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योगासन से क्या लाभ है?
योगासनों का सबसे बड़ा लाभ यह है कि वे सहज साध्य हैं और सबकी पहुँच के भीतर है। योगासन एक व्यायाम विधि है जिसमें न तो कुछ अधिक खर्च ही होता है और न ही अधिक साज-समान की आवश्यकता पड़ती है।
शरीर के उन अंगों के नाम लिखों जिनमें अधिक लोचशीलता की आवश्यकता होती है।
ये अंग है:
मोटापा क्या है?
मोटापा शरीर की वह दशा होती है जिसमें शरीर में वसा - (Fat) की मात्रा बहुत अधिक स्तर तक बढ़ जाती है।
अस्थमा से बचाव तथा उसके नियंत्रण के लिए किए जाने वाले योगासन कौन-कौन से है?
अस्थमा से बचाव तथा नियन्त्रण के लिए सुखासन, चक्रासन, गोमुखासन, पर्वतासन, भुजगासन, पश्चिमोत्तासन लाभकारी है।
मधुमेह क्या है?
मधुमेह अर्थात् डायबिटीज मेलिट्स पोषक तत्वों का विकार है जिसके लक्षण हैं रक्त में ग्लूकोज का असामान्य रूप से बढ़ना और मूत्र द्वारा अतिरिक्त ग्लूकोज का उर्त्सजन।
पीठ दर्द के कारण बताए?
यह दर्द निष्क्रिय जीवन व्यतीत करने से पनपता है जैसे कि घंटों कम्प्यूटर के सामने बैठे, रहना, स्वास्थ्य संबंधी गलत आदतें, शारीरिक क्रियाओं या व्यायाम का अभाव।
ऐसे किन्हीं दो आसन का नाम लिखों जो मधुमेह तथा पीठ दर्द के लिये लाभकारी है।
अर्धमत्स्येंद्रासन, भुंजगासन।
उच्च रक्त चाप के क्या कारण है?
उच्च रक्त चाप का मुख्य कारण तनाव व गलत जीवन शैली है। इसके अतिरिक्त धूम्रपान, चाय, कॉफी का अधिक सेवन भोजन में अधिक तेल तथा मसालों का सेवन तथा कोलायुक्त पेय पदार्थ का सेवन उच्च रक्त चाप के कारण माने जाते है।
योग शब्द का अर्थ बताइये।
योग शब्द संस्कृत भाषा के 'युज' शब्द से लिया गया है जिसका अर्थ है जोड़ना या मिलाना।
योगासन के शरीर पर क्रियात्मक लाभ बताइयें।
योगासन करने से हमारे शरीर पर क्रियात्मक लाभ होते है। योग शरीर के आंतरिक और बाहरी अंगों को स्वस्थ रखता है:
वक्रासन और शलभासन पीठ दर्द से बचाव करते है। आसन की विधि बताइये।
वक्रासन बैठ कर किये जाने वाला आसन है। इस आसन में रीड़ की हड्डी मुड़ी हुई होती है। इसलिए इसका नाम वक्रासन रखा गया है। यह आसन रीढ़ की हड्डी की सक्रियता को बढ़ाता है।
पूर्व स्थिति: दोनों पैर सामने की ओर रखकर सीधे बैठ जाए।
विधि: दोनों पैरों को फैलाकर ज़मीन पर बैठे दोनों पैरों की के बीच दूरी कम से कम हो:
लाभ:
यह रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाते हुए इसको स्वस्थ रखता है। पीठ के ऐंठन को कम करता है। रीढ़ की चोट से बचाता है तथा पीठ दर्द से छुटकारा दिलाता है।
शलभासन: शलभ का अर्थ टिड्डी होता है। आसान की अंतिम मुद्रा में शरीरि टिड्डी (LOCUST) जैसे लगता है। इसलिए इन्हें इन नाम से जाना जाता है।
विधि:
लाभ:
पीठ दर्द के लिये बहुत लाभकारी आसन है, लचीलापन बढ़ता है, वजन कम करता है, साइटिका को ठीक करने में अहम भूमिका निभाता है।
अस्थमा के बचाव के लिये कोई तीन आसन की विधि बताइयें।
गोमुखासन: यह योग करते समय शरीर का आकार गाय के मुख के समान होने के कारण इसे गोमुखासन कहा जाता है।अंग्रेजी में इसें The Cow Face Pose भी कहा जाता है।
पूर्व स्थिति: - सुखासन या दण्डासन में बैठ जाए।
विधि:
