स्पर्श भाग १ Chapter 15 नये इलाके में - अरुण कमल
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    NCERT Solution For Class 9 About 2.html स्पर्श भाग १

    नये इलाके में - अरुण कमल Here is the CBSE About 2.html Chapter 15 for Class 9 students. Summary and detailed explanation of the lesson, including the definitions of difficult words. All of the exercises and questions and answers from the lesson's back end have been completed. NCERT Solutions for Class 9 About 2.html नये इलाके में - अरुण कमल Chapter 15 NCERT Solutions for Class 9 About 2.html नये इलाके में - अरुण कमल Chapter 15 The following is a summary in Hindi and English for the academic year 2021-2022. You can save these solutions to your computer or use the Class 9 About 2.html.

    Question 1
    CBSEENHN9001042

    निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिये:
    नए बसते इलाके में कवि रास्ता क्यों भूल जाता है?

    Solution
    कवि नए बसते इलाकों में रास्ता इसलिए भूल जाता है क्योंकि ययुहाँनित नया निर्माण होता रहता है। नित नई घटनाएँ घटती रहती हैं। यहाँ प्रतिदिन पुरानी इमारतें टूटती हैं। नए-नए मकान बन जाते हैं। अपने निर्धारित स्थान पर जाने के लिए जो निशानियाँ बनाई गई होती हैं, वे जल्दी ही मिट जाती हैं। इसलिए कवि को दिशा भ्रम हो जाता है।
    Question 2
    CBSEENHN9001043

    निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिये:
    कविता में कौन-कौन से पुराने निशानों का उल्लेख किया गया है?

    Solution

    कविता में निम्नलिखित पुराने निशानों का उल्लेख किया गया है-
    1. पीपल का पेड़
    2. खंडहर बना मकान
    3. ज़मीन का खाली टुकड़ा
    4. दो मकानों के बाद, ररंगीन-लोहे के फाटक वाला एक मंजिला मकान आदि।

    Question 3
    CBSEENHN9001044

    निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिये:
    कवि एक घर पीछे या दो घर आगे क्यों चल देता है?

    Solution
    कवि अपने निर्धारित घर से एक घर पीछे या आगे इसलिए चल देता है क्योंकि अब पुराने इलाके का रूप परिवर्तित हो चुका है। वहाँ पर नई-नई ऊँची इमारतें बन चुकी हैं। उसने कई निशानियाँ बना रखी थी परन्तु निशानियाँ न मिलने के कारण, नव-निर्माण हो जाने के कारण कवि को दिशा भ्रम हो जाता है। वह स्मृति के आधार पर पुराने निशानों को खोजता ही रह जाता है।
    Question 4
    CBSEENHN9001045

    निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिये:
    ‘वसंत का गया पतझड़’ और ‘बैसाख का गया भादों को लौटा’ से क्या अभिप्राय है?

    Solution
    ‘बसंत का गया पतझड़’ और ‘बैसाख का गया भादों को लौटा’ से अभिप्राय है- ‘एक लंबा अंतराल’ जिस प्रकार दोनों ऋतुओं के बीच एक लंबा समय बीतने से परिस्थितियों में काफी परिवर्तन आ जाता है। जैसे कवि ने कभी बसंत की बहार देखी थी तो आज उसे पतझड़ का सामना करना पड़ रहा है। इसलिए कवि को पुराने निशान ढूँढने पड़ते हैं क्योंकि काल और परिस्थितियों में परिवर्तन आता है।
    Question 5
    CBSEENHN9001046

    निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिये:
    कवि ने इस कविता में 'समय की कमी' की ओर क्यों इशारा किया है?

    Solution
    कवि ने इस कविता में ‘समय की कमी’ की ओर इसलिए इशारा किया है क्योंकि इस परिवर्तनशील संसार में हर व्यक्ति अपने-अपने ढंग से अपने-अपने कार्य में व्यस्त है। परिस्थितियों में बड़ी तीव्रता से बदलाव आ रहा है। मनुष्य पहले से अधिक गतिशील हो गया है। सबके पास समय का अभाव है। इसलिए मन में केवल एक उम्मीद बची है कि शायद कोई जाना-पहचाना व्यक्ति उसे पहचानकर पुकार ले।
    Question 6
    CBSEENHN9001047

    निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिये:
    इस कविता में कवि ने शहरों की किस बिडंबना की ओर संकेत किया है।

