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गीत-अगीत - रामधारी सिंह दिनकर

Question
CBSEENHN9001003

निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रशनों के उत्तर दीजिये:
बैठा शुक उस घनी डाल पर
जो खोंते पर छाया देती।
पंख फुला नीचे खोंते में
शुकी बैठ अंडे है सेती।
गाता शुक जब किरण वसंती
छूती अंग पर्ण से छनकर।
किंतु, शुकी के गीत उमड़कर
रह जाते सनेह में सनकर।

गूँज रहा शुक का स्वर वन में,
फूला मग्न शुकी का पर है।
गती, अगीत, कौन सुदंर है?

शुकी के गीतों को किस प्रकार का कहा गया है?


  • विरह का
  • स्नेह से भीगा हुआ
  • जोश का
  • कर्कश

Solution

B.

स्नेह से भीगा हुआ

Some More Questions From गीत-अगीत - रामधारी सिंह दिनकर Chapter

निन्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए-
प्रथम छदं में वर्णित प्रकृति-चित्रण को लिखिए।

निन्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए-
प्रकृति के साथ पशु-पक्षियों के सबंध की व्याख्या कीजिए।

निन्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए-
मनुष्य को प्रकृति किस रूप में आंदोलित करती है? अपने शब्दों में लिखिए।

निन्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए:
सभी कुछ गीत है, अगीत कुछ नहीं होता। कुछ अगीत भी होता है क्या? स्पष्ट कीजिए।

निन्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए:
‘गीत-अगीत’ के केंद्रीय भाव को लिखिए।

संदर्भ-सहित व्याख्या कीजिए-
अपने पतझर के सपनों का
मैं भी जग को गीत सुनता

संदर्भ-सहित व्याख्या कीजिए-
गाता शुक जब किरण वसंती
छूती अंग पर्ण से छनकर

संदर्भ-सहित व्याख्या कीजिए-
हुई न क्यों मैं कड़ी गीत की
बिधना यों मन में गुनती है

निन्नलिखित उदाहरण में ‘वाक्य-विचलन’ को समझाने का प्रयास कीजिए। इसी आधार पर प्रचलित वाक्य विन्यास लिखिए-
उदाहरण: तट पर एक गुलाब सोचता
एक गुलाब तट पर सोचता है।

देते स्वर यदि मुझे विधाता
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निन्नलिखित उदाहरण में ‘वाक्य-विचलन’ को समझाने का प्रयास कीजिए। इसी आधार पर प्रचलित वाक्य विन्यास लिखिए-
उदाहरण: तट पर एक गुलाब सोचता
एक गुलाब तट पर सोचता है।

बैठा शुक उस घनी डाल पर
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