पर्वतसान: इस आसन को करते समय मनुष्य की आकृति एक पर्वत के समान हो जाती है जिसके कारण इसे पर्वतासन कहते है यह आसन करने में बहुत ही सरल होता है।
पूर्व स्थिति: पद्मासन में बैठ जाए।
विधि: ज़मीन पर दरी या आसन पर पद्मासन में बैठे।
अपने हाथों की उँगलियों को आपस में फंसा लें। लम्बी श्वास लेते हुए अपने हाथों को ऊपर की तरह इस तरह से ले जाएं कि आपके हाथ सिर के ऊपर हो और हाथों की हथेलियां बाहर की ओर खुली रहें।
लाभ: अस्थमा की बीमारी में बहुत ही लाभदायक है, रक्त साफ़ करता है। सीना चौड़ा और कंधों को मजबूती देता है। फेफड़े स्वस्थ रहते है।
मत्स्यासन: यह आसान पानी में किया जाये तो शरीर मछली कि तरह तैरने लग जाता है, इसलिए इसे मत्स्यासन कहते है।
पूर्व स्थिति: दोनों पैरो को सीधा रखकर बैठ जाएँ।
विधि:
लाभ: यह आसन दमे के रोगियों के लिए बहुत फायदेमंद है। शुद्व रक्त का निर्माण तथा संचार करता है। मधुमेह तथा पेट के रोग दूर होते है। कब्ज़ दूर करता है, खाँसी दूर होती है, चेहरे और त्वचा को आकर्षक बनाता है।
जीवन शैली सम्बन्धी बीमारियों से बचाव में योग की क्या भूमिका है।
जीवन शैली से सम्बन्धित बीमारियों से बचाव में योग महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। योग निश्चित रूप से सभी प्रकार के बंधनों से मुक्ति प्रदान करने का साधन है, चिकित्सा शोधों ने योग से होने वाले कई शारीरिक और मानसिक लाभों के बारे में बताया है:
राम एक सफल व्यवसायी है वह अपने व्यवसाय को बढ़ाने के लिये बहुत मेहनत करता है। यही कारण है कि वह अपने कार्यालय से देर से जाता है। वह सुबह देर से उठता है और किसी भी शारीरिक गतिविधियों के बिना वह कार्यालय को छोड़ देता है। वह तनाव के कारण कमजोर होता जा रहा है।
अस्थमा से आप क्या समझते है? इनके-लक्षण व कारण बताते हुएँ कोई दो आसन की विधि बताइये जिससे अस्थमा को रोका जा सकता है।
अस्थमा (Asthma): अस्थमा एक बीमारी है जो श्वास नलिकाओं से संबंधित है इन नलिकाओं की भीतरी दीवार में सूजन आ जाती है जो कि नलिकाओं को बहुत संवेदनशील बना देती है तथा किसी भी प्रभावित करने वाली चीज के स्पर्श से यह तीखी प्रतिक्रिया करती है।
इस प्रतिक्रिया से नलिकाओं में सकुंचन होता है। इसमें फेफड़ों में हवा की मात्रा कम हो जाती है जिससे रोग ग्रस्त व्यक्ति कों सांस लेना मुश्किल हो जाता है।
लक्षण: खाँसी का दौरा होना, दिल की धड़कन बढ़ना, सांस की रफ्तार बढ़ना बचैनी होना, सीने में जकड़न, थकावट, हाथों, पैरों, कंधों व पीठ में दर्द होना अस्थमा के लक्षण है।
कारण: धूल, धुआ, वायु प्रदूषण आनुवशिकता, पराग कण, जानवरों की त्वचा बाल या पंख आदि इसके प्रमुख कारण है। अस्थमा को सुखासन चक्रासन, गोमुखासन, पर्वतासन, भुंजगासन, पश्चिमोत्तानासन तथा मत्स्यासन से नियंत्रित किया जा सकता है।
(1) सुखासन:
पूर्व स्थिति: दोनों पैर सामने की ओर रखकर सीधे बैठ जाएं।
विधि:
लाभ:
सावधानियाँ: रीढ़ की हड्डी में किसी प्रकार की चोट हो तो अधिक समय तक ना बैठे, घुटनों के जोड़ों में परेशानी हो तो ये आसन ना करें।
(2)चक्रासन:
पूर्व स्थिति: दोनों पैर सीधे करते हुए कमर के बल लेट जायें।
विधि:
लाभ:
सावधानी: पूर्णता प्राप्त करने से पूर्व बार-बार अभ्यास करें।