    Solution
    प्रस्तुत कविता में कवि ने एक ऐसी दुनिया का वर्णन किया है जो एक ही दिन में पुरानी पड़ जाती है। आधुनिक शहरों की यह सबसे बड़ी विडंबना है शिअद के इस परिवर्तनशील दौर में मनुष्य सर्वके शून्य हो गया है। आपसी मित्रता और प्रेमभाव का अभाव हो गया है। मनुष्य दूर रहने के कारण एक दूसरे कें हृदय से भी दूर हो गया है। यहाँ केवल स्मृतियों के सहारे जीना असंभव है। कोई एक दूसरे से पहचान नहीं रखना चाहता। द्वार खटखटाने पर भी कोई किसी की सहायता नहीं करता। सभी अपने कार्यों में व्यस्त रहते हैं। इसलिए कवि भी इस रंग बदलती दुनिया में भ्रम का शिकार होता है।
    Question 7
    CBSEENHN9001048

    व्याख्या कीजिए-
    हाँ स्मृति का भरोसा नहीं
    एक ही दिन में पुरानी पड़ जाती है दुनिया।
     

    Solution
    कवि ने बताया है कि इस बनती-बिगड़ती दुनिया में स्मृतियों के सहारे जीना असंभव है। जीवन की गति परिवर्तनशील है। इस परिवर्तन के जमाने में यादों के आधार पर जीवन बिताना बहुत कठिन होता है। आज मनुष्य को कई बार धोखा खाना पड़ता है। क्योंकि यह दुनिया तो एक ही दिन में बदल जाती है। यहाँ कुछ भी स्थायी नहीं होता। आज बसंत है तो कल पतझड़। समय की गतिशीलता के साथ-साथ दुनिया भी गतिशील हो गई है।
    Question 8
    CBSEENHN9001049

    व्याख्या कीजिए-
    समय बहुत कम है तुम्हारे पास
    आ चला पानी ढहा आ रहा अकास
    शायद पुकार ले कोई पहचाना ऊपर से देखकर

    Solution
    कवि कहता है कि समय के बदलते स्वरूप के कारण पहचान के पैमाने ही बदल गए हैं। बनते-बिगड़ते स्वरूप के बीच जीवन तीव्र गति से बहता चला जा रहा है। समय बहुत गतिशील है। समय के अभाव के कारण ही मनुष्य संवेदन शून्य हो गया है। नित्य नए परिवर्तन हो रहे है। सभी नई परिस्थितियों में व्यस्त है। आकाश में बादल उमड़ते जा रहे हैं। ऐसे वातावरण में आशा की एक किरण अवश्य रहती है कि शायद कोई तुम्हें पहचानकर पुकार ले।
    Question 9
    CBSEENHN9001050

    पाठ में हिन्दी महीनों के कुछ नाम आए हैं। आप सभी हिन्दी महीनों के नाम क्रम से लिखिए।

    Solution

    1. चैत्र       2. बैसाख
    3. ज्येष्ठ      4. आषाढ़
    5. श्रावण     6. भाद्रपद
    7. आश्विन    8. कार्तिक
    9. मार्गशीर्ष  10. पौष
    11. माघ     12. फाल्गुन।

    Question 10
    CBSEENHN9001051

    निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए-
    ‘खुशबू रचनेवाले हाथ’ कैसी परिस्थितियों में तथा कहाँ-कहाँ रहते हैं?

    Solution
    खुशबू रचने वाले हाथ अत्यन्त कठोर परिस्थितियों में गंदी बस्तियों में, गलियों में, कूड़े के ढेर के इर्द-गिर्द तथा नाले के पार रहते हैं। वे अस्वच्छ एवं प्रदूषित वातावरण में जीवन बिताते हैं। वे इस दुर्गन्धमय वातावरण में रहने को विवश है। वे सामाजिक और आर्थिक विषमता के शिकार हैं। दूसरों को खुशबू देने का काम करने वाले इस प्रकार बदहाली का जीवन बिताते हैं।
    Question 11
    CBSEENHN9001052

    निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए-
    ‘खुशबू रचनेवाले हाथ’ कैसी परिस्थितियों में तथा कहाँ-कहाँ रहते हैं?

    Solution
    खुशबू रचने वाले हाथ अत्यन्त कठोर परिस्थितियों में गंदी बस्तियों में, गलियों में, कूड़े के ढेर के इर्द-गिर्द तथा नाले के पार रहते हैं। वे अस्वच्छ एवं प्रदूषित वातावरण में जीवन बिताते हैं। वे इस दुर्गन्धमय वातावरण में रहने को विवश है। वे सामाजिक और आर्थिक विषमता के शिकार हैं। दूसरों को खुशबू देने का काम करने वाले इस प्रकार बदहाली का जीवन बिताते हैं।
    Question 12
    CBSEENHN9001053

    निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए-
    कविता में कितने तरह के हाथों की चर्चा हुई है?

