किशनदा का बुढ़ापा सुखी क्यों नहीं रहा था?
किशनदा आजीवन अविवाहित रहे थे। नौकरी करते हुए वे सरकारी क्वार्टर में ही रहे। पैसा जोड़कर घर बनवाने की बात उन्होंने कभी नहीं सोची थी। उनके तमाम साथियों ने हौजखास, ग्रीनपार्क, कैलाश कहीं न कहीं जमीन लेकर मकान बनवा लिया था। रिटायर हो जाने व? छह महीने बाद ही उन्हें क्वार्टर खाली कर देना पड़ा। किशनदा बाबू ने अपने जीवन में ढेर सारे लोगों को लाभ पहुँचाया था। कई लोगों ने उनके बल पर जिंदगी शुरू की थी। वे सभी किशनदा को हर तरह से भूल चुक थे। उन्होंने किशनदा को एक बार भी नहीं पूछा था। यशोधर बाबू भी अपने परिवार की मजबूरियों के कारण उन्हें अपने घर में नहीं रख सके। किशनदा कुछ साल किराये पर रहने के बाद अपने गाँव लौट गये। इस तरह वे हर तरह से अकेले पड़ गये। गाँव जाने के साल भर में उनकी मौत हो गयी जबकि उन्हें किसी तरह की बीमारी नहीं हुई थी।