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अग्नि पथ - हरिवंश राय बच्चन

Question
CBSEENHN9001030

निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रशनों के उत्तर दीजिये:
तू न थकेगा कभी!
तू न थमेगा कभी!
तू न मुड़ेगा कभी!-कर शपथ, कर शपथ कर शपथ!
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ!
कवि ने संघर्षमय जीवन को ......... कहते हुए मनुष्य को संदेश दिया है 
  • विजयपथ
  • राजपथ
  • अग्निपथ
  • सुपथ

Solution

C.

अग्निपथ

Some More Questions From अग्नि पथ - हरिवंश राय बच्चन Chapter

निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए-
कवि ने ‘अग्नि पथ’ किसके प्रतीक स्वरूप प्रयोग किया है?

निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए-
‘माँग मत’, ‘कर शपथ’, ‘लथपथ’ इन शब्दों का बार-बार प्रयोग कर कवि क्या कहना चाहता है?

निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए-
'एक पत्र-छाँह भी माँग मत' इन पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।

निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिये - 
तू न थमेगा कभी
तू न मुड़ेगा कभी

निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिये - 
चल रहा मनुष्य है
अश्र-स्वेद-रक्त से लथपथ, लथपथ, लथपथ।

इस कविता का मूलभाव क्या है? स्पष्ट कीजिए 

जीवन संघर्ष का ही नाम है ‘इस कथन की मीमांसा कीजिए।

कवि किस दृश्य को महान मानता है?

कवि ने मानव से किस बात की शपथ लेने का आग्रह किया है और क्यों?

निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर उसका भाव पक्ष लिखिए:
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ! 
वृक्ष हां भले खड़े,
हों घने, हों बड़े,
एक पत्र-छाँह भी माँग मत, माँग मत माँग मत!
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ!