कहानी के आधार पर यशोधर पंत के व्यक्तित्व की विशेषताएँ संक्षेप में स्पष्ट कीजिए।
यशोधर पंत गृह मंत्रालय में सेक्सन ऑफिसर हैं। वह पहाड़ से दिल्ली आये थे। दिल्ली आने के समय उनकी उम्र बहुत कम थी। कृष्णानंद (किशनदा) पांडे के घर पर रहे थे। वहाँ रहते हुए उनके व्यक्तित्व का विकास हुआ। इस विकास मैं सबसे अधिक प्रभाव किशनदा का था। वह एक कंजूस व्यक्ति भी थे। आफिस में जलपान के लिए तीस रुपये निकाल पाना आफिस वालों के लिए बहुत कठिन था। यशोधर बाबू अपने पद के हिसाब से व्यवहार करने वाले व्यक्ति थे। उन्होंने यह गुण भी किशनदा से सीखा था। उम्र बढ़ने के साथ यशोधर जी धार्मिकता के रंग में रंगते जा रहे थे। उनकी दिनचर्या मंदिर रजाने के बाद ही समाप्त होती थी। इसी तरह घर में भी पूजा पाठ करते थे। यशोधर बाबू एक सामाजिक व्यक्ति थे। अपनी नौकरी शुरू करने के साथ उन्होंने संयुक्त परिवार अपने साथ रखा था। इसी प्रकार सालों साल तक अपने घर में कुमाऊँनी परंपरा से संबंधित आयोजन भी किया करते थे। उनकी चाहत थी कि उन्हें समाज का सम्मानित व्यक्ति समझा जाये।
यशोधर जी एक असंतुष्ट पिता भी थे। अपनी संतानों के साथ उनका संबंध सामान्य नहीं था। अपने पारिवारिक माहौल से बचने के लिए ही वे जान बूझकर अधिक समय तक घर से बाहर रहने की कोशिश करते थे। उन्हें अपने बेटों का व्यवहार पसंद नहीं है। बेटी के पहनने ओढ़ने को वह सही मानते हैं। उनके बेटे किसी भी मामले में उनसे किसी तरह की राय नहीं लेते हैं। यशोधर बाबू को यही बात बुरी लगती है।।
यशोधर बाबू परंपरावादी व्यक्ति हैं। उन्हें सामाजिक रिश्तों को निभाने में आनंद आता है। अपनी बहन को नियमित तौर पर पैसा भेजते हैं। बीमार जीजा कौ देखने जाने कं बारे में सोचते हैं। आधुनिकता के विरोधी होने के बाद भी उन्हें अपने बेटों की प्रगति अच्छी लगती है। गैस चूल्हा खरीदे जाने पर, फ्रिज खरीदे जाने पर, लड़के की नौकरी आदि लगने पर उनके चेहरे पर चमक आ जाती है। इसके अलावा वे असंतुष्ट पति, मेहनती, परंपरा प्रिय व्यक्ति हैं।