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उपभोक्ता के बजट सेट से आप क्या समझते हैं?
उपभोक्ता का बजट सेट उन वस्तुओं के सभी मंडलों का संग्रह है, जिन्हें उपभोक्ता प्रचलित बाज़ार कीमत पर अपनी आय से खरीद सकता है।
बजट रेखा क्या है?
बजट रेखा उन सभी बंडलों का प्रतिनिधित्व करती है जिन पर उपभोक्ता की संपूर्ण आय व्यय हो जाती है। बजट रेखा की प्रवणता ऋणात्मक होती है। यदि कीमतों या आय दोनों में से किसी एक में परिवर्तन आता है, तो बजट सेट में भी परिवर्तन आ जाता है।
एक उपभोक्ता दो वस्तुओं का उपभोग करने के लिए इच्छुक है। दोनों वस्तुओं की कीमत क्रमशः 4 रूपए तथा ₹ 5 रूपए है। उपभोक्ता की आय 20 रूपए है:
एक उपभोक्ता दो वस्तुओं का उपभोग करने के लिए इच्छुक हैं। दोनों वस्तुओं की कीमत क्रमश: 4 रुपए तथा 5 रुपए हैं। उपभोक्ता की आय 20 रुपए है:
यदि उपभोक्ता की आय बढ़कर 40 रुपए हो जाती है, परन्तु कीमत अपरिवर्तित रहती है तो बजट रेखा में क्या परिवर्तन होता है?
उपभोक्ता की आय बढ़ने पर बजट रेखा का समीकरण निम्नलिखित प्रकार से बदल जाएगा:
4x1 + 5x2 = 40
इस समीकरण के अनुसार:
4x1 + 5 x 0 = 40
4x1 = 40
4 x 0 + 5x2 = 40
5x2 = 40
x2 = 40/5 = 8
इस प्रकार, उपभोक्ता अपनी आय से वस्तु 1 की अधिकतम 10 और वस्तु 2 की 8 इकाइयाँ खरीद सकेगा। बजट रेखा में निम्नलिखित परिवर्तन होगा:
रेखाचित्र में PQ प्रारंभिक बजट रेखा है। जब उपभोक्ता की आय 20 रूपए से बढ़कर 40 रूपए हो जाती हैं, तो बजट रेखा PQ से बढ़कर P1Q1 हो जाएगी।
एक उपभोक्ता दो वस्तुओं का उपभोग करने के लिए इच्छुक हैं। दोनों वस्तुओं की कीमत क्रमश: 4 रुपए तथा 5 रुपए हैं। उपभोक्ता की आय 20 रुपए है:
यदि वस्तु 2 की कीमत में एक रुपए की गिरावट आ जाए परन्तु वस्तु 1 की कीमत में तथा उपभोक्ता की आय में कोई परिवर्तन नहीं हो, तो बजट रेखा में क्या परिवर्तन आएगा?
पुरानी p2 = 5
नई p2 = 5 - 1 = 4 रूपए
इसलिए नई:
p2 में परिवर्तन से बजट रेखा में निम्नलिखित परिवर्तन आएगा
रेखाचरित्र में PQ प्रारंभिक बजट रेखा है, जबकि P1Q नई बजट रेखा है।
एक उपभोक्ता दो वस्तुओं का उपभोग करने के लिए इच्छुक हैं। दोनों वस्तुओं की कीमत क्रमश: 4 रुपए तथा 5 रुपए हैं। उपभोक्ता की आय 20 रुपए है:
अगर कीमतें और उपभोक्ता की आय दोनों दुगुनी हो जाए, तो बजट सेट कैसा होगा?
पुरानी M = 20
नई M = 20 x 2 = 40 रूपए
पुरानी p1 = 4
नई p1 = 4 x 2 = 8 रूपए
नई x1 = 40/8 = 5 इकाइयाँ
पुरानी p2 = 5
नई p2 = 5 x 2 = 10 रूपए
नई x2 = 40/10 = 4 इकाइयाँ
चूँकि बजट रेखा के सभी तत्व (x1 और x2) पहले के समान ही है इसलिए बजट सेट भी समान रहेगा।
मान लीजिए कि कोई उपभोक्ता अपनी पूरी आय का व्यय करके वस्तु 1 की 6 इकाइयाँ तथा वस्तु 2 की 8 इकाइयाँ खरीद सकता है। दोनों वस्तुओं की कीमतें क्रमश: 6 रुपए तथा 8 रुपए हैं। उपभोक्ता की आय कितनी है?
