    3. सांस लेते हुए अपने पैरों को यथासभव ऊपर ले जाएँ ध्यान रखे इस अवस्था में ठोड़ी को जमीन पर टिकाकर रखे।
    4. इस अवस्था में कुछ समय रहें साँस छोड़ते हुए पांव नीचे लाएँ।

    लाभ:
    पीठ दर्द के लिये बहुत लाभकारी आसन है, लचीलापन बढ़ता है, वजन कम करता है, साइटिका को ठीक करने में अहम भूमिका निभाता है।

    Question 14
    CBSEHHIPEH12036896

    अस्थमा के बचाव के लिये कोई तीन आसन की विधि बताइयें।

    Solution

    गोमुखासन: यह योग करते समय शरीर का आकार गाय के मुख के समान होने के कारण इसे गोमुखासन कहा जाता है।अंग्रेजी में इसें The Cow Face Pose भी कहा जाता है।

    पूर्व स्थिति: - सुखासन या दण्डासन में बैठ जाए।
    विधि:

    1. सुखासन या दण्डासन में बैठ जायें।
    2. बाए पैर की एडी को दाहिने नितम्ब के पास रखिए। दाहिने पैर को बाई जाँघ के ऊपर से करते हुए इस प्रकार स्थिर करे की घुटने एक दुसरे के ऊपर रहने चाहिए।
    3. दाहिने हाथ को दाहिने कंधे पर सीधा उठा ले और पीछे की ओर घुमाते हुए कोहनी से मोड़कर हाथों को परस्पर बांध ले। अब दोनों हाथों को धीरे से अपनी दिशा में खींचे।
    4. दृष्टि सामने की ओर रखें। पैर बदलकर भी करें।
      लाभ:अस्थमा केबचाव के लिये उपयोगी, वजन को कम करता है। शरीर को सुडोल, लचीला और आकर्षक बनाता है।

    पर्वतसान: इस आसन को करते समय मनुष्य की आकृति एक पर्वत के समान हो जाती है जिसके कारण इसे पर्वतासन कहते है यह आसन करने में बहुत ही सरल होता है।

    पूर्व स्थिति: पद्मासन में बैठ जाए।

    विधि: ज़मीन पर दरी या आसन पर पद्मासन में बैठे।
    अपने हाथों की उँगलियों को आपस में फंसा लें। लम्बी श्वास लेते हुए अपने हाथों को ऊपर की तरह इस तरह से ले जाएं कि आपके हाथ सिर के ऊपर हो और हाथों की हथेलियां बाहर की ओर खुली रहें।
    लाभ: अस्थमा की बीमारी में बहुत ही लाभदायक है, रक्त साफ़ करता है। सीना चौड़ा और कंधों को मजबूती देता है। फेफड़े स्वस्थ रहते है।

    मत्स्यासन: यह आसान पानी में किया जाये तो शरीर मछली कि तरह तैरने लग जाता है, इसलिए इसे मत्स्यासन कहते है।

    पूर्व स्थिति: दोनों पैरो को सीधा रखकर बैठ जाएँ।

    विधि: 

    1. दोनों पैरो को सामने की ओर सीधे रखकर बैठ जाएँ।
    2. पद्मासन लगाएँ।
    3. दोनों हाथों की कोहनियों का सहारा लेते हुए कमर के बल लेट जाएँ।
    4. हाथों के सहारे से गर्दन को मोड़ें तथा माथे को जमीन से लगाने की कोशिश करें।
    5. दोनों हाथों से पैरों के अगूंठे पकड़े तथा कोहनियों को जमीन से लगाएँ।
    6. पेट के भाग को अधिक से अधिक ऊपर उठायें।

    लाभ: यह आसन दमे के रोगियों के लिए बहुत फायदेमंद है। शुद्व रक्त का निर्माण तथा संचार करता है। मधुमेह तथा पेट के रोग दूर होते है। कब्ज़ दूर करता है, खाँसी दूर होती है, चेहरे और त्वचा को आकर्षक बनाता है।

