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अग्नि पथ - हरिवंश राय बच्चन

Question
CBSEENHN9001014

निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए-
'एक पत्र-छाँह भी माँग मत' इन पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।

Solution
कवि ने अग्नि पथ पर चलते हुए मनुष्य को छाँह माँगने के लिए मना किया है। वह चाहते हैं कि संघर्षशील मनुष्य दृढ़ संकल्पी बने। मार्ग में सुखरूपी छाँह की इच्छा न करके अपनी मंजिल की ओर दृढ्‌ता से आगे बढ़ता रहे। कवि के अनुसार मनुष्य यदि दूसरों की सहायता पर आश्रित होगा तो उसमें संघर्ष करने की शक्ति नहीं रहेगी। उसे सुविधा भोगने की आदत लग जाती है। वह संघर्ष की कठिनाईयों से बचने लगता है इसलिए कवि ने मनुष्य को यह प्रेरणा दी है कि वह दृढ़ संकल्प होकर मार्ग में आनेवाली कठिनाईयों का सामना करते हुए निरंतर अपने मार्ग पर अग्रसर होता रहे।

Some More Questions From अग्नि पथ - हरिवंश राय बच्चन Chapter

निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिये - 
चल रहा मनुष्य है
अश्र-स्वेद-रक्त से लथपथ, लथपथ, लथपथ।

इस कविता का मूलभाव क्या है? स्पष्ट कीजिए 

जीवन संघर्ष का ही नाम है ‘इस कथन की मीमांसा कीजिए।

कवि किस दृश्य को महान मानता है?

कवि ने मानव से किस बात की शपथ लेने का आग्रह किया है और क्यों?

निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर उसका भाव पक्ष लिखिए:
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ! 
वृक्ष हां भले खड़े,
हों घने, हों बड़े,
एक पत्र-छाँह भी माँग मत, माँग मत माँग मत!
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ! 

निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर उसका शिल्प सौन्दर्य लिखिए:
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ! 
वृक्ष हां भले खड़े,
हों घने, हों बड़े,
एक पत्र-छाँह भी माँग मत, माँग मत माँग मत!
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ! 

निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रशनों के उत्तर दीजिये लिखिए:
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ! 
वृक्ष हां भले खड़े,
हों घने, हों बड़े,
एक पत्र-छाँह भी माँग मत, माँग मत माँग मत!
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ! 

प्रस्तुत कविता के रचयिता कौन है?

निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रशनों के उत्तर दीजिये लिखिए:
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ! 
वृक्ष हां भले खड़े,
हों घने, हों बड़े,
एक पत्र-छाँह भी माँग मत, माँग मत माँग मत!
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ! 

वृक्ष किसका बोध कराते हैं?

निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रशनों के उत्तर दीजिये लिखिए:
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ! 
वृक्ष हां भले खड़े,
हों घने, हों बड़े,
एक पत्र-छाँह भी माँग मत, माँग मत माँग मत!
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ! 

किसकी माँग न करने की चर्चा की गई है?