स्पर्श भाग १ Chapter 14 अग्नि पथ - हरिवंश राय बच्चन
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    NCERT Solution For Class 9 Hindi स्पर्श भाग १

    अग्नि पथ - हरिवंश राय बच्चन Here is the CBSE Hindi Chapter 14 for Class 9 students. Summary and detailed explanation of the lesson, including the definitions of difficult words. All of the exercises and questions and answers from the lesson's back end have been completed. NCERT Solutions for Class 9 Hindi अग्नि पथ - हरिवंश राय बच्चन Chapter 14 NCERT Solutions for Class 9 Hindi अग्नि पथ - हरिवंश राय बच्चन Chapter 14 The following is a summary in Hindi and English for the academic year 2021-2022. You can save these solutions to your computer or use the Class 9 Hindi.

    Question 1
    CBSEENHN9001012

    निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए-
    कवि ने ‘अग्नि पथ’ किसके प्रतीक स्वरूप प्रयोग किया है?

    Solution
    ‘अग्नि पथ’ का अर्थ है- आग से घिरा रास्ता अर्थात कठिनाईयों से भरा रास्ता। अग्नि पथ को कवि ने संघर्षमय जीवन के प्रतीक रूप में प्रस्तुत किया है। कवि का मानना है कि जीवन में कदम-कदम पर संकट है, चुनौतियाँ है। अपने जीवन पथ पर संघर्ष के मार्ग में अनेक प्रकाश के कष्टों का सामना करना पड़ता है।
    Question 2
    CBSEENHN9001013

    निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए-
    ‘माँग मत’, ‘कर शपथ’, ‘लथपथ’ इन शब्दों का बार-बार प्रयोग कर कवि क्या कहना चाहता है?

    Solution
    कविता में कवि द्वारा प्रयोग किए गए इन शब्दों की पुनरावृत्ति मनुष्य को आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है। कवि के अनुसार मनुष्य को संघर्षमय जीवन में स्वयं के लिए सुखों की अभिलाषा नहीं रखनी चाहिए क्योंकि सुविधाभोगी मनुष्य का संघर्ष शक्ति समाप्त हो जाती है। कर शपथ की पुनरावृत्ति द्वारा कवि यह कहना चाहता है कि मनुष्य को लक्ष्यप्राप्ति के पथ पर बाद में आने वाली कठोर परिस्थितियों से पीछे नहीं हटना चाहिए तथा लथपथ के प्रयोग द्वारा वह यह कहना चाहता है कि मनुष्य को अपने लक्ष्य केंद्रित कर जीवन में आगे बढ़ना चाहिए। बार-बार इन शब्दों का प्रयोग कवि ने अपने लक्ष्य पर बल देने लिए किया है इसके अपेक्षित प्रभाव उत्पन्न हो गया है।
    Question 3
    CBSEENHN9001014

    निम्नलिखित प्रशनों के उत्तर दीजिए-
    'एक पत्र-छाँह भी माँग मत' इन पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।

    Solution
    कवि ने अग्नि पथ पर चलते हुए मनुष्य को छाँह माँगने के लिए मना किया है। वह चाहते हैं कि संघर्षशील मनुष्य दृढ़ संकल्पी बने। मार्ग में सुखरूपी छाँह की इच्छा न करके अपनी मंजिल की ओर दृढ्‌ता से आगे बढ़ता रहे। कवि के अनुसार मनुष्य यदि दूसरों की सहायता पर आश्रित होगा तो उसमें संघर्ष करने की शक्ति नहीं रहेगी। उसे सुविधा भोगने की आदत लग जाती है। वह संघर्ष की कठिनाईयों से बचने लगता है इसलिए कवि ने मनुष्य को यह प्रेरणा दी है कि वह दृढ़ संकल्प होकर मार्ग में आनेवाली कठिनाईयों का सामना करते हुए निरंतर अपने मार्ग पर अग्रसर होता रहे।
    Question 4
    CBSEENHN9001015

    निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिये - 
    तू न थमेगा कभी
    तू न मुड़ेगा कभी

    Solution
    इसका आशय यह है कि मनुष्य को कष्टों से भरे मार्ग पर आगे बढ़ना चाहिए कभी पीछे नहीं मुड़ना चाहिए। इस मार्ग पर केवल अपने लक्ष्य को ध्यान, में रखकर आगे बढ़ना चाहिए। उसके जीवन में अकर्मण्यता का कोई स्थान नहीं होना चाहिए क्योंकि आगे बढ़ते रहना ही उसके जीवन का लक्ष्य है। वह संघर्षों से भी न घबराए। वह सुख त्यागकर अग्निपथ को चुनौती देता रहे।
    Question 5
    CBSEENHN9001016

    निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिये - 
    चल रहा मनुष्य है
    अश्र-स्वेद-रक्त से लथपथ, लथपथ, लथपथ।

