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यात्रियों के नज़रिए

Question
CBSEHHIHSH12028291

चर्चा कीजिए कि बर्नियर का वृत्तांत किस सीमा तक इतिहासकारों को समकालीन ग्रामीण समाज को पुनर्निर्मित करने में सक्षम करता है?

Solution

बर्नियर ने अपने वृत्तांत में भारतीय ग्रामीण समाज के बारे में बहुत कुछ लिखा है। वह ग्रामीण समाज की कुछ ऐसी स्थितियाँ प्रस्तुत करता है, जिससे यह पता चलता हैं कि भारत में ग्रामीण समाज कितना पिछड़ा हुआ है।

  1. उसके अनुसार हिंदुस्तान के साम्राज्य के विशाल ग्रामीण अंचलों में से कई केवल रेतीली भूमियाँ या बंजर पर्वत ही हैं। यहाँ की खेती अच्छी नहीं है और इन इलाकों की आबादी भी कम है।
  2. यहाँ तक कि कृषियोग्य भूमि का एक बड़ा हिस्सा भी श्रमिकों के अभाव में कृषि विहीन रह जाता है। गरीब लोग अपने लोभी स्वामियों की माँगों को पूरा करने में असमर्थ हो जाते हैं, वे अत्यंत निरंकुशता से हताश हो किसान गाँव छोड़कर चले जाते हैं।
  3. बर्नियर का यह वृत्तांत एक पक्षीय है। इस बात को समझने के लिए इतिहासकार को उसके लेखन का उद्देश्य समझना होगा। जिसमें यह स्पष्ट होता है कि वह यूरोप में निजी स्वामित्व को जारी रखना चाहता है। यह भारत के कृषक व ग्रामीण समाज कि दुर्दशा के लिए भूमि स्वामित्व को जिम्मेदार ठहरता है। यह भारत में स्वामित्व निजी के स्थान पर शासकीय मानता है।
  4. इतिहासकार उसके वृत्तांत को पढ़कर सामान्य रूप से यह निष्कर्ष निकल सकता है कि भारतीय ग्राम कितने पिछड़े हुए थे। ऐसा कार्ल मार्क्स ने भी कहा है। इसके लिए जरूरी है कि इतिहासकार अन्य तुलनात्मक स्त्रोतों का अध्ययन करें। वह बर्नियर की स्थिति तथा लेखन के उद्देश्य को भी समझे।इतिहासकार ग्रामीण समाज के अन्य पक्षियों विशेषकर लोगों की जीवनशैली के बारे में भी जाने का प्रयास करें। इन बिंदुओं पर ध्यान रखकर 17 वी शताब्दी के गाँवों के बारे में इतिहासकार समझ बना सकता है।
  5. इसी कदम पर आगे बढ़ते हुए इतिहासकार समकालीन ग्राम समाज को समझ सकता है। वह बर्नियर की तरह के स्त्रोतों का जब मूल्यांकन कर लेगा तथा अन्य स्त्रोतों का अध्ययन उसकी विषय-वस्तु में होगा तो निश्चित तौर पर समकालीन समाज को अच्छी तरह समझ सकता है। अत: बर्नियर का वृतांत इतिहास को समकालीन ग्रामीण समाज समझने का मार्ग तो देता है लेकिन उसके दोषों के प्रति भी सचेत होना होगा।

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Some More Questions From यात्रियों के नज़रिए Chapter

बर्नियर के वृतांत से उभरने वाले शहरी केंद्रों के चित्र पर चर्चा कीजिए।

इब्न बतूता द्वारा दास प्रथा के संबंध में दिए गए साक्ष्यों का विवेचन कीजिए।

सती प्रथा के कौन से तत्वों ने बर्नियर का ध्यान अपनी ओर खींचा?

जाति व्यवस्था के संबंध में अल-बिरूनी की व्याख्या पर चर्चा कीजिए।

क्या आपको लगता है कि समकालीन शहरी केंद्रों में जीवन-शैली की सही जानकारी प्राप्त करने में इब्न बतूता का वृत्तांत सहायक है? अपने उत्तर के कारण दीजिए।

यह बर्नियर से लिया गया एक उद्धरण है:

ऐसे लोगों द्वारा तैयार सुंदर शिल्पकारीगरी के बहुत उदाहरण हैं जिनके पास औज़ारों का अभाव है और जिनके विषय में यह भी नहीं कहा जा सकता कि उन्होंने किसी निपुण कारीगर से कार्य सीखा है।
कभी-कभी वे यूरोप में तैयार वस्तुओं की इतनी निपुणता से नकल करते हैं कि असली और नकली के बीच अंतर कर पाना मुश्किल हो जाता है। अन्य वस्तुओं में भारतीय लोग बेहतरीन बंदके और ऐसे सुंदर स्वर्णाभूषण बनाते हैं कि संदेह होता है कि कोई यूरोपीय स्वर्णकार कारीगरी के इन उत्कृष्ट नमूनों से बेहतर बना सकता है। मैं अकसर इनके चित्रों की सुंदरता मृदुलता तथा सूक्ष्मता से आकर्षित हुआ हूँ।
उसके द्वारा अलिखित शिल्प कार्यों को सूचीबद्ध कीजिए तथा इसकी तुलना अध्याय में वर्णित शिल्प गतिविधियों से कीजिए।

चर्चा कीजिए कि बर्नियर का वृत्तांत किस सीमा तक इतिहासकारों को समकालीन ग्रामीण समाज को पुनर्निर्मित करने में सक्षम करता है?

इब्न बतूता और बर्नियर ने जिन दृष्टिकोणों से भारत में अपनी यात्राओं के वृत्तांत लिखे थे, उनकी तुलना कीजिए तथा अंतर बताइए।