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गीत-अगीत - रामधारी सिंह दिनकर

Question
CBSEENHN9000991

निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर उसका भाव पक्ष लिखिए
गीत, अगीत, कौन सुदंर है?
गाकर गीत विरह के तटिनी
वेगवती बहती जाती है,
दिल हलका कर लेने को
उपलों से कुछ कहती जाती है।
तट पर एक गुलाब सोचता,
“देते स्वर यदि मुझे विधाता,
अपने पतझर के सपनों का
मैं भी जंग को गीत सुनाता!”

गा-गाकर बह रही निर्झरी,
पाटक मूक खड़ा तट पर है।
गीत, अगीत, कौन सुदंर है?



Solution
भाव पक्षप्रस्तुत पंक्तियों में प्रकृति सौंदर्य के अतिरिक्त जीव-जन्तुओं के ममत्व, मानवीय राग और प्रेमभाव का सजीव चित्रण करते हुए कवि कहते है कि गीत और अगीत दोनों में से कौन अच्छा है। नदी वियोग के गीत गाती हुई तीव्र प्रवाह से प्रवाहित होती है। अपने मन की व्यथा को हल्का करने के लिए किनारों से संवाद करती है। बहता हुआ पानी जब किनारों से टकराता है तो उससे एक प्रकार की गूंज उठती है। नदी के किनारे पर लगा हुआ गुलाब सोचने लगता है कि यदि मुझे ईश्वर स्वरों का वरदान देते तो भी अपनी आपबीती नदी की गति की तरह सृजन कर डालता। (सारे संसार को पतझड़ के दु:ख भरे दिनों की पीड़ा) अर्थात नदी गीत गाते हुए अर्थात् कल-कल की ध्वनि करते हुए प्रवाहित हो रही है और किनारे पर खड़ा हुआ गुलाब चुप है। गीत और अगीत में से कौन सुन्दर प्रतीत होता है। परन्तु मेरी पीड़ा मन ही में रह जाती है।

Some More Questions From गीत-अगीत - रामधारी सिंह दिनकर Chapter

निन्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए-
जब शुक गाता है, तो शुकी के हृदय पर क्या प्रभाव पड़ता है?

निन्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए-
प्रेमी जब गीत गाता है, तब प्रेमिका की’ क्या इच्छा होती है?

निन्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए-
प्रथम छदं में वर्णित प्रकृति-चित्रण को लिखिए।

निन्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए-
प्रकृति के साथ पशु-पक्षियों के सबंध की व्याख्या कीजिए।

निन्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए-
मनुष्य को प्रकृति किस रूप में आंदोलित करती है? अपने शब्दों में लिखिए।

निन्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए:
सभी कुछ गीत है, अगीत कुछ नहीं होता। कुछ अगीत भी होता है क्या? स्पष्ट कीजिए।

निन्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए:
‘गीत-अगीत’ के केंद्रीय भाव को लिखिए।

संदर्भ-सहित व्याख्या कीजिए-
अपने पतझर के सपनों का
मैं भी जग को गीत सुनता

संदर्भ-सहित व्याख्या कीजिए-
गाता शुक जब किरण वसंती
छूती अंग पर्ण से छनकर

संदर्भ-सहित व्याख्या कीजिए-
हुई न क्यों मैं कड़ी गीत की
बिधना यों मन में गुनती है