“सिल्वरवेडिंग” कहानी के आधार पर पीढ़ियों के अंतराल के कारणों पर प्रकाश डालिए। क्या इस अंतराल को कुछ पाटा जा सकता है? कैसे? स्पष्ट कीजिए।
‘सिल्वर वेडिंग’ कहानी में दो पीढ़ियों के अंतराल को दर्शाया गया है। पुरानीपीढ़ी का प्रतिनिधित्व यशोधर पंत करते हैं तो उनकी संतान नई पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करती है।
यशोधर पंत पुरानी नीतियों-परंपराओं से जीवन भर चिपटे रहते हैं। वे नए विचारों को स्वीकार नहीं कर पाते हैं। उनके बेटे-बेटी नवीनता के पक्षधर हैं। पत्नी उनके बीच की स्थिति की है। वह स्वयं की थोड़ा-थोड़ा बदल लेती है।
कहानी की मूल संवेदना पीढी के बीच के अंतराल को स्पष्ट करना है। बाकी दोनों मत भी इस कहानी में मिलते हैं, किन्तु वे मूल संवेदना के रूप में विकसित नहीं होते हैं। कहानी के मुख्य पात्र अर्थात् यशोधर जी स्वयं पीढ़ी अंतराल की बात स्वीकार करते हैं। उन्हें अच्छी तरह मालूम है कि दुनियादारी के मामले में उनकी सन्तानें अच्छा सोचती हैं। यशोधर जी अपनी पीढ़ी के आदशों और मूल्यों से बहुत ज्यादा जुड़े है। आफिस के कर्मचारियों के साथ उनके संबंध भी इसी मानसिकता के साथ बने हैं। चड्ढा की चौड़ी मोहरी वाली पैंट भी उन्हें इसीलिए ‘समहाउ इम्प्रापर’ लगती है। ‘समहाउ इम्प्रापर’ वाक्यांश से कहानीकार ने इस पीढ़ी अंतराल को प्रतीकात्मक ढंग से व्यक्त किया है। उनके बेटों और बेटी के रहन-सहन नये जमाने के हिसाब से हैं। उनका सोचना भी नये सामाजिक मूल्यों पर विकसित हुए हैं। यशोधर जी जिन सामाजिक मूल्यों को बचाकर रखना चाहते हैं, उन सामाजिक मूल्यों का नयी पीढ़ी के लिए कोई महत्त्व नहीं है। इसी तरह नये ढंग के कपड़े पहनना भी नई पीढ़ी की विशेषता है। इस तरह यह कहानी पूरी तरह पीढ़ी अंतराल की कहानी कहती है।
हाँ, इस अंतराल को पाटा तो जा सकता है, पूरी तरह से नहीं। पुरानी पीढ़ी को समयानुकूल बदलना होगा तथा नई पीढ़ी को अंधानुकरण की प्रवृत्ति से बचना होगा। दोनों को मध्यमार्ग अपनाना होगा।