शारीरिक शिक्षा Chapter 9 खेल चिकित्सा
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    NCERT Solution For Class 12 ������������������ शारीरिक शिक्षा

    खेल चिकित्सा Here is the CBSE ������������������ Chapter 9 for Class 12 students. Summary and detailed explanation of the lesson, including the definitions of difficult words. All of the exercises and questions and answers from the lesson's back end have been completed. NCERT Solutions for Class 12 ������������������ खेल चिकित्सा Chapter 9 NCERT Solutions for Class 12 ������������������ खेल चिकित्सा Chapter 9 The following is a summary in Hindi and English for the academic year 2021-2022. You can save these solutions to your computer or use the Class 12 ������������������.

    Question 1
    CBSEHHIPEH12037031

    खेल चिकित्सा क्या है?

    Solution

    खेल चिकित्सा विज्ञान की एक शाखा है जिसका संबंध खिलाड़ी के स्वास्थ्य को बनाए रखने, शारीरिक प्रदर्शन को बढ़ाने तथा रोगों की रोकथाम से होता है। खेल चिकित्सा सिद्धान्तों का अध्ययन और अभ्यास है, तथा खेल के विज्ञान से संबंधित है, विशेष रूप से निम्नलिखित क्षेत्रों में:

    1. खेल चोट और निदान उपचार
    2. खेल चोट की रोकथाम
    3. खेल प्रशिक्षण सहित एथेलेटिक प्रदर्शन
    4. व्यायाम और कार्य प्रणाली
    5. खेल पोषण
    6. खेल मनोविज्ञान

    Question 2
    CBSEHHIPEH12037032

    खेल की चोट क्या है?

    Solution

    खेल चोटें वह चोटें हैं जो खेल या व्यायाम करते समय खिलाड़ियों को लग जाती हैं। कुछ चोटें दुर्घटनाएँ है जो खराब प्रशिक्षण या खेल सुरक्षा उपकरण (Sports Gear) के कारण होती हैं। सामान्य खेल चोट:

    1. खिंचाव तथा मोच
    2. घुटने की चोट
    3. मांसपेशियों में सूजन
    4. पिंडली की हड्डी के साथ दर्द
    5. अस्थिभंग
    6. जोड़ का विस्थापन

    Question 3
    CBSEHHIPEH12037033

    खेल चोटों का किस प्रकार वर्गीकरण करते हैं?

    Solution

    खेल चोटों के प्रकारों का वर्गीकरण इस प्रकार है:

    1. मुलायम या कोमल उत्तकों की चोट (Soft Tissue Injuries)
    2. अस्थियों की चोटें (Bone Injuries)
    3. जोड़ों की चोटें (Joint Injuries)
    4. अतिप्रयोग (Overuse)

    Question 4
    CBSEHHIPEH12037034

    कोमल ऊतक चोट क्या है?

    Solution

    कोमल ऊतक चोट, शरीर में मांसपेशियों की क्षति है।

    Question 5
    CBSEHHIPEH12037035

    कोमल उत्तक चोट के प्रकार लिखें?

    Solution

    मुलायम उत्तकों की चोटें निम्नलिखित होती है:

    1. गुम चोट (Contusion)
    2. खिंचाव (Strain)
    3. मोच (Sprain)
    4. रगड़ या छीलना (Abrasion
    5. चीरा (Incision)
    6. विदारण (Laceration), फटना

    Question 6
    CBSEHHIPEH12037036

    कन्ट्यूशन या गुमचोट (Contusion) क्या है?

    Solution

    कन्ट्यूशन (Contusion) मांसपेशी की चोट होती है। किसी खेल उपकरण या किसी अन्य चीज से प्रत्यक्ष रूप से चोट लगना, कन्ट्यूशन का कारण बन सकता है। मुक्केबाजी, कुश्ती, कबड्डी आदि में कन्ट्यूशन होना स्वाभाविक है। कन्ट्यूशन में रक्त कोशिकाएँ टूट जाती हैं और कभी-कभी मांसपेशियों से रक्त बहने लगता है। कन्ट्यूशन की जगह पर अकड़न और सूजन आ जाना भी स्वाभाविक है। कई बार ऐसे केसों में मांसपेशियां भी अपना कार्य करना छोड़ देती है। कभी-कभी गंभीर दशा में मांसपेशियां पूर्ण रूप से निष्क्रिय हो जाती है।

    Question 7
    CBSEHHIPEH12037037

    रगड़ या छिलने (Abrassium) से आप क्या समझते हैं?

