‘सिल्वर वैडिंग’ पाठ के आलोक में स्पष्ट कीजिए कि यशोधर बाबू की पत्नी समय के साथ बल सकने में सफल होती है।
यशोधर बाबू पुराने विचारों के थे तथा उनका स्वभाव अड़ियल किस्म का था। उनकी पत्नी समय के साथ ढलने में सफल रहती है। उनकी पत्नी के व्यक्तित्व का विकास किसी व्यक्ति विशेष के प्रभाव से नहीं हुआ है। जिस संयुक्त परिवार को यशोधर बाबू बहुत याद करते उसी संयुक्त परिवार के दु:खद अनुभव उनकी पत्नी को अभी तक याद हैं। लेखक स्वयं कहता है कि मातृ सुलभ प्रेम के कारण वह अपनी संतानों का पक्ष लेती है। इस तरह वह नये जमाने के साथ ढल सकने में सफल होती है। वह बेटी के कहने के हिसाब से कपड़े पहनती है। अपने बेटों के किसी मामले में दखल नहीं देती है।