    Solution

    कविता में निम्नलिखित तरह के हाथों की चर्चा हुई हैं-
    1. उभरी नसों वाले अर्थात् वृद्ध हाथ।
    2. घिसे नाखूनों वाले हाथ श्रमिक वर्ग का प्रतीक है।
    3. पीपल के पत्ते जैसे नए-नए हाथ अर्थात् छोटे बच्चों के कोमल हाथ।
    4. जूही की डाल जैसे खुशबूदार हाथ अर्थात् नवयुवतियों के सुन्दर हाथ।
    5. गंदे कटे-पिटे हाथ।
    6. जख्म से फटे हुए हाथ।

    Question 13
    CBSEENHN9001054

    निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए-
    कवि ने यह क्यों कहा है कि ‘खुशबू रचते हैं हाथ’?

    Solution
    कवि ने ऐसा इसलिए कहा है क्योंकि इन गरीब मजदूरों के हाथ सुगंध युक्त अगरबत्तियों का निर्माण करते हैं तथा हमारे जीवन को सुख-सुविधाएँ उपलब्ध कराकर खुशबू से महकाते हैं जिससे ऐसा लगता है कि अत्यन्त प्रदूषित वातावरण में रहकर भी इनके हाथ हमारे लिए सुख-सुविधाओं से भरी वस्तुओं का निर्माण करते हैं जिससे समस्त प्राणियों के जीवन में सुगंध फैल जाती है। ये लोग स्वयं बदहाली का जीवन बिताकर दूसरे लोगों के जीवन में खुशहाली लाते हैं। इन शब्दों द्वारा कवि ने श्रामिकों के श्रम का गुणगान किया है।
    Question 14
    CBSEENHN9001055

    निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए-
    जहाँ अगरबत्तियाँ बनती हैं, वहाँ का माहौल कैसा होता है?

    Solution
    जहाँ अगरबत्तियाँ बनती है वहाँ का वातावरण अत्यन्त गंदगी भरा होता है। चारों ओर नालियाँ तथा कूड़े-करकट का ढेर जमा होता है। चारों ओर बदबू फैली होती है। ये सुगंधित अगरबत्तियाँ बनाने वाले ऐसे गंदे वातावरण में रहकर भी दूसरों के जीवन में खुशबू बिखेरते हैं पर ऐसे वातावरण में, ऐसी भयावह स्थितियों में रहना इनकी विवशता है।
    Question 15
    CBSEENHN9001056

    निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए-
    इस कविता को लिखने का मुख्य उद्देश्य क्या है?

    Solution
    इस कविता को लिखने का मुख्य उद्देश्श्य यह है कि हमारे समाज में सुन्दरता की रचना करने वाले गरीब और उपेक्षित लोगों की ओर हमारा ध्यान आकर्षित करना है ताकि आम लोग इन गरीब मजदूरों के जीवन की वास्तविकता को जान ले और समाज में फैली विषमताओं तथा भेदभावों को मिटाने की कोशिश करे। मजदूरों और कारीगरों की दुर्दशा का चित्रण करना तथा लोगों में उनके उद्‌धार की चेतना जगाना भी है। कवि अगरबत्तियाँ बनाने वाले कारीगरों का प्रदूषित वातावरण में रहना दिखाकर यह कहना चाहता है कि इनके जीवन स्तर को ऊँचा उठाने के लिए हम सबको मिलकर प्रयास करना चाहिए ताकि इन्हें भी जीवन जीने के लिए स्वच्छ वातावरण मिल सके।
    Question 16
    CBSEENHN9001057

    व्याख्या कीजिए
    (क) (i)पीपल के पत्ते-से नए-नए हाथ
             जूही की डाल-से खुशबूदार हाथ         

          (ii) दुनिया की सारी गदंगी के बीच
               दुनिया की सारी खुशबू
               रचते रहते हैं हाथ



      

        

     

    Solution
    (i) व्याख्या: कवि ने ऐसे व्यक्तियों का वर्णन किया है जो स्वयं प्रदूषित वातावरण में रहते हुए भी दूसरों के लिए सुगंधित वस्तुओं का निर्माण करते हैं। इन पंक्तियों में कवि ने हमारा ध्यान उन छोटे बच्चों की ओर आकर्षित करना चाहा है जिनके हाथ पीपल के नए पत्तों के समान कोमल होते हैं तथा ऐसी स्त्रियों का वर्णन किया है जिनके हाथ जूही की डाल के समान सुंदर और खुशबूदार है किन्तु गरीबी के कारण ये अत्यन्त कठोर और भयावह हो जाते हैं यह इनके जीवन की एक ऐसी विडंबना है कि ये शहरों से दूर प्रदूषित वातावरण में उपेक्षित होकर जीवन बिताने के लिए विवश है।
    (ii) व्याख्या: कवि ने इन पंक्तियों में समाज के एक ऐसे उपेक्षित वर्ग का चित्रण किया है जो सभी व्यक्तियों के लिए सुन्दरता की रचना कर रहा है। स्वयं अभावों में रहते हुए भी दूसरों के जीवन में खुशहाली लाता है। खुशबू की रचना करने वाले लोग स्वयं कितने प्रदूषित वातावरण में रहते हैं इसकी कल्पना करना कठिन है। वे दुनिया भर की गंदगी के बीच में रहते हुए दुनिया को खुशबूदार बनाने का काम करते हैं। ये शोषित और पीड़ित लोग स्वयं बदहाली का जीवन बिताते हुए लोगों का खुशहाली प्रदान करते हैं। ऐसे वातावरण में जहाँ चारों ओर गंदगी का साम्राज्य है। वहाँ खुशबूदार अगरबत्तियों का निर्माण करते हुए स्वयं नारकीय जीवन जीने पर विवश है।
    Question 17
    CBSEENHN9001058