    Question 15
    CBSEHHIPEH12036897

    जीवन शैली सम्बन्धी बीमारियों से बचाव में योग की क्या भूमिका है।

    Solution

    जीवन शैली से सम्बन्धित बीमारियों से बचाव में योग महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। योग निश्चित रूप से सभी प्रकार के बंधनों से मुक्ति प्रदान करने का साधन है, चिकित्सा शोधों ने योग से होने वाले कई शारीरिक और मानसिक लाभों के बारे में बताया है:

    1. योग शारीरिक स्वास्थ्य, स्नायुत्रंत एवं कंकाल तन्त्र को सुचारू रूप से कार्य योग्य बनाता है।
    2. योग से मधुमेह श्वसन संबंधी विकार, अस्थमा, पीठ दर्द, उच्च रक्त चाप, मोटापा कई प्रकार के विकारों के प्रबंधन में लाभदायक है।
    3. योग धकान, चिंता, अवसाद, तनाव, आदि को कम करने में भी सहायता करता है।
    4. योग मासिक धर्म, महिला एथलीट त्रय में भी सहायक है। साधारण शब्दों में अगर कहा जाए तो योग शरीर व मन के निर्माण की ऐसी प्रक्रिया है जो मानव जीवन को खुशहाल बनाता है तथा तनाव मुक्त रखता है।

    Question 16
    CBSEHHIPEH12036898

    राम एक सफल व्यवसायी है वह अपने व्यवसाय को बढ़ाने के लिये बहुत मेहनत करता है। यही कारण है कि वह अपने कार्यालय से देर से जाता है। वह सुबह देर से उठता है और किसी भी शारीरिक गतिविधियों के बिना वह कार्यालय को छोड़ देता है। वह तनाव के कारण कमजोर होता जा रहा है।

    1. राम वर्तमान जीवन-शैली में किस प्रकार की स्वास्थ्य समस्या का सामना कर सकता है।
    2. किस प्रकार की जीवन-शैली अपनाने के लिये आप राम को सुझाव देगें।
    3. किस प्रकार के योग अभ्यास के लिये आप राम को सुझाव देंगे।

     

    Solution
    1. मधुमेह, उच्चरक्त चाप और पीठ दर्द आदि।
    2. सक्रिय और स्वस्थ जीवन शैली जिसमें शारीरिक गतिविधि और योग शामिल हो।
    3. व्रजासन, शवासन, ताड़ासन, सुखासन आदि।
    Question 17
    CBSEHHIPEH12036899

    अस्थमा से आप क्या समझते है? इनके-लक्षण व कारण बताते हुएँ कोई दो आसन की विधि बताइये जिससे अस्थमा को रोका जा सकता है।

    Solution

    अस्थमा (Asthma): अस्थमा एक बीमारी है जो श्वास नलिकाओं से संबंधित है इन नलिकाओं की भीतरी दीवार में सूजन आ जाती है जो कि नलिकाओं को बहुत संवेदनशील बना देती है तथा किसी भी प्रभावित करने वाली चीज के स्पर्श से यह तीखी प्रतिक्रिया करती है।

    इस प्रतिक्रिया से नलिकाओं में सकुंचन होता है। इसमें फेफड़ों में हवा की मात्रा कम हो जाती है जिससे रोग ग्रस्त व्यक्ति कों सांस लेना मुश्किल हो जाता है।

    लक्षण: खाँसी का दौरा होना, दिल की धड़कन बढ़ना, सांस की रफ्तार बढ़ना बचैनी होना, सीने में जकड़न, थकावट, हाथों, पैरों, कंधों व पीठ में दर्द होना अस्थमा के लक्षण है।

