कहानी के आधार पर सिद्ध कीजिए कि यशोधर बाबू का व्यक्तित्व किशनदा के पूर्ण प्रभाव में विकसित हुआ था। अथवा
‘यशोधर बाबू का व्यक्तित्व किशनदा की प्रतिच्छाया है’ इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं? तार्किक उत्तर दीजिए।
कहानी के आधार पर हम यह कह सकते हैं कि यशोधर बाबू का व्यक्तित्व किशनदा के पूर्ण प्रभाव में विकसित हुआ है। यशोधर बाबू का व्यक्तित्व उन्हीं की प्रतिच्छाया है। यशोधर बाबू बहुत कम उम्र में पहाड़ से दिल्ली आ गये थे। किशनदा जैसे दयालु एवं सामाजिक व्यक्ति ने यशोधर जैसे कई लोगों को अपने घर में आसरा दिया था। यशोधर बाबू की सरकारी विभाग में नौकरी भी उन्होंने ही दिलवायी थी। इस तरह जीवन मे। महत्वपूर्ण योगदान करने वाले व्यक्ति से प्रभावित होना स्वाभाविक था। यशोधर बाबू तो पूरी तरह किशनदा से प्रभावित हो गये। उन्होंने अपने सामाजिक एवं व्यक्तिगत जीवन में किशनदा की बातों को उतारना शुरू कर दिया था। ऑफिस में कामकाज, सहयोगियों के साथ संबंध, सुबह सैर करने की आदत. किसी बात को कहकर मुस्कराना, पहनने-ओढ़ने का तरीका, आदर्श संबंधी बातों को दुहराना, किराये के मकान में रहना, रिटायर हो जाने पर गाँव वापस चले जाने की बात आदि सभी पर किशनदा का ही प्रभाव है। कहानी के अंत में जब उनका बड़ा बेटा उन्हें ऊनी गाउन उपहार में देता है. तो यशोधर बाबू को लगता है कि उनके अंग। में किशनदा उतर आया है। इस तरह यह स्पष्ट होता है कि यशोधर बाबू के व्यक्तित्व पर किशनदा का बहुत ज्यादा प्रभाव था।