    Solution
    कवि के अनुसार मनुष्य को अपना जीवन सफल बनाने के लिए निरंतर संघर्ष करते हुए आगे बढ़ते जाना चाहिए। इस मार्ग पर चलते हुए व्यक्ति को कई बार आँसू बहाने पड़ते हैं। शरीर से पसीने बहाते हुए खून से लथपथ होते हुए भी उसे निरंतर आगे बढ़ते रहना चाहिए क्योंकि संघर्ष करने वाला मनुष्य ही सफलता प्राप्त करता है और महान कहलाता है।
    Question 6
    CBSEENHN9001017

    इस कविता का मूलभाव क्या है? स्पष्ट कीजिए 

    Solution
    इस कविता का मूल भाव यह है कि जीवन एक संघर्ष के समान है, जिसे कवि अग्निपथ मानता है। इस मार्ग पर आत्मविश्वास के साथ मनुष्य को आगे बढ़ना है। किसी के सहारे की इच्छा नहीं करनी चाहिए। इस मार्ग पर कदम-कदम पर चुनौतियों और कष्टों से सामना होता है। मनुष्य को चाहिए कि वह इन चुनौतियों से न घबराए। कष्टों से विचलित नहीं होते हुए भी अपने पुरुषार्थ पर भरोसा करते हुए अपने लक्ष्य की ओर बढ़ता रहे। उसकी क्रिया में गतिशीलता होनी चाहिए जिसमें रचने, थकने या पीछे मुड़कर देखने का कोई स्थान नहीं होना चाहिए। इस मार्ग पर चलते हुए आँसू, पसीना बहाकर तथा खून से लथपथ होकर भी उसे निरंतर संघर्ष करते रहना चाहिए क्योंकि जो व्यक्ति संघर्ष से पीछे नहीं हटता वहीं जीवन में सफलता प्राप्त करता है।
    Question 7
    CBSEENHN9001018

    जीवन संघर्ष का ही नाम है ‘इस कथन की मीमांसा कीजिए।

    Solution
    संघर्ष का नाम ही जीवन है। मनुष्य को निरन्तर संघर्ष करते हुए आगे बढ़ते रहना चाहिए मनुष्य कर्मठतापूर्वक बिना थकान महसूस किए यदि लगातार आगे बढ़ता रहता है तो निश्चित रूप से वह अपना लक्ष्य पा ही लेता है। सफलता उसी के कदम चूमती है जो स्वयं अपने परिश्रम से अपना राह बनाता है फूलों की छाँह में खेलने वालों के लिए जिन्दगी के असली मजे नहीं है। चाँदनी रात की शीतलता को वहीं अनुभव कर पाता है जो मीलों की यात्रा करके थकान अनुभव कर रहा हो। इसलिए कामना का चल छोटा नहीं करना चाहिए,’ रस की निर्झरी मनुष्य के बहाए भी बह सकती है, मात्र कर्मठता की आवश्यकता है।
    Question 8
    CBSEENHN9001019

    कवि किस दृश्य को महान मानता है?

    Solution
    कवि संघर्ष से जूझते हुए मनुष्य के दृश्य को सबसे महान मानता है। उसके अनुसार जो मनुष्य आँखों में आँसू लिए, तन का पसीना बहाते हुए तथा खून से लथपथ होकर भी संघर्ष करता है, वह महान है। ऐसा मनुष्य सचमुच संघर्षशील है।
    Question 9
    CBSEENHN9001020

    कवि ने मानव से किस बात की शपथ लेने का आग्रह किया है और क्यों?

    Solution
    कवि ने मानव से आग्रह किया है कि वह जीवन की राह में आगे बढ़ता हुआ कभी निरुत्साहित नहीं होगा। जीवन की राह सरल नहीं है, यह बहुत कठोर है; पथरीली है पर इस पर आगे चलते हुए वह कभी थकान महसूस नहीं करेगा-न शारीरिक थकान और न मानसिक थकान। वह रास्ते में कभी नहीं रूकेगा। रूकना ही तो मौत है, जीवन की समाप्ति है। संभव है कि उसे जीवन की राह कठिन लगे और वह अपनी दिशा बदलना चाहे पर वह ऐसा न करे। कवि मानव से इसी कर्मठता और गतिशील जीवन की शपथ लेने का आग्रह करता है।
    Question 10
    CBSEENHN9001021

    निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर उसका भाव पक्ष लिखिए:
    अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ! 
    वृक्ष हां भले खड़े,
    हों घने, हों बड़े,
    एक पत्र-छाँह भी माँग मत, माँग मत माँग मत!
    अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ! 

    Solution
    भाव पक्षकवि सुखों का त्यागकर की चुनौतियों को स्वीकारने की प्रेरणा देते हुए कहते हैं कि यह जीवन कठिनाईयों से भरा हुआ है। संघर्षों से भरा हुआ हे। तुम्हें रास्ते में भले ही वृक्ष खड़े दिखाई दें। लेकिन तू सुख की एक पत्ते के बराबर भी छाया की माँग मत कर। तुम्हें कठिनाईयों भरे रास्ते पर निरंतर संघर्ष करते हुए चलते चले जाना चाहिए। यह जीवन अग्नि पथ के समान है। इसकी कठिनाईयों को स्वीकार करना चाहिए। तभी मंजिल -तुम्हारे कदम चूमेगी।
    Question 11
    CBSEENHN9001022

    निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर उसका शिल्प सौन्दर्य लिखिए:
    अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ! 
    वृक्ष हां भले खड़े,
    हों घने, हों बड़े,
    एक पत्र-छाँह भी माँग मत, माँग मत माँग मत!
    अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ! 