    कारण: धूल, धुआ, वायु प्रदूषण आनुवशिकता, पराग कण, जानवरों की त्वचा बाल या पंख आदि इसके प्रमुख कारण है। अस्थमा को सुखासन चक्रासन, गोमुखासन, पर्वतासन, भुंजगासन, पश्चिमोत्तानासन तथा मत्स्यासन से नियंत्रित किया जा सकता है।

    (1) सुखासन:
    पूर्व स्थिति:
    दोनों पैर सामने की ओर रखकर सीधे बैठ जाएं।

    विधि:

    1. सामान्य रूप में बैठना ही सुखासन है।
    2. बाये पैर को मोड़ते हुए दायें पैर की जंघा के नीचे रखें।
    3. दायें पैर को मोड़ते हुए बायें पैर की पिण्डली के नीचे रखें।
    4. सिर, गर्दन व कमर को सीधी रखें।
    5. दोनों हाथ ज्ञान मुद्रा में या अज्जली मुद्रा में रखें।
    6. ध्यान के समय अधिक देर तक बैठने के लिए इसका उपयोग किया जा सकता है। पैर बदलकर भी बैठ सकते है।

    लाभ:

    1. यह आसन बहुत देर तक ध्यान, अध्ययन आदि केसमय उपयोग में लाया जा सकता है।
    2. कमर सीधी कर बैठने से पैरों में शक्ति आती है, दर्द दूर होते है तथा योगाभ्यासी अन्य आसन अर्द्धपद्मासन या पद्मासन करने के योग्य हो जाते है।

    सावधानियाँ: रीढ़ की हड्डी में किसी प्रकार की चोट हो तो अधिक समय तक ना बैठे, घुटनों के जोड़ों में परेशानी हो तो ये आसन ना करें।

    (2)चक्रासन:
    पूर्व स्थिति
    : दोनों पैर सीधे करते हुए कमर के बल लेट जायें।

    विधि:

    1. दोनों पैरों को घुटनों से मोड़कर एडियों से नितम्बों को स्पर्श करते हुए रखें।
    2. दोनों हाथों को मोड़कर कन्धों के पीछे रखें। हाथों के पंजे अन्दर की ओर मुड़े रहें।
    3. हाथों और पैरों के ऊपर पूरे शरीर को धीरे- धीरे ऊपर उठा दे।
    4. हाथ और पैरों में आधे फुट का अन्तर रहे तथा सिर दोनों हाथों के बीच में रहे।
    5. शरीर को ऊपर की ओर अधिक से अधिक खिंचाव दें जिससे की चक्राकार बन जाए।

    लाभ:

    1. पूरे शरीर पर इसका प्रभाव पड़ता है जिससे रक्त संचार, माँस-पेशियाँ व हड्डियों में लचीलापन आता है।
    2. कमर दर्द को दूर करता है, फेफड़ों में ऑक्सीजन की आपूर्ति बढ़ाता है इससे शरीर की कार्य क्षमता बढ़ती है।

    सावधानी: पूर्णता प्राप्त करने से पूर्व बार-बार अभ्यास करें।

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    Question 18
    CBSEHHIPEH12036900

    क्या पीठ दर्द एक समस्या है? अगर है तो इस समस्या का योग आसनों से कैसे बचाव किया जा सकता है। 

    Solution

    पीठ दर्द एक व्यापक समस्या है। दुनिया भर में लोग बदलती और निष्क्रिय जीवन शैली के चलतें तरह-तरह की समस्याओं से ग्रस्त हो रहे है। पीठ दर्द उनमें से एक है दुनिया भर में एक जगह बैठकर काम करने वाले लोगों में से प्रतिशत और बाकि अन्य लोगों में 80 प्रतिशत लोग ठीठ दर्द से परेशान है और इसमें महिलाओं की संख्या अधिक है। इसके मुख्य कारण है। लम्बे समय तक बैठना, आधुनिक उपकरणों की आदत, अधिक फैशनेबल होना, व्यायाम करने के सही तरीके का ज्ञान ना होना, अधिक वजन अधिक वजन उठाना, गलत तरीके से सोना, किसी दुर्घटना के कारण, तथा मानसिक तनाव के कारण भी पीठ दर्द की समस्या होती है।