    Solution

    रगड़ या छिलना त्वचा की चोट है। रगड़ प्राय: किसी उपकरण के साथ रगड़ने के परिणामस्वरूप हो जाता है। कभी-कभी नीचे गिरने से भी रगड़ लग जाती है, रगड़ त्वचा के ऊपरी भाग पर होता है।

    Question 8
    CBSEHHIPEH12037038

    मोच क्या है?

    Solution

    मोच (Sprain): एक लिंगामेंट या मांसपेशीय तन्तु (Ligaments) की चोट होती है। यह अधिक खिंचाव व लिंगामेट के फटने के कारण हो जाती है। सामान्यता मोच कोहनी के जोड़, टखने के जोड़ आदि में होता है।

    Question 9
    CBSEHHIPEH12037039

    प्राथमिक चिकित्सा किसे कहते है? इस का लक्ष्य लिखों?

    Solution

    प्राथमिक चिकित्सा (First-Aid) ज्ञात ऐसी चिकित्सा है जो रोगी या घायल व्यक्ति को आपातकालीन व दुर्घटना के समय डॉक्टर के आने से पहले, बीमार रोगी को दर्द से आराम देने के लिए दी जाती है। 

       इस का लक्ष्य (Aim) बीमार व रोगी व्यक्ति की जान बचाना है तथा दर्द से आराम लाना है।

    Question 10
    CBSEHHIPEH12037040

    अस्थि-भंग (Fracture) क्या हैं?

    Solution

    हड्डी में दरार या टूटना अस्थिभंग कहलाता है। अस्थिभंग के प्रकार:

    1. सरल/बंद: हड्डी टूटी है लेकिन साइड पर कोई घाव नहीं है।
    2. खुला/यौगिक: एक खंडित हड्डी का नुकीला भाग त्वचा से बाहर निकल जाता है।
    3. जटिल: टूटी हड्डी स्थानीय ऊतकों तथा अंगों को नुकसान पहुँचाती है।

    Question 11
    CBSEHHIPEH12037041

    तनाव अस्थिभंग (Stress Fracture) क्या है?

    Solution

    तनाव अस्थिभंग हड्डी में छोटी दरारें या चटक (Crack) होते है जो अधिक टकराव वाले खेल-लंबी दूरी या बास्केट बॉल आदि में लगातार दबाव डालने से होता है।

    Question 12
    CBSEHHIPEH12037042

    कंधे के जोड़ को विस्थापन के बारे में समझाइए?

    Solution

    कंधे के जोड़ में विस्थापन कठोर सतह पर गिरने से तथा अचानक झटका लगने से होता है। इस चोट में ह्यूमरस का हिस्सा सॉकेट से बाहर आ जाता है।

    Question 13
    CBSEHHIPEH12037043

    खेल चोटों में उचित अनुकूलन क्या है?

    Solution

    खेलों में बहुत-सी चोटें कमजोर मांसपेशियों के कारण लग जाती हैं, जो मांसपेशियाँ खेल की माँग की पूर्ति के लिए तैयार नहीं होती, इसीलिए उचित मांसपेशी शक्ति के लिए उचित अनुकूलन की विधियाँ है जो नाड़ी-पेशिया सांमजस्य को बढ़ाती है तथा खेल चोटों का भी बचाव करती है।

    Question 14
    CBSEHHIPEH12037044

    घाव से आपका क्या अभिप्राय है?

    Solution

    खेलने या प्रशिक्षण के दौरान यदि खिलाड़ी नीचे गिर जाता है और उसके हाथो, पैरो या शरीर में कहीं पर कोई नुकीली वस्तु या कंकड़, पत्थर, शरीर में घुस जाता है तो वहाँ घाव हो जाता है। जैसे, चीरा, रगड़ आदि।

    Question 15
    CBSEHHIPEH12037045

    खेलों में चिकित्सा के क्षेत्र का वर्णन कीजिए।

    Solution

    खेलों में चिकित्सा विज्ञान के विभिन्न क्षेत्र निम्नलिखित है:

    1. मानव शरीर रचना एवं शरीर क्रिया (Human Anatomy and Physiology)
    2. खिलाड़ी पोषण (Athlete Nutrition)
    3. खेल एवं प्राथमिक उपचार (Sports & First Aid)
    4. खेलों में दुर्घटनाओं से बचाव (Preventive Measures from accidents)
    5. मादक द्रव्य सेवन की जांच की नयी विधियाँ (Testing & Bentine Measures from drugs & dopings)
    6. खेल चोट पुनर्वास (Rehabilitation of injuries)
    7. खेल प्रतिभा पता लगाने की विधियाँ (New techniques to search new talent)
    8. खेल एवं क्रीड़ाओं की दक्षता (Expertisation in skills)
    9. महिला एवं खेल (Women & Sports)
    10. खेल और समाज (Sports & Society)
    11. विभिन्न उम्रों के लिये अधिकतम भार का अध्ययन (Load Training Age)
    12. खेलों एवं क्रीड़ाओं की वैज्ञानिक उन्नति (Scientific Development)
    13. खेल और ट्रामेटोलॉजी (Sports & Traumatology)
    14. उपकरण एवं सुविधायें (Equipments & Facilities)
    15. तरण ताल (Swimming Pool)
    16. खेल मैदान (Playground)
    17. भौतिक चिकित्सा (Physiotherapy)
    18. अनुसंधान (Reserach)
    19. मनोवैज्ञानिक पहलू (Psychological Aspect)

    Question 16
    CBSEHHIPEH12037046

    कोमल ऊतकों की चोटे क्या है? इनका बचाव लिखों?

    Solution

    कोमल उत्तकों - त्वचा, मांसपेशीय, स्नायु बंधन (Tendons) उत्तकों में लगने वाली चोटें को कोमल उत्तक चोटे कहते है।

    बचाव:

    1. शरीर को खेल गतिविधियों में भाग लेने से पहले अच्छी तरफ से गर्माना चाहिए।
    2. उचित अनुकूल करना चाहिए।
    3. अच्छी गुणवता वाले उपकरण व सुविधाओं का प्रयोग करना चाहिए।
    4. खेल मैदान (Courts) साफ व समतल होने चाहिए।
    5. खिलाड़ियों को खेलों के नियमों की जानकारी होनी चाहिए।
    6. प्रतियोगिता और प्रशिक्षण के समय खिलाड़ी सतर्क रहना चाहिए।
    7. थकावट, बीमारी व रोगोंकी दशा में खेलों में भाग नहीं ले चाहिए।

    Question 17
    CBSEHHIPEH12037047

    जोड़ों के विस्थापन से आप क्या समझतेहैं? किन्ही दो प्रकार के विस्थापनों को समझाइए।

    Solution

    जोड़ों का विस्थापन या Dislocation एक मुख्य चोट है। वास्तव में, यह जुड़ी हुई अस्थियों के जोड़ की सतहों का विस्थापन है। विस्थापन निम्न प्रकार के होते हैं-

    1. निचले जबड़े का विस्थापन (Dislocation of lower jaw): सामान्यतया यह तब हो जाता है, जब ठोड़ी किसी वस्तु से टकरा जाए। अधिक मुँह खोलने से भी निचले जबड़े का विस्थापन हो सकता है।
    2. कंधे के जोड़ का विस्थापन (Dislocation of Shoulder Joint): कंधे के जोड़ का विस्थापन अचानक झटके या कठोर सतह पर गिरने से भी हो सकता है। इस चोट में ह्यूमरस का सिरा सॉकेट से बाहर आ जाता है।

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    Question 18
    CBSEHHIPEH12037048

    विस्थापन के लक्षण और इलाज क्या है? विस्थापन से बचने के उपाय बताए?

    Solution

    (क) विस्थापन के लक्षण:

    1. बेरंग
    2. सूजन
    3. कुरूप
    4. गतिशीलता में सीमित
    5. तीव्रता से दर्द
    6. वजन लेने में असमर्थ

    विस्थापन से बचने के उपाय:
    बचाव (Prevention)

    1. किसी भी शारीरिक क्रिया खेल से पहले उचित ढंग से शरीर को गर्मा लेना चाहिए।
    2. तैयारी काल में उचित अनुकूलन करना चाहिए।
    3. गर्माने में खिंचाव वाले व्यायाम शामिल करने चाहिए।
    4. अनुचित खेल सुविधाओं के कारण।
    5. खिलाड़ियों के आपसी मजाक करने से।
    6. बिना प्रशिक्षक के ज़्यादा भार वाली क्रियाओं को करने से।
    7. थकावट के बाद भी खेलते रहने से।
    8. असंतुलित आहार के कारण।
    9. बिना नियमों के खेलने से।
    10. कूलिंग डाउन करने से।

