Question
(ग) निम्नलिखित का आशय स्पष्ट किजिए-
उबल पड़ने वाला साधारण आदमी का इसमें केवल इतना ही दोष है कि वह कुछ भी नहीं समझता-बूझता, और दूसरे लोग उसे जिधर भी जोत देते हैं, उधर जुत जाता है?
Solution
आशय-इस कथन का आशय है कि साधारण आदमी धर्म के बारे में कुछ नहीं जानता। उसमें सोचने विचारने की अधिक शक्ति नहीं होती। वह अपने धर्म-संप्रदाय के प्रति अंधी श्रद्धा रखता है। वह तो धर्म के नाम पर जान लेने और देने को तैयार रहता है। छोटे से संकट की बात सुनकर क्रोधित हो उठता है। ऐसा आदमी दूसरों के हाथ की कठपुतली होता है। उसके मन में यह बात बैठा दी जाती है कि धर्म के हित में जान दे देना पुण्य का काम है। चालाक किस्म के लोग उसे अपना हित साधने के लिए निर्देशित काम में उलझा देते हैं। वह उसमें मन से जुट जाता है। अर्थात् धर्म के नाम पर जिस काम के लिए कहा जाता है वह उसी को करने लगता है। उसमें सोचने-विचारने की शक्ति नहीं होती।