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यात्रियों के नज़रिए

Question
CBSEHHIHSH12028290

यह बर्नियर से लिया गया एक उद्धरण है:

ऐसे लोगों द्वारा तैयार सुंदर शिल्पकारीगरी के बहुत उदाहरण हैं जिनके पास औज़ारों का अभाव है और जिनके विषय में यह भी नहीं कहा जा सकता कि उन्होंने किसी निपुण कारीगर से कार्य सीखा है।
कभी-कभी वे यूरोप में तैयार वस्तुओं की इतनी निपुणता से नकल करते हैं कि असली और नकली के बीच अंतर कर पाना मुश्किल हो जाता है। अन्य वस्तुओं में भारतीय लोग बेहतरीन बंदके और ऐसे सुंदर स्वर्णाभूषण बनाते हैं कि संदेह होता है कि कोई यूरोपीय स्वर्णकार कारीगरी के इन उत्कृष्ट नमूनों से बेहतर बना सकता है। मैं अकसर इनके चित्रों की सुंदरता मृदुलता तथा सूक्ष्मता से आकर्षित हुआ हूँ।
उसके द्वारा अलिखित शिल्प कार्यों को सूचीबद्ध कीजिए तथा इसकी तुलना अध्याय में वर्णित शिल्प गतिविधियों से कीजिए।

Solution

इस उद्धरण में बर्नियर ने बंदूकें बनाना, स्वर्ण आभूषण बनाना आदि शिल्प-कार्यों का उल्लेख किया। भारतीय कारीगर इन्हे बड़ी निपुणता तथा कलात्मक ढंग से बनाते थे। यह उत्पाद इतने सुन्दर होते थे कि बर्नियर भी इन्हें देखकर हैरान रह गया था। वह कहता है कि यूरोप के कारीगर भी शायद इतनी सुन्दर वस्तुएँ बना पाते हों।

तुलना: इस अध्याय में वर्णिंत अन्य शिल्प गतिविधियाँ निम्नलिखित हैं:

  1. चित्रकारी
  2. कसीदाकारी
  3. रंग-रोगन करना
  4. बढ़ईगीरी
  5. जूते बनाना
  6. कपड़े सीना
  7. रेशम, जरी और बारीक मलमल का काम 
  8. सोने के बर्तन बनाना

ये सभी गतिविधियाँ राजकीय कारखानों में चलती थीं। बर्नियर इन कारखानों को शिल्पकारों कि कार्यशाला कहता है। ये शिल्पकार प्रतिदिन सुबह कारखाने में आते थे और पूरा दिन काम करने के बाद शाम को अपने-अपने घर चले जाते थे।

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Some More Questions From यात्रियों के नज़रिए Chapter

किताब-उल-हिन्द पर एक लेख लिखिए।

बर्नियर के वृतांत से उभरने वाले शहरी केंद्रों के चित्र पर चर्चा कीजिए।

इब्न बतूता द्वारा दास प्रथा के संबंध में दिए गए साक्ष्यों का विवेचन कीजिए।

सती प्रथा के कौन से तत्वों ने बर्नियर का ध्यान अपनी ओर खींचा?

जाति व्यवस्था के संबंध में अल-बिरूनी की व्याख्या पर चर्चा कीजिए।

क्या आपको लगता है कि समकालीन शहरी केंद्रों में जीवन-शैली की सही जानकारी प्राप्त करने में इब्न बतूता का वृत्तांत सहायक है? अपने उत्तर के कारण दीजिए।

यह बर्नियर से लिया गया एक उद्धरण है:

ऐसे लोगों द्वारा तैयार सुंदर शिल्पकारीगरी के बहुत उदाहरण हैं जिनके पास औज़ारों का अभाव है और जिनके विषय में यह भी नहीं कहा जा सकता कि उन्होंने किसी निपुण कारीगर से कार्य सीखा है।
कभी-कभी वे यूरोप में तैयार वस्तुओं की इतनी निपुणता से नकल करते हैं कि असली और नकली के बीच अंतर कर पाना मुश्किल हो जाता है। अन्य वस्तुओं में भारतीय लोग बेहतरीन बंदके और ऐसे सुंदर स्वर्णाभूषण बनाते हैं कि संदेह होता है कि कोई यूरोपीय स्वर्णकार कारीगरी के इन उत्कृष्ट नमूनों से बेहतर बना सकता है। मैं अकसर इनके चित्रों की सुंदरता मृदुलता तथा सूक्ष्मता से आकर्षित हुआ हूँ।
उसके द्वारा अलिखित शिल्प कार्यों को सूचीबद्ध कीजिए तथा इसकी तुलना अध्याय में वर्णित शिल्प गतिविधियों से कीजिए।

चर्चा कीजिए कि बर्नियर का वृत्तांत किस सीमा तक इतिहासकारों को समकालीन ग्रामीण समाज को पुनर्निर्मित करने में सक्षम करता है?

इब्न बतूता और बर्नियर ने जिन दृष्टिकोणों से भारत में अपनी यात्राओं के वृत्तांत लिखे थे, उनकी तुलना कीजिए तथा अंतर बताइए।