    (ख) विस्थापन के इलाज : प्राथमिक चिकित्सा

    R - आराम                       P - रक्षण
    E - उत्थान                       R - आराम
    S - सहारे देना                   I - बर्फ
    T - सहारे के साथ बंधना        C - दबाव (खून आने पर)
                                       E - उत्थान

    Question 19
    CBSEHHIPEH12037049

    अस्थि भंग के प्रकार लिखें तथा किन्हीं तीन के बारे में संक्षेप में लिखें।

    Solution

    अस्थियों की चोटों के विभिन्न प्रकार निम्न हैं:

    1. साधारण अस्थिभंग (Simple Fracture)
    2. विवृत अस्थिभंग (Compound Fracture)
    3. जटिल अस्थिभंग (Complicated Fracture)
    4. कच्ची अस्थिभंग (Green Stick Fracture)
    5. बहुखंड अस्थिभंग (Comminute Fracture)
    6. पच्चड़ी अस्थिभंग (Impacted Fracture)
    7. दबाव अस्थिभंग (Stress Fracture)

     

    1. साधारण अस्थिभंग: जब किसी भी प्रकार के घाव के बिना अस्थिभंग हो जाती है, उसे साधारण अस्थिभंग कहा जाता है।
    2. विवृत अस्थिभंग: विवृत अस्थिभंग वह अस्थिभंग होता है, जिसमें अस्थि के टूटने केसाथ-साथ त्वचा और मांसपेशियों को भी हानि या नुकसान होता है। सामान्यतया, इस प्रकार के अस्थिभंग में टूटी हुई अस्थि त्वचा को फाड़कर बाहर आ जाती है।
    3. जटिल अस्थिभंग: जटिल अस्थिभंग में टूटी हुई अस्थि आंतरिक अंग या अंगों को भी हानि पहुँचा देती है। ये अंग ऊतक, तन्तु या तन्त्रिका या फिर धमनी भी हो सकती है। इस प्रकार के अस्थिभंग प्राय: बहुत जटिल व खतरनाक होते हैं। इस प्रकार के अस्थिभंग ऊँची-कूद तथा बाँस-कूद वाले खिलाड़ियों के हो सकते है।

    Question 20
    CBSEHHIPEH12037050

    अस्थिभंग (Fracture) के मुख्य कारणों को लिखों?

    Solution

    अस्थिभंग अस्थि पर तेज प्रहार या टक्कर ही से होती है। इस के मुख्य कारण:

    1. खेलों में खिलाड़ियों में आपस में जोरदार टक्कर या खिलाड़ी का किसे भारी उपकरण व सुविधा से टकराना।
    2. ज़ोरदार व आप्राकृतिक (Unnatural) गतिविधियाँ।
    3. लंबी दूरी/अवधि की दौड़ या पैदल चाल।
    4. सख्त सतह पर अनायास ही गिरना।
    5. शरीर में कैल्शियम की कमी (Bone ospeoporosis)।

    Question 21
    CBSEHHIPEH12037051

    प्राथमिक चिकित्सा (First Aids) के उद्देश्यों की व्याख्या करो।

    Solution

    प्राथमिक चिकित्सा के उद्देश्य :
    1. घायल व्यक्ति के जीवन को बचाना।
    2. घायल व बीमार व्यक्तियों के दर्द को कम करने की कोशिश करना।
    3. चोटे व बीमारी को बढ़ाने वाली परिस्थितियों को दूर करना।
    4. खोई हुई शक्तियों को पुन: प्राप्ति में सहायता करना।
    5. जल्दी से जल्दी विशेषक, सुविधाएँ तथा उपकरणों का अयोजन करना ताकि वास्तविक इलाज शुरू हो सके।

    Question 22
    CBSEHHIPEH12037052

    खेल चिकित्सा के उद्देश्य एवं लक्ष्य बताइए।

    Solution

    खेल चिकित्सा के मुख्य लक्ष्य इस प्रकार है:

