स्पर्श भाग १ Chapter 13 गीत-अगीत - रामधारी सिंह दिनकर
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    NCERT Solution For Class 9 About 2.html स्पर्श भाग १

    गीत-अगीत - रामधारी सिंह दिनकर Here is the CBSE About 2.html Chapter 13 for Class 9 students. Summary and detailed explanation of the lesson, including the definitions of difficult words. All of the exercises and questions and answers from the lesson's back end have been completed. NCERT Solutions for Class 9 About 2.html गीत-अगीत - रामधारी सिंह दिनकर Chapter 13 NCERT Solutions for Class 9 About 2.html गीत-अगीत - रामधारी सिंह दिनकर Chapter 13 The following is a summary in Hindi and English for the academic year 2021-2022. You can save these solutions to your computer or use the Class 9 About 2.html.

    Question 1
    CBSEENHN9000972

    निन्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए-
    नदी का किनारों से कुछ कहते हुए बह जाने पर गुलाब क्या सोच रहा है? इससे सम्बन्धित पंक्तियों को लिखिए।

    Solution

    इससे सम्बन्धित पंक्तियाँ इस प्रकार है-
    तट पर एक गुलाब सोचता
    “देते स्वर यदि मुझे विधाता
    अपने पतझर के सपनों का
    मैं भी जग को गीत सुनाता।”

    Question 2
    CBSEENHN9000973

    निन्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए-
    जब शुक गाता है, तो शुकी के हृदय पर क्या प्रभाव पड़ता है?

    Solution
    शुक अपना स्नेह प्रकट करने के लिए मधुर गीत गाता है तब उसका गीत पूरे वन में गूँज जाता है, शुकी के हृदय पर यह प्रभाव पड़ता है कि उस गीत की लहरें हृदय को छू जाती है और वह स्नेह में ही सुनकर रह जाता है उन्हें स्वर नही मिल पाता। शुक का गीत सुनकर शुकी के पंख खुशी से फूल जाते हैं। वह अत्यधिक प्रसन्न होती है।
    Question 3
    CBSEENHN9000974

    निन्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए-
    प्रेमी जब गीत गाता है, तब प्रेमिका की’ क्या इच्छा होती है?

    Solution
    जब प्रेमी प्रेम के गीत गाता है तब उसकी प्रेमिका घर छोड़कर उसके पास चली आती है। वह नीम की छाया में छिपकर उसका मधुर गीत सुनती है। तब उसकी यह इच्छा होती है कि वह भी उसके गीत की पंक्ति बन जाए। वह उस पंक्ति में डूबकर खो जाती है और उसको गुनगुनाना शुरु कर देती है।
    Question 4
    CBSEENHN9000975

    निन्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए-
    प्रथम छदं में वर्णित प्रकृति-चित्रण को लिखिए।

    Solution
    प्रकृति का चित्रण करते हुए कवि बताता है कि वन के सुनसान वातावरण में नदी तीव्र गति से बहती चली जा रही है। ऐसा लगता है कि वह अपनी व्यथा अपने किनारों से कह रही है और अपना दिल हल्का कर रही है। तट पर एक गुलाब का पौधा है जो किसी सोच-विचार में मग्न है। पास में नदी बह रही है। इसके किनारे पर गुलाब चुपचाप खड़ा हुआ है। फिर प्रकृति के साथ पशु-पक्षी का गहरा संबंध है। उनका जीवन प्रकृति पर निर्भर होता है और प्रकृति से ही उन्हें भोजन मिलता है तथा प्रकृति ही उन्हें सहारा देती है। ये प्रकृति में अपना घोंसला (निवास स्थान) बनाते हैं।
    Question 5
    CBSEENHN9000976

    निन्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए-
    प्रकृति के साथ पशु-पक्षियों के सबंध की व्याख्या कीजिए।

