स्पर्श भाग १ Chapter 7 धर्म की आड़ - गणेशशंकर विद्यार्थी
  • Sponsor Area

    NCERT Solution For Class 9 About 2.html स्पर्श भाग १

    धर्म की आड़ - गणेशशंकर विद्यार्थी Here is the CBSE About 2.html Chapter 7 for Class 9 students. Summary and detailed explanation of the lesson, including the definitions of difficult words. All of the exercises and questions and answers from the lesson's back end have been completed. NCERT Solutions for Class 9 About 2.html धर्म की आड़ - गणेशशंकर विद्यार्थी Chapter 7 NCERT Solutions for Class 9 About 2.html धर्म की आड़ - गणेशशंकर विद्यार्थी Chapter 7 The following is a summary in Hindi and English for the academic year 2021-2022. You can save these solutions to your computer or use the Class 9 About 2.html.

    Question 1
    CBSEENHN9000602

    निन्नलिखित गद्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रशनों के उत्तर दीजिए-
    इस समय, देश में धर्म की धूम है। उत्पाद किए जाते हैं, तो धर्म और ईमान के नाम पर, और जिद की जाती है, तो धर्म और ईमान के नाम पर। रमुआ पासी और बुद्धू मियाँ धर्म और ईमान को जानें, या न जानें, परंतु उनके नाम पर उबल पड़ते हैं और जान लेने और जान देने के लिए तैयार हो जाते हैं। 
    (क) पाठ तथा लेखक का नाम लिखो।
    (ख) धर्म के नाम पर ज़िद क्यों की जाती है?
    (ग) धर्म के नाम पर दंगे क्यों होते हैं।
    (घ) देश में धर्म की धूम कैसे है?


    Solution

    (क) पाठ-धर्म की आड़, लेखक-गणेशशंकर विद्यार्थी।
    (ख) धर्म का विषय बड़ा संवेदनशील है विभिन्न समुदायों के लोग भिन्न-भिन्न धर्मों को मानने वाले है। हर व्यक्ति का अपना धर्म होता है। धार्मिक लोगों की आस्था इतनी गहरी, दृढ़ और कट्‌टर होती है कि वे उसके नाम पर मरने-मिटने को तैयार हो जाते है। यहाँ तक कि धर्म का नाम लेकर अपनी बात पर अड़ जाते हैं।
    (ग) विभिन्न धर्मों को मानने वाले अपने धर्म को श्रेष्ठ बताने के चक्कर में दंगा-फसाद शुरू कर देते है उनमें मरने-मारने की भावना होता है। यह भावना धर्म गुरूओं द्वारा भड़काई जाती है।
    (घ) देश में धर्म की धूम है। हर जगह धर्म के नाम पर आस्था रखने वाले, मंदिर, मस्जिद, गुरूद्वारे, जाने वाले मिल जाते हैं। चाहे वे धर्म का अर्थ न समझते हो किन्तु धर्म के नाम पर होने वाले गतिविधियों में बढ़चढ़कर भाग लेते हैं।

    Question 2
    CBSEENHN9000603

    निन्नलिखित गद्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रशनों के उत्तर दीजिए-
    हमारे देश में, इस समय, धनपतियों का इतना ज़ोर नहीं है। यहाँ, धर्म के नाम पर, कुछ इने-गिने आदमी अपने हीन स्वार्थों की सिद्धि के लिए, करोड़ों आदमियों की शक्ति का दुरुपयोग किया करते हैं। गरीबों का धनाढ्यों द्वारा चूसा जाना इतना बुरा नहीं है, जितना बुरा यह है कि वहाँ है धन की मार, यहाँ है बुद्धि पर मार। वहाँ धन दिखाकर करोड़ों को वश में किया जाता है, और फिर मन-माना धन पैदा करने के लिए जोत दिया जाता है। यहाँ है बुद्धि पर परदा डालकर पहले ईश्वर और आत्मा का स्थान अपने लिए लेना, और फिर, धर्म, ईमान, ईश्वर और आत्मा के नाम पर अपनी स्वार्थ-सिद्धि के लिए लोगों को लड़ाना-भिड़ाना। 
    प्रशन:
    (क) पाठ तथा लेखक का नाम लिखो
    (ख) इस देश में गरीबों का शोषण बुरा क्यों नहीं है?
    (ग) बुद्धि की मार से क्या अभिप्राय है?
    (घ) धर्म के नाम पर कौन-कौन लोगों का शोषण करते हैं?