वस्तु 1 की इकाइयाँ (x1) = 6
वस्तु 1 की कीमत (p1) = 6
वस्तु 2 की इकाइयाँ (x2) = 8
वस्तु 2 की कीमत (p2) = 8
बजट रेखा समीकरण के अनुसार:
M = p1x1 + p2x2
= 6 x 6 + 8 x 8
= 36 + 64 = 100 रु
अतः उपभोक्ता की आय 100 रूपए है।
मान लीजिए, उपभोक्ता दो ऐसी वस्तुओं का उपभोग करना चाहता है जो केवल पूर्णांक इकाइयों में उपलब्ध हैं। दोनों वस्तुओं की कीमत 10 रुपए के बराबर ही है तथा उपभोक्ता की आय 40 रुपए है।
'एकदिष्ट अधिमान' से आप क्या समझते हैं?
एकदिष्ट अधिमान: एकदिष्ट अधिमान का अर्थ यह हैं कि एक उपभोक्ता किन्हीं दो बंडलोंमें से उस बंडल को अधिमान देता है जिसे इन वस्तुओं में से कम-से-कम एक वस्तु की अधिक मात्रा हो और दूसरे बंडल की तुलना में दूसरी वस्तु की भी कम मात्रा न हो।
यदि एक उपभोक्ता के अधिमान एकदिष्ट हैं, तो क्या वह बंडल (10, 8) और बंडल (8, 6) के बीच तटस्थ हो सकता है ?
यदि एक उपभोक्ता के अधिमान एकदिष्ट हैं, तो वह बंडल (10, 8) को (8, 6) से अधिक प्राथमिकता देगा, क्योंकि इस बंडल में दोनों वस्तुओं की इकाइयाँ दूसरे बंडल की दोनों वस्तुओं की इकाइयों से अधिक हैं।
मान लीजिए, कि उपभोक्ता के अधिमान एकदिष्ट हैं। बंडल (10, 10), (10, 9) तथा (9, 9) पर उसके अधिमान श्रेणीकरण के विषय में आप क्या बता सकते हैं?
यदि उपभोक्ता के अधिमान एकदिष्ट हैं, तो हम विभिन्न बंडलों को निम्नलिखित प्राथमिकता देंगे:
बंडल | प्राथमिकता |
(10, 10) | I |
(10, 9) | II |
(9, 9) | III |
मान लीजिए कि आपका मित्र, बंडल (5, 6) तथा (6, 6) केबीच तटस्थ है। क्या आपके मित्र केअधिमान एकदिष्ट हैं?
यदि हमारा मित्र बंडल (5, 6) और (6, 6) के बीच तटस्थ है तो उसके अधिमान एकदिष्ट नहीं हैं, क्योंकि यदि एक उपभोक्ता के अधिमान एकदिष्ट हैं तो वह बंडल (6, 6) को (5, 6) से अधिक प्राथमिकता देता।
मान लीजिए कि बाजार में एक ही वस्तु केलिए दो उपभोक्ता हैं तथा उनके माँग फलन इस प्रकार हैं:
d1(p) = 20 - p किसी भी ऐसी कीमत केलिए जो 15 से कम या बराबर हो तथा
d1(p) = 0 किसी भी ऐसी कीमत के लिए जो 15 से अधिक हो।
d2(p) = 30 - 2p किसी भी कीमत के लिए जो 15 से कम या बराबर हो और
d2(p) = 0 किसी भी ऐसी कीमत के लिए जो 15 से अधिक हो।
बाज़ार माँग फलन को ज्ञात कीजिए।
d1(p) = 20 - p ...(i)
d2(p) = 30 - 2p ...(ii)
बाज़ार माँग (d1 + d2) = 50 - 3p
इस प्रकार बाज़ार माँग 15 रूपए से कम या बराबर वाली कीमत पर 50 - 3p और 15 रूपए से अधिक कीमत पर शून्य (0) होगी।
मान लीजिए, वस्तु के लिए 20 उपभोक्ता हैं तथा उनके माँग फलन एक जैसे हैं:
d(p) = 10 - 3p किसी ऐसी कीमत के लिए जो से कम हो अथवा बराबर हो तथा
d1(p) = 0 किसी ऐसी कीमत पर से अधिक है।
बाज़ार माँग फलन क्या है?
