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कविता में निम्नलिखित पुराने निशानों का उल्लेख किया गया है-
1. पीपल का पेड़
2. खंडहर बना मकान
3. ज़मीन का खाली टुकड़ा
4. दो मकानों के बाद, ररंगीन-लोहे के फाटक वाला एक मंजिला मकान आदि।
1. चैत्र 2. बैसाख
3. ज्येष्ठ 4. आषाढ़
5. श्रावण 6. भाद्रपद
7. आश्विन 8. कार्तिक
9. मार्गशीर्ष 10. पौष
11. माघ 12. फाल्गुन।
कविता में निम्नलिखित तरह के हाथों की चर्चा हुई हैं-
1. उभरी नसों वाले अर्थात् वृद्ध हाथ।
2. घिसे नाखूनों वाले हाथ श्रमिक वर्ग का प्रतीक है।
3. पीपल के पत्ते जैसे नए-नए हाथ अर्थात् छोटे बच्चों के कोमल हाथ।
4. जूही की डाल जैसे खुशबूदार हाथ अर्थात् नवयुवतियों के सुन्दर हाथ।
5. गंदे कटे-पिटे हाथ।
6. जख्म से फटे हुए हाथ।
(ii) दुनिया की सारी गदंगी के बीच
दुनिया की सारी खुशबू
रचते रहते हैं हाथ
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कवि ने हाथों के लिए निम्नलिखित विशेषणों का प्रयोग किया हैं:
उभरी नसों वाले
घिसे नाखूनों वाले
पीपल के पत्ते से नए-नए
जूही की डाल, से खुशबूदार
गंदे कटे-पिटे
जख्म से फटे हुए।
‘खुशबू रचते हैं हाथ’ में निहित विडंबना को प्रकट कीजिए।
शिल्प सौन्दर्य
1. कवि के अनुसार पल-पल बनती-बिगड़ती दुनिया में स्मृतियों के भरोसे नहीं जिया जा सकता।
2. खड़ी बोली का प्रयोग हुआ है।
3. भाषा स्वाभाविक व रोचक है।
4. चित्रात्मक व वर्णनात्मक शैली का प्रयोग हुआ है।
5. कहीं-कहीं भावात्मक शैली का प्रयोग हुआ है।
6. आम-बोलचाल की भाषा का प्रभाव दिखाई देता है।
7. (i) ‘नए-नए’ में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।
(ii) ‘पुराने-निशान’ में अनुप्रास अलंकार है।
Tips: -
शिल्प सौन्दर्य:
1. जीवन की गति परिवर्तनशील है। इस जीवन के सत्य की ओर ध्यान आकर्षित किया गया है।
2. खड़ी बोली का प्रयोग हुआ है।
3. भाषा स्वाभाविक व रोचक है।
4. चित्रात्मक व वर्णनात्मक शैली का प्रयोग हुआ है।
5. कहीं-कहीं भावात्मक शैली का प्रयोग हुआ है।
6. आम-बोलचाल की भाषा का प्रभाव दिखाई देता है।
7. ‘जैसे बसंत... लौटा हूँ’ में उत्पेक्षा अलंकार है।
D.
पुरानी यादों वाली स्थितियाँ और निशानियाँ बदल चुकी हैं।शिल्प सौन्दर्य-
1. जीवन के मानवीय विषमता को दर्शाया गया है तथा मजदूरों की गंदी बस्ती का घृणास्पद चित्रण प्रस्तुत किया गया है।
2. खड़ी बोली का प्रयोग किया गया है।
3. भाषा सरल, सरस व रोचक है।
4. चित्रात्मक व वर्णनात्मक शैली का प्रयोग किया गया है।
5. जीवन के विविध क्षेत्रों का चित्रण किया गया है।
6. अतुकांत व छंदहीन भाषा का प्रयोग हुआ है।
7. ‘हाथ’ की आवृत्ति प्रभावित करती है।
B.
खुशबू रचते हैं हाथSponsor Area
D.
दुर्गध युक्त वातावरणशिल्प सौन्दर्य:
1. उपेक्षित वर्ग की दयनीय स्थिति का वर्णन किया गया है।
2. खड़ी बोली का प्रयोग किया गया है।
3. भाषा सरल, सरस व रोचक है।
4. चित्रात्मक व वर्णनात्मक शैली का प्रयोग किया गया है।
5. जीवन के विविध क्षेत्रों का चित्रण किया गया है।
6. आम प्रचलित उर्दू शब्दों का प्रयोग अधिक हुआ है।
7. हाथ की आवृत्ति प्रभावित करती है।
8. ‘पीपल के पत्ते-से नए-नए हाथ’ तैथा ‘जूही की डाल से खूशबूदार हाथ’ में उपमा अलंकार है।
B.
कटे-पिटे व जख्मों से फटेखुशबू रचते हैं हाथ
खुशबू रचते हैं हाथ।
खुशबू रचते हैं हाथ
खुशबू रचते हैं हाथ।
शिल्प सौन्दर्य-
1. कवि ने मजदूरों की दयनीय दशा का मार्मिक चित्रण किया है
2. खड़ी बोली का प्रयोग किया गया है।
3. भाषा सरल, सरस व रोचक है।
4. चित्रात्मक व वर्णनात्मक शैली का प्रयोग किया गया है।
5. जीवन के विविध क्षेत्रों का चित्रण किया गया है।
6. आम प्रचलित उर्दू शब्दों का अधिक प्रयोग हुआ है।
7. अनुप्रास अलंकार का प्रयोग हुआ है।
खुशबू रचते हैं हाथ
खुशबू रचते हैं हाथ।
दुनिया की सारी गदंगी के बीच कौन क्या रचते हैं-
C.
गंदे वातावरण में रहने वाले लोग अगरबत्तियाँ बनाते हैंSponsor Area
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