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गीत-अगीत - रामधारी सिंह दिनकर

Question
CBSEENHN9000981

संदर्भ-सहित व्याख्या कीजिए-
गाता शुक जब किरण वसंती
छूती अंग पर्ण से छनकर

Solution
इसमें शुक पर प्रकृति के प्रभाव को कवि दर्शाते हुए कहता है मनुष्य ही नहीं पशु पक्षी भी प्राकृतिक सौंदर्य से चहचहाने लगते हैं। जब सूर्य की प्रात: कालीन किरण शुक के अंगों को छूती है तो वह मधुर स्वर से गाने लगती है। किंतु शुकी का स्वर स्नेह में ही भीगकर रह जाता है वह अपने भावों द्वारा अपने गीत को व्यक्त नहीं कर पाती।

Some More Questions From गीत-अगीत - रामधारी सिंह दिनकर Chapter

निन्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए-
जब शुक गाता है, तो शुकी के हृदय पर क्या प्रभाव पड़ता है?

निन्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए-
प्रेमी जब गीत गाता है, तब प्रेमिका की’ क्या इच्छा होती है?

निन्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए-
प्रथम छदं में वर्णित प्रकृति-चित्रण को लिखिए।

निन्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए-
प्रकृति के साथ पशु-पक्षियों के सबंध की व्याख्या कीजिए।

निन्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए-
मनुष्य को प्रकृति किस रूप में आंदोलित करती है? अपने शब्दों में लिखिए।

निन्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए:
सभी कुछ गीत है, अगीत कुछ नहीं होता। कुछ अगीत भी होता है क्या? स्पष्ट कीजिए।

निन्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए:
‘गीत-अगीत’ के केंद्रीय भाव को लिखिए।

संदर्भ-सहित व्याख्या कीजिए-
अपने पतझर के सपनों का
मैं भी जग को गीत सुनता

संदर्भ-सहित व्याख्या कीजिए-
गाता शुक जब किरण वसंती
छूती अंग पर्ण से छनकर

संदर्भ-सहित व्याख्या कीजिए-
हुई न क्यों मैं कड़ी गीत की
बिधना यों मन में गुनती है