उपभोक्ताओं की संख्या = 20
एक उपभोक्ता का माँग फलन = d(p) = 10 - 3p क्योंकि
चूँकि सभी 20 उपभोक्ताओं के माँग फलन एक जैसे हैं, अत: बाज़ार माँग फलन व्यक्तिगत माँग फलन का गुना होगा।
बाज़ार माँग फलन = 20 (10 - 3p) क्योंकि
= 200 - 60p क्योंकि
एक ऐसे बाज़ार को लीजिए, जहाँ केवल दो उपभोक्ता हैं तथा मान लीजिए, वस्तु के लिए उनकी माँगें इस प्रकार हैं:
p | d1 | d2 |
1 | 9 | 24 |
2 | 8 | 20 |
3 | 7 | 18 |
4 | 6 | 16 |
5 | 5 | 14 |
6 | 4 | 12 |
वस्तु के लिए बाज़ार माँग की गणना कीजिए।
वस्तु के लिए बाज़ार माँग तालिका:
कीमत रूपए (p) |
उपभोक्ता (1) द्वारा माँगी गई मात्रा (d1) | उपभोक्ता (2) द्वारा माँगी गई मात्रा (d2) | बाज़ार माँग (d1 + d2) |
1 | 9 | 24 | 33 |
2 | 8 | 20 | 28 |
3 | 7 | 18 | 25 |
4 | 6 | 16 | 22 |
5 | 5 | 14 | 19 |
6 | 4 | 12 | 16 |
सामान्य वस्तु से आप क्या समझते हैं?
सामान्य सामान्य वस्तुएँ से अभिप्राय उन वस्तुओं से हैं जिनका उपभोक्ता की आय के साथ सीधा संबंध होता है। अर्थात् जब उपभोक्ता की आय में वृद्धि होती है तब उस वस्तु की माँग बढ़ती है अथवा उपभोक्ता की आय में कमी के साथ ही उस वस्तु की माँग भी कम हो जाती है। उदाहरण के लिए: चावल, गेहूं इत्यादि।
निम्नस्तरीय वस्तु को परिभाषित कीजिए। कुछ उदाहरण दीजिए।
निम्नस्तरीय वस्तुएँ ऐसी वस्तुओं को कहा जाता है जिनका उपभोक्ता की आय के साथ विपरीत दिशा में संबंध होता है अर्थात् उपभोक्ता की आय बढ़ने पर जिस वस्तु की माँग कम होती है अथवा उपभोक्ता की आय कम होने पर जिस वस्तु की माँग बढ़ती है वह निम्नस्तरीय वस्तुएँ कहलाती है। उदाहरण के लिए मोटे अनाज (जैसे: ज्वार, बाजरा,) निम्नस्तरीय खाद्य पदार्थ इत्यादि।
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स्थानापन्न वस्तु को परिभाषित कीजिए। ऐसी दो वस्तुओं के उदाहरण दीजिए जो एक-दूसरे के स्थानापन्न हैं।
स्थानापन्न वस्तुओं से अभिप्राय उन वस्तुओं से है जो एक ही उद्देश्य की पूर्ति के लिए एक दूसरे के स्थान पर प्रयोग की जा सकती है। स्थानापन्न वस्तु में से एक वस्तु की माँग तथा दूसरी वस्तु की कीमत में घनात्मक संबंध होता है। एक वस्तु की कीमत बढ़ने पर उसकी स्थानापन्न वस्तु की माँग बढ़ती है अथवा विपरीत। उदाहरण के लिए: चाय और कॉफी, चीनी और गुड़, पेप्सी और कोका- कोला।
पूरकों को परिभाषित कीजिए। ऐसी दो वस्तुओं के उदाहरण दीजिए, जो एक-दूसरे के पूरक हैं।
पूरक वस्तुएँ वे होती हैं जिनका प्रयोग किसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए साथ-साथ किया जाता है। इनमें एक वस्तु की माँग तथा दूसरी वस्तु की कीमत में ऋणात्मक संबंध होता है अर्थात् एक वस्तु की कीमत में वृद्धि होने पर दूसरी वस्तु की माँग कम हो जाती है अथवा विपरीत।
उदाहरण के लिए: चाय और चीनी, जूते तथा जुराबे, पेन और स्याही।
माँग की कीमत लोच को परिभाषित कीजिए।
माँग की कीमत लोच, वस्तु की कीमत में परिवर्तन के फलस्वरूप उसकी माँग की प्रतिक्रिया की माप है।
माँग की लोच हमेशा ऋणात्मक होती है, जो वस्तु की कीमत तथा माँग में विपरीत सम्बन्ध को दर्शाती हैं।
एक वस्तु की माँग पर विचार करें। 4 रुपये की कीमत पर इस वस्तु की 25 इकाइयों की माँग है। मान लीजिए वस्तु की कीमत बढ़कर 5 रुपये हो जाती है तथा परिणामस्वरूप वस्तु की माँग घटकर 20 इकाइयाँ हो जाती है। कीमत लोच की गणना कीजिए।
यहाँ पर,
P = 4
Q = 25
P1 = 5
Q1 = 20
Δ P = (5 - 4) = 1
Δ Q = (25 - 20) = 5
अब,
ed = (वस्तु के लिए माँग में प्रतिशत परिवर्तन/वस्तु की कीमत में प्रतिशत परिवर्तन)
अत: इस उदहारण में माँग की लोच 0.8 या इकाई से कम(ed < 1) या कम लोचदार है।
माँग वक्र D(p) = 10 - 3p को लीजिए। कीमत पर लोच क्या है?
