अब अगर हम उस जगह बाकी आधे सीन की शूटिंग करते, तो पहले आधे सीन के साथ उसका मेल कैसे बैठता? उनमें से 'कंन्टिन्यूइटी नदारद हो जाती है-इस कथन के पीछे क्या भाव है?
इस कथन के पीछे यह भाव है कि फिल्म में ककंन्टिन्यूइटीका बहुत महत्व है। एक सीन के दो हिस्से अलग-अलग दिनों में शूट होने पर इसका ध्यान रखना बहुत आवश्यक हो जाता, अन्यथा 'पैच वर्क 'जैसा प्रतीत होता है । दर्शकों को सीन में तारतम्यता चाहिए । उन्हें वास्तविक स्थिति का पता नहीं होता ।
संदर्भ शूटिंग के दौरान अचानक हुए बदलाव का वर्णन किया गया है , जिससे सभी आश्चार्यचकित हो गए। व्याख्या
- पथेर पांचाली फ़िल्म के दृश्य में अपू के साथ काशफूलों के वन में शूटिंग करनी थी।
- सुबह शूटिंग करके शाम तक सीन का आधा भाग चित्रित किया।
- क्षेत्र में नवागत होने के कारण थोड़े बौराए हुए ही थे, बाकी का सीन बाद में चित्रित करने का निर्णय लेकर सब घर चले गए।
- सात दिन के बाद उस जगह में काफी बदलाव आ गया था देखकर हम पहचान नहीं पाए। निर्देशक, छायाकार, छोटे अभिनेता-अभिनेत्री सभी इस सात दिन बाद शूटिंग के लिए उस जगह गए, बीच के सात दिनों में जानवरों ने वे सारे काशफूल खा डाले थे।
- उस जगह बाकी आधे सीन की शूटिंग करते, तो पहले आधे सीन के साथ उसका मेल नहीं बैठता। उसमें से’कंटिन्युइटी’ नदारद हो जाती।
- अतः इन सभी कारणों के कारण फिल्म की कॉन्टिनुइटी खत्म हो जाती है।
- क्योंकि किसी भी कार्य में जब तक हम अपना पूर्ण ध्यान नहीं देते है तब तक उसमे सफलता प्राप्त करना मुश्किल होता है।