Question
निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर उसका भाव पक्ष लिखिए:
यहाँ रोज़ कुछ बन रहा है
रोज़ कुछ घट रहा है
यहाँ स्मृति का भरोसा नहीं
एक ही दिन में पुरानी पड़ जाती है दुनिया
जैसे वसंत का गया पतझड़ को लौटा हूँ
जैसे बैसाख का गया भादों को लौटा हूँ
अब यही है उपाय कि हर दरवाज़ा खटखटाओ
और पूछो-क्या यही है वो घर?
समय बहुत कम है तुम्हारे पास
आ चला पानी ढहा आ रहा अकास
शायद पुकार ले कोई पहचाना ऊपर से देखकर।
Solution
भाव पक्ष- स्मृति पर भरोसा न करते हुए नित्य घटने वाली घटनाओं का चित्रण करते हुए कवि कहते हैं कि प्रत्येक दिन मुझे परिवर्तन का आभास दिलाता है, कुछ-न-कुछ नवीन बनता रहता है। प्रत्येक दिन कुछ नवीन घटता रहता है। मनुष्य को अपनी स्मरण शक्ति पर भरोसा नहीं है। पुरानी यादें एक ही दिन में मिट जाती है। स्मृतियाँ प्राचीन पड़ जाती है। ऐसा प्रतीत होता है जैसे वसंत ऋतु में जाने के पश्चात् पतझड़ में लौटा हूँ अर्थात् दीर्घकाल के बाद (लगभग छह मास बाद) लौटकर आया हूँ। ऐसा प्रतीत होने लगता है कि जैसे बैसाख के महीने में जाकर भादों को लौटा हूँ अर्थात् पाँच माह की दीर्घ अवधि के बाद वापिस लौटा हूँ। अब यहीं उपाय शेष है कि प्रत्येक दरवाजे को खटखटाए और यह पूछा जाए कि क्या यहीं वह घर है जिसे मैं ढूँढ रहा हूँ। जीवन में समय बहुत कम हैं ऐसा लगता है कि जैसे आकाश सिर पर गिरा चला आ रहा हो। ऐसा लगता है कि शायद कोई पहचाना हुआ पुकार ले।
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