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धर्म की आड़ - गणेशशंकर विद्यार्थी
लेखक की दृष्टि में धर्म की भावना पवित्र आचरण से परिपूर्ण होनी चाहिए। शुद्ध आचरण और मनुष्यता के गुणों वाली होनी चाहिए। पशुत्व को समाप्त कर मनुष्यता फैलाने वाली होनी चाहिए। धर्म की भावना ईश्वर और आत्मा में पवित्र संबंध स्थापित करने वाली होनी चाहिए। कल्याण की भावना होनी चाहिए न कि दूसरों को भड़काने वाली।
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