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क्या पीठ दर्द एक समस्या है? अगर है तो इस समस्या का योग आसनों से कैसे बचाव किया जा सकता है।
पीठ दर्द एक व्यापक समस्या है। दुनिया भर में लोग बदलती और निष्क्रिय जीवन शैली के चलतें तरह-तरह की समस्याओं से ग्रस्त हो रहे है। पीठ दर्द उनमें से एक है दुनिया भर में एक जगह बैठकर काम करने वाले लोगों में से प्रतिशत और बाकि अन्य लोगों में 80 प्रतिशत लोग ठीठ दर्द से परेशान है और इसमें महिलाओं की संख्या अधिक है। इसके मुख्य कारण है। लम्बे समय तक बैठना, आधुनिक उपकरणों की आदत, अधिक फैशनेबल होना, व्यायाम करने के सही तरीके का ज्ञान ना होना, अधिक वजन अधिक वजन उठाना, गलत तरीके से सोना, किसी दुर्घटना के कारण, तथा मानसिक तनाव के कारण भी पीठ दर्द की समस्या होती है।
योगा करने से पीठ दर्द से बचाव हो सकता है। अगर किसी को पीठ दर्द की समस्या है तब भी योगा करने से पीठ दर्द में काफी आराम मिलेगा । ताड़ासन, वक्रासन, शलभासन, भुंजगासन तथा अर्धमत्स्येद्रासन पीठ दर्द में किये जा सकते है।
वक्रासन: यह योग आसन रीढ की हड्डी के लिए राम बाण है। यह रीढ़ की हड्डी को लचीता बनाते हुए इसको स्वस्थ बनाने में योगदान देता है।
ताड़ासन: यह आसन पीठ दर्द के लिए बहुत लाभकारी है। अगर इसका सही तरह से अभ्यास किया जाए तो पीठ के दर्द से हमेशा के लिये छुटकारा पाया जा सकता है। इसमें आप ऊपर की ओर अपने आप को खिचतें है और जहाँ पर दर्द है वहां खिंचाव को महसूस करते है।
शलभासन: शलभासन कमर और पीठ को मजबूत करता है। यह पीठ के लचीलापन को बढ़ाता है जिससे पीठ दर्द में आराम मिलता है।
भुंजगासन: भुंजगासन को कोबरा पोज़ भी कहा जाता है क्योंकि इसमें शरीर के अगले भाग को कोबरा के फन की तरह उठाया जाता है। इस आसन को करने से पीठ दर्द में बहुत ज्यादा राहत मिलती है। इसको नियमित रूप से किया जाये तो हमेशा के लिये पीठ दर्द से छुटकारा मिल सकता है।
अर्धमत्स्येन्द्रासन: अर्धमत्स्येद्रासन का नाम महान योगी मत्स्येंद्र नाथ के नाम पर रखा गया है। यह रीढ़ तथा पीठ की पेशियों को मज़बूत करता है। उन्हें लचीला बनाता है। नियमित रूप से करने से पीठ दर्द में राहत मिलती है।
उच्च रक्तचाप के कारण बताते हुये कोई तीन आसन की विस्तार से व्याख्या करो जिससे उच्च रक्तचाप को नियन्त्रित किया जा सकें।
उच्च रक्त चाप का अर्थ: ऐसी स्थिति जिसमें धमनी की दीवरों के खिलाफ़ खून की ताकत बहुत अधिक होती है।
उच्च रक्त चाप के कारण:
उच्च रक्त चाप को निम्न आसनों के माध्यम से नियन्त्रित किया जा सकता है:
(1) ताड़ासन:
पूर्व स्थिति: दोनों पैरो को मिलाकर तथा दोनों हथेलियों को बगल में रखकर सीधे खड़े हो जाये।
विधि:
लाभ: शरीर में स्फूर्ति और लम्बाई बढ़ती है। इसके करने से प्रसव पीडा में कमी आती है। लकवे में लाभ होता है। रक्त चाप ठीक रहता है।
सावधानियाँ: सभी के लिए अच्छा है सिर्फ बीमार व्यक्ति नहीं कर सकता।
(2) अर्धचक्रासन:
पूर्व स्थिति: दोनों पैरों को मिलाकर खड़े हो जायें। हाथों को शरीर के पास रखें।
विधि:
लाभ: कमर लचीली होती है, रीड़ की हड्डी मजबूत होती है। उच्चरक्त चाप सामान्य हो जाता है। हाथों तथा पैरों की माँसपेशियाँ भी मजबूत होती है।