    कवि ने इस कविता में ‘बहुवचन’ का प्रयोग अधिक किया है? इसका क्या कारण है?

    Solution
    कविता में कवि ने बहुवचन का प्रयोग अधिक किया है जैसे गलियों, नालों, नाखूनों, गंदे हाथों, अगरबत्तियाँ, मुहल्ले गंदे लोग आदि। इनके माध्यम से कवि बताना चाहता है कि यहाँ एक कारीगर या एक मजदूर की बात नहीं। यह समस्या सामूहिक समस्या है। ऐसे गरीब और उपेक्षित लोग अनेक स्थानों पर काम करते दिखाई दे जाते हैं। कवि ने बहुवचन का प्रयोग करके अपने कथन पर बल देने का प्रयास किया है।

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    Question 18
    CBSEENHN9001059

    कवि ने हाथों के लिए कौन-कौन से विशेषणों का प्रयोग किया है?

    Solution

    कवि ने हाथों के लिए निम्नलिखित विशेषणों का प्रयोग किया हैं:
    उभरी नसों वाले
    घिसे नाखूनों वाले
    पीपल के पत्ते से नए-नए
    जूही की डाल, से खुशबूदार
    गंदे कटे-पिटे
    जख्म से फटे हुए।

    Question 19
    CBSEENHN9001060

    कवि किन बातों से धोखा खा जाता है?

    Solution
    कवि जब पुरानी चीजों को खोजने के प्रयास से लग जाता है तब वह धोखा खा जाता है। कवि पुराने निशान खोजता है। पीपल का पुराना पेड़ ढूँढता है, खाली जमीन के टुकड़े को तलाश करता है। अपने गिरे हुए मकान को पहचानने की कोशिश करता है। तथा एक अन्य पुराने मकान को ढूँढता है ताकि पुरानी चीजों और स्थानों में तालमेल बिठा सके। परन्तु वह इसमें असफल रहा है और धोखा खा जाता है।
    Question 20
    CBSEENHN9001061

    ‘नए इलाके में’ कविता के नामकरण की सार्थकता पर प्रकाश डालिए।

    Solution
    ‘नए इलाके में’ शीर्षक पूर्णतया सार्थक है। शहरी वातावरण में नित नये परिवर्तन आ रहे हैं, पुरानी पहचान के मायने बदल गए हैं। ढूँढने पर भी पुरानी स्मृति के आधार पर सही पते पर नहीं पहुँचा जा सकता। नित्य नवीन मकान स्थानों को घेर रहे हैं। जीवन में समय कम है और मनुष्य की रफ़्तार तेज है। घर का सही पता पूछना हो तो पहचानने वाले को ढूँढना पड़ता है। नए इलाके में प्रवेश किया हो, ऐसा आभास पुराने स्थान पर पहुँचकर होता है
    Question 21
    CBSEENHN9001062

    ‘खुशबू रचते हैं हाथ’ में निहित विडंबना को प्रकट कीजिए।

    Solution
    खुशबू रचने वाले हाथ आर्थिक अभावों में गंदी गलियों में रहते हैं जहाँ छोटी-छोटी गालियाँ, नालों व कूड़े के ढेर हैं। अगरबत्तियाँ बनाने वाले नगरों, कस्बों और बस्तियों से दूर गंदे स्थानों पर रहकर तरह-तरह की सुगंधों से युक्त अगरबत्तियाँ बनाते हैं। स्वयं ऐसे बदबूदार वातावरण में रहकर दूसरे लोगों को खुशबूदार अगरबत्तियाँ प्रदान करते हैं। अपने आप को इन गरीब मजदूरों से दूर रख सभ्य समाज के लोग जब अगरबत्तियाँ जलाते हैं, परमात्मा को प्रसन्न करने की कामना करते हैं या अपने वातवरण को सुगंधित बनाने के लिए इनका उपयोग करते हैं तो कभी नहीं सोचते कि इन्हें बनाने वाले कौन हैं? कैसे हैं? किस हालत में रहते हैं।
    Question 22
    CBSEENHN9001063

    निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर उसका भाव पक्ष लिखिए:
    इन नए बसते इलाकों में
    जहाँ रोज़ बन रहे हैं नए-नए मकान
    मैं अक्सर रास्ता भूल जाता हूँ
    धोखा दे जाते हैं पुराने निशान
    खोजता हूँ ताकता पीपल का पेड़
    खोजता हूँ ढहा हुआ घर
    और ज़मीन का खाली टुकड़ा जहाँ से बाएँ
    मुड़ना था मुझे
    फिर दो मकान बाद बिना रंगवाले लोहे के फाटक का
    घर था इकमंज़िला 
    और मैं हर बार एक घर पीछे
    या दो घर आगे ठकमकता।



    Solution
    भाव पक्ष -कवि ने नए इलाकों में हो रहे नए निर्माण के गति के साथ-साथ उससे उत्पन्न पहचान का संकट दर्शाया है। कवि किसी नई बस्ती में पहुँचता है तो प्राय: रास्ता भूल जाता है कारण यह है कि वहाँ रोज नए-नए मकान बन रहे हैं। उन नए मकानो की भूल- भुलैया में मैं अक्सर रास्ता भूल जाता हूँ। इसलिए उसने आने-जाने के रास्तों और ठिकानों तक पहुंचने के लिए जो निशान बनाए होते थे, वे अब काम नहीं आते। पुराने रास्ते भ्रम में डालते हैं। पीपल के पेड़ की निशानी को ढूँढने लगता हूँ। गिरे हुए घर को खोजने लगता हूँ। जिसके स्थान पर नया घर बन गया है। मैं फिर से जमीन के उस खाली टुकड़े को देखने लगता हूँ जहाँ से मुझे बाएँ मुड़ना था यह पहचान रास्ते पर चलने के लिए मैंने बनाई थी। इन पुरानी पहचानों के स्थान पर नए मकान बन गए थे। कवि पुन: दो मकानों के बाद बिना रंग वाले लोहे के फाटक को ढूँढने लगते हैं। एक मंजिल वाला मकान उन्हें कहीं भी दिखाई नहीं देता। हर बार ऐसा लगता है जैसे मैं एक घर पीछे आ गया हूँ या फिर दो घर डगमगाते हुए आगे बढ़ जाता हूँ।
    Question 23
    CBSEENHN9001064

    निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर उसका शिल्प सौन्दर्य लिखिए:
    इन नए बसते इलाकों में
    जहाँ रोज़ बन रहे हैं नए-नए मकान
    मैं अक्सर रास्ता भूल जाता हूँ
    धोखा दे जाते हैं पुराने निशान
    खोजता हूँ ताकता पीपल का पेड़
    खोजता हूँ ढहा हुआ घर
    और ज़मीन का खाली टुकड़ा जहाँ से बाएँ
    मुड़ना था मुझे
    फिर दो मकान बाद बिना रंगवाले लोहे के फाटक का
    घर था इकमंज़िला 
    और मैं हर बार एक घर पीछे
    या दो घर आगे ठकमकता।



    Solution

    शिल्प सौन्दर्य
    1. कवि के अनुसार पल-पल बनती-बिगड़ती दुनिया में स्मृतियों के भरोसे नहीं जिया जा सकता।
    2. खड़ी बोली का प्रयोग हुआ है।
    3. भाषा स्वाभाविक व रोचक है।
    4. चित्रात्मक व वर्णनात्मक शैली का प्रयोग हुआ है।
    5. कहीं-कहीं भावात्मक शैली का प्रयोग हुआ है।
    6. आम-बोलचाल की भाषा का प्रभाव दिखाई देता है।
    7. (i) ‘नए-नए’ में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।
    (ii) ‘पुराने-निशान’ में अनुप्रास अलंकार है।

    Question 29
    CBSEENHN9001070

    निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर उसका भाव पक्ष लिखिए:
    यहाँ रोज़ कुछ बन रहा है
    रोज़ कुछ घट रहा है
    यहाँ स्मृति का भरोसा नहीं
    एक ही दिन में पुरानी पड़ जाती है दुनिया
    जैसे वसंत का गया पतझड़ को लौटा हूँ
    जैसे बैसाख का गया भादों को लौटा हूँ
    अब यही है उपाय कि हर दरवाज़ा खटखटाओ
    और पूछो-क्या यही है वो घर?
    समय बहुत कम है तुम्हारे पास
    आ चला पानी ढहा आ रहा अकास
    शायद पुकार ले कोई पहचाना ऊपर से देखकर।

