Question
निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर उसका शिल्प सौन्दर्य लिखिए -
यहाँ रोज़ कुछ बन रहा है
रोज़ कुछ घट रहा है
यहाँ स्मृति का भरोसा नहीं
एक ही दिन में पुरानी पड़ जाती है दुनिया
जैसे वसंत का गया पतझड़ को लौटा हूँ
जैसे बैसाख का गया भादों को लौटा हूँ
अब यही है उपाय कि हर दरवाज़ा खटखटाओ
और पूछो-क्या यही है वो घर?
समय बहुत कम है तुम्हारे पास
आ चला पानी ढहा आ रहा अकास
शायद पुकार ले कोई पहचाना ऊपर से देखकर।
Solution
शिल्प सौन्दर्य:
1. जीवन की गति परिवर्तनशील है। इस जीवन के सत्य की ओर ध्यान आकर्षित किया गया है।
2. खड़ी बोली का प्रयोग हुआ है।
3. भाषा स्वाभाविक व रोचक है।
4. चित्रात्मक व वर्णनात्मक शैली का प्रयोग हुआ है।
5. कहीं-कहीं भावात्मक शैली का प्रयोग हुआ है।
6. आम-बोलचाल की भाषा का प्रभाव दिखाई देता है।
7. ‘जैसे बसंत... लौटा हूँ’ में उत्पेक्षा अलंकार है।