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अग्नि पथ - हरिवंश राय बच्चन

Question
CBSEENHN9001035

निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर उसका भाव पक्ष लिखिए 
यह महान दृश्य है-
चल रहा मनुष्य है
अश्रु-स्वेद रक्त से लथपथ, लथपथ, लथपथ!
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ!

Solution
भाव पक्षकवि मनुष्य को सम्बोधित करते हुए कहता है कि हे मनुष्य! यह संसार अग्नि भरे रास्ते के समान कठिन है। इस कठिन मार्ग पर सबसे सुंदर दृश्य यही हो सकता है कि मनुष्य अपना खून-पसीना बहाते हुए संघर्ष रूपी अग्नि पथ पर निरन्तर आगे बढ़ता रहे है। पसीने व रक्त की बूँदों से वह लथपथ है। परिश्रम से टपका हुआ पसीना उसकी कर्मठता का बोध करा रहा है। सामने कठिनाईयों से भरा मार्ग है। फिर भी मनुष्यों को चलते चले जाना हैं।

Some More Questions From अग्नि पथ - हरिवंश राय बच्चन Chapter

इस कविता का मूलभाव क्या है? स्पष्ट कीजिए 

जीवन संघर्ष का ही नाम है ‘इस कथन की मीमांसा कीजिए।

कवि किस दृश्य को महान मानता है?

कवि ने मानव से किस बात की शपथ लेने का आग्रह किया है और क्यों?

निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर उसका भाव पक्ष लिखिए:
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ! 
वृक्ष हां भले खड़े,
हों घने, हों बड़े,
एक पत्र-छाँह भी माँग मत, माँग मत माँग मत!
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ! 

निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर उसका शिल्प सौन्दर्य लिखिए:
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ! 
वृक्ष हां भले खड़े,
हों घने, हों बड़े,
एक पत्र-छाँह भी माँग मत, माँग मत माँग मत!
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ! 

निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रशनों के उत्तर दीजिये लिखिए:
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ! 
वृक्ष हां भले खड़े,
हों घने, हों बड़े,
एक पत्र-छाँह भी माँग मत, माँग मत माँग मत!
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ! 

प्रस्तुत कविता के रचयिता कौन है?

निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रशनों के उत्तर दीजिये लिखिए:
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ! 
वृक्ष हां भले खड़े,
हों घने, हों बड़े,
एक पत्र-छाँह भी माँग मत, माँग मत माँग मत!
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ! 

वृक्ष किसका बोध कराते हैं?

निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रशनों के उत्तर दीजिये लिखिए:
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ! 
वृक्ष हां भले खड़े,
हों घने, हों बड़े,
एक पत्र-छाँह भी माँग मत, माँग मत माँग मत!
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ! 

किसकी माँग न करने की चर्चा की गई है?



निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रशनों के उत्तर दीजिये लिखिए:
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ! 
वृक्ष हां भले खड़े,
हों घने, हों बड़े,
एक पत्र-छाँह भी माँग मत, माँग मत माँग मत!
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ! 

कवि ने एक समान शब्दों की पुनरावृत्ति क्यों की है?