    Solution
    भाव पक्षस्मृति पर भरोसा न करते हुए नित्य घटने वाली घटनाओं का चित्रण करते हुए कवि कहते हैं कि प्रत्येक दिन मुझे परिवर्तन का आभास दिलाता है, कुछ-न-कुछ नवीन बनता रहता है। प्रत्येक दिन कुछ नवीन घटता रहता है। मनुष्य को अपनी स्मरण शक्ति पर भरोसा नहीं है। पुरानी यादें एक ही दिन में मिट जाती है। स्मृतियाँ प्राचीन पड़ जाती है। ऐसा प्रतीत होता है जैसे वसंत ऋतु में जाने के पश्चात् पतझड़ में लौटा हूँ अर्थात् दीर्घकाल के बाद (लगभग छह मास बाद) लौटकर आया हूँ। ऐसा प्रतीत होने लगता है कि जैसे बैसाख के महीने में जाकर भादों को लौटा हूँ अर्थात् पाँच माह की दीर्घ अवधि के बाद वापिस लौटा हूँ। अब यहीं उपाय शेष है कि प्रत्येक दरवाजे को खटखटाए और यह पूछा जाए कि क्या यहीं वह घर है जिसे मैं ढूँढ रहा हूँ। जीवन में समय बहुत कम हैं ऐसा लगता है कि जैसे आकाश सिर पर गिरा चला आ रहा हो। ऐसा लगता है कि शायद कोई पहचाना हुआ पुकार ले।

    Tips: -

     
    Question 30
    CBSEENHN9001071

    निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर उसका शिल्प सौन्दर्य लिखिए - 
    यहाँ रोज़ कुछ बन रहा है
    रोज़ कुछ घट रहा है
    यहाँ स्मृति का भरोसा नहीं
    एक ही दिन में पुरानी पड़ जाती है दुनिया
    जैसे वसंत का गया पतझड़ को लौटा हूँ
    जैसे बैसाख का गया भादों को लौटा हूँ
    अब यही है उपाय कि हर दरवाज़ा खटखटाओ
    और पूछो-क्या यही है वो घर?
    समय बहुत कम है तुम्हारे पास
    आ चला पानी ढहा आ रहा अकास
    शायद पुकार ले कोई पहचाना ऊपर से देखकर।


    Solution

    शिल्प सौन्दर्य:
    1. जीवन की गति परिवर्तनशील है। इस जीवन के सत्य की ओर ध्यान आकर्षित किया गया है।
    2. खड़ी बोली का प्रयोग हुआ है।
    3. भाषा स्वाभाविक व रोचक है।
    4. चित्रात्मक व वर्णनात्मक शैली का प्रयोग हुआ है।
    5. कहीं-कहीं भावात्मक शैली का प्रयोग हुआ है।
    6. आम-बोलचाल की भाषा का प्रभाव दिखाई देता है।
    7. ‘जैसे बसंत... लौटा हूँ’ में उत्पेक्षा अलंकार है।

    Question 32
    CBSEENHN9001073

    निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रशनों के उत्तर दीजिये:
    यहाँ रोज़ कुछ बन रहा है
    रोज़ कुछ घट रहा है
    यहाँ स्मृति का भरोसा नहीं
    एक ही दिन में पुरानी पड़ जाती है दुनिया
    जैसे वसंत का गया पतझड़ को लौटा हूँ
    जैसे बैसाख का गया भादों को लौटा हूँ
    अब यही है उपाय कि हर दरवाज़ा खटखटाओ
    और पूछो-क्या यही है वो घर?
    समय बहुत कम है तुम्हारे पास
    आ चला पानी ढहा आ रहा अकास
    शायद पुकार ले कोई पहचाना ऊपर से देखकर।

    कवि को स्मृति का भरोसा नहीं रहा। क्योंकि
    • पुरानी यादों वाली निशानियाँ बदल चुकी है।
    • लोग बदल चुके है।
    • पुरानी यादों के सहारे जीना कायरता है।
    • पुरानी यादों वाली स्थितियाँ और निशानियाँ बदल चुकी हैं।

    Solution

    D.

    पुरानी यादों वाली स्थितियाँ और निशानियाँ बदल चुकी हैं।
    Question 33
    CBSEENHN9001074

    निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रशनों के उत्तर दीजिये:
    यहाँ रोज़ कुछ बन रहा है
    रोज़ कुछ घट रहा है
    यहाँ स्मृति का भरोसा नहीं
    एक ही दिन में पुरानी पड़ जाती है दुनिया
    जैसे वसंत का गया पतझड़ को लौटा हूँ
    जैसे बैसाख का गया भादों को लौटा हूँ
    अब यही है उपाय कि हर दरवाज़ा खटखटाओ
    और पूछो-क्या यही है वो घर?
    समय बहुत कम है तुम्हारे पास
    आ चला पानी ढहा आ रहा अकास
    शायद पुकार ले कोई पहचाना ऊपर से देखकर।

    ‘बसत का गया पतझड़’ और बैसाख का गया भादों को लौटा से क्या अभिप्राय है?
    • लम्बे अतंराल के बाद आया है 
    • थोड़े से घण्टे बिताकर आया है।
    • नई बस्तियों के निर्माण के लिए आया है।
    • सच का सामना करके आया है।

    Solution

    A.