    Solution

    (क) पाठ-धर्म की आड़, लेखक-गणेशशंकर विद्यार्थी।
    (ख) इस देश में गरीब आदमी की सोच इतनी विकसित नहीं है। वह परंपरा से चली आ रही प्रथाओं का पालन करने में खुश रहते हैं। यहीं रोटी के लिए सब कुछ होता है।
    (ग) बुद्धि की मार का अर्थ है दिमाग की सोच। सोच-विचार कर कार्य न करना। नेता या महंत लोगों की धार्मिक भावना को भड़काकर अपना स्वार्थ सिद्धि करते है यही कूटनीति बुद्धि की मार है।
    (घ) धर्म के नाम पर नेता, मठाधीश, आतंकवादी और धूर्त लोग लोगों का शोषण करते है।

    Question 3
    CBSEENHN9000604

    निन्नलिखित गद्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रशनों के उत्तर दीजिए-
    अजाँ देने, शंख बजाने, नाक दाबने और नमाज़ पढ़ने का नाम धर्म नहीं है। शुद्धाचरण और सदाचार ही धर्म के स्पष्ट चिहन हैं। दो घंटे तक बैठकर पूजा कीजिए और पंच-वक्ता नमाज भी अदा कीजिए, परंतु ईश्वर को इस प्रकार रिश्वत के दे चुकने के पश्चात्, यदि आप अपने को दिन-भर बेईमानी करने और दूसरों को तकलीफ़ पहुँचाने के लिए आज़ाद समझते हैं तो, इस धर्म को, अब आगे आने वाला समय कदापि नहीं टिकने देगा। अब तो, आपका पूजा-पाठ न देखा जाएगा, आपकी भलमनसाहत की कसौटी केवल आपका आचरण होगी। सबके कल्याण की दृष्टि से, आपको अपने आचरण को सुधारना पड़ेगा और यदि आप अपने आचरण को नहीं सुधारेंगे तो नमाज़ और रोज़े, पूजा और गायत्री आपको देश के अन्य लोगों की आज़ादी को रौंदने और देश-भर में उत्पातों का कीचड़ उछालने के लिए आज़ाद न छोड़ सकेगी।
    (क) पाठ तथा लेखक का नाम लिखो
    (ख) किन कामों को धर्म नहीं कहा जा सकता?
    (ग) आने वाला समय किस धर्म को नहीं टिकने देना?
    (घ) भलमनसाहत शब्द का अर्थ स्पष्ट करो

    Solution

    (क) पाठ-धर्म की आड़, लेखक-गणेशशंकर विद्यार्थी।
    (ख) अजाँ देने, शंख बजाने, नाक दाबने और नमाज पढ़ने जैसे कामों को धर्म नहीं कहा जा सकता।
    (ग) आने वाला समय उस धर्म को नहीं टिकने देगा जहाँ ईश्वर को रिश्वत देकर उसे खुश किया जाए और दिन भर बेईमानी करके दूसरों को तकलीफ पहुँचाई जाती है, तब पूजा पाठ को नहीं देखा जाएगा।
    (घ) भलमनसाहत का अर्थ है-सज्जनता, शराफत, अच्छे स्वभाव वाला। भलमनसाहत की कसौटी केवल व्यक्ति का आचरण होता है। इसमें सबके कल्याण की भावना नीहित रहती है। आचरण न सुधारने पर अन्य सब बातें बेकार जाएंगी।

    Question 4
    CBSEENHN9000605

    निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-
    आज धर्म के नाम पर क्या-क्या हो रहा हैं?

    Solution
    आज धर्म के नाम पर नेता, आतंकवादी और धूर्त, लोगों का शोषण करते हैं। धर्म के नाम पर दंगे फसाद किए जाते है। ज़िद की जाती है और धर्म के नाम पर उत्पाद किए जाते हैं।
    Question 5
    CBSEENHN9000606

    निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-
    धर्म के व्यापार को रोकने के लिए क्या उद्योग होने चाहिए?

