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वाइमर गणराज्य के सामने क्या समस्याएँ थी ?
राजनीति स्तर पर जर्मनी का वाइमर गणराज्य कमज़ोर और अस्थिर था। वाइमर गणराज्य में कुछ ऐसी कमियाँ थी जिनके कारण गणराज्य कभी भी अस्थिर और तानाशाही का शिकार बन सकता था, जो इस प्रकार है-
(i) पहली कमी अनुपातिक प्रतिनिधित्व से संबंधित थीl इस प्रवधान की वजह से किसी एक पार्टी को बहुमत मिलना बहुत मुश्किल होता जा रहा था। यहाँ हर बार गठबंधन सरकार सत्ता में आ रही थी।
(ii) दूसरी समस्या अनुच्छेद 48 की वजह से थी जिसमें राष्ट्रपति को आपातकाल लागू करने, नागरिक अधिकार रद्द करके और अध्यादेशों के ज़रिए शासन चलाने का अधिकार दिया गया था।
(iii) अनुच्छेद 48 के फलस्वरुप ही अपने छोटे से जीवन काल में वाइमर गणराज्य का शासन 20 मंत्रिमंडलों के हाथों में रहा और उनकी औसत 239 मैं दिन से ज्यादा नहीं रही।
(iv) अनुच्छेद 48 के उदारपूर्वक इस्तेमाल के बाद भी गणराज्य के संकट दूर नहीं हो पाए थे।
(v) समस्या का कोई समाधान नहीं खोज पाने के कारण लोकतांत्रिक संसदीय व्यवस्था पर से लोगों का विश्वास खत्म होने लगा।
इस बारे में चर्चा कीजिए कि 1930 तक आते-आते जर्मनी में नात्सीवाद को लोकप्रियता क्यों मिलने लगी?
1930 तक आते-आते जर्मनी में नात्सीवाद को लोकप्रियता निम्नलिखित कारणों से मिलने लगी-
(i) 1929 के बाद बैंक दिवालिया हो चुके थे। काम धंधे बंद होते जा रहे थे। मजदूर बेरोजगार हो रहे थे और मध्यवर्ग को लाचारी और भूखमरी का डर सता रहा था। नात्सी प्रोपोगैंडा ने लोगों को एक बेहतर भविष्य की उम्मीद दिखाई देती थी। 1929 में नात्सी पार्टी को जर्मन संसद-राइटख़स्टाग-के लिए हुए चुनावो में महज़ 2.6 फीसदी वोट मिले 1932 तक आते-आते यह देश की सबसे बड़ी पार्टी बन चुकी थी और उसे 37 फ़ीसदी वोट मिले।
(ii) हिटलर जबरदस्त वक्ता था। उसका जोश और उसके शब्द लोगों को हिलाकर रख देते थे। वह अपने भाषाणों में एक शक्तिशाली राष्ट्र की स्थापना वर्साय संधि में हुई नाइंसाफ़ी के प्रतिरोध और जर्मन समाज को खोई हुई प्रतिष्ठा वापस दिलाने का आश्वासन देता था। उसका वादा था कि वह बेरोजगारों को रोजगार और नौजवानों को एक सुरक्षित भविष्य देगा। उसने आश्वासन दिया कि वह देश की विदेशी प्रभाव से मुक्त कराएगा तमाम विदेशी 'साज़िशों' का मुंहतोड़ जवाब देगा।
(iii) हिटलर ने राजनीति की एक नई शैली रची थी। वह लोगों को गोलबंद करने के लिए आडंबर और प्रदर्शन की अहमियत समझता था। हिटलर के प्रति भारी समर्थन दर्शाने और लोगों में परस्पर एकता का भाव पैदा करने के लिए नात्सियों में बड़ी-बड़ी रैलियों और जनसभाएँ आयोजित की। स्वास्तिक छपे लाल झंडे, नात्सी सैल्युट और भाषणों के बाद खास अंदाज में तालियों की गड़गड़ाहट की सारी चीजें शक्ति प्रदर्शन का हिस्सा थी।
(iv) नात्सियों ने अपने धुआंधार प्रचार केसरी हिटलर को एक मसीहा, एक रक्षक ,एक ऐसे व्यक्ति के रूप में पेश किया। जिसने मानो जनता को तबाही से उभारने के लिए ही अवतार लिया था। एक ऐसी समाज को यह छवि बेहद आकर्षक दिखाई देती थी जिसकी प्रतिष्ठा और गर्व का अहसास चकनाचूर हो चुका था और जो एक भीषण आर्थिक और राजनीतिक संकट से गुज़र रहा था।
नात्सी सोच के खास पहलू कौन-से थे?
नात्सियों का प्रोपेगैंडा यहूदियों के खिलाफ नफ़रत पैदा करने में इतना असरदार क्यों रहा?
