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शिल्प सौन्दर्य:
1. मनुष्य से दु:खों को सहन करने व चुनौतियों का सामना करने का आग्रह किया गया है।
2. खड़ी बोली का प्रयोग किया गया है।
3. भाषा में लयात्मकता व गीतात्मकता है।
4. भाषा सरल, सरस व रोचक है।
5. भावात्मक शैली का प्रयोग हुआ है।
6. साथ-साथ संबोधनात्मक शैली का भी प्रयोग हुआ है।
7. शब्दों की आवृत्ति में ध्वन्यात्मक सौन्दर्य निहित है।
8. माँग मत, माँग मत, मांग मत में अनुप्रास व पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।
C.
पत्तों की घनी छाया सुख के रूप मेंD.
भावों की दृढ़ता व्यक्त करने के लिएSponsor Area
शिल्प सौन्दर्य
1. मनुष्यों को संसार की कठिनाईयों से जूझने की प्रेरणा दी गई।
2. खड़ी बोली का प्रयोग किया गया है।
3. भाषा में लयात्मकता व गीतात्मकता है।
4. भाषा सरल, सरस व रोचक है।
5. भावात्मक व संबोधनात्मक शैली का प्रयोग किया गया है।
6. शब्दों की आवृत्ति में ध्वन्यात्मक सौन्दर्य निहित है।
7. ‘कर-शपथ, कर शपथ’ में अनुप्रास व पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार का प्रयोग हुआ है।
B.
मानसिक स्थिरता और दृढ़ता के लिएC.
पीछे मुड़कर देखने के लिएशिल्प सौन्दर्य:
1. इस पद्यांश में संघर्षशील मनुष्य का प्रभावशाली वर्णन है।
2. खड़ी बोली का प्रयोग हुआ है।
3. भाषा में लयात्मकता व गीतात्मकता है।
4. भाषा सरल, सरस व रोचक है।
5. भावात्मक व संबोधनात्मक शैली का प्रयोग किया गया है।
6. शब्दों की आवृत्ति में ध्वन्यात्मक सौन्दर्य निहित है।
7. तत्सम शब्दों का प्रयोग हुआ है।
8. लथपथ, लथपथ, लथपथ में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।
कर्मठतापूर्वक जीवन में सघंर्ष करना
D.
कर्मठतापूर्वक जीवन में सघंर्ष करना
D.
अग्निपथ पर प्रगति की ओरSponsor Area
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