माना,
D(p) = 10 - 3p
जब,
p (कीमत) =
∴ Q = 10 - 3 p = 10 - 3 x (5/3) = 5
Q का P के सापेक्ष अवकलन करने पर हम प्राप्त करते हैं
हम जानते हैं ,
अत: माँग की कीमत लोच (ED) = -1
मान लीजिए किसी वस्तु की माँग की कीमत लोच -0.2 है। यदि वस्तु की कीमत में 5% की वृद्धि होती है, तो वस्तु के लिए माँग में कितनी प्रतिशत कमी आएगी?
eD (माँग की कीमत लोच) = -0.2
eD = (वस्तु के लिए माँग में प्रतिशत परिवर्तन)/(वस्तु की कीमत में प्रतिशत परिवर्तन)
-0.2 = (वस्तु के लिए माँग में प्रतिशत परिवर्तन)/(5)
वस्तु के लिए माँग में प्रतिशत परिवर्तन = -0.2 x 5 = -1
∴ वस्तु की माँग में 1 प्रतिशत की कमी आ जाएगी।
मान लीजिए, किसी वस्तु की माँग की कीमत लोच -0.2 है। यदि वस्तु की कीमत में 10% वृद्धि होती है, तो उस पर होने वाला व्यय किस प्रकार प्रभावित होगा?
eD (माँग की कीमत लोच) = -0.2
eD = (वस्तु के लिए माँग में प्रतिशत परिवर्तन)/(वस्तु की कीमत में प्रतिशत परिवर्तन)
-0.2 = (वस्तु के लिए माँग में प्रतिशत परिवर्तन)/(10)
वस्तु के लिए माँग में प्रतिशत परिवर्तन = -0.2 x 10 = -2
क्योंकि eD < 1, यह एक बेलोचदार माँग की स्थिति हैं। हम देख सकते हैं कि एक वस्तु की कीमत में 10 प्रतिशत की वृद्धि हो रही हैं, जबकि वस्तु की माँगी गई मात्रा में 10 प्रतिशत से कम गिरावट हो रही है। अत: कुल व्यय बढ़ेगा।
मान लीजिए कि किसी वस्तु की कीमत में 4% की गिरावट होने के परिणामस्वरूप उस पर होने वाले व्यय में 2% की वृद्धि हो गई। आप माँग की लोच के बारे में क्या कहेंगे?
दिया हुआ हैं,
कीमत में कमी = 4 प्रतिशत
व्यय में वृद्धि = 2 प्रतिशत
चूँकि व्यय (P x Q) में 4 प्रतिशत से कम वृद्धि हुई है, इसलिए माँगी गई मात्रा में भी 4 प्रतिशत से कम वृद्धि हुई है अतः माँग बेलोचदार 0 < eD < 1है।
बजट रेखा की प्रवणता नीचे की ओर क्यों होती है? समझाइए।
बजट रेखा नीचे की और ढालू होती है क्योंकि बजट रेखा पर स्थित प्रत्येक बिंदु एक ऐसे बंडल को दर्शाता है जिस पर उपभोक्ता की पूरी आय व्यय हो जाती हैं, ऐसे में उपभोक्ता यदि वस्तु की एक अधिक मात्रा खरीदना चाहता हैं, तो उसे दूसरी वस्तु की कम मात्रा खरीदनी होगी। वस्तु '1' की एक अतिरिक्त इकाई पाने के लिए उसे वस्तु '2' की कितनी इकाई छोड़नी होगी यह दोनों वस्तुओं की कीमतों पर निर्भर करता हैं।
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