Question
निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रशनों के उत्तर दीजिये:
यहाँ रोज़ कुछ बन रहा है
रोज़ कुछ घट रहा है
यहाँ स्मृति का भरोसा नहीं
एक ही दिन में पुरानी पड़ जाती है दुनिया
जैसे वसंत का गया पतझड़ को लौटा हूँ
जैसे बैसाख का गया भादों को लौटा हूँ
अब यही है उपाय कि हर दरवाज़ा खटखटाओ
और पूछो-क्या यही है वो घर?
समय बहुत कम है तुम्हारे पास
आ चला पानी ढहा आ रहा अकास
शायद पुकार ले कोई पहचाना ऊपर से देखकर।
‘बसत का गया पतझड़’ और बैसाख का गया भादों को लौटा से क्या अभिप्राय है?
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लम्बे अतंराल के बाद आया है ।
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थोड़े से घण्टे बिताकर आया है।
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नई बस्तियों के निर्माण के लिए आया है।
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सच का सामना करके आया है।
Solution
A.
लम्बे अतंराल के बाद आया है ।