    1. खेल चिकित्सा के प्रथम लक्ष्य के अनुसार: खेलों के दौरान खिलाड़ी को लगने वाली चोटों के बारे में पूर्ण रूप से ज्ञान नहीं होता है और सभी खेलों में चोट के लगने की प्रकृति एवं प्रकार में भिन्नता पाई जाती है। अत: खिलाड़ी जिस खेल में ट्रेनिंग ले रहा है या अभ्यास कर रहा है उस खेल में लगने वाली संभावित चोटों के बारे में खिलाड़ी को पूर्व में खेल चिकित्सक और प्रशिक्षण द्वारा बता देना चाहिए जिससे खिलाड़ी अपने को खेल के दौरान चोट ग्रस्त होने से बचा सके। इसके लिए प्रशिक्षण को भी खिलाड़ी की योग्यताओं, क्षमताओं और मानसिक चिंतन एवं उपकरण की जाँच तथा अन्य मनोवैज्ञानिक कारको का परीक्षण पूर्व में ही कर लेना चाहिए तथा चिकित्सकीय जाँच आदि की सूचना खेल चिकित्सक के माध्यम से प्राप्त कर खिलाड़ी को देना चाहिए।
    2. खेल चिकित्सा के द्वितीय लक्ष्य के अनुसार: यह सर्वविदित है कि खिलाड़ी के शरीर, मनोवैशानिक, चिकित्सीय कारक और अन्य विशेष कारकों को ध्यान में रखकर खिलाड़ी को लगने वाली चोटों से संभावित कारण से अवगत कराना उचित होता है जिससे कि वह खेल या प्रतियोगिता के दौरान अपने को चोटग्रस्त होने से बचा सके। खेलों में लगने वाली चोटों के कारण खिलाड़ी की खेल कौशल तकनीक में कमी, अपर्याप्त् गरमाना, अपर्याप्त् शारीरिक दक्षता, वातावरणीय कारक और अन्य मनोवैशानिक पहलू हो सकते है।
    3. खेल चिकित्सा के तृतीय लक्ष्य के अनुसार: जब खिलाड़ी खेल के दौरान या ट्रैकिंग के दौरान या प्रतियोगिता के दौरान चोटग्रस्त हो जाता है, तो खिलाड़ी था प्रशिक्षक को चाहिए कि वे तुरंत प्राथमिक उपचार के पश्चात सम्बन्धित खेल वैज्ञानिक विशेषज को सूचित करें जिससे कि चोट के इलाज, पुनर्वास और क्षतिपूर्ति का शीघ्र उपाय किया जा सके। चोटों के क्षतिपूर्ति और पुनर्वास के लिए सामान्यत: विभिन्न चिकित्सकीय तरीकों में जैसे जल उपचार (Hydro Therapy), किरणीय उपचार (Dia & Radiation Therapy) और पराध्वनि तरंगों (Vibrating Wave Therapy) आदि को उपयोग में लाया जाता है।
    4. खेल चिकित्सा के चतुर्थ लक्ष्य के अनुसार: खिलाड़ी के खेल के दौरान लगने वाली चोटों के बचाव पक्ष से खिलाड़ी को पूर्व में ही अवगत करा देना चाहिए जिससे कि वह अभ्यास या प्रतियोगिता के दौरान चोटग्रस्त न हो सके। इसके लिए खिलाड़ी, लगने वाली संभावित चोटों से अपना बचाव कर सके।

    खेल चिकित्सा के उद्देश्य:

    1. खेल एवं क्रीडाओं की वैज्ञानिक उन्नति: खेल एवं क्रीड़ाओं की वैज्ञानिक उन्नति के लिए कुछ ऐसे पहलू है जिनका खिलाड़ी के प्रदर्शन पर विशिष्ट प्रभाव पड़ता है। वास्तविक परिणामों में शिथिलता एवं कमी आती है। अत: इन सभी पहलुओं को ध्यान में रखना अति आवश्यक है जिनका वर्णन निम्नलिखित है:
      1. कोचिंग के कार्यक्रमों की योजना तैयार करना
      2. कोचिंग का मूल्यांकन करना
      3. चयनित निर्णय लेना
      4. मनोवैज्ञानिक परामर्श
      5. चोटों की रोकथाम
    2. स्वास्थ्य रक्षा
    3. खेल चिकित्सा विस्तार सेवा:

     अतः कहा जा सकता है कि खेल औषधि विज्ञान के माध्यम से खिलाड़ी की काफी समस्याओं का समाधान आसानी से हो जाता है। इसके लिए प्रत्येक खेल संस्थान में खेल चिकित्सक, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, चिकित्सालय आदि का होना आवश्यक है जिससे खिलाड़ी की समस्याओं, चोटो, रोगों आदि संबंधित कमियों को दूर किया जा सके।

