‘सिल्वर वेडिंग’ कहानी का प्रमुख पात्र बार-बार किशन दा को क्यों याद करता है? इसे आप उसका सामर्थ्य मानते हैं या कमजोरी? क्यों?
‘सिल्वर वेडिंग’ कहानी का प्रमुख पात्र यशोधर बाबू किशन दा को बार-बार याद करते हैं। इसका कारण यह है कि यशोधर बाबू का पूरा व्यक्तित्व किशन दा के प्रभाव में ही विकसित हुआ है। यशोधर बाबू उनके व्यक्तित्व की ही प्रतिच्छाया हैं। हम इसे उनकी सामर्थ्य न मानकर उनकी कमजोरी मानते हैं। वे जीवन भर अपना कोई महत्त्व स्थापित नहीं कर पाते। वे किशनदा के रूप में ही जीकर अपनी कमजोरी को प्रकट करते हैं। यही कारण है कि वे जीवन के हर दौर में मिसफिट रहते हैं। जीवन का अंतिम दौर तो और भी खराब रहा। किसी व्यक्ति का प्रभाव ग्रहण करना बुरी बात नहीं है, पर पूरी तरह उसी मैं रम जाना और अपना स्वत्व मिटा देना ठीक नहीं है। इसे कमजोरी ही कहा जाएगा। यशोधर बाबू को अपनी समझ से काम लेना चाहिए था तथा अपनी सामर्थ्य पर भरोसा रखना चाहिए था।