    लम्बे अतंराल के बाद आया है 
    Question 34
    CBSEENHN9001075

    निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रशनों के उत्तर दीजिये:
    यहाँ रोज़ कुछ बन रहा है
    रोज़ कुछ घट रहा है
    यहाँ स्मृति का भरोसा नहीं
    एक ही दिन में पुरानी पड़ जाती है दुनिया
    जैसे वसंत का गया पतझड़ को लौटा हूँ
    जैसे बैसाख का गया भादों को लौटा हूँ
    अब यही है उपाय कि हर दरवाज़ा खटखटाओ
    और पूछो-क्या यही है वो घर?
    समय बहुत कम है तुम्हारे पास
    आ चला पानी ढहा आ रहा अकास
    शायद पुकार ले कोई पहचाना ऊपर से देखकर।

    कवि ने ‘समय की कमी’ की ओर क्यों इशारा किया है?

    • दुनिया में धीरे-धीरे आने वाले बदलाव की ओर
    • लोग के स्वभाव में बदलाव की ओर
    • लोगों चेहरों को पहचानने का प्रयास करते हुए
    • दुनिया में तेजी से आने वाले बदलाव की ओर

    Solution

    D.

    दुनिया में तेजी से आने वाले बदलाव की ओर
    Question 36
    CBSEENHN9001077

    निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर उसका भाव पक्ष लिखिए:
    कई गलियों के बीच
    कई नालों के पार
    कुड़े-करकट
    के ढेरों के बाद
    बदबू से फटते जाते इस
    टोले के अदंर
    खुशबू रचते हैं हाथ
    खुशबू रचते हैं हाथ।

    Solution
    भाव पक्ष -कवि के अनुसार सुगंधित वस्तुओं का निर्माण करने वालों का जीवनयापन निम्न स्तर का है। इसी के विषय में बताते कवि कहते हैं कि जो हाथ खुशबू फैलाने वाली अगरबत्तियों का निर्माण करते हैं। वे स्वयं कैसी बदबूदार बस्तियों में रहते हैं। वे लोग कई बस्तियों के बीच रहते हैं। कई नालों को पार करने के बाद कूड़े-करकट और गंदगी के ढेरों के आसपास वहाँ रहना पड़ता है, जहाँ उनकी नाक बदबू के मारे फटने को हो जाती है। इस प्रकार के स्थान पर टोला बनाकर बस्ती बनाकर ये लोग रहते हैं। इनकी यह विशेषता है कि ये स्वयं बदबूदार वातावरण में रहकर भी अपने हाथों से दूसरो के लिए सुगंधित अगरबत्तियाँ बनाते हैं। दूसरों के जीवन को सुविधाओं से भर देते हैं।
    Question 37
    CBSEENHN9001078

    निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर उसका शिल्प सौन्दर्य लिखिए:
    कई गलियों के बीच
    कई नालों के पार
    कुड़े-करकट
    के ढेरों के बाद
    बदबू से फटते जाते इस
    टोले के अदंर
    खुशबू रचते हैं हाथ
    खुशबू रचते हैं हाथ।

    Solution

    शिल्प सौन्दर्य-
    1. जीवन के मानवीय विषमता को दर्शाया गया है तथा मजदूरों की गंदी बस्ती का घृणास्पद चित्रण प्रस्तुत किया गया है।
    2. खड़ी बोली का प्रयोग किया गया है।
    3. भाषा सरल, सरस व रोचक है।
    4. चित्रात्मक व वर्णनात्मक शैली का प्रयोग किया गया है।
    5. जीवन के विविध क्षेत्रों का चित्रण किया गया है।
    6. अतुकांत व छंदहीन भाषा का प्रयोग हुआ है।
    7. ‘हाथ’ की आवृत्ति प्रभावित करती है।

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    Question 43
    CBSEENHN9001084

    निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर उसका भाव पक्ष लिखिए
    उभरी नसोंवाले हाथ
    घिसे नाखूनोंवाले हाथ
    पीपल के पते-से-नए-नए हाथ
    जूही की डाल-से खुशबूदार हाथ
    गंदे कटे-पिटे हाथ
    जख्म से फटे हुए हाथ
    खुशबू रचते हैं हाथ
    खुशबू रचते हैं हाथ।

