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गीत-अगीत - रामधारी सिंह दिनकर

Question
CBSEENHN9000982

संदर्भ-सहित व्याख्या कीजिए-
हुई न क्यों मैं कड़ी गीत की
बिधना यों मन में गुनती है

Solution
मानवीय प्रेम की अभिव्यक्ति प्राकृतिक सौदंर्य का ही हिस्सा है। प्रेमी का गाया हुआ गीत प्रेमिका के हृदय तक पहुँच जाता है। तभी वह सोचती है कि हे ईश्वर! वह प्रेमी के गीत की कड़ी क्यों नहीं बनी। इस प्रकार वह मन ही मन सोचने लगती है। उसके शब्द गीत की ध्वनि को सुनकर वह खिंची चली आती है; पर वह गा नहीं पाती।

Some More Questions From गीत-अगीत - रामधारी सिंह दिनकर Chapter

निन्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए-
प्रेमी जब गीत गाता है, तब प्रेमिका की’ क्या इच्छा होती है?

निन्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए-
प्रथम छदं में वर्णित प्रकृति-चित्रण को लिखिए।

निन्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए-
प्रकृति के साथ पशु-पक्षियों के सबंध की व्याख्या कीजिए।

निन्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए-
मनुष्य को प्रकृति किस रूप में आंदोलित करती है? अपने शब्दों में लिखिए।

निन्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए:
सभी कुछ गीत है, अगीत कुछ नहीं होता। कुछ अगीत भी होता है क्या? स्पष्ट कीजिए।

निन्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए:
‘गीत-अगीत’ के केंद्रीय भाव को लिखिए।

संदर्भ-सहित व्याख्या कीजिए-
अपने पतझर के सपनों का
मैं भी जग को गीत सुनता

संदर्भ-सहित व्याख्या कीजिए-
गाता शुक जब किरण वसंती
छूती अंग पर्ण से छनकर

संदर्भ-सहित व्याख्या कीजिए-
हुई न क्यों मैं कड़ी गीत की
बिधना यों मन में गुनती है

निन्नलिखित उदाहरण में ‘वाक्य-विचलन’ को समझाने का प्रयास कीजिए। इसी आधार पर प्रचलित वाक्य विन्यास लिखिए-
उदाहरण: तट पर एक गुलाब सोचता
एक गुलाब तट पर सोचता है।

देते स्वर यदि मुझे विधाता
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