सावधानियाँ: पीछे घूमने के दौरान अपने घुटनों को नहीं मोड़े।
(3) शवासन:
पूर्व स्थिति: दोनों पैर सीधे रखते हुए कमर के बल लेट जाएँ।
विधि:
लाभ: सम्पूर्ण शरीर की कोशिकाओं, अंगों रक्तवाहिनी नलिकाओं, उच्चरक्त चाप मास्तिष्क और शारीरिक तनाव को दूर करने में सक्षम है। शारीरिक व मानसिक थकावट दूर होती है।
सावधानी: शवासन करने का स्थान शान्त व बाह्य प्रदूषण, कोलाहल (शोर) से रहित होना चाहिए।
मोटापा या स्थूलता से आप क्या समझते है? इससे बचने के लिये कौन से आसन उपयोगी है। विस्तार से बताइये।
मोटापा या स्थूलता: (Obesity) आजकल मोटापा पूरे विश्व की समस्या बन चुका है। मोटापा शरीर की वह दशा होती है जिसमें शरीर में वसा (Fat) की मात्रा बहुत अधिक स्तर तक बढ़ जाती है। दूसरे शब्दों में इस तरह कह सकते है कि ''वह दशा जब एक व्यक्ति का आर्दश भार से 20% या इससे अधिक होता है। मोटापे के ये दो मुख्या कारण है हमारे खान-पान की गलत आदतें तथा पाचन प्रणाली का बिगड़ना। ऐसे व्यक्ति के जीवन में शारीरिक परिश्रण न के बराबर होता है।
मोटापे के अनेक स्वास्थ्य जोखिमों के कारण इसको बीमारी का दर्जा दिया जा चुका है। मोटापे के कारण व्यक्ति अनेक बीमारियाँ जैसे मधुमेह, अतिरिक्त दबाव, कैंसर, गठिया आदि रोगों का शिकार हो जाते है।
मोटापे के अनेक कारण है जैसे अत्याधिक भोजन, परिश्रम रहित जीवन, थायराइड, वंशानुगत।
मोटापे को दूर करने के लिए निम्न आसन करने चाहिये;
ब्रजासन:
पूर्व स्थिति: दोनों पैरों को सामने की ओर सीधे रखकर बैठ जाये।
विधि:
लाभ:
हस्तोत्तानासन:
पूर्व स्थिति: दोनों पैरों को मिलाकर सीधे खड़े हो जाएँ।
विधि:
लाभ:
त्रिकोणासन:
पूर्व स्थिति: दोनों पैरों को मिलाकर सीधे खड़े हो जाएँ।
विधि:
लाभ:
अर्धमत्स्येन्द्रासन:
पूर्व स्थिति: दोनों पैर सीधे करके बैठे।
विधि:
लाभ:
मधुमेह का क्या अर्थ है? मधुमेह को नियन्त्रित करने के लिए कोई तीन आसन की विधि लिखो।
मधुमेह (Diabetes) एक खतरनाक बीमारी है। यदि मधुमेह को नियन्त्रित नहीं किया जाये तो इससे गुर्दे फेल होना, आखों की रोशनी कम होना व ह्रदय वाहिका सम्बन्धी बीमारियों के होने का डर होता है। मधुमेह एक ऐसी बीमारी है जो हमारे शरीर के रक्त में शुगर के स्तर को बढ़ा देती है। रक्त में शुगर के स्तर को नियन्त्रित करने में शुगर के लिए इनस्युलिन नामक हारमोन का प्रयोग किया जाता है।
मधुमेह के कारण व्यक्ति को थकावट होना, पेशाब करने की आवश्यकता बार-बार महसूस करना, हाथों व पैरों का सुन्न हो जाना, दृष्टि धुँधली हो जाना, शरीर क भार का अत्यधिक कम या अधिक हो जाना व घावों का न भरना मधुमेह के सामान्य लक्षण होते है।
मधुमेह का महत्त्वपूर्ण कारण है लोगों का अपनी जीवन-शैली से व्यायाम तथा सैर का त्यागना।
भुजंगासन, परिचमोत्तानासन, पवनमुन्तासन और अर्धमत्स्येन्द्रासन नियमित रूप से करने से इस रोग से मुक्ति पा सकते है।
भुजंगासन:
पूर्व स्थिति: पूर्व स्थिति पेट के बल जमीन पर सीधे लेट जाँए।
विधि:
पश्चिमोत्तानासन:
पूर्व स्थिति: पूर्व स्थिति दोनों पैर सामने रखते हुए सीधे बैठ पाएँ।
विधि:
पवनमुक्तामन:
पूर्व स्थिति: पूर्व स्थिति पंजे और एड़ी के बल कागासान में बैठें।
विधि:
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