    Question 23
    CBSEHHIPEH12037053

    शारीरिक शिक्षा एवं खेल में खेल चिकित्सक की आवश्यकता एवं महत्त्व का वर्णन कीजिए।

    Solution

    खेल औषधि विज्ञान के लक्ष्य एवं उद्देश्यों की पूर्ति के लिए खिलाड़ी, खेल प्रशिक्षक, ट्रेनर एवं शारीरिक शिक्षक आदि का बहुत महत्त्वपूर्ण योगदान रहता है। खेलों के विभिन्न क्षेत्रों में खिलाड़ी की चयन प्रक्रिया, पोषण, ट्रेनिंग विधिया, शारीरिक दक्षता, चोटों से रक्षा, बचाव एवं इलाज, खिलाड़ी का दैनिक कार्यक्रम, नई तकनीकों का उपयोग, खिलाड़ी का पूर्ण परीक्षण खेल केदौरान खिलाड़ी की कार्यकीय एवं मनोवैज्ञानिक दशा तथा खेलों एवं क्रीड़ाओं की वैज्ञानिक उन्नति आदि में इस औषधि विज्ञान की बहुत आवश्यकता पड़ती है।

    इन कारकों के कारण भविष्य में भी खिलाड़ी का खेल प्रदर्शन एवं राष्ट्रीय एवं अतंर्राष्ट्रीय स्तर पर परिणाम प्रभावित होते है, खेल औषधि विज्ञान के उद्देश्यों की पूर्ति की आवश्यकताएं, खिलाड़ी के प्रदर्शन मे इन सभी उपरोक्त कारकों को सही एवं सफलतापूर्वक उपयोग में लाने के लिए खेलों से संबंधित सभी व्यक्तियों की आवश्यकता पड़ती है और इन सभी व्यक्तियों संयुक्त प्रभाव ही खिलाड़ी का प्रदर्शन होता है। खेल औषधि विज्ञान इस आधुनिक युग मे बहुत बृहद् स्तर पर अपने कार्य कर रही है जिसकी खेल एवं शारीरिक शिक्षा केक्षेत्र में निम्नलिखित आवश्यकता पड़ती है:

    1. प्रतिभावान खिलाड़ियों के पहचान एवं चयन (To Identification and Selection of talented Sportsmen)।
    2. ट्रनिंग कार्यक्रम तैयार करना (To prepare of training schedule)।
    3. खिलाड़ी का संतुलित आहार तैयार करना (To prepare balance of diet of sportsmen)।
    4. प्रशिक्षकों के लिए ट्रेनिंग विधियों को खोजने का साधन (Device for coaches to identify training methods)।
    5. पूर्ण दक्षता प्राप्त करना (To minimising of total fitness)।
    6. खेल चोटों को कम करना (Minimising the sports injuries)।
    7. खेल चोटों के इलाज एवं पुनर्वास (Treatment and Rehabilitation of sports injuries)।
    8. खिलाड़ी के प्रदर्शन स्तर के नियमित परीक्षण।

    Question 24
    CBSEHHIPEH12037054

    खेलों में खेल चिकित्सक की क्या भूमिका होती है?

    Solution

    खेल चिकित्सक की चिकित्सक के रूप में निम्नलिखित ड्यूटी रहती है:

    1. खेलों में भाग लेने वाले विश्वविद्यालयीन जवान बच्चों और विकसित युवा, पुरुषों की नियमित चिकित्सकीय जाँच करना।
    2. सभी क्रियाओं के अभिलेखों को तैयार करना एवं रख-रखाव करना।
    3. चोटग्रस्त खिलाड़ियों की चोटों का इलाज एवं चोट पुनर्वास की प्रक्रिया को सम्पूर्ण करना।
    4. आधुनिक खेल चिकित्सक को खेल कार्य की, डोपिंग, पैथालॉजी, मनोविज्ञान, कार्डियोलॉजी, इन्डोक्रायनोलॉजी, ट्रायमेटोलॉजी आदि जैसे विषयों से संबंधित खिलाड़ी की समस्या का हल चिकित्सकीय जाँच के माध्यम से करता है।
    5. प्रशिक्षण के दौरान (During Training)
      1. उचित अनुकूलन व्यायाम
      2. स्वास्थ्य स्तर की जाँच
      3. क्रमबद्ध ट्रेनिंग की जाँच
    6. स्पर्धा के दौरान (During Competition)
      1. चोटों की उचित देख-भाल करना।
      2. औषधि एवं दवाइयों के उचित सेवन पर ध्यान देना।
      3. उचित आराम व नींद पर ध्यान देना।
      4. खिलाड़ी के संतुलित आहार का परीक्षण करना।
    7. स्पर्धा के बाद (After Competition)
      1. खिलाड़ी के प्रदर्शन (Performance) को स्वीकार करना।
      2. निपुणता या अनुभवता को प्रोत्साहित करना।
      3. खिलाड़ी को उत्साहित करना।
      4. खिलाड़ी द्वारा किए गए प्रदर्शन को देखकर उसका उसी समय अंत करना।
      5. पूर्ण क्षतिपूर्ति के महत्त्व पर विश्वास करना।
      6. खिलाड़ी से लगातार प्रदर्शन बढ़ाने की सलाह देना।
      7. एक सलाहकार, पर्यवेक्षक और मेडिकल विशेषज्ञ के रूप में खिलाड़ी के साथ व्यवहार करना।