    योगा करने से पीठ दर्द से बचाव हो सकता है। अगर किसी को पीठ दर्द की समस्या है तब भी योगा करने से पीठ दर्द में काफी आराम मिलेगा । ताड़ासन, वक्रासन, शलभासन, भुंजगासन तथा अर्धमत्स्येद्रासन पीठ दर्द में किये जा सकते है।

    वक्रासन: यह योग आसन रीढ की हड्डी के लिए राम बाण है। यह रीढ़ की हड्डी को लचीता बनाते हुए इसको स्वस्थ बनाने में योगदान देता है।

    ताड़ासन: यह आसन पीठ दर्द के लिए बहुत लाभकारी है। अगर इसका सही तरह से अभ्यास किया जाए तो पीठ के दर्द से हमेशा के लिये छुटकारा पाया जा सकता है। इसमें आप ऊपर की ओर अपने आप को खिचतें है और जहाँ पर दर्द है वहां खिंचाव को महसूस करते है।

    शलभासन: शलभासन कमर और पीठ को मजबूत करता है। यह पीठ के लचीलापन को बढ़ाता है जिससे पीठ दर्द में आराम मिलता है।

    भुंजगासन: भुंजगासन को कोबरा पोज़ भी कहा जाता है क्योंकि इसमें शरीर के अगले भाग को कोबरा के फन की तरह उठाया जाता है। इस आसन को करने से पीठ दर्द में बहुत ज्यादा राहत मिलती है। इसको नियमित रूप से किया जाये तो हमेशा के लिये पीठ दर्द से छुटकारा मिल सकता है।

    अर्धमत्स्येन्द्रासन: अर्धमत्स्येद्रासन का नाम महान योगी मत्स्येंद्र नाथ के नाम पर रखा गया है। यह रीढ़ तथा पीठ की पेशियों को मज़बूत करता है। उन्हें लचीला बनाता है। नियमित रूप से करने से पीठ दर्द में राहत मिलती है।

    Question 19
    CBSEHHIPEH12036901

    उच्च रक्तचाप के कारण बताते हुये कोई तीन आसन की विस्तार से व्याख्या करो जिससे उच्च रक्तचाप को नियन्त्रित किया जा सकें।

    Solution

    उच्च रक्त चाप का अर्थ: ऐसी स्थिति जिसमें धमनी की दीवरों के खिलाफ़ खून की ताकत बहुत अधिक होती है।
    उच्च रक्त चाप के कारण:

    1. बढ़ती उम्र है।
    2. आंनुवशिक कारण, मोटापा, शारीरिक गतिविधियों की कमी, धूम्रपान, अल्कोहल, ज़्यादा नमक खाने से, अधिक वसायुक्त भोजन ग्रहण करने से, मानसिक तनाव मधुमेह अन्य महिलाओं की तुलना में गर्भावती महिला भी उच्च रक्त चाप से ग्रस्त हो जाती है। इन सभी कारण सेउच्च रक्त चाप में वृद्धि हो जाती है।

    उच्च रक्त चाप को निम्न आसनों के माध्यम से नियन्त्रित किया जा सकता है:

    (1) ताड़ासन:
    पूर्व स्थिति:
    दोनों पैरो को मिलाकर तथा दोनों हथेलियों को बगल में रखकर सीधे खड़े हो जाये।
    विधि:

    1. पैरो के बल खड़े होकर श्वास भरते हुए हाथ आकाश की ओर खींचते हैं।
    2. एडिया भी उठा लेते है।
    3. थीड़ी देर इसी स्थिति में रहते हुए श्वास छोड़ते हुए खड़े होने की स्थिति में विश्राम करते है।
    4. इस आसन को 1 से 5 बार करें।