    Solution
    प्रकृति की सुंदरता पशु-पक्षियों को भी गुनगुनाने तथा चहचहाने के लिए आकुल कर देती है। दोनों अर्थात् नर और मादा में प्रेम उमड़ने लगता है। उनके क्रिया-कलाप प्रकृति के सौंदर्य के प्रेम में विलीन हो जाते हैं।
    Question 6
    CBSEENHN9000977

    निन्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए-
    मनुष्य को प्रकृति किस रूप में आंदोलित करती है? अपने शब्दों में लिखिए।

    Solution
    मनुष्य को प्रकृति अनेक रूपों में आंदोलित करती है। उसका स्वच्छ वातावरण उसे प्रभावित करता है। प्रकृति में सर्वत्र संगीत प्राप्त होता है। इसे सुनकर और अनुभव करके मनुष्य का मन आंदोलित हो उठता है। संध्या के समय स्वाभाविक रूप से प्रेमी का मन आल्हा गाने के लिए ललचा उठता है। यह संध्या समय की ही मधुरता है जिसके कारण प्रेमी के हृदय में प्रेम उमड़ने लगता है।
    Question 7
    CBSEENHN9000978

    निन्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए:
    सभी कुछ गीत है, अगीत कुछ नहीं होता। कुछ अगीत भी होता है क्या? स्पष्ट कीजिए।

    Solution
    गीत और अगीत में थोड़ा-सा अंतर होता है। मन के भावों को प्रकट करने से गीत बनता है और उन्हें मन ही मन में गुनगुनाना अगीत है। यद्यपि अगीत का प्रकट में कोई अस्तित्व नही किन्तु यह आवश्यक है। गीत-अगीत का संबंध मन में उठने वाले भावों से होता है। जब हृदय के भाव को स्वर मिल जाते है तो वह गीत बन जाता हैं और उन भावों को जब स्वर नहीं मिल पाता तो वे अगीत बन जाते हैं। अगीत को अभिव्यक्ति का अवसर नहीं मिलता पर इसके अस्तित्व से इंकार नहीं किया जा सकता।
    Question 8
    CBSEENHN9000979

    निन्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए:
    ‘गीत-अगीत’ के केंद्रीय भाव को लिखिए।

    Solution
    ‘गीत-अगीत’ कविता का केंद्रीय भाव यह है कि जिस भाव या विचार को स्वर के माध्यम -से अभिव्यक्ति का अवसर मिल जाता है वह गीत है। परंतु इसके साथ अगीत के महत्व को भुलाया नहीं जाना चाहिए क्योंकि मन-ही-मन में भावों को अनुभव करना कम सुंदर नहीं होता। अगीत मन में उमड़ घुमड़ कर रह जाता है। इसकी गूंज सुनी तो नहीं जा सकती पर अनुभव की जा सकती है।
    Question 9
    CBSEENHN9000980

    संदर्भ-सहित व्याख्या कीजिए-
    अपने पतझर के सपनों का
    मैं भी जग को गीत सुनता

    Solution
    नदी के तट पर अकेला खड़ा गुलाब सोचता है कि उसके अंदर भी कोमल भावनाएँ हैं। यदि ईश्वर उसे वाणी देता तो वह संसार को अपने गीत के माध्यम से अपनी कथा सुना पाता। इस प्रकार उसका अगीत गीत बन जाता।
    Question 10
    CBSEENHN9000981

    संदर्भ-सहित व्याख्या कीजिए-
    गाता शुक जब किरण वसंती
    छूती अंग पर्ण से छनकर

    Solution
    इसमें शुक पर प्रकृति के प्रभाव को कवि दर्शाते हुए कहता है मनुष्य ही नहीं पशु पक्षी भी प्राकृतिक सौंदर्य से चहचहाने लगते हैं। जब सूर्य की प्रात: कालीन किरण शुक के अंगों को छूती है तो वह मधुर स्वर से गाने लगती है। किंतु शुकी का स्वर स्नेह में ही भीगकर रह जाता है वह अपने भावों द्वारा अपने गीत को व्यक्त नहीं कर पाती।
    Question 11
    CBSEENHN9000982

