यशोधर बाबू अपनी संतानों से असंतुष्ट क्यों रहते थे और वे उनसे क्या चाहते थे?
यशोधर बाबू की संतानों की सोच नये जमाने के हिसाब से थी। उनका बड़ा बेटा भूषण साधारण प्रतिभा का होने के बाद भी बहुत ज्यादा वेतन पाता था। वह घर में अपनी बात मनवा लेता था। दूसरा बेटा आई. ए. एस. की परीक्षा में एक बार सफल होने के बाद भी ज्वाइन नहीं करता है। वह इस बारे में अपने पिता से पूछता भी नहीं है। तीसरा बेटा स्कालरशिप लेकर अमेरिका चला गया था। इसी तरह उनकी बेटी शादी के तमाम प्रस्ताव अस्वीकार कर रही थी। वह डॉक्टरी की पढ़ाई के लिए अमेरिका जाने की धमकी देती थी। उनकी सारी संतानें अपने किसी भी मामले में यशोधर जी से सलाह नहीं लेती थी। घर का सारा काम यशोधर जी को ही करना पड़ता था। उन्हें बड़े बेटे द्वारा अलग एकाउंट खोलना भी कहीं न कहीं खलता था। ऐसा न हो पाने के कारण ही यशोधर बाबू अपनी संतानों से असंतुष्ट रहते थे।
उनकी चाहत थी कि उनका मन रखने के लिए ही उनके बेटे उनसे सलाह लिया करें। कोई काम करने से पहले उनसे पूछ लिया करें। उनके परिवार और गरीब रिश्तेदारों के प्रति उपेक्षा का भाव न अपनायें। समाज से जुड़ी परंपराओं के प्रति आदर भाव अपनायें।