    Solution
    धर्म के नाम पर व्यापार को रोकने के लिए हमें दृढ़ता से धार्मिक उन्माद का विरोध करना होगा। हमें कुछ लोगों की धूर्तता के जाल में नहीं उलझना चाहिए। अपनी बुद्धि का प्रयोग करना चाहिए। इन धूर्त लोगों का आसन ऊँचा करने से बचना चाहिए।
    Question 6
    CBSEENHN9000607

    निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-
    लेखक के अनुसार स्वाधीनता आंदोलन का कौन आ दिन सबसे बुरा था?

    Solution
    लेखक के अनुसार स्वाधीनता आंदोलन का वह सबसे बुरा दिन था जिस दिन स्वाधीनता के लिए मुल्ला, मौलवियों व धर्माचार्यो को आवश्यकता से अधिक महत्व दिया गया। ऐसा करने पर हमने स्वाधीनता के आंदोलन में अपना एक कदम पीछे कर दिया। उसी पाप का फल हमें आज तक भुगतना पड़ रहा है।
    Question 7
    CBSEENHN9000608

    निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-
    साधारण से साधारण आदमी तक के दिल में क्या बात अच्छी तरह दर कर बैठी हैं?

    Solution
    साधारण से साधारण आदमी तक के दिल में यह बात अच्छी तरह से घर करके बैठ गई है कि धर्म के सम्मान की रक्षा के लिए प्राण दे देना उचित है। साधारण आदमी धर्म के तत्वों को नहीं समझते पर धर्म के नाम पर भड़क जाते हैं।
    Question 8
    CBSEENHN9000609

    निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-
    धर्म के स्पष्ट चिह्न क्या हैं?

    Solution
    धर्म के दो स्पष्ट चिह्न हैं-शुद्ध आचरण और सदाचार।
    Question 9
    CBSEENHN9000610

    (क) निन्नलिखित प्रशनों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-
    चलते-पुरज़े लोग धर्म के नाम पर क्या करते हैं?

    Solution
    चलते पुरज़े लोग धर्म कै नाम पर मूर्खों लोगों की शक्तियों और उत्साह का दुरुपयोग करते हैं। उन्हीं मूर्खों के आधार पर वे अपना बड़प्पन और नेतृत्व कायम रखना चाहते हैं। ये लोग दूसरों को अपनी चतुराई से दबाते हैं और अपनी मनमानी करते हैं। मनचाही कामनाओं को पूरा करवाते हैं। स्वयं कुछ करें या न करें परन्तु दूसरों की शक्ति उनकी कामनाओं को पूरा करने में सहायक होती है। उनकी जीवन चर्या इसी चतुराई के आधार पर चलती है।
    Question 10
    CBSEENHN9000611

    (क) निन्नलिखित प्रशनों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-
    चालाक लोग साधारण आदमी की किस अवस्था का लाभ उठाते है?

    Solution
    चालाक लोग साधारण आदमी की धर्म के प्रति निष्ठा का लाभ उठाते हैं। साधारण आदमी धर्म के बारे में अधिक नहीं जानता। वे लोग उसकी अज्ञानता का लाभ उठाकर उसी शक्तियों और उत्साह का शोषण करते हैं। साधारण आदमी उन लोगों के भड़काने एवं बहकावे में आ जाता है और चालाक आदमी अनेक प्रकार से अपने स्वार्थों की पूर्ति करता है। वह आस्थावान धार्मिक लोगों को मरने-मारने के लिए छोड़ देता है। इस प्रकार चालाक आदमी का काम बन जाता है। और वह अपना नेतृत्व और बड़प्पन कायम करने में सफल हो जाता है।
    Question 11
    CBSEENHN9000612

    (क) निन्नलिखित प्रशनों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-
    आनेवाला समय किस प्रकार के धर्म को नहीं टिकने नहीं देगा?