    लाभ: शरीर में स्फूर्ति और लम्बाई बढ़ती है। इसके करने से प्रसव पीडा में कमी आती है। लकवे में लाभ होता है। रक्त चाप ठीक रहता है।

    सावधानियाँ: सभी के लिए अच्छा है सिर्फ बीमार व्यक्ति नहीं कर सकता।

    (2) अर्धचक्रासन:

    पूर्व स्थिति: दोनों पैरों को मिलाकर खड़े हो जायें। हाथों को शरीर के पास रखें।
    विधि:

    1. अपने हाथों को कूल्हों पर रखो।
    2. धीमी गति से साँस लेने के साथ अपने घुटनों को झुकाये बिना पीछे मुड़े।
    3. कुछ समय इसी मुद्रा में रहें।


    लाभ: कमर लचीली होती है, रीड़ की हड्डी मजबूत होती है। उच्चरक्त चाप सामान्य हो जाता है। हाथों तथा पैरों की माँसपेशियाँ भी मजबूत होती है।
    सावधानियाँ: पीछे घूमने के दौरान अपने घुटनों को नहीं मोड़े।

    (3) शवासन:
    पूर्व स्थिति:
    दोनों पैर सीधे रखते हुए कमर के बल लेट जाएँ।

    विधि:

    1. दोनों पैरों में एक फुट का अन्तर रखें तथा एड़ी अन्दर व पंजे बाहर रखते हुए बिल्कुल शिथिल अवस्था में छोड़ दे।
    2. दोनों हाथों की हथेलियाँ ऊपर रखते हुए शरीर से थोड़ी दूरी पर शिथिल अवस्था में रखें।
    3. आँंख बन्द करके मन को श्वास पर केन्द्रित करें किसी भी प्रकार का काम या विचार नही आने दें।
    4. पैर से सिर तक के भाग को शिथिल कर लें तथा अनुभव करें कि शरीर केवल शव रह गया है।

    लाभ: सम्पूर्ण शरीर की कोशिकाओं, अंगों रक्तवाहिनी नलिकाओं, उच्चरक्त चाप मास्तिष्क और शारीरिक तनाव को दूर करने में सक्षम है। शारीरिक व मानसिक थकावट दूर होती है।

    सावधानी: शवासन करने का स्थान शान्त व बाह्य प्रदूषण, कोलाहल (शोर) से रहित होना चाहिए।

    Question 20
    CBSEHHIPEH12036902

    मोटापा या स्थूलता से आप क्या समझते है? इससे बचने के लिये कौन से आसन उपयोगी है। विस्तार से बताइये।

    Solution

    मोटापा या स्थूलता: (Obesity) आजकल मोटापा पूरे विश्व की समस्या बन चुका है। मोटापा शरीर की वह दशा होती है जिसमें शरीर में वसा (Fat) की मात्रा बहुत अधिक स्तर तक बढ़ जाती है। दूसरे शब्दों में इस तरह कह सकते है कि ''वह दशा जब एक व्यक्ति का आर्दश भार से 20% या इससे अधिक होता है। मोटापे के ये दो मुख्या कारण है हमारे खान-पान की गलत आदतें तथा पाचन प्रणाली का बिगड़ना। ऐसे व्यक्ति के जीवन में शारीरिक परिश्रण न के बराबर होता है।

    मोटापे के अनेक स्वास्थ्य जोखिमों के कारण इसको बीमारी का दर्जा दिया जा चुका है। मोटापे के कारण व्यक्ति अनेक बीमारियाँ जैसे मधुमेह, अतिरिक्त दबाव, कैंसर, गठिया आदि रोगों का शिकार हो जाते है।

    मोटापे के अनेक कारण है जैसे अत्याधिक भोजन, परिश्रम रहित जीवन, थायराइड, वंशानुगत।

    मोटापे को दूर करने के लिए निम्न आसन करने चाहिये;

