Question
निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर उसका भाव पक्ष लिखिए:
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ!
वृक्ष हां भले खड़े,
हों घने, हों बड़े,
एक पत्र-छाँह भी माँग मत, माँग मत माँग मत!
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ!
Solution
भाव पक्ष- कवि सुखों का त्यागकर की चुनौतियों को स्वीकारने की प्रेरणा देते हुए कहते हैं कि यह जीवन कठिनाईयों से भरा हुआ है। संघर्षों से भरा हुआ हे। तुम्हें रास्ते में भले ही वृक्ष खड़े दिखाई दें। लेकिन तू सुख की एक पत्ते के बराबर भी छाया की माँग मत कर। तुम्हें कठिनाईयों भरे रास्ते पर निरंतर संघर्ष करते हुए चलते चले जाना चाहिए। यह जीवन अग्नि पथ के समान है। इसकी कठिनाईयों को स्वीकार करना चाहिए। तभी मंजिल -तुम्हारे कदम चूमेगी।