    Solution
    वे लोग जो धर्म की आड़ लेकर लोगों को आपस में लड़वाते हैं आने वाला समय उन्हें टिकने नहीं देगा। जन साधारण की समझ में आ गया है कि बेईमानी करने और दूसरों को दुःख पहुँचाने की आजादी धर्म नहीं है। जहाँ धार्मिक नेता लोगों की भावनाओं से खेलता है। ऐसा धर्म शीघ्र नष्ट हो जाएगा।
    Question 12
    CBSEENHN9000613

    (क) निन्नलिखित प्रशनों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-
    कौन-सा कार्य देश की स्वाधीनता के विरुद्ध समझा जाएगा?

    Solution
    कुछ लोग धर्म की आड़ लेकर अपना स्वार्थ सिद्ध करने की कोशिश करते है उनकी कुटिल चालों को देश की स्वाधीनता के विरूद्ध समझा जाएगा। प्रत्येक व्यक्ति धर्म को मानने के लिए स्वतन्त्र है। उसका मन जिस प्रकार करेगा वह उसी प्रकार पूजा अर्चना करेंगे। उसकी स्वाधीनता को कुचलने का प्रयास व जबरदस्ती उसे धर्म को मानने से रोकने का प्रयास देश की स्वाधीनता के विरूद्ध कार्य है।
    Question 13
    CBSEENHN9000614

    (क) निन्नलिखित प्रशनों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-
    पाश्चात्य देशों में धनी और निर्धन लोगों में क्या अतंर है?

    Solution
    पाश्चात्य देशों में धनी लोगों की ऊँची-ऊँची इमारतें गरीब लोगों का मजाक बनाती है। उसके अतिरिक्त उनके पास सभी सुख-सुविधाएँ हैं। गरीब लोगों का शोषण करके ये लोग धनी बने हैं। धन का मार्ग दिखाकर ये निर्धन लोगों को वश में करते हैं। फिर मनमाना धन पैदा करने के लिए उन्हें दबाते हैं। क्योंकि गरीब लोगों को रोटी के लिए लगातार संघर्ष करना पड़ता है। इतना परिश्रम करने के बाद भी इन्हें झोपड़ियों में जीवन बिताना पड़ता है। इसी कारण ही साम्यवाद और बोल्शेविज्म का जन्म हुआ।
    Question 14
    CBSEENHN9000615

    (क) निन्नलिखित प्रशनों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-
    कौन-से लोग धार्मिक लोगों से अधिक अच्छे है?

    Solution
    वे लोग जो ईश्वर को नहीं मानते या किसी मजहब को नहीं मानते परन्तु जिनका आचरण अच्छा है। जो दूसरों के सुख-दुख का ख्याल रखते हैं। अपनी स्वार्थ सिद्ध के लिए दूसरों को उकसाते नहीं है। इस प्रकार के लोग धार्मिक लोगों से कहीं अच्छे माने गए हैं। ये लोग किसी धर्म को नहीं मानते। दूसरों की मूर्खता और पवित्र भावना का मजाक नहीं उड़ाते।
    Question 15
    CBSEENHN9000616

    (ख) निन्नलिखित प्रशनों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-
    धर्म और ईमान के नाम पर किए जाने वाले भीषण व्यापार को कैसे रोका जा सकता है?

    Solution
    धर्म और ईमान के नाम पर किए जाने वाले भीषण व्यापार को रोकने के लिए हमें साहस और दृढ़ता से काम लेना होगा। हमें उन धूर्त लोगों का पर्दाफ़ाश करना होगा जो धर्म और ईमान के नाम पर दंगे फसाद करवाते हैं। लोगों को आपस में लड़वाते हैं। स्वार्थ पूर्ति के लिए आम आदमी के प्राण ले लिए जाते हैं। हमें धर्म के वास्तविक रूप को समझना होगा। धर्म के नाम पर हो रहे ढोंग व आडम्बरों से स्वयं को बचाना होगा।
    Question 16
    CBSEENHN9000617

    (ख) निन्नलिखित प्रशनों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-
    ‘बुद्धि की मार’ के सबंध में लेखक के क्या विचार हैं?