नात्सियों का प्रोपेगैंडा यहूदियों के खिलाफ नफरत पैदा करने में इतना असरदार निम्नलिखित कारणों से रहा-
(i) नात्सी विश्व दृष्टिकोण को फैलाने के लिए हिटलर ने मीडिया का बहुत सोच-समझकर इस्तेमाल किया। इस प्रचार में नात्सियों की यहूदियों के प्रति घृणा का समावेश था। ग्योबल्स, हिटलर के प्रचार मंत्री थे।
(ii) नात्सी विचारो को फैलाने के लिए तस्वीरों, रेडिओ, पोस्टर, आकर्षक नारों और इश्तहारी चर्चा का खूब सहरा लिया जाता था।
(iii) नात्सी प्रचार के अनुसार यहूदी एक अवांछित नस्ल था जिसे ख़त्म कर दिया जाना चाहिए और वे इसमें सफल भी रहे। यहूदियों को शेष समाज से अलग-थलक कर दिया गया।
(iv) नात्सी प्रचार में यहूदियों के प्रति ईसाई धर्म में मौजूद परंपरागत घृणा को भी एक आधार बनाया गया। ईसाइयों का आरोप था कि यहूदियों ने ही ईसा मसीह को मारा था।
(v) यहूदियों को सूदखोर कहकर गाली दी जाती थी।
(vi) प्रचार फिल्मों में भी यहूदियों के प्रति नफरत करवाने पर जोर दिया गया। उन्हें चूहा और कीड़ा आदि नामों से संबोधित किया गया।
(vii) हिटलर की दृष्टि में यहूदियों को पूरी तरह से खत्म कर देना ही इस समस्या का एकमात्र हल था।
नात्सियों ने जनता पर पूरा नियंत्रण हासिल करने के लिए कौन-कौन से तरीके अपनाए?
नात्सी समाज में औरतों की क्या भूमिका थी? फ्रांसीसी क्रांति के बारे में जानने के लिए अध्याय-1 देखें। फ्रांसीसी क्रांति और नात्सी शासन में औरतों की भूमिका के बीच में क्या फर्क था? एक पैराग्राफ़ में बताएँl
जर्मनी के प्रथम विश्व युद्ध में हार के पश्चात उसकी क्या स्थिति थी ?
हार के पश्चात विजयी देशों ने उस पर बहुत कठोर शर्तें थोप दी थीं। मित्र राष्ट्रों के साथ वर्साय में हुई शांति-संधि जर्मनी की जनता के लिए बहुत कठोर और अपमानजनक थी। जर्मनी के सभी उपनिवेश छीन लिए गए। 13 प्रतिशत उसके क्षेत्र, 75 प्रतिशत लौह क्षेत्र व 26 प्रतिशत कोयला क्षेत्रो को फ्रांस, पोलैण्ड, डेनमार्क व लिथुआनिया ने अपने मे बाँट लिया। मित्र राष्ट्रो ने जर्मनी की सेना को भंग कर दिया। युद्ध अपराधबोध अनुछेद के तहत उस पर छ:अरब पौण्ड का जुर्माना भी लगाया।
हिटलर के उदय के कारण बताइए?
हिटलर शासित जर्मनी में महिलाओ की स्थिति की व्याख्या करें?
'मेन काम्फ़' हिटलर द्वारा लिखित पुस्तक में हिटलर ने अपने क्या विचार लिखे है?
हिटलर की पुस्तक 'मेन काम्फ़ ' जो उनकी आत्मकथा है, उसमें उन्होनें निम्नलिखित विचार दिए है:
नात्सीवाद को पूरे यूरोप व जर्मनी के लिए खतरा क्यों माना गया ?
नात्सी जर्मनी में स्कूलों की क्या स्थिति थी?
'मेरे राज्य की सबसे महत्त्वपूर्ण नागरिक माँ है' हिटलर के इस कथन की व्याख्या करें ।
निम्नलिखित पदों की व्याख्या करें।
प्रोपेगैंडा
प्रोपेगैंडा: जनमत को प्रभावित करने के लिए किया जाने वाला एक खास तरह का प्रचार जो पोस्टरों , फ़िल्मों और भाषणों आदि के माध्यम से किया जाता है। नात्सी जर्मनी में इस का प्रयोग यहूदियों के खिलाफ किया गया।
निम्नलिखित पद की व्याख्या करें।
युंगफ़ोक
युंगफ़ोक: जर्मन बच्चों और युवाओं को राष्ट्रीय समाजवाद की भावना से लैस करने की जिम्मेदारी युवा संगठनों को सौंपी गई । इसी में एक युंगफ़ोक था जिसमें 14 साल से कम उम्र के बच्चों का दाखिला होता था।
वाइमर गणराज्य जर्मनी की समस्या को हल करने में असफल क्यों रहा ?
नात्सीवाद किस प्रकार से लोकतंत्र व समाजवाद विरोधी था ?
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यहूदियों के प्रति हिटलर व नात्सीवादी सोच क्या थी? व्याख्या करें ।
वर्साय की शांति संधि का प्रथम विश्व युद्ध के पश्चात हिटलर पर क्या प्रभाव पड़ा?
हिटलर के उदय की व्याख्या निम्नलिखित बिंदुओ पर करे:
1 युवाओं केलिए नीति
2 व्यक्तिगत गुण
3 प्रोपेगैंडा (प्रचार) की कला
वर्साय की संधि के मुख्य बातों को उल्लेखित करें।
वर्साय की संधि, जर्मनी के लिए बहुत ही अपमान जनक व कठोर थी।
व्याख्या करें - हिटलर के नस्ल आधारित विचार किससे प्रेरित थे?
जर्मनवासी या आम आदमी, नात्सीवाद के बारे में क्या विचार रखते थे?
लोग नाजियों की दृष्टि से देखने लगे व नाजियों की भाषा उनके मस्तिष्क में घर कर गई उन्होंने यहूदियों के प्रति गुस्सा और घृणा विकसित कर ली थी । उन्हे विश्वास हो गया था कि नाज़ीवाद खुशहाली लाएगा और उनके जीवन को बेहतर बनाएगा।
यहूदियों के घर चिंहित किए गए और संदिग्ध पड़ोसियों के रूप में उनकी शिकायत की गई ।
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