Question
निन्नलिखित गद्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रशनों के उत्तर दीजिए-
हमारे देश में, इस समय, धनपतियों का इतना ज़ोर नहीं है। यहाँ, धर्म के नाम पर, कुछ इने-गिने आदमी अपने हीन स्वार्थों की सिद्धि के लिए, करोड़ों आदमियों की शक्ति का दुरुपयोग किया करते हैं। गरीबों का धनाढ्यों द्वारा चूसा जाना इतना बुरा नहीं है, जितना बुरा यह है कि वहाँ है धन की मार, यहाँ है बुद्धि पर मार। वहाँ धन दिखाकर करोड़ों को वश में किया जाता है, और फिर मन-माना धन पैदा करने के लिए जोत दिया जाता है। यहाँ है बुद्धि पर परदा डालकर पहले ईश्वर और आत्मा का स्थान अपने लिए लेना, और फिर, धर्म, ईमान, ईश्वर और आत्मा के नाम पर अपनी स्वार्थ-सिद्धि के लिए लोगों को लड़ाना-भिड़ाना।
प्रशन:
(क) पाठ तथा लेखक का नाम लिखो
(ख) इस देश में गरीबों का शोषण बुरा क्यों नहीं है?
(ग) बुद्धि की मार से क्या अभिप्राय है?
(घ) धर्म के नाम पर कौन-कौन लोगों का शोषण करते हैं?
Solution
(क) पाठ-धर्म की आड़, लेखक-गणेशशंकर विद्यार्थी।
(ख) इस देश में गरीब आदमी की सोच इतनी विकसित नहीं है। वह परंपरा से चली आ रही प्रथाओं का पालन करने में खुश रहते हैं। यहीं रोटी के लिए सब कुछ होता है।
(ग) बुद्धि की मार का अर्थ है दिमाग की सोच। सोच-विचार कर कार्य न करना। नेता या महंत लोगों की धार्मिक भावना को भड़काकर अपना स्वार्थ सिद्धि करते है यही कूटनीति बुद्धि की मार है।
(घ) धर्म के नाम पर नेता, मठाधीश, आतंकवादी और धूर्त लोग लोगों का शोषण करते है।