    Solution

    शिल्प सौन्दर्य:
    1. मनुष्य से दु:खों को सहन करने व चुनौतियों का सामना करने का आग्रह किया गया है।
    2. खड़ी बोली का प्रयोग किया गया है।
    3. भाषा में लयात्मकता व गीतात्मकता है।
    4. भाषा सरल, सरस व रोचक है।
    5. भावात्मक शैली का प्रयोग हुआ है।
    6. साथ-साथ संबोधनात्मक शैली का भी प्रयोग हुआ है।
    7. शब्दों की आवृत्ति में ध्वन्यात्मक सौन्दर्य निहित है।
    8. माँग मत, माँग मत, मांग मत में अनुप्रास व पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।

    Question 17
    CBSEENHN9001028

    निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर भाव पक्ष लिखिए:
    तू न थकेगा कभी!
    तू न थमेगा कभी!
    तू न मुड़ेगा कभी!-कर शपथ, कर शपथ कर शपथ!
    अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ!




    Solution
    भाव पक्ष- कवि संघर्षमय जीवन को अग्नि पर चलने के समान पथ मान रहे हैं। व्यक्ति को कर्मठतापूर्वक आगे बढ़ने का संदेश देते हुए कवि कहते हैं कि हे मनुष्य! तेरे सामने कठिनाइयों से भरा संसार है परन्तु तू इससे घबरा मत! तुम जीवन रूपी रास्ते पर आगे बढ़ते हुए कहीं पिछे मुड़कर नहीं देखोगे; थकोगे नहीं और कभी भी रास्ते में नहीं रूकोगे। तुम शपथ लो कि तुम मार्ग पर निरंतर चलते रहोंगे क्योंकि रास्ता अग्नि रूपी कठिनाईयों से भरा है।

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    Question 18
    CBSEENHN9001029

    निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर उसका शिल्प सौन्दर्य लिखिए
    तू न थकेगा कभी!
    तू न थमेगा कभी!
    तू न मुड़ेगा कभी!-कर शपथ, कर शपथ कर शपथ!
    अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ!




    Solution

    शिल्प सौन्दर्य
    1. मनुष्यों को संसार की कठिनाईयों से जूझने की प्रेरणा दी गई।
    2. खड़ी बोली का प्रयोग किया गया है।
    3. भाषा में लयात्मकता व गीतात्मकता है।
    4. भाषा सरल, सरस व रोचक है।
    5. भावात्मक व संबोधनात्मक शैली का प्रयोग किया गया है।
    6. शब्दों की आवृत्ति में ध्वन्यात्मक सौन्दर्य निहित है।
    7. ‘कर-शपथ, कर शपथ’ में अनुप्रास व पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार का प्रयोग हुआ है।

    Question 24
    CBSEENHN9001035

    निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर उसका भाव पक्ष लिखिए 
    यह महान दृश्य है-
    चल रहा मनुष्य है
    अश्रु-स्वेद रक्त से लथपथ, लथपथ, लथपथ!
    अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ!

    Solution
    भाव पक्षकवि मनुष्य को सम्बोधित करते हुए कहता है कि हे मनुष्य! यह संसार अग्नि भरे रास्ते के समान कठिन है। इस कठिन मार्ग पर सबसे सुंदर दृश्य यही हो सकता है कि मनुष्य अपना खून-पसीना बहाते हुए संघर्ष रूपी अग्नि पथ पर निरन्तर आगे बढ़ता रहे है। पसीने व रक्त की बूँदों से वह लथपथ है। परिश्रम से टपका हुआ पसीना उसकी कर्मठता का बोध करा रहा है। सामने कठिनाईयों से भरा मार्ग है। फिर भी मनुष्यों को चलते चले जाना हैं।
    Question 25
    CBSEENHN9001036

    निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर उसका शिल्प सौन्दर्य लिखिए 
    यह महान दृश्य है-
    चल रहा मनुष्य है
    अश्रु-स्वेद रक्त से लथपथ, लथपथ, लथपथ!
    अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ!

    Solution

    शिल्प सौन्दर्य:
    1. इस पद्यांश में संघर्षशील मनुष्य का प्रभावशाली वर्णन है।
    2. खड़ी बोली का प्रयोग हुआ है।
    3. भाषा में लयात्मकता व गीतात्मकता है।
    4. भाषा सरल, सरस व रोचक है।
    5. भावात्मक व संबोधनात्मक शैली का प्रयोग किया गया है।
    6. शब्दों की आवृत्ति में ध्वन्यात्मक सौन्दर्य निहित है।
    7. तत्सम शब्दों का प्रयोग हुआ है।
    8. लथपथ, लथपथ, लथपथ में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।

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