कहानी के आधार पर सिद्ध कीजिए कि यशोधर जी की पत्नी समय के साथ बल सकने में सफल हो गयी है।
यशोधर जी की पत्नी अपने बेटों और बेटी के प्रभाव में समय के साथ ढल सकने में सफल हो गयी है। उनके ऊपर किसी और का प्रभाव नहीं था। कहानीकार ने स्पष्ट भी किया है कि यशोधर बाबू की पत्नी अपने मूल संस्कारों से किसी भी तरह आधुनिक नहीं है, तथापि बच्चों की तरफदारी करने की मातृसुलभ मजबूरी ने उन्हें मॉर्डन बना डाला है। यशोधर बाबू को संयुक्त परिवार के दिन बहुत अच्छे लगते हैं, जबकि उस समय को उनकी बीवी अपने जीवन का सबसे खराब दिन मानती है। अपनी बेटी के कहने के हिसाब से जीना सीख लिया है। उसने बगैर बाँह का ब्लाउज पहनना, रसोई से बाहर भात-दाल खा लेना, ऊँची हील की सैंडल पहनना और ऐसे ही पचासों काम अपनी बेटी की सलाह पर शुरू कर दिया है। वह अपने बेटा के किसी भी मामले में दखल नहीं देती है। इससे उनका टकराव उनसे नहीं होता है। वह अपनी ‘सिल्वर वैडिंग’ समारोह में खुशी से केक काटती है। मेहमानों का स्वागत खुलकर करती है। वह अपने बेटों और बेटी की सोच की तरफदारी भी करती है। इस तरह हम कह सकते हैं कि वह समय के साथ ढल गयी है।