    Solution
    ‘बुद्धि की मार’ से लेखक का अर्थ है लोगों की बुद्धि में ऐसे विचार भरना जिससे वे गुमराह हो जाएं। इससे उनके सोचने-समझने की शक्ति नष्ट हो जाती है। लोगों को एक-दूसरे के खिलाफ भड़काया जाता है। उनके मन में दूसरे धर्म के विरूद्ध गलत धारणा भरी जाती है और सामान्य लोगों को धर्म-ईमान और आत्मा के नाम पर आपस में लड़वा देते हैं।
    Question 17
    CBSEENHN9000618

    (ख) निन्नलिखित प्रशनों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-
    लेखक की दृष्टि में धर्म की भावना कैसी होनी चाहिए?

    Solution
    लेखक की दृष्टि में धर्म की भावना पवित्र आचरण से परिपूर्ण होनी चाहिए। शुद्ध आचरण और मनुष्यता के गुणों वाली होनी चाहिए। पशुत्व को समाप्त कर मनुष्यता फैलाने वाली होनी चाहिए। धर्म की भावना ईश्वर और आत्मा में पवित्र संबंध स्थापित करने वाली होनी चाहिए। कल्याण की भावना होनी चाहिए न कि दूसरों को भड़काने वाली।

    Sponsor Area

    Question 18
    CBSEENHN9000619

    (ख) निन्नलिखित प्रशनों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-
    महात्मा गांधी के धर्म-सबंधी विचारों पर प्रकाश डालिए?

    Solution
    महात्मा गांधी धर्म को सर्वोच्च स्थान देते थे। धर्म के बिना वे एक कदम भी चलने को तैयार नहीं थे। उनका धर्म शुद्ध पवित्र भावनाओं से परिपूर्ण था जिसमें कल्याण की भावनाएँ निहित थीं। वह सत्य, और अहिंसा को ही परम धर्म मानते थे। उनके अनुसार धर्म उदारता की रक्षा करता है। इसलिए महात्मा गाँधी के अनुसार धर्म में केवल ऊँचे और उदार विचारों का ही स्थान होना चाहिए।
    Question 19
    CBSEENHN9000620

    (ख) निन्नलिखित प्रशनों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-
    सबके कल्याण हेतु अपने आचरण को सुधारना क्यों आवश्यक है?

    Solution
    सबके कल्याण हेतु अपने आचरण को सुधारना इसलिए आवश्यक है क्योंकि आने वाले समय में हमें शुद्ध आचरण और सदाचार के बल पर ही जीवन जीना होगा। अपने स्वार्थ को छोड्‌कर जन कल्याण की भावना को मन में लाना होगा। यदि हम अपने आचरण को नहीं सुधारेंगे तो हमारे द्वारा रखे गए रोजे, नमाज, पूजा आदि व्यर्थ हो जाएगा। जन कल्याण हेतु आचरण में शुद्धता अतिआवश्यक है।
    Question 20
    CBSEENHN9000621

    (ग) निम्नलिखित का आशय स्पष्ट किजिए-
    उबल पड़ने वाला साधारण आदमी का इसमें केवल इतना ही दोष है कि वह कुछ भी नहीं समझता-बूझता, और दूसरे लोग उसे जिधर भी जोत देते हैं, उधर जुत जाता है?

    Solution
    आशय-इस कथन का आशय है कि साधारण आदमी धर्म के बारे में कुछ नहीं जानता। उसमें सोचने विचारने की अधिक शक्ति नहीं होती। वह अपने धर्म-संप्रदाय के प्रति अंधी श्रद्धा रखता है। वह तो धर्म के नाम पर जान लेने और देने को तैयार रहता है। छोटे से संकट की बात सुनकर क्रोधित हो उठता है। ऐसा आदमी दूसरों के हाथ की कठपुतली होता है। उसके मन में यह बात बैठा दी जाती है कि धर्म के हित में जान दे देना पुण्य का काम है। चालाक किस्म के लोग उसे अपना हित साधने के लिए निर्देशित काम में उलझा देते हैं। वह उसमें मन से जुट जाता है। अर्थात् धर्म के नाम पर जिस काम के लिए कहा जाता है वह उसी को करने लगता है। उसमें सोचने-विचारने की शक्ति नहीं होती।
    Question 21
    CBSEENHN9000622

