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अग्नि पथ - हरिवंश राय बच्चन

Question
CBSEENHN9001026

निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रशनों के उत्तर दीजिये लिखिए:
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ! 
वृक्ष हां भले खड़े,
हों घने, हों बड़े,
एक पत्र-छाँह भी माँग मत, माँग मत माँग मत!
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ! 

कवि ने एक समान शब्दों की पुनरावृत्ति क्यों की है?




  • मन को मजबूती से पकड़ में लाने के लिए
  • बात को दोहराने के लिए
  • कविता में सुन्दरता लाने के लिए
  • भावों की दृढ़ता व्यक्त करने के लिए

Solution

D.

भावों की दृढ़ता व्यक्त करने के लिए

Some More Questions From अग्नि पथ - हरिवंश राय बच्चन Chapter

जीवन संघर्ष का ही नाम है ‘इस कथन की मीमांसा कीजिए।

कवि किस दृश्य को महान मानता है?

कवि ने मानव से किस बात की शपथ लेने का आग्रह किया है और क्यों?

निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर उसका भाव पक्ष लिखिए:
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ! 
वृक्ष हां भले खड़े,
हों घने, हों बड़े,
एक पत्र-छाँह भी माँग मत, माँग मत माँग मत!
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ! 

निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर उसका शिल्प सौन्दर्य लिखिए:
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ! 
वृक्ष हां भले खड़े,
हों घने, हों बड़े,
एक पत्र-छाँह भी माँग मत, माँग मत माँग मत!
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ! 

निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रशनों के उत्तर दीजिये लिखिए:
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ! 
वृक्ष हां भले खड़े,
हों घने, हों बड़े,
एक पत्र-छाँह भी माँग मत, माँग मत माँग मत!
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ! 

प्रस्तुत कविता के रचयिता कौन है?

निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रशनों के उत्तर दीजिये लिखिए:
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ! 
वृक्ष हां भले खड़े,
हों घने, हों बड़े,
एक पत्र-छाँह भी माँग मत, माँग मत माँग मत!
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ! 

वृक्ष किसका बोध कराते हैं?

निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रशनों के उत्तर दीजिये लिखिए:
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ! 
वृक्ष हां भले खड़े,
हों घने, हों बड़े,
एक पत्र-छाँह भी माँग मत, माँग मत माँग मत!
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ! 

किसकी माँग न करने की चर्चा की गई है?



निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रशनों के उत्तर दीजिये लिखिए:
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ! 
वृक्ष हां भले खड़े,
हों घने, हों बड़े,
एक पत्र-छाँह भी माँग मत, माँग मत माँग मत!
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ! 

कवि ने एक समान शब्दों की पुनरावृत्ति क्यों की है?




निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रशनों के उत्तर दीजिये लिखिए:
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ! 
वृक्ष हां भले खड़े,
हों घने, हों बड़े,
एक पत्र-छाँह भी माँग मत, माँग मत माँग मत!
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ! 

‘माँग मत’ से क्या तात्पर्य है?