    Question 25
    CBSEHHIPEH12037055

    खेल चोटों से किस प्रकार बचा जा सकता है?

    Solution

    खिलाड़ियों का जीवन बहुमूल्य होता है। खिलाड़ी को कई बार इस प्रकार की चोट लग जाती है कि वह दोबारा कभी नहीं खेल सकता। उसका खेल-जीवन समाप्त हो जाता है। हालांकि बहुत-सी खेल-चोटों का उपचार हो सकता है, लेकिन फिर भी यह एक कटु सत्य है कि ''इलाज से परहेज बेहतर है'' (Prevention is better than Cure) इसीलिए एथलीट्स या खिलाड़ी, खेल-चोटों के खतरों को कम या समाप्त करना चाहते हैं, विशेषकर जब वे प्रशिक्षण या खेल प्रतियोगिता में भाग ले रहे हों। खेल चोटें एक खिलाड़ी के कारण जीवन भर खेल में भाग नहीं ले सकता।

    बचाव के उपयुक्त बिन्दुओं पर ध्यान दें विशेष रूप से जिनका वर्णन नीचे दिया गया है:

    1. उचित वार्मिंग (Proper Warming-up): किसी भी खेल प्रतियोगिता या खेल प्रशिक्षण आरंभ करने से पहले उचित ढंग से वार्मिग अप करना अत्यंत आवश्यक है। खेल-चोटों के खतरों को काफी सीमा तक कम किया जा सकता है, क्योंकि उचित वार्मिग अप करने के बाद हमारे शरीर की मांसपेशियां अर्धतनाव की स्थिति में आ जाती है। जो शरीर को शारीरिक क्रिया करने के लिए तैयार कर लेती है।
    2. उचित अनुकूलन (Proper Conditioning): बहुत-सी चोटें शरीर की कमजोर मांसपेशियों के कारण लग जाती है, जो आपके खेल में माँग की पूर्ति के लिए तैयार नहीं होती, इसलिए उचित मांसपेशियाँ शक्ति के लिए शरीर का उचित अनुकूलन आवश्यक है। भार व परिधि प्रशिक्षण विधियाँ उचित अनुकूलन की महत्वपूर्ण विधियाँ है।
    3. संतुलित आहर (Balance Diet): कमजोर अस्थियाँ खेल में चोटों का कारण बन जाती है। अत: संतुलित आहार कुछ सीमा तक खेल-चोटों से बचाव करने में सहायक होता है।
    4. खेल कौशल का उचित ज्ञान (Knowledge of Sports Skills): खेल चोटों से बचाव के लिए खेल कौशलों का उचित ज्ञान या जानकारी लाभदायक होती है। एक खिलाड़ी को सम्बंधित खेल कौशलों को करने में कुशल होना चाहिए। उदाहरण के लिए, ऊँची कूद लगाने वाले एथलीट को अवतरण को अवतरण के कौशल की पूरी जानकारी होनी चाहिए। यदि वह इस कौशल में प्रवीण या कुशल नहीं है तो अवतरण करते हुए उसे चोट लग सकती है, इसलिए यदि आपको खेल कौशल की गहरी जानकारी है उन कौशलों को करने के लिए पूर्ण रूप से कुशल हो तो कुछ सीमा तक आप चोटों से बचाव कर सकते हो।
    5. सुरक्षात्मक उपकरणों का प्रयोग (Use of Protective Equipments) : खेल चोटों से बचाव करने का यह एक आसान तथा सबसे अच्छा तरीका है। केवल इसी कारण खेल-कूद के क्षेत्र में सुरक्षात्मक उपकरणों का प्रयोग आवश्यक है। ये सुरक्षात्मक उपकरण चोटों के लगने से खिलाड़ियों को सुरक्षा प्रदान करते है। इनकी भूमिका को और अच्छा बनाने हेतु सुरक्षात्मक उपकरणों की गुणवत्ता पर विशेष बल दिया जाना चाहिए।
    6. उचित खेल सुविधाएँ (Proper Sports Facilities): खेल सुविधाओं तथा खेल चोटों के मध्य एक प्रत्यक्ष सम्बन्ध होता है। वास्तव में खेल चोटों से बचाव किया जा सकता है। यदि अच्छी गुणवत्ता वाले खेल उपकरण हो तथा अभ्यास व प्रतियोगिता के लिए उचित खेल मैदान उपलब्ध हों। यदि खेल मैदान उचित ढंग से रखे जाएं तो खेल मैदानों पर लगने वाली चोटों के खतरे को कम अवश्य किया जा सकता है।

