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योग और जीवन शैली

Question
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मोटापा या स्थूलता से आप क्या समझते है? इससे बचने के लिये कौन से आसन उपयोगी है। विस्तार से बताइये।

Solution

मोटापा या स्थूलता: (Obesity) आजकल मोटापा पूरे विश्व की समस्या बन चुका है। मोटापा शरीर की वह दशा होती है जिसमें शरीर में वसा (Fat) की मात्रा बहुत अधिक स्तर तक बढ़ जाती है। दूसरे शब्दों में इस तरह कह सकते है कि ''वह दशा जब एक व्यक्ति का आर्दश भार से 20% या इससे अधिक होता है। मोटापे के ये दो मुख्या कारण है हमारे खान-पान की गलत आदतें तथा पाचन प्रणाली का बिगड़ना। ऐसे व्यक्ति के जीवन में शारीरिक परिश्रण न के बराबर होता है।

मोटापे के अनेक स्वास्थ्य जोखिमों के कारण इसको बीमारी का दर्जा दिया जा चुका है। मोटापे के कारण व्यक्ति अनेक बीमारियाँ जैसे मधुमेह, अतिरिक्त दबाव, कैंसर, गठिया आदि रोगों का शिकार हो जाते है।

मोटापे के अनेक कारण है जैसे अत्याधिक भोजन, परिश्रम रहित जीवन, थायराइड, वंशानुगत।

मोटापे को दूर करने के लिए निम्न आसन करने चाहिये;

ब्रजासन:
पूर्व स्थिति: 
दोनों पैरों को सामने की ओर सीधे रखकर बैठ जाये।
विधि:

  1. दायें पैर को घुटने से मोड़कर दायें नितम्ब के नीचे रखें।
  2. बाये पैर को घुटने से मोड़कर बाये नितम्ब के नीचे रखें।
  3. कमरे, गर्दन एवं सिर को सीधा रखते हुए दोनों पैरों के अंगूठे मिले हुए, एड़ी खुली हुई, घुटने तथा पैर का निचला भाग जमीन से लगा रहे।
  4. दोनों हाथों को जघांओं पर रखे तथा दृष्टि सामने।

लाभ:

  1. यह आसन ध्यानात्मक आसन है।
  2. इसे भोजन के पश्चात भी किया जा सकता है। इसमें पाचन संस्थान पर प्रभाव पड़ता हैं।
  3. उपापच मेटा बोलिषम प्रक्रिया ठीक प्रकार से होती है।
  4. भोजन शीघ्र पचता है। पिण्डली और जंघाओं के लिए भी उत्तम है।

हस्तोत्तानासन:

पूर्व स्थिति: दोनों पैरों को मिलाकर सीधे खड़े हो जाएँ।

विधि:

  1. हाथों की हथेलियों आकाश की ओर उगलियों को परस्पर फंसाते हुये ऊपर की तरह ताने हाथ सीधे व कानो से सटे रहे।
  2. श्वास बाहर करते हुए अपनी कमर से दाहिनी ओर 5 से 10 सेकंड करे श्वाम भरते हुए मध्यावस्था में आये इसी को दूसरी और भी करें।

लाभ:

  1. संपूर्ण शरीर को आराम मिलता है।
  2. बच्चो का कद में सहायक कमर की लचक बढ़ाता है।
  3. उदर-विकार के लिये भी उपयोग कमर की चर्बी कम करता है।

त्रिकोणासन:

पूर्व स्थिति: दोनों पैरों को मिलाकर सीधे खड़े हो जाएँ।

विधि:

  1. दोनों पैरो के बीच मे 3 से 4 फुट का अन्तर ले।
  2. श्वास भरते हुए बायें हाथ को कान से लगाते हुये सीधा करे।
  3. श्वास निकालते हुए दाहिनी ओर झुके दायें हाथ से पैर को अंगुठे को स्पर्श करे।
  4. श्वास भरते हुए सीध होकर हाथ बदलकर बायी ओर झुके।

लाभ:

  1. इस आसन के प्रभाव से कमर व काटे प्रदेश लचीला होता है।
  2. अनावश्यक चर्बी घटती है।
  3. हाथ कंधे जंघा आदि शक्तिशाली होते है।

अर्धमत्स्येन्द्रासन:

पूर्व स्थिति: दोनों पैर सीधे करके बैठे।

विधि:

  1. दाए पैर के घुटने को मोड़ते हुये एड़ी बाएं नितम्ब के बाहरी तल तक पहुंचाए बाए पैर को मोडे और बाई एडी दाए रखते हुए घुटने के ऊपर से ले जाकर उसके पार दांए घुटने के साथ बाएं एड़ी पंजा जमा दें।
  2. बाया घुटना छाती के समीप रहे। अब काट क्षेत्र से घूमें और दाई बाजु से श्वास निकालते हुए बाएं घुटने को घेरते हुये इस हाथ से बांए पैर के अँगूठे को पकड़े ग्रीवा घड़ सिर बाई ओर मुड़ जाऐगा।
  3. अर्धयत्स्येन्द्रासन पैरों की स्थिति बदल कर आसन के पुन: दोहराए।

लाभ:

  1. रीड़ की हड्डी मजबूत बनती है, नाड़ियों को लाभ पहुँचता है।
  2. चेरहे पर चमक लाता है, मासिक धर्म नियंत्रित करता है।
  3. पैनक्रियाज ग्रंथि का स्त्राव नियंत्रित होता है। श्वसन तंत्र के लिए बहुत उपयोगी मोटापे को रोकता है।

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