    Solution
    भाव पक्षलोगों के जीवन में खुशबू बिखेरने वाले हाथ भयावह स्थितियों में जीवन बिता रहे हैं। जीवन की इसी दशा का वर्णन करते हुए कवि कहते हैं कि जो मजदूर खुशबूदार अगरबत्तियाँ बनाते हैं और सारे संसार को खुशबू से महका देते हैं, उनमें बूढ़े-बुढ़ियाँ भी है। जिनके हाथों की नसें उभर चुकी है या जिनके हाथों के नाखून काम करते-करते घिस चुके हैं। अगरबत्तियाँ बनाने वालों में वे नन्हें बालक-बालिकाएँ भी हैं जिनके हाथ पीपल के पत्तों के समान कोमल हैं उनमें नवयुवतियाँ भी हैं। जिनके हाथ जूही के फूल की डाली के समान खुशबूदार हैं। इनमें काम की अधिकता के कारण गंदे हाथों वाले और कटे हाथों वाले हाथ मजदूर भी है और अपने मालिक, पति या पिता की मार खाए हुए हाथ भी हैं। कुछ मजदूर ऐसे हैं, ‘जिनके हाथों में घाव हो चुका है।’ फिर भी वे काम किए जा रहे हैं। इतनी विपत्तियों के बावजूद ये काम करते चले जा रहे हैं।
    Question 44
    CBSEENHN9001085

    निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर उसका शिल्प सौन्दर्य लिखिए
    उभरी नसोंवाले हाथ
    घिसे नाखूनोंवाले हाथ
    पीपल के पते-से-नए-नए हाथ
    जूही की डाल-से खुशबूदार हाथ
    गंदे कटे-पिटे हाथ
    जख्म से फटे हुए हाथ
    खुशबू रचते हैं हाथ
    खुशबू रचते हैं हाथ।

    Solution

    शिल्प सौन्दर्य:
    1. उपेक्षित वर्ग की दयनीय स्थिति का वर्णन किया गया है।
    2. खड़ी बोली का प्रयोग किया गया है।
    3. भाषा सरल, सरस व रोचक है।
    4. चित्रात्मक व वर्णनात्मक शैली का प्रयोग किया गया है।
    5. जीवन के विविध क्षेत्रों का चित्रण किया गया है।
    6. आम प्रचलित उर्दू शब्दों का प्रयोग अधिक हुआ है।
    7. हाथ की आवृत्ति प्रभावित करती है।
    8. ‘पीपल के पत्ते-से नए-नए हाथ’ तैथा ‘जूही की डाल से खूशबूदार हाथ’ में उपमा अलंकार है।

    Question 50
    CBSEENHN9001091

    निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर उसका भाव पक्ष लिखिए
    यहीं इस गली में बनती है
    मुल्क की मशहूर अगरबत्तियाँ
    इन्हीं गंदे मुहल्लों के गंदे लोग
    बनाते हैं केवड़ा गुलाब खस और रातरानी
         अगरबत्तियाँ
    दुनिया की सारी गंदगी बीच
    दुनिया की सारी खुशबू
    रचते रहते हैं हाथ

    खुशबू रचते हैं हाथ
    खुशबू रचते हैं हाथ।

    Solution
    भाव पक्षकवि कहता है कि देश की प्रसिद्ध अगरबत्तियाँ इस गंदी. तंग, बदबूदार गली में बनती है। इन्हीं गंदे मुहल्लों में रहने वाले गंदे लोग सुगंधित केवड़ा, गुलाब, पोस्ता और रात-रानी की सुगंध वाली महकती अगरबत्तियाँ बनाते हैं। यद्यपि वे खुद दुनिया भर की गंदगी के बीचोंबीच रहते हैं और जीते हैं किन्तु अपने हाथों से दुनिया को महकाने वाली खुशबूदार अगरबत्तियाँ बनते हैं। इस प्रकार वे स्वयं गंदे रहकर भी खुशबू बाँटते हैं। ये ही श्रमिक खुशबू पैदा करते हैं। खुशबूदार अगरबत्तियाँ बनाते हैं और सुगंध बिखेरते हैं।
    Question 51
    CBSEENHN9001092

    निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर उसका शिल्प सौन्दर्य लिखिए
    यहीं इस गली में बनती है
    मुल्क की मशहूर अगरबत्तियाँ
    इन्हीं गंदे मुहल्लों के गंदे लोग
    बनाते हैं केवड़ा गुलाब खस और रातरानी
         अगरबत्तियाँ
    दुनिया की सारी गंदगी बीच
    दुनिया की सारी खुशबू
    रचते रहते हैं हाथ

    खुशबू रचते हैं हाथ
    खुशबू रचते हैं हाथ।

    Solution

    शिल्प सौन्दर्य-
    1. कवि ने मजदूरों की दयनीय दशा का मार्मिक चित्रण किया है
    2. खड़ी बोली का प्रयोग किया गया है।
    3. भाषा सरल, सरस व रोचक है।
    4. चित्रात्मक व वर्णनात्मक शैली का प्रयोग किया गया है।
    5. जीवन के विविध क्षेत्रों का चित्रण किया गया है।
    6. आम प्रचलित उर्दू शब्दों का अधिक प्रयोग हुआ है।
    7. अनुप्रास अलंकार का प्रयोग हुआ है।

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