Question
निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए-
'एक पत्र-छाँह भी माँग मत' इन पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
Solution
कवि ने अग्नि पथ पर चलते हुए मनुष्य को छाँह माँगने के लिए मना किया है। वह चाहते हैं कि संघर्षशील मनुष्य दृढ़ संकल्पी बने। मार्ग में सुखरूपी छाँह की इच्छा न करके अपनी मंजिल की ओर दृढ्ता से आगे बढ़ता रहे। कवि के अनुसार मनुष्य यदि दूसरों की सहायता पर आश्रित होगा तो उसमें संघर्ष करने की शक्ति नहीं रहेगी। उसे सुविधा भोगने की आदत लग जाती है। वह संघर्ष की कठिनाईयों से बचने लगता है इसलिए कवि ने मनुष्य को यह प्रेरणा दी है कि वह दृढ़ संकल्प होकर मार्ग में आनेवाली कठिनाईयों का सामना करते हुए निरंतर अपने मार्ग पर अग्रसर होता रहे।