    ब्रजासन:
    पूर्व स्थिति: 
    दोनों पैरों को सामने की ओर सीधे रखकर बैठ जाये।
    विधि:

    1. दायें पैर को घुटने से मोड़कर दायें नितम्ब के नीचे रखें।
    2. बाये पैर को घुटने से मोड़कर बाये नितम्ब के नीचे रखें।
    3. कमरे, गर्दन एवं सिर को सीधा रखते हुए दोनों पैरों के अंगूठे मिले हुए, एड़ी खुली हुई, घुटने तथा पैर का निचला भाग जमीन से लगा रहे।
    4. दोनों हाथों को जघांओं पर रखे तथा दृष्टि सामने।

    लाभ:

    1. यह आसन ध्यानात्मक आसन है।
    2. इसे भोजन के पश्चात भी किया जा सकता है। इसमें पाचन संस्थान पर प्रभाव पड़ता हैं।
    3. उपापच मेटा बोलिषम प्रक्रिया ठीक प्रकार से होती है।
    4. भोजन शीघ्र पचता है। पिण्डली और जंघाओं के लिए भी उत्तम है।

    हस्तोत्तानासन:

    पूर्व स्थिति: दोनों पैरों को मिलाकर सीधे खड़े हो जाएँ।

    विधि:

    1. हाथों की हथेलियों आकाश की ओर उगलियों को परस्पर फंसाते हुये ऊपर की तरह ताने हाथ सीधे व कानो से सटे रहे।
    2. श्वास बाहर करते हुए अपनी कमर से दाहिनी ओर 5 से 10 सेकंड करे श्वाम भरते हुए मध्यावस्था में आये इसी को दूसरी और भी करें।

    लाभ:

    1. संपूर्ण शरीर को आराम मिलता है।
    2. बच्चो का कद में सहायक कमर की लचक बढ़ाता है।
    3. उदर-विकार के लिये भी उपयोग कमर की चर्बी कम करता है।

    त्रिकोणासन:

    पूर्व स्थिति: दोनों पैरों को मिलाकर सीधे खड़े हो जाएँ।

    विधि:

    1. दोनों पैरो के बीच मे 3 से 4 फुट का अन्तर ले।
    2. श्वास भरते हुए बायें हाथ को कान से लगाते हुये सीधा करे।
    3. श्वास निकालते हुए दाहिनी ओर झुके दायें हाथ से पैर को अंगुठे को स्पर्श करे।
    4. श्वास भरते हुए सीध होकर हाथ बदलकर बायी ओर झुके।

    लाभ:

    1. इस आसन के प्रभाव से कमर व काटे प्रदेश लचीला होता है।
    2. अनावश्यक चर्बी घटती है।
    3. हाथ कंधे जंघा आदि शक्तिशाली होते है।

    अर्धमत्स्येन्द्रासन:

    पूर्व स्थिति: दोनों पैर सीधे करके बैठे।

    विधि:

    1. दाए पैर के घुटने को मोड़ते हुये एड़ी बाएं नितम्ब के बाहरी तल तक पहुंचाए बाए पैर को मोडे और बाई एडी दाए रखते हुए घुटने के ऊपर से ले जाकर उसके पार दांए घुटने के साथ बाएं एड़ी पंजा जमा दें।
    2. बाया घुटना छाती के समीप रहे। अब काट क्षेत्र से घूमें और दाई बाजु से श्वास निकालते हुए बाएं घुटने को घेरते हुये इस हाथ से बांए पैर के अँगूठे को पकड़े ग्रीवा घड़ सिर बाई ओर मुड़ जाऐगा।
    3. अर्धयत्स्येन्द्रासन पैरों की स्थिति बदल कर आसन के पुन: दोहराए।

    लाभ:

