Sponsor Area
इससे सम्बन्धित पंक्तियाँ इस प्रकार है-
तट पर एक गुलाब सोचता
“देते स्वर यदि मुझे विधाता
अपने पतझर के सपनों का
मैं भी जग को गीत सुनाता।”
Sponsor Area
गा-गाकर बह रही निर्झरी,
पाटक मूक खड़ा तट पर है।
गीत, अगीत, कौन सुदंर है?
गा-गाकर बह रही निर्झरी,
पाटक मूक खड़ा तट पर है।
गीत, अगीत, कौन सुदंर है?
शिल्प सौन्दर्य-
1. प्रस्तुत पद्यांश में प्राकृतिक सौन्दर्य जीवन्त हो उठा है।
2. खड़ी बोली का प्रयोग किया गया है।
3. तत्सम प्रधान शब्दावली का प्रयोग किया गया है।
4. भाषा में लयात्मकता व गीतात्मकता है।
5. भाषा सरल, सरस व प्रवाहमयी है।
6. भावात्मक व उदाहराणात्मक शैली का प्रयोग किया गया है।
7. चित्रात्मक होने के कारण वर्णन सजीव व रोचक बन पड़ा है।
8. अनुप्रास अलंकार का प्रयोग हुआ है।
गूँज रहा शुक का स्वर वन में,
फूला मग्न शुकी का पर है।
गती, अगीत, कौन सुदंर है ?
गूँज रहा शुक का स्वर वन में,
फूला मग्न शुकी का पर है।
गती, अगीत, कौन सुदंर है ?
शिल्प सौन्दर्य-
1. कवि मौन भावना के सौन्दर्य को व्यक्त करने में सफल रहा है।
2. खड़ी बोली का प्रयोग हुआ है।
3. तत्सम प्रधान शब्दावली का प्रयोग किया गया है।
4. भाषा में लयात्मकता व गीतात्मकता है।
5. भावात्मक व उदाहराणात्मक शैली का प्रयोग किया गया है।
6. भाषा सरल, सरस व प्रवाहमयी है।
7. चित्रात्मक होने के कारण वर्णन सजीव व रोचक बन पड़ा है।
8. अनुप्रास अलंकार का प्रयोग हुआ है।
गूँज रहा शुक का स्वर वन में,
फूला मग्न शुकी का पर है।
गती, अगीत, कौन सुदंर है?
शुकी क्यों नहीं बोल रही थी?
A.
मातृत्व क सुखद भावों में डूबे होने के कारण
शिल्प सौन्दर्य:
1. गीत व अगीत के बीच ममत्व, मानवीय प्रेम और प्रेमभाव का भी सजीव चित्रण किया गया है।
2. खड़ी बोली का प्रयोग किया गया है।
3. तत्सम प्रधान शब्दावली का प्रयोग किया गया है।
4. भाषा में लयात्मकता व गीतात्मकता है।
5. भाषा सरल, सरस व प्रवाहमयी है।
6. भावात्मक व उदाहराणात्मक शैली का प्रयोग किया गया है।
7. चित्रात्मक होने के कारण वर्णन सजीव व रोचक बन पड़ा है।
8. ‘चोरी-चोरी’, गा-गाकर में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।
Sponsor Area
Sponsor Area
Sponsor Area