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धर्म की आड़ - गणेशशंकर विद्यार्थी

Question
CBSEENHN9000620

(ख) निन्नलिखित प्रशनों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-
सबके कल्याण हेतु अपने आचरण को सुधारना क्यों आवश्यक है?

Solution
सबके कल्याण हेतु अपने आचरण को सुधारना इसलिए आवश्यक है क्योंकि आने वाले समय में हमें शुद्ध आचरण और सदाचार के बल पर ही जीवन जीना होगा। अपने स्वार्थ को छोड्‌कर जन कल्याण की भावना को मन में लाना होगा। यदि हम अपने आचरण को नहीं सुधारेंगे तो हमारे द्वारा रखे गए रोजे, नमाज, पूजा आदि व्यर्थ हो जाएगा। जन कल्याण हेतु आचरण में शुद्धता अतिआवश्यक है।

Some More Questions From धर्म की आड़ - गणेशशंकर विद्यार्थी Chapter

निन्नलिखित गद्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रशनों के उत्तर दीजिए-
इस समय, देश में धर्म की धूम है। उत्पाद किए जाते हैं, तो धर्म और ईमान के नाम पर, और जिद की जाती है, तो धर्म और ईमान के नाम पर। रमुआ पासी और बुद्धू मियाँ धर्म और ईमान को जानें, या न जानें, परंतु उनके नाम पर उबल पड़ते हैं और जान लेने और जान देने के लिए तैयार हो जाते हैं। 
(क) पाठ तथा लेखक का नाम लिखो।
(ख) धर्म के नाम पर ज़िद क्यों की जाती है?
(ग) धर्म के नाम पर दंगे क्यों होते हैं।
(घ) देश में धर्म की धूम कैसे है?


निन्नलिखित गद्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रशनों के उत्तर दीजिए-
हमारे देश में, इस समय, धनपतियों का इतना ज़ोर नहीं है। यहाँ, धर्म के नाम पर, कुछ इने-गिने आदमी अपने हीन स्वार्थों की सिद्धि के लिए, करोड़ों आदमियों की शक्ति का दुरुपयोग किया करते हैं। गरीबों का धनाढ्यों द्वारा चूसा जाना इतना बुरा नहीं है, जितना बुरा यह है कि वहाँ है धन की मार, यहाँ है बुद्धि पर मार। वहाँ धन दिखाकर करोड़ों को वश में किया जाता है, और फिर मन-माना धन पैदा करने के लिए जोत दिया जाता है। यहाँ है बुद्धि पर परदा डालकर पहले ईश्वर और आत्मा का स्थान अपने लिए लेना, और फिर, धर्म, ईमान, ईश्वर और आत्मा के नाम पर अपनी स्वार्थ-सिद्धि के लिए लोगों को लड़ाना-भिड़ाना। 
प्रशन:
(क) पाठ तथा लेखक का नाम लिखो
(ख) इस देश में गरीबों का शोषण बुरा क्यों नहीं है?
(ग) बुद्धि की मार से क्या अभिप्राय है?
(घ) धर्म के नाम पर कौन-कौन लोगों का शोषण करते हैं?

निन्नलिखित गद्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रशनों के उत्तर दीजिए-
अजाँ देने, शंख बजाने, नाक दाबने और नमाज़ पढ़ने का नाम धर्म नहीं है। शुद्धाचरण और सदाचार ही धर्म के स्पष्ट चिहन हैं। दो घंटे तक बैठकर पूजा कीजिए और पंच-वक्ता नमाज भी अदा कीजिए, परंतु ईश्वर को इस प्रकार रिश्वत के दे चुकने के पश्चात्, यदि आप अपने को दिन-भर बेईमानी करने और दूसरों को तकलीफ़ पहुँचाने के लिए आज़ाद समझते हैं तो, इस धर्म को, अब आगे आने वाला समय कदापि नहीं टिकने देगा। अब तो, आपका पूजा-पाठ न देखा जाएगा, आपकी भलमनसाहत की कसौटी केवल आपका आचरण होगी। सबके कल्याण की दृष्टि से, आपको अपने आचरण को सुधारना पड़ेगा और यदि आप अपने आचरण को नहीं सुधारेंगे तो नमाज़ और रोज़े, पूजा और गायत्री आपको देश के अन्य लोगों की आज़ादी को रौंदने और देश-भर में उत्पातों का कीचड़ उछालने के लिए आज़ाद न छोड़ सकेगी।
(क) पाठ तथा लेखक का नाम लिखो
(ख) किन कामों को धर्म नहीं कहा जा सकता?
(ग) आने वाला समय किस धर्म को नहीं टिकने देना?
(घ) भलमनसाहत शब्द का अर्थ स्पष्ट करो

निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-
आज धर्म के नाम पर क्या-क्या हो रहा हैं?

निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-
धर्म के व्यापार को रोकने के लिए क्या उद्योग होने चाहिए?

निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-
लेखक के अनुसार स्वाधीनता आंदोलन का कौन आ दिन सबसे बुरा था?

निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-
साधारण से साधारण आदमी तक के दिल में क्या बात अच्छी तरह दर कर बैठी हैं?

निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-
धर्म के स्पष्ट चिह्न क्या हैं?

(क) निन्नलिखित प्रशनों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-
चलते-पुरज़े लोग धर्म के नाम पर क्या करते हैं?

(क) निन्नलिखित प्रशनों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-
चालाक लोग साधारण आदमी की किस अवस्था का लाभ उठाते है?