    1. रीड़ की हड्डी मजबूत बनती है, नाड़ियों को लाभ पहुँचता है।
    2. चेरहे पर चमक लाता है, मासिक धर्म नियंत्रित करता है।
    3. पैनक्रियाज ग्रंथि का स्त्राव नियंत्रित होता है। श्वसन तंत्र के लिए बहुत उपयोगी मोटापे को रोकता है।

    Question 21
    CBSEHHIPEH12036903

    मधुमेह का क्या अर्थ है? मधुमेह को नियन्त्रित करने के लिए कोई तीन आसन की विधि लिखो।

    Solution

    मधुमेह (Diabetes) एक खतरनाक बीमारी है। यदि मधुमेह को नियन्त्रित नहीं किया जाये तो इससे गुर्दे फेल होना, आखों की रोशनी कम होना व ह्रदय वाहिका सम्बन्धी बीमारियों के होने का डर होता है। मधुमेह एक ऐसी बीमारी है जो हमारे शरीर के रक्त में शुगर के स्तर को बढ़ा देती है। रक्त में शुगर के स्तर को नियन्त्रित करने में शुगर के लिए इनस्युलिन नामक हारमोन का प्रयोग किया जाता है।

    मधुमेह के कारण व्यक्ति को थकावट होना, पेशाब करने की आवश्यकता बार-बार महसूस करना, हाथों व पैरों का सुन्न हो जाना, दृष्टि धुँधली हो जाना, शरीर क भार का अत्यधिक कम या अधिक हो जाना व घावों का न भरना मधुमेह के सामान्य लक्षण होते है।

    मधुमेह का महत्त्वपूर्ण कारण है लोगों का अपनी जीवन-शैली से व्यायाम तथा सैर का त्यागना।

    भुजंगासन, परिचमोत्तानासन, पवनमुन्तासन और अर्धमत्स्येन्द्रासन नियमित रूप से करने से इस रोग से मुक्ति पा सकते है।

    भुजंगासन:
    पूर्व स्थिति: पूर्व स्थिति पेट के बल जमीन पर सीधे लेट जाँए।

    विधि:

    1. दोनों पैरों को आपस में मिलाकर पीछे की ओर अधिक से अधिक खिचांव दे।
    2. दोनों हाथो को कोहनियों से मोड़कर कंधों के नीचे रखें। अंगुलियाँ बाहर की ओर तथा आपस में मिली हुई।
    3. श्वास भरते हुए छाती के भाग को धीरे- धीरे नाभि तक ऊपर उठा दें। सिरे ओर गर्दन को भी ऊपर खिचें।
    4. श्वास छोड़ते हुए पूर्व की स्थिति में आ जायें।


    पश्चिमोत्तानासन:
    पूर्व स्थिति:
    पूर्व स्थिति दोनों पैर सामने रखते हुए सीधे बैठ पाएँ।

    विधि:

    1. श्वास करते हुए दोनों हाथों को ऊपर ले जाएँ तथा सिर, गर्दन व कमर के भाग को ऊपर की ओर खिंचाव दें।
    2. श्वास छोड़ते हुए दोनों हाथों को नीचे लाएँ तथा कमर के भाग को आगे करते हुए पैरों से लगा दें।
    3. हाथों से पैर के अंगूठे पकडे कोहनियाँ जमीन पर लगाएँ।
    4. माथा छाती व पेट तरह पैरों से लगे हो।

    पवनमुक्तामन:

    पूर्व स्थिति: पूर्व स्थिति पंजे और एड़ी के बल कागासान में बैठें।

    विधि:

    1. नितम्ब भाग को जमीन पर रखें।
    2. दोनों हाथों से दोनों पैर के घुटने से नीचे के भाग पर लपेटें।
    3. दोनों पैरों का वक्ष-स्थल तथा पेट पर अधिक दबाव दें।
    4. कमर, गर्दन व सिर को सीधा रखें।

     

     

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