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गीत-अगीत - रामधारी सिंह दिनकर

Question
CBSEENHN9000977

निन्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए-
मनुष्य को प्रकृति किस रूप में आंदोलित करती है? अपने शब्दों में लिखिए।

Solution
मनुष्य को प्रकृति अनेक रूपों में आंदोलित करती है। उसका स्वच्छ वातावरण उसे प्रभावित करता है। प्रकृति में सर्वत्र संगीत प्राप्त होता है। इसे सुनकर और अनुभव करके मनुष्य का मन आंदोलित हो उठता है। संध्या के समय स्वाभाविक रूप से प्रेमी का मन आल्हा गाने के लिए ललचा उठता है। यह संध्या समय की ही मधुरता है जिसके कारण प्रेमी के हृदय में प्रेम उमड़ने लगता है।

Some More Questions From गीत-अगीत - रामधारी सिंह दिनकर Chapter

निन्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए:
‘गीत-अगीत’ के केंद्रीय भाव को लिखिए।

संदर्भ-सहित व्याख्या कीजिए-
अपने पतझर के सपनों का
मैं भी जग को गीत सुनता

संदर्भ-सहित व्याख्या कीजिए-
गाता शुक जब किरण वसंती
छूती अंग पर्ण से छनकर

संदर्भ-सहित व्याख्या कीजिए-
हुई न क्यों मैं कड़ी गीत की
बिधना यों मन में गुनती है

निन्नलिखित उदाहरण में ‘वाक्य-विचलन’ को समझाने का प्रयास कीजिए। इसी आधार पर प्रचलित वाक्य विन्यास लिखिए-
उदाहरण: तट पर एक गुलाब सोचता
एक गुलाब तट पर सोचता है।

देते स्वर यदि मुझे विधाता
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निन्नलिखित उदाहरण में ‘वाक्य-विचलन’ को समझाने का प्रयास कीजिए। इसी आधार पर प्रचलित वाक्य विन्यास लिखिए-
उदाहरण: तट पर एक गुलाब सोचता
एक गुलाब तट पर सोचता है।

बैठा शुक उस घनी डाल पर
.............................................

निन्नलिखित उदाहरण में ‘वाक्य-विचलन’ को समझाने का प्रयास कीजिए। इसी आधार पर प्रचलित वाक्य विन्यास लिखिए-
उदाहरण: तट पर एक गुलाब सोचता
एक गुलाब तट पर सोचता है।

गूँज रहा शुक का स्वर वन में
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निन्नलिखित उदाहरण में ‘वाक्य-विचलन’ को समझाने का प्रयास कीजिए। इसी आधार पर प्रचलित वाक्य विन्यास लिखिए-
उदाहरण: तट पर एक गुलाब सोचता
एक गुलाब तट पर सोचता है।

हुई न क्यों मैं कड़ी गीत की
.............................................

निन्नलिखित उदाहरण में ‘वाक्य-विचलन’ को समझाने का प्रयास कीजिए। इसी आधार पर प्रचलित वाक्य विन्यास लिखिए-
उदाहरण: तट पर एक गुलाब सोचता
एक गुलाब तट पर सोचता है।

शुकी बैठ अंडे है सेती
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‘गीत-अगीत’ कविता में प्राकृतिक सौंदर्य व मानवीय प्रेम की अभिव्यक्ति किन भावों में की गई है? अपने शब्दों में लिखिए।