    संदर्भ-सहित व्याख्या कीजिए-
    हुई न क्यों मैं कड़ी गीत की
    बिधना यों मन में गुनती है

    Solution
    मानवीय प्रेम की अभिव्यक्ति प्राकृतिक सौदंर्य का ही हिस्सा है। प्रेमी का गाया हुआ गीत प्रेमिका के हृदय तक पहुँच जाता है। तभी वह सोचती है कि हे ईश्वर! वह प्रेमी के गीत की कड़ी क्यों नहीं बनी। इस प्रकार वह मन ही मन सोचने लगती है। उसके शब्द गीत की ध्वनि को सुनकर वह खिंची चली आती है; पर वह गा नहीं पाती।
    Question 17
    CBSEENHN9000988

    ‘गीत-अगीत’ कविता में प्राकृतिक सौंदर्य व मानवीय प्रेम की अभिव्यक्ति किन भावों में की गई है? अपने शब्दों में लिखिए।

    Solution
    ‘गीत-अगीत’ कविता में कवि ने प्राकृतिक सुषमा की अनुभूति का वर्णन किया है। नदियों के रूप में पेड़-पौधों का नैसर्गिक-सौंदय वर्णित किया गया है। दूसरी ओर पशु-पक्षियों के माध्यम से ऐसे गीत का समाँ बाँधा गया है जो प्रेम का आभास कराता है। मनुष्य भी गीत की राग-अनुभूति द्वारा प्रेम-व्यवहार करता है। गीत ऐसी शैली है जो दूसरों के मन को अपनी ओर आकर्षित करने में सक्षम है।

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    Question 18
    CBSEENHN9000989

    इस कविता में किन-किन को गीत गाने वाला कहा गया है?

    Solution
    इस कविता में कलकल करती नदी, प्रकृति से प्रसन्न होकर गाने वाले शुक, तथा आल्हा-गीत गाने वाले प्रेमी को गीत गाने वाला कहा गया है।
    Question 19
    CBSEENHN9000990

    अगीत की स्थिति किन-किन पात्रों में घटित होती है?

    Solution
    नदी के किनारे मौन खड़े गुलाब में, शुक का गीत सुनकर प्रसन्न हो जाने वाली शुकी में और अच्छा-गीत सुनकर मुग्ध होने वाली प्रेमिका में ‘अगीत’ की स्थिति घटित होती है।
    Question 20
    CBSEENHN9000991

    निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर उसका भाव पक्ष लिखिए
    गीत, अगीत, कौन सुदंर है?
    गाकर गीत विरह के तटिनी
    वेगवती बहती जाती है,
    दिल हलका कर लेने को
    उपलों से कुछ कहती जाती है।
    तट पर एक गुलाब सोचता,
    “देते स्वर यदि मुझे विधाता,
    अपने पतझर के सपनों का
    मैं भी जंग को गीत सुनाता!”

    गा-गाकर बह रही निर्झरी,
    पाटक मूक खड़ा तट पर है।
    गीत, अगीत, कौन सुदंर है?



    Solution
    भाव पक्षप्रस्तुत पंक्तियों में प्रकृति सौंदर्य के अतिरिक्त जीव-जन्तुओं के ममत्व, मानवीय राग और प्रेमभाव का सजीव चित्रण करते हुए कवि कहते है कि गीत और अगीत दोनों में से कौन अच्छा है। नदी वियोग के गीत गाती हुई तीव्र प्रवाह से प्रवाहित होती है। अपने मन की व्यथा को हल्का करने के लिए किनारों से संवाद करती है। बहता हुआ पानी जब किनारों से टकराता है तो उससे एक प्रकार की गूंज उठती है। नदी के किनारे पर लगा हुआ गुलाब सोचने लगता है कि यदि मुझे ईश्वर स्वरों का वरदान देते तो भी अपनी आपबीती नदी की गति की तरह सृजन कर डालता। (सारे संसार को पतझड़ के दु:ख भरे दिनों की पीड़ा) अर्थात नदी गीत गाते हुए अर्थात् कल-कल की ध्वनि करते हुए प्रवाहित हो रही है और किनारे पर खड़ा हुआ गुलाब चुप है। गीत और अगीत में से कौन सुन्दर प्रतीत होता है। परन्तु मेरी पीड़ा मन ही में रह जाती है।
    Question 21
    CBSEENHN9000992

    निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर उसका शिल्प सौन्दर्य लिखिए
    गीत, अगीत, कौन सुदंर है?
    गाकर गीत विरह के तटिनी
    वेगवती बहती जाती है,
    दिल हलका कर लेने को
    उपलों से कुछ कहती जाती है।
    तट पर एक गुलाब सोचता,
    “देते स्वर यदि मुझे विधाता,
    अपने पतझर के सपनों का
    मैं भी जंग को गीत सुनाता!”

    गा-गाकर बह रही निर्झरी,
    पाटक मूक खड़ा तट पर है।
    गीत, अगीत, कौन सुदंर है?



    Solution

    शिल्प सौन्दर्य-
    1. प्रस्तुत पद्यांश में प्राकृतिक सौन्दर्य जीवन्त हो उठा है।
    2. खड़ी बोली का प्रयोग किया गया है।
    3. तत्सम प्रधान शब्दावली का प्रयोग किया गया है।
    4. भाषा में लयात्मकता व गीतात्मकता है।
    5. भाषा सरल, सरस व प्रवाहमयी है।
    6. भावात्मक व उदाहराणात्मक शैली का प्रयोग किया गया है।
    7. चित्रात्मक होने के कारण वर्णन सजीव व रोचक बन पड़ा है।
    8. अनुप्रास अलंकार का प्रयोग हुआ है।

    Question 27
    CBSEENHN9000998

    निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर उसका भाव पक्ष लिखिए
    बैठा शुक उस घनी डाल पर
    जो खोंते पर छाया देती।
    पंख फुला नीचे खोंते में
    शुकी बैठ अंडे है सेती।
    गाता शुक जब किरण वसंती
    छूती अंग पर्ण से छनकर।
    किंतु, शुकी के गीत उमड़कर
    रह जाते सनेह में सनकर।

    गूँज रहा शुक का स्वर वन में,
    फूला मग्न शुकी का पर है।
    गती, अगीत, कौन सुदंर है ?

    Solution
    भाव पक्षकवि ने मौन और प्रकटीकरण के अन्तर को व्यक्त करने के लिए तोते और तोती के व्यवहार को सामने रखते हुए कहा है कि शुक वृक्ष की उस घनी डाल पर बैठा है जिसकी छाया उसके घोंसले पर पड़ रही है, उसी घोंसले में शुकी भी बैठी है, वह अपने पंख फुलाकर अपने अंडों को से रही है। जब सूरज की बसंती किरण पत्तों से छनकर आती है और उसके अंगों को छूती है तो वह प्रसन्न होकर गा उठता है। उधर शुकी भी गाना चाहती है किन्तु उसके मन में उठने वाले गीत प्रेम और वात्सल्य में डूबकर रह जाते हैं। वह अपने बच्चों को स्नेह में डूबी-डूबी उन गीतों को अंदर-ही-अंदर अनुभव करती है। देखो शुक का स्वर वन में चारों ओर गूंज रहा है, किन्तु शुकी अपने पंखों को अंडों पर फुलाए हुए मग्न है। दोनों ही सुंदर है। शुक का स्नेह मुखर है और शुकी का मौन। एक का स्वर गीत कहलाता है, दूसरे का मौन अगीत कहलाता है। बताइए, इन दोनों में से कौन सुन्दर है।
    Question 28
    CBSEENHN9000999

    निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर उसका शिल्प सौन्दर्यलिखिए
    बैठा शुक उस घनी डाल पर
    जो खोंते पर छाया देती।
    पंख फुला नीचे खोंते में
    शुकी बैठ अंडे है सेती।
    गाता शुक जब किरण वसंती
    छूती अंग पर्ण से छनकर।
    किंतु, शुकी के गीत उमड़कर
    रह जाते सनेह में सनकर।

    गूँज रहा शुक का स्वर वन में,
    फूला मग्न शुकी का पर है।
    गती, अगीत, कौन सुदंर है ?