    (ग) निम्नलिखित का आशय स्पष्ट किजिए-
    यहाँ पर बुद्धि पर परदा डालकर पहले ईश्वर और आत्मा का स्थान अपने लिए लेना, और फिर धर्म ईमान ईश्वर और आत्मा के नाम पर अपनी स्वार्थ-सिद्धी के लिए लोगों को लड़ाना-भिड़ाना।

    Solution
    आशय-भारत में धार्मिक नेता लोगों की बुद्धि का शोषण करते हैं। धर्म के नाम पर ऐसे लोग अपना स्वार्थ सिद्ध करके दूसरे लोगों की शक्ति का दुरुपयोग करते हैं। पहले वे अपने प्रति अंधी श्रद्धा उत्पन्न करते हैं। वे स्वयं को ईश्वर के रूप में प्रस्तुत करते हैं। लोग उन्हें ईश्वर और धर्म का ऊँचा प्रतीक मान बैठते हैं जब लोगों की श्रद्धा उन पर जम जाती है तो वह ईमान, धर्म, ईश्वर या आत्मा का नाम लेकर उन्हें दूसरे धर्म वालों से लड़वाकर अपना स्वार्थ सिद्ध करते हैं। इस प्रकार साधारण लोगों का दुरुपयोग कर उनका शोषण करते हैं।
    Question 22
    CBSEENHN9000623

    (ग) निम्नलिखित का आशय स्पष्ट किजिए-
    अब तो, आपका पूजा-पाठ न देखा जाएगा आपकी भलमनसाहत की कसौटी केवल आपका आचरण होगी

    Solution
    आशय-इस सूक्ति का अर्थ है-धर्म ईश्वर की प्राप्ति का सीधा मार्ग है। यह आत्मा व परमात्मा के मिलन की कड़ी है। पूजा पाठ को ढोंग, आडम्बर और धूर्तता समझा जाता है। भले ही पाँचों वक्त नमाज पढ़ी जाए। दूसरों को गलत मार्ग का अनुसरण करने के लिए प्रेरित कर स्वार्थ सिद्ध किया जाए अपना आचरण न सुधारा जाए तो रोजा, नमाज, पूजा सब व्यर्थ हो जाएगा। यदि हमारा आचरण शुद्ध है तो धर्म का वास्तविक मूल्य सिद्ध होता है। मनुष्य की कसौटी उसकी मनुष्यता है न कि धर्म। धर्म तो शुद्ध आचरण और सदाचार का एक मार्ग है जिस पर चलकर ईश्वर की साधना की जा सकती है।
    Question 23
    CBSEENHN9000624

    (ग) निम्नलिखित का आशय स्पष्ट किजिए-
    तुम्हारे मानने ही से मेरा ईश्वरत्व कायम नहीं रहेगा, दया करके मनुष्यत्व को मानो, पशु बनना छोड़ो और आदमी बनो!

    Solution
    आशय-वे लोग जिन्हें नास्तिक कहा जाता है कहीं अच्छे हैं क्योंकि वे दूसरों का सुख चाहते हैं। उनके विचार अच्छे व ऊंचे हैं उनका आचरण दूसरों के हृदय को ठेस नहीं पहुँचाता केवल ईश्वर की पूजा अर्चना ही ईश्वरत्व नहीं है। मानव कल्याण का मार्ग धर्म का मार्ग है। पशुत्व भावनाओं का त्याग करना होगा और आदमी बनकर आदमीयता को समझना होगा। मनुष्यत्व ही है जो धर्म की धार्मिकता को बनाए रखता है। मनुष्यता कल्याण का मार्ग प्रशस्त करती है। पशुता स्वार्थ की भावना को बढ़ावा देती है। ये मनुष्य को ही सोचना होगा कि वह किसे धर्म बनाए।
    Question 24
    CBSEENHN9000625

    उदाहरण के अनुसार शब्दों के विपरीतार्थक लिखिए-
    सुगम - दुर्गम
    धर्म   - .................
    ईमान - .................
    साधारण - .................
    स्वार्थ - .................
    दुरुपयोग - .................
    नियंत्रित - .................
    स्वाधीनता - .................

