अपने निवास के निकट पहुँचकर वाई.डी. पंत को क्यों लगा कि वे किसी गलत जगह पर आ गए हैं? पूरे आयोजन में उनकी मनःस्थिति पर प्रकाश डालिए।
वाई.डी. पंत अर्थात् यशोधर पंत दफ्तर से छुट्टी करके इधर-उधर होकर जब अपने क्वार्टर के पास पहुँचते हैं तब उन्हें लगता है कि संभवत: वह किसी गलत स्थान पर आ गए हैं। कारण यह था कि क्वार्टर के बाहर एक कार खड़ी थी, कुछ स्कूटर, मोटर साइकिलें भी थीं। कुछ लोग विदा लेकर जा रहे थे। बाहर बरामदे में रंगीन कागजों की झालरें और गुब्बारे लटके थे। वहाँ रंग-बिरंगी रोशनियाँ जली हुई थीं। ऐसा तो पहले कभी नहीं होता था। बात यह थी आज उनके क्वार्टर में सिल्वर वैडिंग की पार्टी चल रही थी। इसका पता यशोधर पंत को नहीं था। यशोधर बाबू की पत्नी और बेअी विशेष वेशभूषा पहने मेमसाबों को विदा कर रही थीं। यशोधर बाबू की मन:स्थिति अजीब तरह की हो गई। इस पूरे आयोजन को वे समहाउइप्रांपर कहते हैं। यशोधर बाबू को केक काटना भी बचकानी बात मालूम हुई। उन्होंने अपनी मन:स्थिति पर काबू पाने के लिए पूजा ज्यादा देर तक की।