    Solution

    शिल्प सौन्दर्य-
    1. कवि मौन भावना के सौन्दर्य को व्यक्त करने में सफल रहा है।
    2. खड़ी बोली का प्रयोग हुआ है।
    3. तत्सम प्रधान शब्दावली का प्रयोग किया गया है।
    4. भाषा में लयात्मकता व गीतात्मकता है।
    5. भावात्मक व उदाहराणात्मक शैली का प्रयोग किया गया है।
    6. भाषा सरल, सरस व प्रवाहमयी है।
    7. चित्रात्मक होने के कारण वर्णन सजीव व रोचक बन पड़ा है।
    8. अनुप्रास अलंकार का प्रयोग हुआ है।

    Question 35
    CBSEENHN9001006

    निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर उसका भाव पक्ष लिखिए:
    दो प्रेमी हैं यहाँ, एक जब
    बड़े साँझ आल्हा गाता है,
    पहला स्वर उसकी राधा को
    घर से यहाँ खींच लाता है।
    चोरी-चोरी खड़ी नीम की
    छाया में छिपकर सुनती है,
    ‘हुई न क्यों मैं कड़ी गीत की
    बिधना’, यों मन में गुनती है।
    वह गाता, पर किसी वेग से
    फूल रहा इसका अंतर है।
    गीत, अगीत, कौन सुदंर है?

     

    Solution
    भाव पक्षकवि कहता है कि दो प्रेमियों के प्रेम का अंतर देखो। एक प्रेमी साँझ होते ही आल्हा-गीत गाने लगता है। जैसे ही उसके मुख से आल्हा का पहला स्वर फूटता है, वैसे ही उसकी राधा घर से वहाँ खिंची चली आती है। वही नीम की छाया में छिपकर उसका वह मधुर गीत सुनती है। गीत पर मुग्ध होकर वह सोचती है कि हें विधाता! मैं इस मधुर गीत की पंक्ति ही क्यों न बन गई? काश मैं इसके मधुर गीत में खो जाती। देखो, प्रेमी गाता है और उसके गान को सुनकर उसकी प्रेमिका का हृदय नाच उठता है। एक का प्रेम प्रकट, है तो दूसरी का मौन। एक गया जाने के कारण गीत है तो दूसरा मौन होने के कारण ‘अगीत’ है। बताओ, इन दोनों में कौन अधिक सुंदर है।
    Question 36
    CBSEENHN9001007

    निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर उसका शिल्प सौन्दर्य लिखिए:
    दो प्रेमी हैं यहाँ, एक जब
    बड़े साँझ आल्हा गाता है,
    पहला स्वर उसकी राधा को
    घर से यहाँ खींच लाता है।
    चोरी-चोरी खड़ी नीम की
    छाया में छिपकर सुनती है,
    ‘हुई न क्यों मैं कड़ी गीत की
    बिधना’, यों मन में गुनती है।
    वह गाता, पर किसी वेग से
    फूल रहा इसका अंतर है।
    गीत, अगीत, कौन सुदंर है?

     

    Solution

    शिल्प सौन्दर्य:
    1. गीत व अगीत के बीच ममत्व, मानवीय प्रेम और प्रेमभाव का भी सजीव चित्रण किया गया है।
    2. खड़ी बोली का प्रयोग किया गया है।
    3. तत्सम प्रधान शब्दावली का प्रयोग किया गया है।
    4. भाषा में लयात्मकता व गीतात्मकता है।
    5. भाषा सरल, सरस व प्रवाहमयी है।
    6. भावात्मक व उदाहराणात्मक शैली का प्रयोग किया गया है।
    7. चित्रात्मक होने के कारण वर्णन सजीव व रोचक बन पड़ा है।
    8. ‘चोरी-चोरी’, गा-गाकर में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।

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