    Question 26
    CBSEHHIPEH12037056

    कोमल ऊतकों की चोटों को वर्गीकृत कीजिए? उनके कारणों तथा निवारको का वर्णन करों?

    Solution

    खेलों में कोमल ऊतक मांसपेशी तन्तु, त्वचा, रक्त वाहिनी आदि पर लगने वाली चोटों को कोमल उत्तक चोट कहते है:

    1. रगड़  (Abrasion): ऐसी चोटें जब खेलते समय या शारीरिक क्रिया करते समय नंगी त्वचा किसी खुरदरी सतह के गतिज संपर्क में आती है जिसके कारण त्वचा की ऊपरी सतह पर घर्षण हो जाता है रगड़ कहलाती है।
    2. गुमचोट (Contusion): खेलों में जब सीधे प्रहार पर कुछ वस्तु (Blunt Object) से बार-बार शरीर के किसी भाग को आहत करते है तो त्वचा की ऊपरी भाग पर नुकसान पहुँचाए बिना अंतर्निहित मांसपेशीय तन्तु और सयोजी ऊत्तक कुचल दिया जाता है या किसी कठोर वस्तुव सतह से भी गुमचोट लग सकती है।
    3. विदारण (Laceration): त्वचा के ऊपर खुले घाव अथवा मांस के फट जाने या किसी कुछ वस्तु के टकराने या किसी सतह से टकराने के कारण होती है।
    4. चीरा (Incission): चीरे वाले घाव तीखे कटाव वाली चोटे होती है। जो चाकू या टूटे हुए शीशे आदि से लगते है। घाव के किनारे उस वस्तु की धार की प्रकृति केअनुसार अलग-अलग होते है जिससे चोट लगी है।
    5. मोच (Sprain): अस्थि उपास्थि (Bone Cartilage) में खिंचाव व फट जाने के कारण मोच लग जाती है। अस्थि उपास्थि वे उत्तक होते है जो हड्डियों को जोड़ों पर आपस में जोड़ें रखते है।
    6. खिचांव (Stress): मांसपेशी व स्नायु के खिंच या फट जाने से है। स्नायु वह ऊतक होते है। जो हड्डियों को मांसपेशीयों से जोड़ते है। इन ऊतकों में घुमाव तथा इनके रिवंच जाने से इनमें तनाव पैदा हो जाता है।

    कोमल ऊतकों की चोटों के कारण:

    1. अतिप्रयोग (Over-Use)
    2. गिरना (Falls)
    3. ठहराव व मोड़ (Stops & Twists)
    4. अनुचित उपकरण (Improper Equipments)
    5. नया या अपेक्षाकृत क्रियाकलाप (New or Increased Activities)
    6. थकान (Fatigue)
    7. अपर्याप्त वर्म-अप (Poor Warm UP)
    8. टकराव (Clash)
    9. एकपक्षीय गतियाँ (Unilateral Movement)
    10. तकनीक व मुद्रा /आसान (Technique or Postuse)

    कोमल उत्तकों की चोटों से बचाव:

    1. समूचित वर्म-अप (Proper Warm-Up)
    2. समूचित अनुकूलन (Appropriate Condition)
    3. समुचित तकनीकी जानकारी (Sound Technical Knowledge)
    4. स्वास्थ्यप्रद आहार (Healthy Diet)
    5. तकनीकों का दक्षतापूर्वक प्रयोग (Efficient use of technique)
    6. सुरक्षा उपकरणों का प्रयोग (Use of Protective Gears)
    7. अति परीक्षण तथा अति प्रयोग (No over training or over use)
    8. सुरक्षा नियमों का पालन करें (Obey Safety Rules)
    9. निष्पक्ष अधिकारी गण (Fair Officiating)
    10. समूचित कूलिंग डाउन (Proper Cooling Down)

     

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