    Solution

    सुगम - दुर्गम
    धर्म - अधर्म
    ईमान - बेईमानी
    साधारण - असाधरण
    स्वार्थ – निस्वार्थ
    दुरुपयोग – सदुपयोग
    नियंत्रित – अनियंत्रित
    स्वाधीनता - पराधीनता

    Question 25
    CBSEENHN9000626

    निम्नलिखित उपसर्गों प्रयोग करके दो-दो शब्द बनाइए-
    ला, बिला, बे, बद, ना, खुश, हर, गैर

    Solution

    ला -  लापता, लाइलाज
    बिला – बिलावजह
    बे - बेईमान, बेकसूर
    बद - बदनसीब, बदनाम
    ना - नासमझ, नादानी
    खुश - खुशनसीब, खुशहाली
    हर - हररोज, हरदम
    गैर - गैरकानूनी, गैरहाजिरी।

     
    Question 26
    CBSEENHN9000627

    उदाहरण के अनुसार ‘त्व’ प्रत्यय लगाकर पाँच शब्द बनाइए-
    उदाहरण: देव + त्व - देवत्व

    Solution

    लघु + त्व - लघुत्व
    प्रभु + त्व - प्रभुत्व
    महत् + त्व - महत्व
    नारी + त्व - नारीत्व
    मनुष्य + त्व - मनुष्यत्व

    Question 27
    CBSEENHN9000628

    उदाहरण के अनुसार ‘त्व’ प्रत्यय लगाकर पाँच शब्द बनाइए-
    उदाहरण: चलते-पुरज़े

    Solution

    पड़े-लिखे, मन-माना, स्वार्थ–सिद्धि
    लड़ाना-भिड़ाना, नित्य-प्रति, भली–भाँति
    दिन-भर, पूजा - पाठ, देश-भर
    सुख-दुःख

    Question 28
    CBSEENHN9000629

    उदाहरण के अनुसार ‘त्व’ प्रत्यय लगाकर पाँच शब्द बनाइए-
    ‘भी’ का प्रयोग करते हुए पांच वाक्य बनाइए-
    उदाहरण: आज मुझे बाज़ार होते हुए अस्पताल भी जाना है।

    Solution

    1. नौकरी के लिए सिफारिश ही नहीं, मेहनत भी करनी पड़ती है।
    2. मुझे अभी भी पढ़ाई करनी है।
    3. तुमने भी उसकी बात पर विश्वास कर लिया।
    4. आज बाज़ार से फल भी लेते आना।
    5. वह मुझसे अभी भी नाराज़ है।

    Question 30
    CBSEENHN9000631

    लोग धर्म के नाम पर क्यों उबल पड़ते हैं?

    Solution
    साधारण मनुष्यों के पास सोचने-विचारने की शक्ति नहीं होती। उनके मन में धर्म के नाम पर ऐसी भक्ति होती है कि वे धर्म के विरूद्ध बात आते ही गुस्सा हो जाते हैं। इसलिए लोग धर्म के नाम पर उबल पड़ते हैं।
    Question 31
    CBSEENHN9000632

    लेखक ने साधारण आदमी को मूर्ख क्यों कहा है?

    Solution
    लेखक के अनुसार साधारण आदमी जल्दी दूसरों की बातों में आ जाता है। वह स्वयं सोच-विचार नहीं करता। वह दूसरों के कहे अनुसार काम करता है। इसलिए लेखक ने साधरण आदमी को मूर्ख कहा है।
    Question 32
    CBSEENHN9000633

    सच्ची उपासना का अर्थ स्पष्ट करें।

    Solution
    सच्ची उपासना है सभी धर्मो का सम्मान करना। अपने जीवन में सदाचार का पालन करना। सत्य के मार्ग पर चलना और मानव की सेवा करना।
    Question 33
    CBSEENHN9000634

    ईश्वरत्व से मनुष्यत्व की ओर क्या अर्थ है?

    Solution
    इससे लेखक का अभिप्राय है कि स्वयं का प्रभुत्व जमाकर लोगों की नजरों में भगवान बनने से अच्छा है सच्चा मनुष्य बना जाए। मानव मात्र की सेवा के लिए जीवन लगाया जाए।

    Mock Test Series

    Sponsor Area

    Sponsor Area

    NCERT Book Store

    NCERT Sample Papers

    Entrance Exams Preparation

    5