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योग और जीवन शैली

Question
CBSEHHIPEH12036901

उच्च रक्तचाप के कारण बताते हुये कोई तीन आसन की विस्तार से व्याख्या करो जिससे उच्च रक्तचाप को नियन्त्रित किया जा सकें।

Solution

उच्च रक्त चाप का अर्थ: ऐसी स्थिति जिसमें धमनी की दीवरों के खिलाफ़ खून की ताकत बहुत अधिक होती है।
उच्च रक्त चाप के कारण:

  1. बढ़ती उम्र है।
  2. आंनुवशिक कारण, मोटापा, शारीरिक गतिविधियों की कमी, धूम्रपान, अल्कोहल, ज़्यादा नमक खाने से, अधिक वसायुक्त भोजन ग्रहण करने से, मानसिक तनाव मधुमेह अन्य महिलाओं की तुलना में गर्भावती महिला भी उच्च रक्त चाप से ग्रस्त हो जाती है। इन सभी कारण सेउच्च रक्त चाप में वृद्धि हो जाती है।

उच्च रक्त चाप को निम्न आसनों के माध्यम से नियन्त्रित किया जा सकता है:

(1) ताड़ासन:
पूर्व स्थिति:
दोनों पैरो को मिलाकर तथा दोनों हथेलियों को बगल में रखकर सीधे खड़े हो जाये।
विधि:

  1. पैरो के बल खड़े होकर श्वास भरते हुए हाथ आकाश की ओर खींचते हैं।
  2. एडिया भी उठा लेते है।
  3. थीड़ी देर इसी स्थिति में रहते हुए श्वास छोड़ते हुए खड़े होने की स्थिति में विश्राम करते है।
  4. इस आसन को 1 से 5 बार करें।

लाभ: शरीर में स्फूर्ति और लम्बाई बढ़ती है। इसके करने से प्रसव पीडा में कमी आती है। लकवे में लाभ होता है। रक्त चाप ठीक रहता है।

सावधानियाँ: सभी के लिए अच्छा है सिर्फ बीमार व्यक्ति नहीं कर सकता।

(2) अर्धचक्रासन:

पूर्व स्थिति: दोनों पैरों को मिलाकर खड़े हो जायें। हाथों को शरीर के पास रखें।
विधि:

  1. अपने हाथों को कूल्हों पर रखो।
  2. धीमी गति से साँस लेने के साथ अपने घुटनों को झुकाये बिना पीछे मुड़े।
  3. कुछ समय इसी मुद्रा में रहें।


लाभ: कमर लचीली होती है, रीड़ की हड्डी मजबूत होती है। उच्चरक्त चाप सामान्य हो जाता है। हाथों तथा पैरों की माँसपेशियाँ भी मजबूत होती है।
सावधानियाँ: पीछे घूमने के दौरान अपने घुटनों को नहीं मोड़े।

(3) शवासन:
पूर्व स्थिति:
दोनों पैर सीधे रखते हुए कमर के बल लेट जाएँ।

विधि:

  1. दोनों पैरों में एक फुट का अन्तर रखें तथा एड़ी अन्दर व पंजे बाहर रखते हुए बिल्कुल शिथिल अवस्था में छोड़ दे।
  2. दोनों हाथों की हथेलियाँ ऊपर रखते हुए शरीर से थोड़ी दूरी पर शिथिल अवस्था में रखें।
  3. आँंख बन्द करके मन को श्वास पर केन्द्रित करें किसी भी प्रकार का काम या विचार नही आने दें।
  4. पैर से सिर तक के भाग को शिथिल कर लें तथा अनुभव करें कि शरीर केवल शव रह गया है।

लाभ: सम्पूर्ण शरीर की कोशिकाओं, अंगों रक्तवाहिनी नलिकाओं, उच्चरक्त चाप मास्तिष्क और शारीरिक तनाव को दूर करने में सक्षम है। शारीरिक व मानसिक थकावट दूर होती है।

सावधानी: शवासन करने का स्थान शान्त व बाह्य प्रदूषण, कोलाहल (शोर) से रहित होना चाहिए।

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